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Monday, October 31, 2011

खाद्य महंगाई दर ने लगाई छलांग, @11.43% पर पहुंची!राडिया ने छोड़ा पीआर, टाटा का रेडिफ्यूजन को ओके!अगस्त 2012 तक 23,000 तक पहुंच सकता है सेंसेक्स!

खाद्य महंगाई दर ने लगाई छलांग, @11.43% पर पहुंची!राडिया ने छोड़ा पीआर, टाटा का रेडिफ्यूजन को ओके!अगस्त 2012 तक 23,000 तक पहुंच सकता है सेंसेक्स!


राडिया ने इसकी वजह 'पारिवारिक जिम्मेदारियों और स्वास्थ्य कारणों' को बताया। टाटा ग्रुप के मीडिया रिलेशंस का काम अब रेडिफ्यूजन के दिवान अरुण नंदा देखेंगे...

ग्रीस संकट से उबरने पर यूरोपीय संघ में सहमति

महंगाई की आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। 15 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में खाद्य

मुद्रास्फीति दर बढ़कर 11.43 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई I गुरुवार को इस संबंध में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान ईंधन सूचकांक में साल दर साल आधार पर 14.70 फीसदी का उछाल रहा।

अगस्त 2012 तक बीएसई सेंसेक्स 23,000 का स्तर पार कर सकता है। रिलायंस

म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार में अगले एक से डेढ़ साल के दौरान अच्छी खासी तेजी देखने को मिल सकती है।

भारतीय शेयर बाजारों पर अपनी ताजा रिपोर्ट में रिलायंस म्यूचुअल फंड ने कहा है कि अगले एक साल में अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने वाले घरेलू और वैश्विक कारण कम हो जाएंगे। साथ ही, सरकार द्वारा आर्थिक सुधारों के लिए उठाए जाने वाले विभिन्न नीतिगत कदमों से भी कंपनियों तथा निवेशकों की धारणा में सुधार होगा।

गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक सब्जियों के दाम में सालाना स्तर पर 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसी तरह फल की कीमत 11.96 फीसदी, दूध की 10.85 फीसदी और अंडे, मांस और मछली की कीमत 12.82 फीसदी बढ़ी। हालांकि प्याज 18.93 फीसदी सस्ता हुआ और गेहूं की कीमत 0.95 फीसदी और आलू की 0.45 फीसदी कम हुई।

साप्ताहिक स्तर पर 15 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में प्राथमिक उत्पाद खंड की मुद्रास्फीति 11.75 फीसदी रही जबकि इसके पिछले हफ्ते यह 11.18 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक उत्पादों का योगदान 20 प्रतिशत से अधिक है।

इस हफ्ते फाइबर, तिलहन और खनिज समेत गैर खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति 7.87 फीसद रही जबकि आठ अक्टूबर को खत्म हफ्ते के दौरान यह 8.51 फीसदी रही। ईंधन और बिजली क्षेत्र की मुद्रास्फीति 15 अक्तूबर को खत्म हफ्ते के दौरान 14.70 फीसदी रही जबकि इसके पिछले हफ्ते यह 15.17 फीसदी थी।

खाद्य कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से सरकार और रिजर्व बैंक पर इस स्थिति से तेजी से निपटने का दबाव बढ़ सकता है।

सकल मुद्रास्फीति दिसंबर 2010 से नौ फीसद से ऊपर बनी हुई है। इस साल सितंबर में यह 9.72 फीसदी पर थी। आरबीआई मांग पर लगाम लगाने और मुद्रास्फीति कम करने के लिए मार्च 2010 से 13 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुका है।

इस सप्ताह मौद्रिक नीति की हुई दूसरी तिमाही समीक्षा में आरबीआई ने कहा कि मार्च 2012 तक सात फीसदी पर आने से पहले मुद्रास्फीति मांग और सप्लाई में अंतर के कारण दिसंबर तक उच्च स्तर पर बनी रहेगी।

वर्तमान में मौजूद चिंताओं को छोटी अवधि का करार देते हुए रिलायंस एमएफ ने कहा है कि आगे चलकर माहौल इतना खराब नहीं रहेगा और निवेशक अगले 12 से 18 महीने में बेहतर रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों की आमदनी में वृद्धि के अनुमान के आधार पर कहा जा सकता है कि अगस्त, 2012 तक सेंसेक्स 23,100 अंक के स्तर पर पहुंच सकता है।

अभी तक सेंसेक्स का शीर्ष स्तर 21,206.77 अंक रहा है, जो 10 जनवरी, 2008 को हासिल हुआ था। वर्तमान में सेंसेक्स 16,866.97 अंक पर चल रहा है। पिछले एक साल में सेंसेक्स में 1,900 अंक या 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति खराब रहने पर सेंसेक्स अगस्त 2012 तक 15,977 अंक पर आ सकता है। वहीं औसत अनुमान के हिसाब से सेंसेक्स 22,852 अंक के स्तर पर पहुंचेगा। पिछले महीने पेश एक अन्य रिपोर्ट में रिलायंस एमएफ ने कहा था कि अमेरिका और यूरोप में कर्ज संकट की वजह से आया करेक्शन निवेशकों के लिए लिवाली का एक आकर्षक मौका है। इसमें यह भी कहा गया था कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट जैसी खराब स्थिति भारतीय बाजारों में दोबारा नहीं लौटेगी, क्योंकि उस समय की तुलना में इस बार कारण अलग हैं।

ब्रसेल्स : ग्रीस को सरकारी कर्ज संकट से उबारने के लिए यूरोपीय

संघ के नेताओं के बीच एक सहमति बन गई है। इसके तहत बैंक ग्रीस की सरकार को दिए कर्ज की आधी राशि को अब अपने नुकसान के रूप में मंजूर करेंगे। इस तरह ग्रीस की सरकार पर कर्ज का बोझ घटेगा। ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की आपात बैठक के बाद संघ के अध्यक्ष हरमैन वान रोम्पय ने गुरुवार को कहा कि ग्रीस सरकारी कर्ज को लेकर बैंकों के साथ एक समझौते पर पहुंच गया है। इसके तहत ग्रीस के 50 फीसदी कर्ज को बैंक अपने नुकसान या खर्च में शामिल करेंगे। इस समझौते से साल 2020 तक ग्रीस का कर्ज घटकर उसके जीडीपी के 120 फीसदी तक पहुंच जाएगा। वर्तमान में कर्ज जीडीपी का 180 फीसदी है।

दरअसल जुलाई में यूरो जोन के नेता ग्रीस को एक राहत पैकेज देने पर सहमत हुए थे। बैंक पहले मान रहे थे कि वे ग्रीस के 21 फीसदी कर्ज को अपने खर्च में शामिल कर लेंगे लेकिन अगस्त में संकट के और गहराने के कारण खातों को समायोजित करना बेहद जरूरी हो गया। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि बैंकों को 40 से 60 फीसदी खर्च को अपने खातों में समायोजित करना चाहिए जबकि अन्य का कहना है कि इससे ग्रीस संकट का कोई समाधान नहीं निकलेगा। ग्रीस पर वर्तमान में 360 अरब यूरो का कर्ज है लेकिन अल्प अवधि के कर्जों के कारण यह और बढ़ता जा रहा है।

राडिया ने छोड़ा पीआर, टाटा का रेडिफ्यूजन को ओके
31 Oct 2011, 1139 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स
सोनाली कृष्णा
कॉरपोरेट लॉबीइस्ट और टाटा ग्रुप एवं रिलायंस इंडस्ट्रीज को पब्लिक रिलेशंस

सेवाएं देने वाली नीरा राडिया ने रविवार को 'कम्युनिकेशंस कंसल्टेंसी कारोबार छोड़ने' के इरादे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वह क्लाइंट कंपनियों के कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं करेंगी।

राडिया ने एक पेचीदा नोट में इस 'दुखदायी' फैसले की वजह 'पारिवारिक जिम्मेदारियों और स्वास्थ्य कारणों' को बताया। टाटा ग्रुप के मीडिया रिलेशंस का काम अब रेडिफ्यूजन के दिवान अरुण नंदा देखेंगे। नंदा के लिए अकेले ग्रुप की 90 से ज्यादा कंपनियों के लिए यह काम करना मुश्किल होगा, इसलिए वह अंतरराष्ट्रीय पीआर एजेंसी एडेलमैन के साथ साझेदारी कर सकते हैं। इस मामले की जानकारी रखने वालों ने यह बात कही। नंदा ने ना ही इसकी पुष्टि की है और न ही इससे इनकार किया है। वह भारत में रेडिफ्यूजन देंत्सू, यंग एंड रूबीकैम प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक रहे हैं।

टाटा ग्रुप तेजी से खुद को ग्लोबल बिजनेस एंटरप्राइज में बदल रहा है, जिसका केंद मुंबई है। ग्रुप की दो कंपनियों टाटा स्टील और टाटा मोटर्स की आय में विदेशी कारोबार की हिस्सेदारी 50 फीसदी है। सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में उसके लिए अंतरराष्ट्रीय पीआर एजेंसी की सेवाएं लेना समझदारी भरा फैसला लगता है। एडेलमैन खुद को दुनिया की सबसे बड़ी स्वतंत्र पीआर कंपनी बताती है।

एक बयान में टाटा ग्रुप ने कारोबारी योगदान के लिए राडिया की तारीफ की। ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने बयान में कहा, 'टाटा ग्रुप नीरा राडिया के क्लाइंट के कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं करने की व्यक्तिगत इच्छा का सम्मान करता है।' राडिया ने अपने कॉरपोरेट क्लाइंट टाटा ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए क्रमश: वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस और न्यूकॉम कंसल्टिंग नाम से दो कंपनियां शुरू की थीं। दावे के मुताबिक, दोनों कंपनियों का कामकाज अलग था।

वैष्णवी को शुरू कर कामयाबी के मुकाम पर पहुंचाने के लिए रतन टाटा ने राडिया की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा, 'क्लाइंट की प्राथमिकताओं के लिए उन्होंने निजी और पारिवारिक हितों की भी परवाह नहीं की।' उन्होंने यह भी कहा कि राडिया का ग्रुप के साथ जुड़ाव सिद्धांतत: सही और संतोषजनक रहा। रिलायंस इंडस्ट्रीज को सेवाएं देने वाली राडिया की पीआर फर्म न्यूकॉम के अलग होने की पुष्टि करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता ने उनके साथ रिश्ते को संतोषजनक बताया।

उन्होंने कहा, 'हमें नीरा राडिया के कम्युनिकेशन कंसल्टेंसी कारोबार छोड़ने के फैसले पर अफसोस है। राडिया और उनकी टीम के साथ पिछले तीन साल से हमारे प्रोफेशनल रिश्ते संतोषजनक रहे।' सूत्रों के मुताबिक, रिलायंस खुद कंपनी का पीआर कामकाज देख सकती है।
http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/10551834.cms

श्रीमती इंदिरा गांधी के बारे में लिखना बहुत मुश्किल है। वे एक ऐसी नेता थीं, जिन्हें लोग प्यार करते थे, लेकिन ऐसे लोग भी थे जो उनकी आलोचना करते थे। जब उन्होंने बांग्लादेश की आजादी के लिए सशस्त्र हस्तक्षेप किया, तो वे अचानक दुर्गा का अवतार नजर आने लगीं। लेकिन जब उन्होंने इमरजेंसी लगाई, तो उन्हें एक तानाशाह करार दिया गया। इतने गहरे अंतर्विरोधों से भरे हुए एक भरे-पूरे राजनीतिक व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना आसान नहीं है।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इशारे पर सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाने के आरोपों

पर टीम अन्ना का कहना है कि हमने कभी आरएसएस से समर्थन नहीं मांगा।

अनशन के दौरान हमने संघ के किसी व्यक्ति को अपने मंच पर नहीं आने दिया लेकिन अगर संघ का कोई कार्यकर्ता रामलीला मैदान में आया हो या बाहर से समर्थन दिया हो तो इसमें गलत क्या है।

नो कॉमेंट : कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह टीम अन्ना पर संघ से रिश्ते होने का आरोप लगाकर कुछ दिनों से लगातार ट्वीट कर रहे हैं। रविवार को भी दिग्विजय ने ट्वीट किया कि बाबा रामदेव अपने अभियान के लिए आरएसएस से मिले समर्थन को लेकर कहीं अधिक ईमानदार हैं। मुझे समझ नहीं आता कि अन्ना हजारे उनका अहसान क्यों नहीं मान रहे हैं। उधर, रालेगण सिद्धि में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरविंद केजरीवाल ने दिग्विजय सिंह के आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

40 लाख का स्रोत पता नहीं : शनिवार को गाजियाबाद में हुई टीम अन्ना की कोर कमिटी की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देने के लिए केजरीवाल, किरन बेदी और प्रशांत भूषण रविवार को अन्ना हजारे के गांव पहुंचे। अन्ना 16 अक्टूबर से मौन व्रत पर हैं, इसलिए उनका लिखित संदेश केजरीवाल ने पढ़ा। जन लोकपाल विधेयक के लिए चलाये गये आंदोलन में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को खारिज करते हुए टीम उन्होंने कहा कि आंदोलन को 40 लाख रुपये अज्ञात स्रोतों से प्राप्त हुए। लोग आंदोलन में इकट्ठा हुए और खर्च हुए धन के बारे में दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमें जो धन मिला, उसमें से 40 लाख रुपये अज्ञात स्रोतों से बैंक के माध्यम से प्राप्त हुए थे। इस धन को रखने के बजाय हमने निर्देश दिया कि इसे लौटाया जाए। हमने कुछ दिन बाद रामलीला मैदान में चंदा लेना बंद कर दिया। बाद में हमने चैक और बैंकों के माध्यम से भी चंदा लेना बंद कर दिया। यह सब दिखाता है कि आंदोलन पैसे के लिए नहीं चल रहा। हमने एक विशेष ऑडिट कराया है और इसे वेबसाइट पर डालेंगे। यदि किसी को संदेह है तो कोई सरकारी एजेंसी जांच कर सकती है।

अग्निवेश पर बाद में सोचेंगे : केजरीवाल ने कहा कि टीम में कोई मतभेद नहीं है। वह पहले की तरह एक है और भविष्य में भी रहेगी। कोर कमेटी के सदस्य मिलकर चुनौतियों का सामना करेंगे और मुकाबला करेंगे। हमारी लड़ाई जन लोकपाल विधेयक पारित होने तक जारी रहेगी। कोर कमेटी को भंग करने की मांग सही नहीं लगती। टीम से बाहर किये गये स्वामी अग्निवेश को कोर कमिटी के पुनर्गठन की स्थिति में फिर शामिल करने की संभावना पर केजरीवाल ने हजारे की भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, 'इस बारे में बाद में सोचेंगे।'

अलग राय : प्रशांत भूषण के कश्मीर में जनमत संग्रह कराने संबंधीबयान पर अन्ना हजारे ने बयान में कहा कि कमिटी में कई सदस्य हैंजो अनेक विचारधाराओं में भरोसा रखते हैं। सदस्यों के अपने सामाजिकऔर राजनीतिक दृष्टिकोण हैं। उनमें से कई अनेक मुद्दों पर काम कररहे हैं। कुछ मुद्दों पर उनकी राय अलग हो सकती है लेकिन किसीसदस्य विशेष के विचारों को अन्ना हजारे पक्ष के विचारों के तौर परनहीं देखा जा सकता।

कांग्रेस से नफरत नहीं : जब टीम अन्ना से पूछा गया कि वे यूपी मेंबीएसपी के खिलाफ अभियान क्यों नहीं चला रहे। सिर्फ कांग्रेस को हीनिशाना क्यों बना रहे हैं ? तो उन्होंने कहा कि टीम अन्ना को कांग्रेससे कोई नफरत नहीं है या बीएसपी अध्यक्ष मायावती से कोई विशेषस्नेह नहीं है। हमारा मुख्य मुद्दा जन लोकपाल विधेयक को पारितकराना है।

दुनिया का सात अरबवां बच्चा हिंदुस्तान में नहीं, बल्कि 4764 किलोमीटर दूर मनीला में पैदा हुआ है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ ने घोषणा कर दी है कि दुनिया की आबादी सात अरब हो गई है। संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा है कि विश्व की जनसंख्या सन 2100 तक 10 अरब तक पहुंच सकती है। इस दौरान जन्मदर में अनुमान से अलग, जरा भी वृद्धि हुई तो यह 15 अरब तक हो जाएगी।


देसी रईसों ने विदेशों में लगाए 1 अरब डॉलर

21 Oct 2011, 1705 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स


गायत्री नायक / अनीता भोइर
मुंबई : भारतीय काफी

पैसा विदेश भेज रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हालिया आंकड़ों ने इस पर मुहर लगा दी है। इनसे पता चलता है कि पिछले पांच साल में विदेश में प्रॉपर्टी, शेयर खरीदने और गिफ्ट देने पर खर्च दोगुना, तिगुना या कुछ मामलों में 30 गुना तक बढ़ा है।

विदेश में निवेश या एसेट खरीदने के लिए लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत वित्त वर्ष 2011 में खर्च पहली बार बढ़कर एक अरब डॉलर हो गया। इसका मतलब यह है कि अमीर भारतीय इस स्कीम के तहत खर्च सीमा बढ़ाए जाने का फायदा विदेश में एसेट खरीदकर उठा रहे हैं। 2008 के वित्तीय संकट के बाद पश्चिमी मुल्कों में एसेट के दाम में गिरावट आई है।

एचएसबीसी इंडिया में वेल्थ मैनेजमेंट एंड लायबिलिटीज प्रमुख ऋत्विक घोषाल ने कहा, 'भारत के रईस अपने पोर्टफोलियो का जोखिम कम करने के लिए विदेश में पैसा लगा रहे हैं। 2004 के बाद हर भारतीय को किसी भी कारोबारी साल में 2,00,000 डॉलर विदेश में खर्च करने की इजाजत मिली थी। यह रकम प्रॉपर्टी खरीदने, विदेश में रिश्तेदारों को गिफ्ट करने, फिक्स्ड डिपॉजिट करने, शेयरों और बॉन्ड में निवेश करने, फैमिली मेंटेनेंस, विदेश में पढ़ाई और इलाज पर खर्च की जा सकती थी।

घोषाल ने बताया, 'भारतीय रियल एस्टेट, करेंसी एवं इंटरेस्ट रेट ऑप्शन और हेज फंड में पैसा लगा रहे हैं। आर्ट में भी निवेश किया जा रहा है। भारतीयों ने दुबई और ब्रिटेन में रियल एस्टेट में निवेश किया है।' पहले एलआरएस स्कीम के तहत 50,000 डॉलर खर्च करने की छूट थी। इसे बाद में बढ़ाकर 2,00,000 कर दिया गया। विदेश ट्रैवल, पढ़ाई और इलाज जैसे मदों के लिए अलग-अलग सीमा तय है।

इन मामलों में एलआरएस के तहत 2,00,000 डॉलर की अतिरिक्त खर्च की इजाजत है। मुमकिन है कि अप्रैल से पश्चिम में आर्थिक अनिश्चितता बढ़ने के बाद रईस भारतीयों के विदेश में खर्च करने में कमी आई हो। हालांकि पिछले पांच साल के आंकड़े देखकर तो यही लगता है कि विदेश में भारतीयों का निवेश तेजी से बढ़ेगा।

अमेरिकी में प्रॉपर्टी बाजार के ढहने और यूरोप में दाम कम होने के बाद कई रईस भारतीयों ने विदेश में मकान खरीदे। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें कैलिफोर्निया और बोस्टन में चार या पांच बेडरूम वाले बंगले उसी कीमत में उपलब्ध हैं, जितने में बोरीवली या अंधेरी जैसे मुंबई के उपनगरों में 1,000 वर्ग फुट वाला टू-बेडरूम अपार्टमेंट मिल रहा है।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के जनरल मैनेजर, वेल्थ (भारत और दक्षिण एशिया) विशाल कपूर ने कहा, 'बाहर पैसा भेजने के लिए व्यक्ति विशेष को उद्देश्य की जानकारी देनी होती है। ज्यादातर मामलों में तोहफों की जांच की जाती है। तोहफों की रकम बढ़ा-चढ़ाकर बताई जा सकती है क्योंकि बच्चों के खर्च के लिए भेजी जाने वाली रकम भी गिफ्ट मानी जाती है। रईस भारतीय अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों में पैसा भेज रहे हैं। भारतीय तेजी से वैश्विक दुनिया के साथ जुड़ते जा रहे हैं, ऐसे में बाहर भेजी जाने वाली रकम में इजाफा होना तय है।'

माना जा रहा है कि गिफ्ट के तौर पर विदेश भेजी गई रकम का बड़ा हिस्सा वहां रह रहे रिश्तेदारों के भेजे गए पैसे के निवेश पर रिटर्न है। भारतीय नागरिकों की ओर से विदेश से अपने घर भेजी जाने वाली रकम के आंकड़े से इस सोच को बल मिलता है। 90 के दशक के बाद से इसमें तेजी उछाल आ रहा है। यह वही दौर है, जब आईटी उद्योग में जबरदस्त तेजी आई थी। तब बड़ी संख्या में भारतीय सॉफ्टवेयर पेशेवर उत्तरी अमेरिका और यूरोप जाने शुरू हुए थे।



http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/10440251.cms

अब वक्त बचाने के लिए पैसा खर्च करते हैं भारतीय

25 Apr 2011, 1134 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स


एक वक्त था जब भारतीय पैसा बचाने के लिए वक्त खर्च किया करते थे। लेकिन अब तस्वीर बिलकुल उलट है। वे

वक्त बचाने के लिए पैसा खर्च किया करते हैं। एक समय भारत में प्रमुख रेफ्रिजरेटर ब्रांड रहे केल्वीनेटर के एक वरिष्ठ मार्केटिंग प्रमुख ने 1993 में अपने फेयरवेल गेट-टुगेदर के दौरान युवा सहयोगियों से यह बात कही थी।

इस बयान में कितनी गंभीरता और गहराई थी, यह सेल्स टीम को आने वाले कई साल के दौरान समझ आ गया होगा, जब भारतीयों के उपभोग से जुड़े चलन में कई बार बदलाव देखने को मिले। आमदनी, पारिवारिक संयोजन, दफ्तरों और टेक्नोलाजी में आए नाटकीय बदलावों ने वक्त संभालना भी पैसा संभालना जितना मुश्किल बना दिया। ग्राहकों के पर्स की हिस्सेदारी कब्जाने के लिए प्रतिस्पर्धा करने के साथ-साथ कंपनियों को अब खरीदारों के वक्त में से बांटने की होड़ करनी होती है। इस वजह से नए उत्पादों, नई सेवाओं और इन उत्पादों एवं सेवाओं की मार्केटिंग के लिए नए तौर-तरीकों के लिए संभावनाओं का एक नया दरवाजा खुल गया है।

टेक्नोपैक के एक हालिया सर्वेक्षण में बीते पांच साल के दौरान भारतीय ग्राहकों के वक्त और पैसे के खर्च होने में आए बदलावों पर गौर किया गया। 2005 से 2010 के बीच की अवधि में भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय में सबसे ज्यादा उछाल दर्ज किया गया। आंकड़े कुछ दिलचस्प और कुछ भ्रमित करने वाले चलन पर गौर कर रहे हैं। मसलन, सप्ताहांत के दौरान शौकिया चीजों पर खर्च किया जाने वाला वक्त दोगुना हो चुका है, जबकि हफ्ते के अंत में बाहर भोजन करना 2005 की तुलना में 70 गुना बढ़ चुका है।

इसलिए यह देखकर हैरत नहीं होती कि रेस्तरां कितना बढ़िया कारोबार कर रहे हैं। सप्ताहांत के दौरान किताबें पढ़ने में भी इजाफा हुआ है, हालांकि सप्ताह के दौरान इसमें कमी आई है। चौंकाने वाले घटनाक्रम में खर्च के मामले में तुलनात्मक इजाफा सबसे ज्यादा टेलीकॉम पर हुआ है और सबसे ज्यादा गिरावट खाद्य उत्पादों तथा परचून के सामान में आई है।

हालांकि, फीसदी हिस्सेदारी में गिरावट के यह मायने कतई नहीं है कि कुल आधार पर भी खाद्य उत्पादों पर खर्च होने वाली राशि में कमी आई है। जो कंपनियां इन बदलावों के हिसाब से ढल पाएंगी, जो अनुमान लगा पाएंगी, वे अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन करेंगी। और उन्हें ऐसा केल्वीनेटर की तर्ज पर नहीं करना है, जो शायद 17 साल पहले की अपने मार्केटिंग प्रमुख की भविष्यवाणी के मायने ही समझने में नाकाम रही।

(यह सर्वे टेक्नोपैक एडवाइजर्स ने किया और इसके तहत शीर्ष 10 भारतीय शहरों में सेक्शन ए और बी परिवारों के 1,500 लोगों को शामिल किया गया)


http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/8078286.cms

रईसों ने खाया एक्सपोर्ट क्वालिटी राशन

28 Jan 2011, 1050 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स


पी के कृष्णकुमार, एस सानंदकुमार, एस सुजाता, जयश्री भोसले और माधवी सैलीकोच्चि/कोयंबतूर/चंडीगढ़/पुणे:

भारत में मध्यवर्गीय लोगों में बेहतर स्वाद की बढ़ती चाहत के चलते प्रीमियम खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है। इसके चलते बेहतर गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादों के निर्यात में कमी आ रही है, क्योंकि ट्रेडरों को अपने उत्पाद घरेलू बाजार में बेचने में ज्यादा फायदा नजर आ रहा है। निर्यात क्वालिटी के खाद्य पदार्थों, खासकर चाय और कॉफी, प्रीमियम सीफूड, सूखे मेवे, मसालों और मशहूर लंबे दाने वाले खुशबूदार बासमती चावल के प्रति देश में बढ़ती ललक के चलते खाद्य उद्योग के सामने नई चुनौती पैदा हो गई है।

उद्योग इन चीजों की आपूर्ति बढ़ाने के उपाय तलाश रहा है। असल में कई उत्पादों की कीमतें विदेशी उपभोक्ताओं द्वारा चुकाई जाने वाली कीमत के बराबर या कुछ खास मामलों में उससे थोड़ी ज्यादा हो गई है। और खास बात यह है कि इससे किसी को शिकायत नहीं है। दिल्ली की इकनॉमिक रिसर्च फर्म इंडीकस एनालिटिक्स के निदेशक लवीश भंडारी ने कहा, 'उभरते मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रय क्षमता और खानपान की आदतों में बदलाव के चलते प्रीमियम खाद्यों को बढ़ावा मिल रहा है। वे गुणवत्ता को लेकर ज्यादा जागरूक हो गए हैं और लग्जरी गुड्स पर खर्च कर रहे हैं। देश की आर्थिक वृद्धि दर को देखते हुए आने वाले सालों में यह रुझान और बढ़ेगा।'

आज देश-विदेश घूमने वाला भारतीय एक ही बागान की फसल से तैयार बीन्स की कॉफी पीना चाहता है। कापी रोयाल के मैनेजिंग पार्टनर निशांत गुर्जर ने कहा, 'यह सिर्फ जेनरिक वर्जन नहीं होगा..............बल्कि यह विशेष किस्म वाले अलग क्षेत्र के खास बागान की कॉफी होगी।' उन्होंने कहा कि लोग इस तरह के उत्पाद खरीदने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। चाय बनाने के लिए क्रश, टियर और कर्ल किस्म का इस्तेमाल अब बीते दिनों की बात हो गई है। आज ग्रीन टी, ऑरेंज पेको या असम टी को पसंद किया जा रहा है। पर्सनल एंड हेल्थ केयर और खाद्य उत्पादों से जुड़ी कंपनी क्वालफिस के प्रबंधन निदेशक डी सेंथिल कुमार ने कहा, 'भारत के अंदर भी बाजार तेजी से बढ़ रहा है।' अब लोग विशेष उत्पादों को खरीद सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पहले इनका इस्तेमाल मसाला पाउडर में मिलने के लिए किया जाता था, जबकि आज सीजन सूप और सलाद में भी इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। मसालों की प्रमुख प्रसंस्करणकर्ता और निर्यातक कंपनी वल्लभदास कांजी लिमिटेड के एमडी अजय मारीवाला भी कुमार की बात से सहमति जताते हुए कहते हैं, 'घर से बाहर खाना आम बात हो गई है, जिससे रेस्तरां और स्नैक फूड उत्पादों के सीजनिंग आइटमों की काफी मांग है। स्थानीय उत्पादन पर्याप्त नहीं होने पर इन्हें आयात करने के लिए बाध्य होना पड़ता है, जिसके चलते खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हो सकती है।'

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बंगलुरु में सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर कैरोल उपाध्याय कहते हैं, 'आईटी क्षेत्र में काम करने वाले युवा घर पर खाना पकाने के मुकाबले बाहर खाना पसंद करते हैं। उनके पास समय की कमी है और उनकी जेब भारी है। इसलिए खानपान की आदत में यह बदलाव जीवनशैली में परिवर्तन का संकेत है।' देश में काजू की मांग 15 फीसदी की दर से बढ़ रही है। अनु कैशू के पार्टनर कानन एस पिल्लई ने कहा, 'आज भारत दुनिया में सबसे ज्यादा काजू की खपत वाला देश बन गया है।' इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि काजू का निर्यात 2004-05 में 1.26 लाख टन से घटकर 2009-10 में 1.08 लाख टन रह गया है।

2006-07 से 2008-09 के दौरान काजू के निर्यात में सालाना 4 फीसदी की गिरावट आई है। बाद के सालों में निर्यात में गिरावट की दर 1.28 फीसदी रही है। पिछले तीन साल में खुशबूदार बासमती चावल के उत्पादन में 100 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विजय सेतिया ने कहा, 'बासमती की घरेलू खपत 45 से 50 फीसदी बढ़ी है, जबकि कुल उत्पादन में निर्यात की हिस्सेदारी 35 फीसदी रह गई है।'


http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/7353542.cms

लग्जरी ब्रांड को आई समझ, शौक बड़ी चीज, शहर नहीं

10 Oct 2011, 1201 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स


नई दिल्ली : घरेलू लग्जरी बाजार का आकार पिछले एक साल में 20 फीसदी की दर से बढ़कर 5.8 अरब

डॉलर का हो गया है। यह अलग बात है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था एकबार फिर मंदी के संकट में घिरती नजर आ रही है। ये बातें सीआईआई-एटी कियर्नी की इंडियन लग्जरी रिव्यू 2011 रिपोर्ट में हैं।

यह रिपोर्ट दिल्ली में मंगलवार को सीईआई-ईटी लग्जरी समिट में सार्वजनिक की जाएगी। इसके मुताबिक, साल 2009 में घरेलू लग्जरी बाजार 4.76 अरब डॉलर का था, जो इंफ्रास्ट्रक्चर और नियमन संबंधी बाधाओं के बावजूद 2015 तक बढ़कर 14.7 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

लग्जरी बाजार के कुछ सेगमेंट की तरक्की की रफ्तार काफी तेज रही है। उदाहरण के लिए ज्वैलरी सेगमेंट पिछले एक साल में 30 फीसदी की दर से बढ़ा है। इसकी वजह सोने और हीरे की कीमत में बढ़ोतरी रही है। लग्जरी इलेक्ट्रॉनिक्स और कार सेगमेंट में 35 फीसदी से ज्यादा की तरक्की हुई है। जहां तक उच्च गुणवत्ता वाले रेस्तरां की बात है तो इसमें 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। इस सेगमेंट में तरक्की की रफ्तार उम्मीद से तेज रही है।

पिछले एक साल में अपैरल, एक्सेसरीज, घडि़यों और पर्सनल केयर सेगमेंट में भी 24 से 30 फीसदी तक की जोरदार बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान सिर्फ दो सेगमेंट का प्रदर्शन सबसे खराब रहा-रियल एस्टेट और याट। रियल एस्टेट की कमजोरी के कारण ऊंची ब्याज दरें, मांग से ज्यादा आपूर्ति और बाजार में करेक्शन के आसार रहे हैं। जहां तक याट की बिक्री का सवाल है तो इस पर समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की मार पड़ी।

लग्जरी सामान की बिक्री में बढ़ोतरी की वजह देश में तेजी से बढ़ती समृद्धि है। रिसर्च फर्म टीएनएस के ग्लोबल एफ्लुएंस स्टडी के मुताबिक, भारत में 30 लाख रईस परिवार हैं। इस श्रेणी में एक लाख डॉलर (लगभग 50 लाख रुपए) से ज्यादा निवेश योग्य पूंजी वाले परिवार आते हैं। पिछले महीने जारी ग्लोबल एफ्लुएंस स्टडी में स्विस वेल्थ मैनेजर जुलियस बायर ने साल 2015 तक भारत में रईसों की संख्या दोगुने से ज्यादा 4,03,000 होने का अनुमान लगाया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, 'बाजार को लेकर पहले बनी संशय की स्थिति दूर हो रही है। इसकी जगह आशावादिता ले रही है बाजार को लेकर संभावनाएं नजर आने लगी हैं। उपभोक्ता वैश्विक चलन को उम्मीद से ज्यादा तेजी से स्वीकार और आत्मसात कर रहे हैं।' लग्जरी प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियों का कहना है कि उन्हें अपने स्टोर से काफी कमाई हो रही है। इसका मतलब यह है कि इस मॉडल की उपयोगिता साबित हो गई है और अब मुद्दा विस्तार के लिए पूंजी जुटाने की है।

पिछले कुछ साल से भारत में लग्जरी ब्रांड की पैठ गहरी होने लगी हैं। लग्जरी ब्रांड अब दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु की हद से निकल चेन्नई, हैदराबाद और पुणे तक पहुंच गए हैं। इन शहरों में कुल 30 से ज्यादा स्टोर हैं जहां लग्जरी अपैरल, एक्सेसरीज, घडि़यां और पर्सनल केयर प्रोडक्ट मिलते हैं। ये ब्रांड तरक्की की रफ्तार बढ़ाने के लिए अब अपनी पहुंच लुधियाना, चंडीगढ़, बेल्लारी और दूसरे शहरों का तक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

सीआईआई-एटी कियनीर् की रिपोर्ट के मुताबिक, 'इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर चिंताएं अब भी बनी हुई हैं।' इस मोर्चे पर सीमित प्रगति हुई है। कंपनियों को इंतजार करना होगा या मिलकर लग्जरी प्रॉपर्टी डेवलप करना होगा। दूसरा विकल्प इंतजार करने और यह देखने का है कि डेवलपर के पास ऑफर करने के लिए क्या है।


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निवेशकों की जेब खाली, फंड मैनेजरों की दीपावली

12 Sep 2011, 0934 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स


बाबर जैदी।। नई दिल्ली
यह इतनी छोटी रकम है कि शायद ही इस पर आपका ध्यान जाए, लेकिन बतौर एक्सपेंस

रेशियो हर साल आपके इक्विटी म्यूचुअल फंड से काटी जाने वाली 1.75 से 2.5 % रकम म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए बहुत बड़ी रकम बन जाती है। पिछले एक साल में म्यूचुअल फंड निवेशकों ने भले ही मुनाफा न बनाया हो, लेकिन पांच सबसे बड़ी इक्विटी स्कीमों ने नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) से घटाई जाने वाली इस मामूली रकम से 640 करोड़ रुपये की कमाई की है।

10 बड़ी इक्विटी स्कीमों ने बतौर एक्सपेंस रेशियो 953 करोड़ रुपये हासिल किए। एचडीएफसी म्यूचुअल फंड ने दो सबसे बड़े इक्विटी फंडों (एचडीएफसी टॉप 200 और एचडीएफसी इक्विटी) और सबसे बड़े मंथली इनकम प्लान (एचडीएफसी एमआईपी लॉन्ग-टर्म) से 500 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम जुटाई।

इक्विटी फंडों को हर साल निवेशकों से उनकी फंड वैल्यू की 2.5 फीसदी तक रकम बतौर एक्सपेंस रेशियो वसूलने की इजाजत है। शुल्क की मात्रा एसेट बेस पर निर्भर करती है। कोई फंड पहले 100 करोड़ रुपये की एसेट के लिए 2.5 फीसदी, अगली 300 करोड़ रुपये की एसेट के लिए 2.25 फीसदी, इससे आगे की 300 करोड़ रुपये की एसेट के लिए 2 फीसदी और इससे ज्यादा रकम पर 1.75 फीसदी का शुल्क वसूल सकता है।

एक्सपेंस रेशियो एक बार में नहीं, बल्कि दैनिक आधार पर फंड के एनएवी से काटा जाता है। इस रकम का इस्तेमाल एक साल में फंड के कई खर्चों के लिए किया जाता है। इसमें फंड मैनेजमेंट, पोस्टेज, ट्रेल कमीशन, ऑडिट फीस, कस्टोडियन चार्ज, रजिस्ट्रार फीस और मार्केटिंग खर्च शामिल हैं।

फंड का प्रदर्शन उसके बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर हो तो वसूले जाने वाले एक्सपेंस रेशियो को वाजिब कहा जाएगा, लेकिन क्रिसिल के हालिया अध्ययन से पता चलता है कि पिछले पांच साल में आधा से ज्यादा एक्टिवली मैनेज्ड फंडों का प्रदर्शन उनके बेंचमार्क के मुकाबले खराब रहा है। खराब प्रदर्शन के ज्यादातर मामले लार्ज कैप फंडों के मामले में देखने को मिले, जहां 65 फीसदी फंड अपने बेंचमार्क सूचकांकों से पिछड़ गए।

कोलकाता के स्टॉक एनालिस्ट बसंत माहेश्वरी ने कहा, 'कुछ फंड मैनेजरों की रिसर्च और शेयर चुनने की क्षमता औसत से खराब है। उन्हें निवेशकों से एक्सपेंस रेशियो वसूलने का हक नहीं है।'अधिकतर निवेशकों को तो पता भी नहीं होता कि हर साल वे फंड मैनेजमेंट के रूप में कितना पैसा चुका रहे हैं। उन्हें इसकी जानकारी रखनी चाहिए, क्योंकि इसका असर उनके कुल रिटर्न पर पड़ता है। पिछले काफी समय से खराब प्रदर्शन करने वाले रिलायंस इक्विटी ने पिछले तीन साल में पैसे गंवाए हैं, जबकि इसके बेंचमार्क निफ्टी ने हर साल 4.76 फीसदी की मामूली बढ़त हासिल की है। फिर भी, 1,367.92 करोड़ रुपए के इस फंड ने 1.93 फीसदी का सालाना फंड मैनेजमेंट चार्ज लेना बंद नहीं किया।

यदि आपने 11 सितंबर 2008 को रिलायंस इक्विटी में 1 लाख रुपए लगाए होते तो अभी आपके निवेश का मूल्य 94,580 रुपए होता। इस तरह आपको 5,420 रुपए का नुकसान हुआ होता। भले ही आपको नुकसान हुआ होता, लेकिन फंड ने पिछले तीन साल में बतौर एक्सपेंस रेशियो आपसे 5,685 रुपए बनाए होते।


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नीरा राडिया ने जनसंपर्क कारोबार बंद किया

जोश 18 - ‎50 मिनट पहले‎
नई दिल्ली। बहुचर्चित टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले से चर्चा में आईं कार्पोरेट बिचौलिया नीरा राडिया ने निजी कारणों का हवाला देते हुए जनसंपर्क कारोबार से अपना हाथ समेटने की घोषणा कर दी है। सुश्री राडिया ने अपने बयान में कहा, 'पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी निजी कारणों को प्राथमिकता देने के लिए मैंने जनसंपर्क कारोबार छोडने का निर्णय लिया है।' सुश्री राडिया वैष्णवी ग्रुप कंसलटेंसी की मालिक और प्रमोटर हैं। इस कंसलटेंसी के ...

राडिया ने छोड़ा पीआर, टाटा को रेडिफ्यूजन को ओके

Hindi- Economic times - ‎1 घंटा पहले‎
कॉरपोरेट लॉबीइस्ट और टाटा ग्रुप एवं रिलायंस इंडस्ट्रीज को पब्लिक रिलेशंस सेवाएं देने वाली नीरा राडिया ने रविवार को 'कम्युनिकेशंस कंसल्टेंसी कारोबार छोड़ने' के इरादे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वह क्लाइंट कंपनियों के कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं करेंगी। राडिया ने एक पेचीदा नोट में इस 'दुखदायी' फैसले की वजह 'पारिवारिक जिम्मेदारियों और स्वास्थ्य कारणों' को बताया। टाटा ग्रुप के मीडिया रिलेशंस का काम अब रेडिफ्यूजन के दिवान ...

नीरा राडिया ने लगाया पीआर कंपनी पर ताला

Oneindia Hindi - ‎1 घंटा पहले‎

दिल्ली (ब्यूरो)। आश्चर्यजनक किंतु सच। 2जी घोटाले से चर्चा में आई कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया अब पीआर (जनसंपर्क कंसल्टेंसी) का कारोबार नहीं करेंगी। उन्होंने इस कारोबार से हटने का निर्णय लिया है। हालांकि उन्होंने अचानक यह निर्णय क्यों लिया इसके बारे में तो जानकारी नहीं हो सकी पर सीबीआई के दबावों और 2जी मामले में हुए छिछालेदर से वह परेशान थीं। वैसे उन्होंने अपने इस निर्णय के पीछे निजी कारण बताए हैं। टाटा समूह और रिलायंस ...

''हमारे और राडिया के तीन सालों से बेहतरीन संबंध रहे हैं''

दैनिक भास्कर - ‎2 घंटे पहले‎

नई दिल्ली. वैष्णवी ग्रुप की प्रमोटर और मालिक नीरा राडिया ने कम्युनिकेशन कन्सल्टेन्सी के कारोबार से अलग होने की घोषणा के रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि राडिया और उनकी टीम से तीन वर्ष से भी अधिक समय से हमारे बेहतरीन कारोबारी संबंध रहे हैं। राडिया ने एक बयान में कहा कि पहले से तय निजी पारिवारिक प्राथमिकताओं तथा स्वास्थ्य को देखते हुए मैंने किसी नए क्लाइंट से न जुड़ने तथा कम्युनिकेशन कन्सल्टेन्सी के कारोबार से हटने का ...

नीरा राडिया बंद करेगी पीआर कंपनी

Zee News हिन्दी - ‎3 घंटे पहले‎

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए.राजा के दूसरे कार्यकाल के लिए कथित तौर पर जबरदस्त पैरवी करने वाली नीरा राडिया ने अपनी जनसम्पर्क कम्पनी वैष्णवी एवं न्यूकॉम को बंद करने का फैसला किया है। वैष्णवी, टाटा समूह की एवं न्यूकॉम मुकेश अम्बानी के रिलायंस उद्योग के जनसम्पर्क का जिम्मा सम्भालती थी। कुछ टेपों के सार्वजनिक हो जाने के बाद 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में नीरा राडिया विवादों फंस गईं। यद्यपि 2जी मामले में ...

पीआर कारोबार बंद करेंगी नीरा राडिया

मनी कॉंट्रोल - ‎4 घंटे पहले‎
2जी घोटाले में आरोपों से घिरी नीरा राडिया ने कॉरपोरेट कम्युनिकेशन का व्यवसाय बंद करने का फैसला लिया है। 2जी घोटाले के खुलासे के बाद राडिया चर्चा में आईं और उन पर कॉरपोरेट और राजनीतिक पार्टियों के लिए लॉबिंग करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। नीरा राडिया ने वैष्णवी कम्युनिकेशन बंद करने के पीछे स्वास्थ्य और पारिवारिक कारणों का हवाला दिया है। नीरा राडिया के इस फैसले पर टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा है कि वैष्णवी ...

नीरा राडिया ने कहा पीआर बिजनेस को अलविदा

दैनिक भास्कर - ‎9 घंटे पहले‎

नीरा राडिया ने पब्लिक रिलेशन (पीआर) बिजनेस को अलविदा कहने की घोषणा की है। इसके बाद टाटा ग्रुप ने अरुण नंदा द्वारा संचालित रिडिफ्यूजन को अपनी नई पब्लिक रिलेशन (पीआर) एजेंसी नियुक्त किया है। टाटा ग्रुप की तरफ से एक बयान में कहा गया है कि यह नियुक्ति मंगलवार यानी नवंबर, 2011 की पहली तारीख से प्रभावी होगी। इससे पहले टाटा ग्रुप के लिए पब्लिक रिलेशनशिप का जिम्मा कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया द्वारा संचालित वैष्णवी कॉरपोरेट ...

वैष्णवी पर विराम, अब राडिया करेंगी 'आराम'

Business standard Hindi - ‎15 घंटे पहले‎
देश के कारोबारी और सियासी गलियारों में बड़ी हैसियत रखने वाली नीरा राडिया ने आखिरकार अपने बहुचर्चित वैष्णवी समूह पर पूर्णविराम लगा दिया। इस समूह ने देश के सबसे बड़े कारोबारी घरानों-टाटा समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज सहित कई दिग्गज कंपनियों की छवि चमकाने का काम किया। एक वक्त वैष्णवी जनसंपर्क बाजार का प्रमुख नाम बन गई थी। रविवार को जारी एक बयान में राडिया ने कहा कि उन्होंने किसी भी ग्राहक के साथ अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया ...

नीरा राडिया ने पीआर बिजनस से तौबा की

नवभारत टाइम्स - ‎19 घंटे पहले‎
नई दिल्ली।। टाटा ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज कॉर्पोरेट ग्राहकों के लिए पीआर कंसल्टेंसी सर्विस मुहैया कराने वाली कंपनी वैष्णवी ग्रुप की प्रमोटर नीरा राडिया ने अचानक इस कारोबार को छोड़ने का फैसला किया है। नीरा पिछले कुछ समय से 2-जी से जुड़े विवाद मामले में खबरों में थीं। पिछले साल उनकी बातचीत के टैप मीडिया में लीक होने के बाद वह सुर्खियों में आईं। हालांकि उनके खिलाफ कोई आरोप पत्र नहीं है, लेकिन जांच एजेंसी ...

नीरा राडिया ने पीआर कंसल्टेंसी ने नाता तोड़ा

Live हिन्दुस्तान - ‎19 घंटे पहले‎

टाटा समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज कारपोरेट ग्राहकों के लिये पीआर कन्सल्टेंसी देने वाली कंपनी वैष्णवी ग्रुप की प्रवर्तक नीरा राडिया ने अचानक इस कारोबार को छोड़ने का फैसला किया है। नीरा पिछले कुछ समय से 2जी से जुड़े विवाद मामले में खबरों में थी। पिछले साल उनकी बातचीत के टैप मीडिया में लीक होने के बाद वह सुर्खियों में आयीं। हालांकि उनके खिलाफ कोई आरोप पत्र नहीं है, लेकिन जांच एजेंसी सीबीआई ने उन्हें भी गवाह बनाया ...

राडिया ने बंद की अपनी पीआर कंपनी

Pressnote.in - ‎5 घंटे पहले‎
नई दिल्ली । २जी स्पेक्ट्रम घोटाले के तहत आरोपों के घेरे में आई नीरा राडिया ने एक आश्चर्यजनक निर्णय लेते हुए अपनी कम्युनिकेशन कंसल्टैंसी (पीआर) कंपनी "वैष्णवी" को बंद करने का निर्णय लिया है। नीरा के इस निर्णय से कंपनी के दर्जनों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं, लेकिन कंपनी ने उन्हें नौकरी दिलाने का भरोसा दिया है। वैष्णवी के प्रमुख ग्राहक रहे टाटा और अंबानी समूह ने इसे उनका निजी निर्णय बताते हुए उनके पेशेवर रैवेए की तारीफ की ...

नीरा राडिया ने इस धंधे से पल्ला झाड़ा!

दैनिक भास्कर - ‎13 घंटे पहले‎
टाटा ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी दिग्गज कंपनियों के लिए जनसंपर्क यानी पीआर का काम देखने वाली कंपनी वैष्णवी ग्रुप की मुखिया नीरा राडिया ने इस कारोबार से हाथ खींच लिया है। नीरा का कहना है कि निजी कारणों के चलते यह फैसला लिया गया है। आपको बता दें कि पिछले साल उनकी बातचीत के टैप मीडिया में लीक होने के बाद वह सुर्खियों में आयीं। हालांकि उनके खिलाफ कोई आरोप पत्र नहीं है, लेकिन जांच एजेंसी सीबीआई ने उन्हें भी गवाह बनाया है ...

'वैष्णवी' की जगह रीडिफ्यूजन देखेगी टाटा ग्रुप का पीआर

नवभारत टाइम्स - ‎14 घंटे पहले‎
नई दिल्ली।। वैष्णवी कॉर्पोरेट कम्यूनिकेशंस की प्रमोटर नीरा राडिया द्वारा पीआर का काम छोड़ने की घोषणा के बाद टाटा ग्रुप ने पीआर की जिम्मेदारी ' रीडिफ्यूजन ' को सौंप दी है। गौरतलब है कि नीरा राडिया ने रविवार को पीआर का काम छोड़ने की घोषणा की। टाटा ग्रुप का काम-काज अभी तक वैष्णवी कम्यूनिकेशंस ही देख रही थी। टाटा ग्रुप की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'टाटा ग्रुप ने अरुण नंदा की अगुवाई वाली रीडिफ्यूजन को अपने जनसंपर्क (पीआर) ...

नीरा ने जनसंपर्क का काम छोड़ा

बीबीसी हिन्दी - ‎18 घंटे पहले‎
वैश्नवी ग्रुप की मालिक और प्रोमोटर नीरा राडिया का कहना है कि वे जनसंपर्क का काम छोड़ रही है. कॉर्पोरेट दलाल नीरा राडिया की कंपनी टाटा समूह और मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के लिए जनसंपर्क का काम किया करती थी. एक वक्तव्य में नीरा राडिया ने कहा है, "मैंने अपने परिवार और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए ये फ़ैसला किया है मैं अब ये जनसंपर्क का काम छोड़ रही हूँ." अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा है ...

नीरा राडिया ने पीआर बिजनेस से किया तौबा

star.newsbullet - ‎17 घंटे पहले‎
नई दिल्ली: कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की कंपनी वैष्णवी ग्रुप अब पब्लिक रिलेशन और मीडिया कंसल्टेंसी का काम नहीं करेगी. नीरा ने ये ऐलान करते हुए इसके पीछे निजी वजह बताई है.नीरा का नाम 2-जी घोटाले में हुई फोन टैपिंग में आया था. टाटा ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज कारपोरेट क्लाइंट्स के लिये पब्लिक रिलेशन कन्सल्टेंसी देने वाली कंपनी वैष्णवी ग्रुप की प्रमोटर नीरा राडिया ने अचानक इस कारोबार को छोड़ने का फैसला किया ...

नीरा राडिया ने जनसंपर्क कारोबार से हाथ खींचे

Patrika.com - ‎17 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। बहुचर्चित टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले से चर्चा में आई नीरा राडिया ने निजी कारणों का हवाला देते हुए जनसंपर्क कारोबार से अपना हाथ समेटने की घोषणा की। राडिया ने अपने बयान में कहा कि पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी निजी कारणों को प्राथमिकता देने के लिए उन्होंने जनसंपर्क कारोबार छोड़ने का निर्णय लिया है। आरआईएल के प्रवक्ता ने कहा कि राडिया के निर्णय पर उन्हें खेद है। टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने कहा कि टाटा ...

कॉर्पोरेट कंसल्टेसी को नीरा ने किया 'टाटा'

अमर उजाला - ‎11 घंटे पहले‎
टूजी मामले को लेकर सुर्खियों में रहने वाली नीरा राडिया ने आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए कॉर्पोरेट कंसल्टेंसी को अलविदा कह दिया है। टाटा समूह और मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के बिजनेस प्रमोशन से जुड़ीं नीरा ने एक बयान में यह घोषणा की। नीरा कंसल्टेंसी कंपनी वैष्णवी गु्रप की मालिक और प्रमोटर हैं। उनकी ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'परिवार और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए मैंने ...

अर्श से फर्श पर आई नीरा राडिया

visfot.news - ‎14 घंटे पहले‎
By visfot news network 13 hours 41 minutes ago नीरा राडिया रतन टाटा से दूर हो गई हैं. अब रतन टाटा के कंपनियों की पीआर उनकी प्रिय नीरा राडिया की कंपनी वैष्णवी कम्युनिकेशन नहीं करेगी. टाटा समूह ने यह काम रिडिफ्यूजन को दे दिया है. रतन टाटा के अलावा नीरा राडिया के दूसरे बड़े क्लाइंट मुकेश अंबानी ने भी राडिया की कंपनी से अब पीआर न कराने का फैसला किया है. इन दो बड़े क्लाइंट के हाथ से निकल जाने के बाद नीरा राडिया के हाथ में कुछ खास बचता नहीं है इसलिए ...

नीरा राडिया नहीं करेगी जनसंपर्क का काम

Raviwar - ‎18 घंटे पहले‎

टेलीकॉम घोटाले के टेप सार्वजनिक होने के बाद चर्चा में आई नीरा राडिया ने अब जनसंपर्क का काम नहीं करने का निर्णय लिया है. उनका कहना है कि यह निर्णय उन्होंने अपने परिवार को अधिक समय देने और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के कारण लिया है. हालांकि नीरा राडिया अपनी बहन से साथ पांच कंपनियां चलाती हैं, उनके बारे में उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की है. लंदन से पढ़ाई-लिखाई करने वाली नीरा शर्मा यानी नीरा राडिया ने जनक राडिया के साथ शादी ...

संपूर्ण कवरेज

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इंदिरा गांधी : दुर्गा या फिर तानाशाह!

दैनिक भास्कर - ‎50 मिनट पहले‎

श्रीमती इंदिरा गांधी के बारे में लिखना बहुत मुश्किल है। वे एक ऐसी नेता थीं, जिन्हें लोग प्यार करते थे, लेकिन ऐसे लोग भी थे जो उनकी आलोचना करते थे। जब उन्होंने बांग्लादेश की आजादी के लिए सशस्त्र हस्तक्षेप किया, तो वे अचानक दुर्गा का अवतार नजर आने लगीं। लेकिन जब उन्होंने इमरजेंसी लगाई, तो उन्हें एक तानाशाह करार दिया गया। इतने गहरे अंतर्विरोधों से भरे हुए एक भरे-पूरे राजनीतिक व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना आसान नहीं है। ...

इंदिरा गांधी की 27वीं पुण्यतिथि आज

Khaskhabar.com - ‎1 घंटा पहले‎

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी 27वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को याद किया जा रहा है। शक्ति स्थल पर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मीरा कुमार समेत कई दिग्गज नेता पहुंचे। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। उन्हें गोली उस समय मारी गई जब वे अपने बगीचे में टहल रही थी। उनके ही अंगरक्षकों ने ...

राष्ट्र ने इंदिरा गांधी को याद किया

अमर उजाला - ‎45 मिनट पहले‎

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ ही कई शीर्ष राजनीतिज्ञों ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी 27वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को याद किया और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित इंदिरा गांधी की समाधि, शक्ति स्थल पर एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शक्ति स्थल जाकर दिवंगत गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। ...

27वी पुण्यतिथि पर इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि

Zee News हिन्दी - ‎3 घंटे पहले‎

नई दिल्ली : देश ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी 27वीं पुण्यतिथि पर याद किया। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दिवंगत नेता को राष्ट्र की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति ने सोमवार सुबह इंदिरा गांधी की समाधि शक्ति स्थल जाकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी मौजूद थे ...

देश नहीं भुला पाएगा इंदिरा गांधी की शहादत

आज तक - ‎13 घंटे पहले‎

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शहादत को राष्ट्र कभी नहीं भुला पाएगा. 31 अक्तूबर, 1984 ही वह तारीख थी, जब इंदिरा गांधी देश की एकता और अखंडता के लिए कुर्बान हो गईं. 31 अक्तूबर 1984, को बुधवार का दिन. अक्तूबर की आखिरी सुबह. मौसम पूरी तरह करवट ले चुका है. ठंड दिल्ली में दस्तक दे चुकी है. गुनगुनी धूप के बीच हल्की सर्द हवा चल रही है. एक सफदरजंग बंगले के लॉन में चारों तरफ लगे नीम और इमली के पेड़ों के साथ फूल भी खिलखिला रहे ...

इंदिरा गांधी की 27वीं पुण्यतिथि

P7News - ‎2 घंटे पहले‎

आज पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद कर रहा है। शक्ति स्थल पर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मीरा कुमार समेत कई दिग्गज नेता पहुंचे। इंदिरा गांधी की आज 27वीं पुण्यतिथि है। 31 अक्टूबर सन् 1984 को इंदिरा गांधी की उनके आवास पर उनके ही सुरक्षा गार्ड बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। ...

इतिहास के पन्नों में 31 अक्तूबर

बीबीसी हिन्दी - ‎5 घंटे पहले‎

अगर इतिहास के पन्नों को पलटें, तो पाएंगें कि आज के दिन जहां 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी, तो वहीं 2003 में मलेशिया के प्रधानमंत्री माहातिर मोहम्मद ने 22 साल बाद सत्ता छोड़ी थी. 31 अक्तूबर 1984 के दिन भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. ये घटना तब घटी, जब सुबह के वक़्त वे अपने बागीचे में टहल रही थी. उनके ही अंगरक्षकों ने उन्हें गोली मार दी थी. इसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया जहां उनके शरीर ...

अकेली आयरन लेडी लीडर

Patrika.com - ‎47 मिनट पहले‎

यह वाक्य इंदिरा गांधी ने 1978 में जे.कृष्णमूर्ति से कहा था। तब वे सत्ता से बाहर थीं। जे.कृष्णमूर्ति जैसे महा-आध्यात्मिक पुरूष ने उन्हें राजनीति से संन्यास लेने की सलाह दी थी। तब देश में जनता पार्टी की सरकार थी। इंदिरा गांधी पर 28 आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। उनमें से एक मामला मणिपुर में मुर्गी चोरी का भी था। आपातकाल की ज्यादतियों से सम्बंधित ज्यादा मामले थे। उन्होंने कृष्णमूर्ति की सलाह को ठुकराकर राजनीतिक संघर्ष का बीड़ा ...

सोनिया,राहुल ने दी इंदिरा को श्रद्धांजलि

Patrika.com - ‎4 घंटे पहले‎

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी की आज 27 वीं पुण्यतिथी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने सोमवार सुबह इंदिरा के समाधि स्थल जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी शक्ति स्थल जाकर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी।



'अमरीका में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है'

गुरुवार, 27 अक्तूबर, 2011 को 05:22 IST तक के समाचार

अमरीका में बढ़ती आर्थिक असमानता के कारण लोग सड़कों पर उतर रहें हैं

एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अमरीका में पिछले कुछ दशकों में आर्थिक असमानता लगातार बढ़ती जा रही है.
अमरीकी संसद के बजट ऑफ़िस के ज़रिए तैयार किए गए रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1979 से 2007 के बीच एक प्रतिशत सबसे अमीर अमरीकियों की आमदनी में तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है.

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इस बीच एक सर्वे से पता चला है कि भविष्य को लेकर अमरीकियों की चिंताए बढ़ रहीं हैं और ज़्यादातर लोगों का मानना है कि अमरीका ग़लत रास्ते पर जा रहा है.
ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब पुलिस ने अटलांटा और ओकलैंड में वॉल स्ट्रीट क़ब्ज़ा करो मुहिम में हिस्सा ले रहे लोगों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और भारी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया.
अटलांटा में 50 और कैलिफ़ॉर्निया में 85 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

'सरकार पर विश्वास नहीं'

वॉल स्ट्रीट क़ब्ज़ा करो मुहिम में शामिल होने वालों का कहना है कि वे कॉरपोरेट लालच और अमरीका में आर्थिक असमानता के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठा रहें हैं.

कई देशों में 'कॉरपोरेट लोभ' के विरुद्ध प्रदर्शन, रोम में आगज़नी

रविवार, 16 अक्तूबर, 2011 को 05:14 IST तक के समाचार

रोम में कुछ प्रदर्शनकारियों ने रक्षा मंत्रालय के दफ़्तर, बैंकों, दुकानों पर धावा बोला

न्यूयॉर्क में 'वॉल स्ट्रीट पर कब्ज़ा करो' के नाम से कॉरपोरेट जगत के कथित लोभ, बुरे आर्थिक प्रबंधन, सरकारी ख़र्च में कटौती के ख़िलाफ़ शुरु हुए प्रदर्शन शनिवार को अमरीका, यूरोप और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों के प्रमुख शहरों में फैल गए.
बैनर उठाए और नारे लगाते हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए और रोम में हिंसा और आगज़नी की घटनाएँ हुई जिनमें 70 लोग घायल हो गए.

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इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी ने हिंसा को चिंताजनक संकेत बताया और कहा कि दोषियों को खोज निकाला जाएगा और उन्हें दंड मिलेगा.
शनिवार को न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान और हॉंगकॉंग से शुरु हुए प्रदर्शन बाद में रोम, मैड्रिड, लंदन, फ़्रैंकफर्ट, एथिंस, लिस्बन, वॉशिंगटन और न्यूयॉर्क में भी देखे गए.
अमरीका में तो हफ़्तों से प्रदर्शन चल ही रहे थे, शनिवार को दुनिया के अनेक देशों में हुए प्रदर्शनों में शामिल होने वाले अधिकतर लोग युवा वर्ग के थे.
वॉशिगंटन में हुए प्रदर्शनों में नागरिक अधिकारों के कार्यकर्ता जेस्सी जैकसन शामिल हुए और उन्होंने कहा 'थोड़े के अमीर लोगों के पास बहुत अधिक है और अनेक लोगों के पास कुछ भी नहीं है.'

इटली: नकाबपोश लोगों का रक्षा मंत्रालय, पुलिस पर हमला

रोम में हज़ारों लोग विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर जमा हुए थे जब कुछ नकाबपोश लोगों ने सरकारी संपत्ति पर हमला बोल दिया.
इटली के रक्षा मंत्रालय के दफ़्तरों को आग लगा दी गई, तीन कारों को जला दिया गया, बैंको और दुकानों के शीशे तोड़े गए.
जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने इन नकाबपोश लोगों को रोकने की कोशिश की तो उनकी एक न सुनी गई.

"मैं पार्ट-टाइम काम करती हूँ. मुझे रिहायश के लिए भत्ता मिलता है लेकिन मुझे विश्वविद्यालय के 23 हज़ार पाउंड चुकाने हैं. ये बैंकर और बड़े व्यवसायी इस आर्थिक संकट के लिए ज़िम्मेदार हैं और हमें इसकी क़ीमत चुकानी पड़ रही है"

लंदन की एक महिला प्रदर्शनकारी

जब पुलिस पर बोतलें फेंकी गई और एक पुलिस वाहन को आग लगाई गई तो पुलिस हरकत में आई और उसने आँसू गैस छोड़ी, पानी बरसाया और फिर लाठी चार्ज भी हुआ.
इटली ख़ासे बड़े सरकारी क़र्ज़ से जूझ रहा है और उस पर सरकारी ख़र्च में कटौती करने का ख़ासा दबाव है.

स्पेन: परिवारों का प्रदर्शन, राजनीतिक वर्ग से निराशा

स्पेन के मैड्रिड में हज़ारों लोग सोल स्क्वेयर की ओर बढ़े. वहाँ विरोध प्रदर्शन पाँच महीने पहले शुरु हुए थे.
शनिवार को अनेक परिवार बच्चों को साथ लिए इन प्रदर्शनों में शामिल हुए. ढोल बजाते, गाने गाते लोगों ने कई रंगों के गुब्बारे उठा रखे थे.

शनिवार को प्रदर्शनों की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से हुई

पूरा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था लेकिन जब भी सुरक्षाकर्मियों के हेलिकॉप्टर आसमान में चक्कर लगाते प्रदर्शनकारी उनके ख़िलाफ़ आवाज़े निकालते.
अनेक लोगों ने पोस्टर और बैनर उठा रखे थे लेकिन नारे पूरे राजनीतिक वर्ग के ख़िलाफ़ लग रहे थे. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राजनीतिक नेता उनका प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
स्पेन का राष्ट्रीय क़र्ज विशालकाय 1.3 खरब डॉलर है जिससे सरकारी ख़र्चे में कटौती, बढ़ती बेरोज़गारी और भविष्य के बारे में अनिश्चितता के बादल आम लोगों पर मंडरा रहे हैं.

लंदन: 'बैंकर और बड़े व्यवसायी ज़िम्मेदार हैं'

लंदन में लगभग एक हज़ार लोग सड़कों पर उतरे लेकिन पुलिस ने उन्हें स्टॉक एक्सचेंज की ओर बढ़ने से रोक दिया.
अनेक लोग अपने स्टीरियो सिस्टम साथ लाए थे. कई लोगों ने मैगाफ़ोन उठा रखे थे.
एक प्रदर्शनकारी ने बीबीसी से कहा, "ये मंदी केवल अर्थव्यवस्था के लिए ही नहीं लेकिन इस देश के लोकतंत्र के लिए भी घातक सिद्ध हो रही है. हम अब जो देख रहे हैं उससे स्पष्ट है कि लोग कह रहे हैं - बहुत हो गया."

'विश्व अर्थव्यवस्था को भारत का सहारा'

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2010-2011 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.8 फ़ीसदी तक होगी.
विश्व आर्थिक विकास के फ़लक पर भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण करार देते हुए विश्व बैंक के प्रमुख रॉबर्ट ज़ोएलिक ने कहा है कि भारत का आर्थिक विकास दुनिया को मंदी के दौर से उबरने में मदद कर रहा है.
विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की यह भूमिका घरेलू स्तर पर उसकी परिस्थितियों और सफलताओं का नतीजा है.
सोमवार से अपनी चार दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच रहे ज़ोएलिक इस दौरान बुनियादे ढांचे के विकास और भारत के साथ परस्पर सहयोग को मज़बूत बनाने की कोशिशें करेंगे.

भारत का यह भूमिका उसकी आगे की रणनीति, पर्यावरण और विकास के तालमेल और सभी लोगों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने की क्षमता पर इस बात पर निर्भर करेगी.

रॉबर्ट ज़ोएलिक

अपनी यात्रा से पहले उन्होंने कहा, ''विकासशील अर्थव्यवस्थाएं मुश्किल के इस दौर में आर्थिक विकास की धूरी हैं. भारत की यह भूमिका उसकी आगे की रणनीति, पर्यावरण और विकास के तालमेल और सभी लोगों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने की क्षमता पर इस बात पर निर्भर करेगी.''
ग़ौरतलब है कि भारत अप्रैल 2012 से शुरु हो रही 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत भारी निवेश की रुपरेखा तैयार कर रहा है और इस प्रक्रिया में विश्व बैंक की अहम भूमिका है.
अपनी यात्रा के दौरान ज़ोएलिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणब मुखर् और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया से मिलेंगे.
इस दौरान वो बिहार की यात्रा करेंगे और महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे कुछ स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों से मिलेंगे.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2010-2011 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.8 फ़ीसदी तक होगी.


एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, "मैं पार्ट-टाइम काम करती हूँ. मुझे रिहायश के लिए भत्ता मिलता है लेकिन मुझे विश्वविद्यालय के 23 हज़ार पाउंड चुकाने हैं. ये बैंकर और बड़े व्यवसायी इस आर्थिक संकट के लिए ज़िम्मेदार हैं और हमें इसकी क़ीमत चुकानी पड़ रही है."

"ये मंदी केवल अर्थव्यवस्था के लिए ही नहीं लेकिन इस देश के लोकतंत्र के लिए भी घातक सिद्ध हो रही है. हम अब जो देख रहे हैं उससे स्पष्ट है कि लोग कह रहे हैं - बहुत हो गया"

लंदन में एक प्रदर्शनकारी

प्रदर्शन शांतिपूर्ण ही रहे लेकिन कुछ तनाव तब देखने को मिला जब पुलिस विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज के क़रीब जाने लगी.
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे देर रात तक वहीं डटे रहेंगे.

जर्मनी, आयरलैंड में भी प्रदर्शन

जर्मनी में भी हज़ारों लोग विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए.
तोबियास नाम के एक 27 वर्षीय स्कूल टीचर ने कहा, "मैं वैश्विक पूँजीवाद को मानवों और पृथ्वी के लिए एक टाइम बम मानता हूँ. हमारी संपन्नता का ख़र्च अन्य देशों को झेलना पड़ता है और यूरोपीय सेंट्रल बैंक एक अन्यायपू्र्ण और कातिल व्यवस्था है."
आयरलैंड के डबलिन में लगभग 400 लोग मार्च करके उस होटल तक गए जहाँ यूरोपीय संघ, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के प्रतिनिधि आयरलैंड के राहत पैकज पर चर्चा करने के लिए रुके हुए थे.
इससे पहले शनिवार सुबह ऑकलैंड, वेलिंगटन, क्राइस्टचर्च, सिडनी, मेलबर्न, जापान, फ़िलीपींस, ताइवान में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे.
पर्यवेक्षकों का कहना है कि ये देखना होगा कि इन प्रदर्शनकारियों में से कोई न्ययॉर्क की तर्ज पर स्थायी तौर पर प्रदर्शनकारी शिविर स्थापित करते हैं या नहीं.

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2011/10/111016_corp_protest2_as.shtml


बढ़ती आर्थिक असमानता

"पिछले तीन दशकों में सबसे अमीर एक फ़ीसदी अमरीकी लोगों की आमदनी में 275 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ लेकिन सबसे ग़रीब 20 प्रतिशत लोगों की आमदनी सिर्फ़ 18 प्रतिशत बढ़ सकी."

अमरीकी संसद की एक रिपोर्ट

जब पूरे अमरीका में इस तरह की रैलियां हो रही हैं ठीक उसी समय अमरीकी संसद के बजट ऑफ़िस की इस रिपोर्ट के अनुसार देश के सबसे अमीर लोगों की आमदनी लगातार बढ़ती जा रही है.
रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन दशकों में सबसे अमीर एक फ़ीसदी अमरीकी लोगों की आमदनी में 275 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ लेकिन सबसे ग़रीब 20 प्रतिशत लोगों की आमदनी सिर्फ़ 18 प्रतिशत बढ़ सकी.
इसके अलावा रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2005-2007 के दौरान यानि आर्थिक मंदी से ठीक पहले अमरीका के सबसे अमीर 20 प्रतिशत लोगों की आमदनी बाक़ी बचे 80 प्रतिशत लोगों की कुल आमदनी से ज़्यादा थी.
डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद सैंडर लेविन ने कहा कि इस रिपोर्ट में कहीं गई बातें इस बात की पुष्टि करतीं हैं जो अमरीकी नागरिक पहले से जानते थे.
इसके अलावा न्यूयॉर्क टाइम्स और सीबीएस न्यूज़ के ज़रिए संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि मौजूदा समय में लोगों ने सरकार पर से विश्वास खो दिया है.
जिनसे सवाल पूछे गए थे उनमें से आधे से ज़्यादा लोगों का कहना था कि वॉल स्ट्रीट क़ब्ज़ा करो मुहिम के पीछे जो लोगों के भाव है वो ज़यादातर अमरीकियों की राय को दर्शाता है.
सर्वे में शामिल दो तिहाई लोगों ने कहा कि अमरीका में धन का बटवारा ज़्यादा बराबरी के साथ होना चाहिए.
28 प्रतिशत लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीतियां अमीरों को फ़ायदा पहुंचा रहीं हैं लेकिन 69 प्रतिशत लोग मानते हैं कि इसके लिए रिपब्लिकन पार्टी की नीतियां ज़िम्मेदार हैं.

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2011/10/111026_us_inequality_ia.shtml


भारत का आर्थिक इतिहास

मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
भारत एक समय मे सोने की चिडिया कहलाता था। अंगस मैडिसन (Angus Maddison) नामक आर्थिक इतिहासकार ने अपनी पुस्तक 'द वर्ड इकनॉमी : अ इलेनिअल परस्पेक्टिव' में कहा है कि पहली शती से लेकर दसवीं सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली शदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व के कुल जीडीपी का 32.9%% था ; सन् १००० में यह 28.9% था ; और सन् १७०० में24.4% था।
सन् १७५० से १९१३ के बीच विश्व के प्रमुख देशों का उत्पादन प्रतिशत
भारत की अर्थव्यवस्था को मोटे तौर पर तीन भागों मे बांटा जा सकता है:
  • ब्रिटिश काल से पहले
  • ब्रिटिश काल मे

[संपादित करें]ब्रिटिश काल के पूर्व भारत में उद्योग-धंधे

[संपादित करें]वस्त्र उद्योग

वस्त्र उद्योग में सूती, ऊनी और सिल्क प्रमुख थे। सूती वस्त्र उद्योग बड़ा व्यापक था। इस उद्योग में बहुत से लोग लगे हुए थे। कपास का धुनना और कातना आमतौर पर घरों में ही होता था, परन्तु किन्हीं क्षेत्रों में इस कार्य में विशिष्टता प्राप्त हो गई थी। बारीक से बारीक सूत काता जाता था। थेवेनॉट को अहमदाबाद के समीप कारीगरों का एक समूह मिला जिसका कोई निश्चित घर था और जो एक गाँव से दूसरे गाँव को काम की तलाश में जाता था। यह बिनौलों से कपड़ा निकालने, रूई को साफ करने और धुनने का कार्य करते थे। भारत के ग्रामों मे ही नहीं, बड़े बड़े नगरों में जुलाहे परिवार रहते थे जो वस्त्रनिर्माण का कार्य करते थे। तैयार कपड़े को धोने का कार्य धोबी करते थे जो वस्त्र-निर्माण का कार्य करते थे। तैयार कपड़े को धोने का कार्य धोबी करते थे। तैयार कपड़े को धोने के लिए पहले गर्म पानी में औटाया जाता था। इसके पश्चात उसे धोया और धूप में सुखाया जाता था। मोटे कपड़े को धोते समय धोबी उसे पत्थर पर पीटते थे। बारीक कपड़ों को पीटा नहीं जाता था। उसे धूप में सुखाने के लिये फैला दिया जाता था। कपड़ा धोने के लिये विशेष प्रकार के पानी की आवश्यकता पड़ती थी। नर्मदा नदी का पानी कपड़े की धुलाई के लिये इस नदी के पानी में लाया जाता था। नर्मदा नदी के तट पर बसा भड़ौंच नगर कपड़े की धुलाई के लिए प्रसिद्ध था। इस प्रकार ढाका के समीपवर्ती क्षेत्रों में बहुत से धोबी रहते थे, क्योंकि यहाँ का पानी कपड़े धोने के बड़ा उपर्युक्त था। कपड़े को नील से डाई किया जाता था। भारतीय कपडें की विदेशी में बड़ी माँग थी। विश्व के लगभग हर भाग में भारत से कपड़ा जाता था। ढाका की मलमल संसार-प्रसिद्ध थी। इसका धागा बहुत बारीक होता था जो चर्खे पर हाथ से काता जाता था। मलमल का थान एक अँगूठी के बीच से निकल सकता था। यूरोपीय यात्रियों ने इसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की है। उच्च कोटि सी मलमल विभिन्न नामों के पुकारी जाती थी, जैसे मलमल खास (बादशाह की मलमल), सरकारें आली (नवाब की मलमल), आबे खाँ (बहता हुआ पानी) इत्यादि। भड़ौच में निर्मित `बफ्ता' वस्त्र की सारे देश और विदेशों में बड़ी मांग थी। यात्री टेवरनियर ने `बफ्ता' विभिन्न रंगों में रंगा जाता था। रँगने के लिये इसे आगरा और अहमदाबाद लाया जाता था। `बफ्ता' की लम्बाई १५ गज और चौड़ाई २५ इंच होती थी। अधिक चौड़ाई का `बफ्ता' ३६ इंच चौड़ा होता था। सफेद कपड़े का जिसे अँग्रेज व्यापारी `केलिको' कहते थे, बड़ी मात्रा में निर्माण होता था। इसके अतिरिक्त बढ़िया और कीमती कपड़े का भी निर्माण होता था। इसमें सोने और चाँदी के तार पड़े होते थे। सूरत, आगरा, बनारस और अहमदाबाद इस प्रकार के वस्त्र निर्माण के प्रमुख केन्द्र थे।
प्रिण्टेड कपड़े की भी बड़ी माँग थी। कपड़े पर प्रिन्ट या तो हाथ से ब्रुश की सहायता से किया जाता था, या लकड़ी पर बने छापे द्वारा, जिस पर ब्लाक बना होता था। कपड़ा जिस पर ब्रुश से प्रिन्ट किया जाता था, `कलमदार' या `कलमकार' कपड़ा कहलाता था। दूसरा तरीका, लकड़ी पर खोदकर छापा बना लिया जाता था, उसे रँग में भिगोकर कपड़े पर लगा दिया जाता था। इंगलिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के व्यापारी इस कपड़े को `प्रिन्ट' या `चिन्ट' के नाम से पुकारते थे लकड़ी के छापे की अपेक्षा हाथ से ब्रुश की सहायता से प्रिन्ट करना कठिन था।
बच्चे आमतौर पर बड़ों की `प्रिन्ट' के कार्य में सहायता करते थे। १६७० ई। में फायर कोरोमण्डल तट की वर्णन करते हुए लिखा है-- "पेंटिंग का काम बड़ो के साथ-साथ छोटे बच्चों द्वारा भी किया जाता है। वे कपड़े को जमीन पर फैलाते हैं और अनेक प्रकार से बड़ों की इस कार्य में सहायता करते हैं। "पेंटिंग का कार्य आमतौर पर लकड़ी की बनी मेज पर या तख्ते पर होता था। वर्कशाप अधिकतर खुली जगह में होती थीं और ऊपर शेड पड़ा होता था। प्रिन्टेड क्लाथ के लिए कारोमण्डल तट बड़ा प्रसिद्ध था। यहाँ कपड़ा अन्य स्थानों की अपेक्षा सस्ता, अच्छा और चमकदार होता था।
ऊनी वस्त्र उद्योग के केन्द्र कश्मीर, काबूल, आगरा, लाहौर और पटना थे। कश्मीर के शाल, कम्बल, पट्टू और पश्मीना प्रसिद्ध थे। फतेहपुर सीकरी में ऊनी दरियाँ बनती थी। ऊनी वस्त्रों का प्रयोग सामान्यत: धनी वर्ग करता था। कीमत अधिक होने के कारण ऊनी वस्त्र का प्रयोग जन-साधारण की सामार्थ्य से बाहर था। जन-साधारण के लिये सस्ते और खुरदरे कम्बलों का निर्माण किया जाता था। इंगलिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इंगलैड में बनी ऊनी कपड़े के लिये भारत में बाजार बनाने का प्रयत्न किया, परन्तु उसे इसमें अधिक सफलता नहीं मिली।
सिल्क उद्योग के लिए बनारस, अहमदाबाद और मुर्शिदाबाद प्रमुख थे। बंगाल से न केवल बड़ी मात्रा में सिल्क का निर्यात होता था, बल्कि सिल्क का कपड़ा भी बनता था। बनारस सिल्क की साड़ी और सिल्क पर जरी के कार्य के लिये प्रसिद्ध था। सूरत में सिल्क की दरियां बनती थी। सिल्क के कपड़े पर जरी का काम भी सुरत में होता था।
देश-विदेश में भारतीय कपड़े की बड़ी माँग थी। भारतीय वस्त्र उद्योग संसार के विभिन्न भागों की कपड़े की माँग की पूर्ति करता था। यूरोपीय व्यापारियों के कारण भारतीय कपड़े के निर्यात को बड़ा बढ़ावा मिला। यूरोप भारतीय कपड़े की खपत का प्रमुख केन्द्र बन गया। कपड़े की माँग की पूर्ति स्थानीय बजाज करते थे। वे बड़े व्यापारियों से कपड़ा खरीदते थे। कपड़े को छोटे विक्रेता फेरी वाले थे जो न केवल नगर की गलियों में कपड़ा बेचते थे, बल्कि गाँव में भी कपड़े बेचते थे। गाँव में साप्ताहिक हाट या पेंठ लगती थी जहाँ बजाज कपड़ा बेचते थे। स्थिति को देखते हुए वे आम तौर पर नगद पैसा लेने की माँग नहीं करते थे। और खरीदार किसान फसल के समय उधार धन चुकाता था। कभी-कभी जुलाहे अपना कपड़ा लाकर बाजार में बेचते थे। कासिम बाजार के आस-पास रहने वाले जुलाहे अपना कपड़ा बेचने के लिए नगर के बाजार में लाते थे।

[संपादित करें]आभूषण उद्योग

देश में आभूषण पहनने का आम रिवाज था। आजकल की तरह आभूषण पहनना सामाजिक प्रतिष्ठा का चिन्ह था। बादशाह, शाही परिवार एवं सामंत वर्ग रत्नजटिल आभूषणों का प्रयोग करता था। भारतीय नारी की आभूषण-प्रियता संसारप्रसिद्ध है। आभूषणों के निर्माण में निपुण कारीगर लगे हुए थे। आभूषण उद्योग देशव्यापी था। नारी के शरीर के विभिन्न अंगों के लिये अलग-अलग आभूषण थे। मुगलकाल में विभिन्न अंगों में पहनने के लिये निम्नलिखित आभूषणों का प्रचलन था-
सीसफूल सिर का आभूषण था। माथे के आभूषण था। माथे के आभूषण टीका या माँगटीका, झूमर और बिन्दी थे। माथे पर बिन्दी लगाने का आम रिवाज था और बिन्दी में मोती जड़े होते थे। आभूषण थे। गले के आभूषण हार, चन्द्रहार, माला मोहनमाला, माणिक्य माला, चम्पाकली, हँसली, दुलारी, तिलारी, चौसर, पँचलरा और सतलरा थे। दुलारी दो लड़ों, तिलारी तीन लड़ों, चौसर चार लड़ों, पँचलरा पाँच लड़ों और सतलरा सात लड़ों का आभूषण था। कमर का आभूषण तगड़ी या करधनी था। इसमें घुँघरू लगे होते थे जो चलते समय बजते थे। अँगूठी या मूँदरी अँगूली का आभूषण था जिसका बड़ा प्रचलन था। आरसी अँगूठे का आभूषण था, इसमें एक दर्पण लगा होता था। जिसमें मुँह देखा जा सकता था। पौंची, कंगन, कड़ा, चूड़ी और दस्तबन्द कलाई के आभूषण थे। भुजा के आभूँषण बाजूबन्द या भुजबन्द थे। बाजुबन्द का संस्कृत नाम भुजबन्द था। पैरों के आभूषण पाजेब, कड़ा थे। पैरों की अँगुलियों में बिछुए पहने जाते थे। पैरों के आभूषण आमतौर पर चाँदी के बने होते थे, जबकि दूसरे आभूषण सोने के बनते थे। गरीब लोग चाँदी के आभूषण पहनते थे।
बहुमुल्य रत्नों का विदेशों से आयात भी होता था और दक्षिण भारत की खानों से भी हीरे निकाले जाते थे। टेवरनियर हीरों का एक प्रसिद्ध व्यापारी था। दक्षिण भारत में हीरों की एक खान का वर्णन करते हुए टेवरनियर लिखता है कि इसमें हजारों की संख्या में मजदूर काम करते थे। भूमि के एक बड़े प्लाट को खोदा जाता था। आदमी इसे खोदते थे, स्त्रियांॅ और बच्चे उस मिट्टी को एक स्थान पर ले जाते थे। जो चारों ओर दीवारों से घिरा होता था। मिट्टी के घड़ों में पानी लाकर उस मिट्टी को धोया जाता था। ऊपरी मिट्टी दीवार में छेदों के द्वारा बहा दी जाती थी और रेत बच रहता था। इस प्रकार जो तत्त्व बचता था, उसे लकड़ी डण्डों से पीटा जाता था और अंत से हाथ से हीरे चुन लिये जाते थे।
मजदूरों को बहुत कम मजदूरी मिलती थी। टेवरनियर के अनुसार मजदूरी ३ पेगोडा वार्षिक थी। हीरे चोरी न हो जायें, इसके लिए ५० मजदूरों पर निगरानी रखने के लिए १२ से १५ तक चौकीदार होते थे। टेवरनियर एक घटना का वर्णन करता है जबकि एक मजदूर ने एक हीरे को अपनी आँखों के पलक के नीचे छुपा लिया था। लकड़ी का काम
जहाज, नावें, रथ और बैलगाड़ियाँ इत्यादि बनाने में लकड़ी का प्रयोग होता था। सूरत में पारसी लोग नावें और जहाज बनाने के कार्य में लगे हुए थे। मैसूर में सन्दल की लकड़ी पर सुन्दर कारीगरी का कार्य होता था। भवन-निर्माण में भी लकड़ी का प्रयोग होता था। माल ढोने में बैलगाड़ियों का प्रयोग होता था, इस कारण बड़ी संख्या में इनका निर्माण होता था। पालकी बनाने में भी लकड़ी का प्रयोग होता था। धनवान व्यक्ति और स्त्रियां पालकी में सवारी करते थे। नदियों में नावों द्वारा माल ले जाया जाता था। इससे प्रतीत होता है कि नावों का बड़ी संख्या में निर्माण होता था। फिंच ने आगरा से बंगाल तक १८० नावों के बेड़े के साथ यात्रा की थी। ये नावें छोटी और बड़ी दोनों प्रकार की थी। गंगा पर ४०० से ५०० टन क्षमता वाले नावें चलती थीं। सूरत, गोवा, बेसीन, ढाका, चटगाँव, मसुलीपट्टम, आगरा, लाहौर और इलाहाबाद इत्यादि में नावें और जहाज बनाये जाते थे। काश्मीर लकड़ी की सुन्दर डिजायनदार चीजें बनाने के लिए प्रसिद्ध था।

[संपादित करें]इमारती सामान एवं भवन-निर्माण

भवन निर्माण में ईंट, पत्थर, चूना, लकड़ी और मिट्टी का प्रयोग होता था। `आइने-अकबरी' में भवन निर्माण में काम आने वाली विभिन्न वस्तुओं के मूल्य दिये हुए है। आईन के अनुसार ईटें तीन प्रकार की होती थी--पकी हुई, अधपकी और कच्ची। इनका मूल्य क्रमश: ३० दाम, २४ दाम और १० दाम प्रति हजार था। लाल पत्थर का मूल्य ३ दाम प्रति मन था। कुशल कारीगर पत्थर को तराशनने का कार्य करते थे। साधारण जनता के मकान मिट्टी के बने होते थे और उन पर छप्पर पड़ा होता था। मिट्टी की बनी इन छोटी कोठरियों में परिवार के सब सदस्य रहते थे। इतना ही नहीं, उनके पशु गाय, बछड़ा भी उसी में रहते थे। परन्तु धनवान व्यक्ति शानदार मकानों में रहते थे। आगरा, दिल्ली और प्रान्तीय राजधानियों में अनेक विशाल भवन बनाये गये जिनका निर्माण कुशल कारीगरों ने किया और जिसके फलस्वरूप अनेक राजों, मजदूरों, पत्थरतराशों, बढ़ई एवं अन्य कारीगरों को रोजगार मिला।
मुगल शासक महान् भवन-निर्माता थे। बाबर ने बहुत-सी इमारतें बनवायें, किन्तु उनमें से केवल दो, पानीपत का काबूल बाग और संभल की जामा मस्जिद आज भी मौजूद है। बाबर के शब्दों में - "मेरे आगरा, सीकरी, बयाना, धौलपुर, ग्वालियर तथा कोल के भवनों के निर्माण में १४९१ पत्थर काटने वाले रोजाना कार्य करते थे।"
हुमायूँ का जीवन संघर्षमय रहा, फिर भी उसने पंजाब के हिसार जिले में फतेहाबाद में एक सुन्दर मस्जिद बनवायी। शेरशाह के भवनों में उसका सहसराम का मकबरा और पुराने किले में बनी `किलाए कुहना मस्जिद' प्रसिद्ध हैं। इनमें जामा मस्जिद और बुलन्द दरवाजा बड़े प्रसिद्ध हैं। अन्य भवन `बीरबल का महल' सुनहला मकान या शाहजादी अम्बर का महल, तुर्की सुल्ताना का महल और दीवाने खास हैं। सिकन्दरा में अकबर का मकबरा भवन-निर्माण कला का अच्छा उदाहरण है। अकबर ने आगरा और लाहौर में किलों का निर्माण कराया। आगरा के किले में प्रमुख भवन दीवाने आम, दीवाने खास और जहाँगीरी महल है। जहाँगीर की रूची भवन-निर्माण की अपेक्षा चित्रकला की ओर अधिक थी, परन्तु उसकी कमी की पूर्ति उसकी प्रिय बेगम नूरजहाँ ने की। नूरजहाँ ने अपने पिता की स्मृति में `इत्तमाद्-उद्दौला' का मकबरा बनवाया। यह संगमरमर का बना है और देखने में बड़ा सुन्दर है। नूरजहाँ ने लाहौर के समीप शाहदरे में जहाँगीर का मकबरा बनवाया।
मुगल बादशाहों में शाहजहाँ सबसे महान् भवन-निर्माता था। उसके प्रसिद्ध भवन दिल्ली का लाल किला, जामा मस्जिद और ताजमहल हैं। लाल किले में दीवाने खास सबसे अधिक सुन्दर और अलंकृत है। यहाँ एक खुदे लेख में इसकी सुन्दरता का वर्णन इन शब्दों में किया गया है--
गर फिरदौस बर रूये जमीं अस्त।
हमीं अस्तों हमीं अस्तों, हमीं अस्त।।
यानी, यदि पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यही है, यही है और यही है। शाहजहाँ ने ताजमहल अपनी प्रिय बेगम अर्जमन्द बानू की स्मृति में बनवाया। ताजमहल को बनाने और इसका नक्शा तैयार करने के लिये देश-विदेश के कारीगरों को बुलाया गया। ताजमहल के कई नक्शे प्रस्तुत किये गये और बादशाह ने अंत में एक नक्शे पर अपनी स्वीकृति प्रदान की। पहले ताजमहल का छोटा-सा मॉडल लकड़ी का बनाया गया। जिसे देखकर कारीगरों ने ताज का निर्माण किया। ताजमहल उस्ताद ईसा की देखरेख में तैयार किया गया जिसे १००० रु। मासिक वेतन मिलता था। इसके निर्माण पर ५० लाख रु। खर्च हुआ। औरंगजेब ने लाल किले में अपने प्रयोग के लिये मोती मस्जिद बनवायी और लाहौर में बादशाही मस्जिद का निर्माण कराया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल निर्माण कला का ह्रास हो गया।

[संपादित करें]चमड़ा उद्योग

चमड़ा जूते बनाने, घोड़ों की जीन, पानी भरने की मशक इत्यादि विभिन्न कार्यो में प्रयोग किया जाता था। दिल्ली चमड़ा उद्योग के लिये प्रसिद्ध था। चमड़ा पशुओं के खाल से प्राप्त किया जाता था। स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये यह उद्योग सारे देश में फैला हुआ था।

[संपादित करें]मिट्टी के बर्तन

प्राचीन काल से ही मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग होता आया है। कुम्हार मिट्टी के बर्तन, पानी पीने के लिये मटके और विभिन्न प्रकार के कलात्मक खिलौने बनाते थे। यह उद्योग सारे देश में फैला हुआ था। जयपुर, बनारस, लखनऊ, दिल्ली, ग्वालियर इस उद्योग के मुख्य केन्द्र थे।

[संपादित करें]हाथीदाँत का काम

हाथी के दाँत की सुन्दर कलात्मक वस्तुएं बनायी जाती थीं, जैसे चूड़ियाँ, कंगन, शतरंज और शतरंज के मोहरे। विभिन्न प्रकार के खिलौने हाथीदाँत से बनाये जाते थे। दिल्ली और मुल्तान हाथी दाँत के काम के लिये प्रसिद्ध थे।

[संपादित करें]तेल और इत्र

तेल कोल्हू से पेर निकाला जाता था। किसानों के घरेलू उद्योग से निकल कर यह भी एक व्यावसायिक उद्योग बन गया था। तेली इस कार्य को करते थे। कोल्हू को चलाने में बैल का प्रयोग किया जाता था। तेल को बाजार में अथवा तेल व्यापारियों को बेच दिया जाता था। तेल सरसों, तिल, गोला आदि का निकाला जाता था। इत्र का भी निर्माण किया जाता था। बनारस, लाहौर और कैम्बे इत्र-निर्माण के केन्द्र थे।

[संपादित करें]चीनी-उद्योग

चीनी, गुड़, राब, गन्ने को कोल्हू से पेर कर बनायी जाती थी। गन्ने के रस को लोहे या मिट्टी के मटकों में भरकर आग पर गर्म किया जाता था। गन्ने की खोई गर्म करने के काम आती थी। इस प्रकार गुड़ और बूरे का निर्माण किया जाता था। आरम्भ में यह किसान परिवार का घरेलू उद्योग था। बाद में इस उद्योग ने विशिष्टता प्राप्त कर ली। देश में गुड़ और चीनी की बड़ी खपत थी। गन्ने की पैदावार उत्तर भारत के विस्तृत भू-भाग में होती थी। इस प्रकार यह उद्योग देशव्यापी था, फिर भी इस उद्योग के प्रमुख केन्द्र दिल्ली, आगरा बयाना, पटना, बरार और लाहौर थे। अंग्रेज और डल व्यापारी भारत से चीनी का निर्यात करते थे।

[संपादित करें]धातु उद्योग

[संपादित करें]लोहा

लोहा विभिन्न कार्यो में प्रयुक्त होता था। लोहे का प्रयोग प्रमुख रूप से हथियार बनाने के लिये होता था। यह हथियार आक्रमण और सुरक्षात्मक दोनों प्रकार के होते थे। बन्दूक, तोप, तलवारक, भाले कवच लोहे के बनते थे। गाँव में लोहार होता था जो ग्रामवासियों की स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता था। खेती के औजार मुख्य रूप से लोहे से बने होते थे। किसानों के अतिरिक्त अन्य लोगों, जैसे लोहार, बढ़ई, राज, मजदूर, दर्जी, तेली, हलवाई, माली, कसाई, नाई को अपने कार्यों के लिये जिन औजारों की आवश्यकता होती थी, वे पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से लोहे के बने होते थे। घरेलु बर्तन जैसे कढ़ाई, करछरी, चिमटा और तथा इत्यादि लोहे के बने होते थे। घरेलू उपयोग में काम आने वाला चाकू लोहे का बना होता था। गोलकुण्डा में उच्चकोटि का लोहा और स्टील का निर्माण होता था। कार्लिजर, ग्वालियर, कुमायूँ, सुकेत मण्डी (लाहौर) में लोहे की खानें थीं।

[संपादित करें]1990 के बाद से भारत का आर्थिक इतिहास

आज़ादी के बाद भारत के तत्कलीन प्रधान मंत्री पँ जवाहर लाल ने नौन अलाइंड मूव्मेंट को भारत की प्रमुख विदेश नीति बनाया । इस दौरान भारत ने सोवियत रूस से दोस्ती बढयी । सोवियत रूस मे समाजवाद था । यूँ तो भारत ने समाज वाद को पूरी तरह से नही अप्नाया पर भारत की आर्थिक नीति मे समाज वाद के लक्शण साफ देखेय जा सक्ते थे । भारत मे ज्यादा तर उद्योगो को सरकारी नियंत्रण के अंतर्गत रक्खे जाने के लिये कयी तरह के मियम बनये गये। इस तरनह की नीति को कयी अर्थ्शास्त्रियोँ ने लाइसेंस राज और इंस्पेक्ट अर रज का नाम दिया । बिजली , सडकेँ, पानी, टेलीफोन, रेल यातायात, हवई यातायात, होटल, एन सभी पे सरकारी नियंत्रण था । या तो निजी क्शेत्र को इन उद्योगो मे पूंजी निवेश की अनुमती नही थी या फिर बहुत ही नियंत्रित अनुमती थी । दूसअरे कयी उद्योगो मे (जैसे खिलौने बनाना, रीटेल, वगैरह ) बडी निजी कम्पनियो को पूंजी निवेश की अनुमती नही थी । बैंको को भे सरकारी नियंत्रण मे रखा जाता था ।
1951 से 1979 तक भारतीय आर्थिक विकास दर 3.1 प्रतिशत थी । पर कैपिटा विकास दर 1.0% थी । विश्व मे इसे 'हिन्दू ग्रोथ रेट' के नाम से जाना जाता था । भारतीय उद्योगो का विकास दर 5.4 प्रतिशत था । कृषि विकास दर 3.0 प्रतिशत था । कयी कारणो से भारत की आर्थिक विकास बहुत कम था। मुख्य कारण थे
  • क़ृषि उद्योग मे संस्थागत कमियाँ
  • देश मे कम तकनीकी विकास
  • भारत की अर्थव्यवस्था का विश्व के दूसरे विकासशील देशो से एकीकृत (इंटिग्रेटेड) न होना
  • 1965, 1966, 1971, और 1972 पडे हुए चार सूखे
  • विदेशी पूंजी निवेश पर सरकारी रोक
  • कम साक्षरता दर
  • कम पढी-लिखी भारी जंसंख्या

भारत मे सन 1985 से भुगतान संतुलन (बैलैंस औफ पेमेंट) की समस्या शुरू हुई । 1991 मे चन्द्रशेखर सरकार के शासन के दौरान भारत मे बैलैंस औफ पेमेंट की समस्या ने विकराल रूप धारण किया और भारत की पहले से चर्मरायी हुई अर्थ्व्यवस्था घुट्नो पे आ गयी । भारत मे विदेशी मुद्रा का भंडार केवल तीन हफ्ते के आयातो के बराबर रह गया। ये एक बहुत ही गम्भीर समस्या थी । नर्सिम्हा राओ के नेत्रत्व वाली भारतीय सरकार ने भारत मे बडे पैमाने मे आर्थिक सुधार कर्ने क फैस्ला किया । उदारीकरण कह्लाने वाले इन सुधारो के आर्किटेक्ट थे मनमोहन सिंह । मन्मोहन सिन्ह ने आने वाले समय मे भारत की अर्थ्नीति को पूरी तरह से बदल्ने की शुरुआत की । उंके किये हुए आर्थिक सुधार मेंली तीन क्श्रेणियो मे आते है
  • उदारीकरण (लिब्रलाइज़ेशन)
  • वैश्वीकरण (ग्लोबलाइज़ेशन)
  • निजीकरण (प्राइवेटाइज़ेशन)

1996 से 1998 तक पी चिदम्ब्रम भारत के वित्त मंत्री हुए और उन्होने मन्मोहन सिन्ह की नीतियो को आगे बढाया ।
1998 से 2004 तक देश मे भार्तीय जंता पार्टी की सर्कार ने और भी ज़्यादा उदारीकरण और निजीकरण किया।
इस्के बाद 2004 मे आधुनिक भारत की अर्थ्नीति के रचयिता मन्मोहन सिन्ह भारत के प्रधान्मंत्री बने और पी चिदम्ब्रम वित्त मंत्री ।
इन सभी सालो मे भारत ने कफी तेज़ तरक्की की । अर्थ्व्यवस्था मे आमूल-चूल परिवर्तन हुए और भारत ने विश्व अर्थ्व्यवस्था मे अपना स्थान बनाना शुरू किया।

व्यवसाय

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विप्रो का तिमाही लाभ बढ़ा

Business standard Hindi - ‎42 मिनट पहले‎

साफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात करने वाली कंपनी विप्रो ने 30 सितंबर, 2011 को समाप्त हुई तिमाही में अपने शुद्ध लाभ में 1.24 फीसदी की वृद्धि दर्ज की और 1300.9 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध लाभ कमाया। कंपनी ने बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में 1284.9 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया था। समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी की शुद्ध आय 17.64 फीसदी बढ़कर 9094.5 करोड़ रुपये रही जो बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में 7730.5 करोड़ रुपये थी। क्या आवास ऋण पर आरबीआई ...

Q2 में विप्रो को 1301 करोड़ का मुनाफा Hindi- Economic times

विप्रो के शुद्ध मुनाफे में मामूली वृद्धि याहू! जागरण

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Raviwar

नीरा राडिया ने जनसंपर्क कारोबार बंद किया

जोश 18 - ‎57 मिनट पहले‎

नई दिल्ली। बहुचर्चित टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले से चर्चा में आईं कार्पोरेट बिचौलिया नीरा राडिया ने निजी कारणों का हवाला देते हुए जनसंपर्क कारोबार से अपना हाथ समेटने की घोषणा कर दी है। सुश्री राडिया ने अपने बयान में कहा, 'पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी निजी कारणों को प्राथमिकता देने के लिए मैंने जनसंपर्क कारोबार छोडने का निर्णय लिया है।' सुश्री राडिया वैष्णवी ग्रुप कंसलटेंसी की मालिक और प्रमोटर हैं। इस कंसलटेंसी के ...

राडिया ने छोड़ा पीआर, टाटा को रेडिफ्यूजन को ओके Hindi- Economic times

नीरा राडिया ने लगाया पीआर कंपनी पर ताला Oneindia Hindi

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आज तक

शूमाकर की मुराद पूरी, 'भगवान' से मुलाकात हुई

मनी कॉंट्रोल - ‎30 मिनट पहले‎

ग्रेटर नोएडा। सात बार के फॉर्मूला वन चैंपियन माइकल शूमाकर का अपने दोस्त अनुभवी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से मिलने का इंतजार रविवार को खत्म हो गया। देश की पहली फॉर्मूला वन रेस इंडियन ग्रां प्री के दौरान सचिन ने यहां बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में शूमाकर से रविवार की दोपहर को भेंट की। अपनी अपनी दुनिया के चैंपियन इन दो सितारों का मिलन मानो वहां मौजूद दर्शकों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बन गया। इंडियन ग्रां प्री की फाइनल रेस शुरू ...

तेंदुलकर ने भी वेल्डन, सिमोनसिली के लिये मौन रखा Oneindia Hindi

एफ वन का मजा लेने सचिन पहुंचे नोएडा Zee News हिन्दी

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कॉरपोरेट दिग्गजों की जमानत पर सुनवाई आज

Live हिन्दुस्तान - ‎2 घंटे पहले‎

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पिछले काफी दिनों से जेल में रह रहे कॉरपोरेट दिग्गजों की जमानत पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट सोमवार को करेगा। सीबीआई पहले ही कह चुकी है कि वह जमानत का विरोध करेगी। जिन कॉरपोरेट दिग्गजों के भाग्य का फैसला होना है वे हैं युनिटेक वायरलेस के प्रबंध निदेशक संजय चन्द्रा, स्वान टेलीकाम के निदेशक विनोद गोयनका और रिलायंस एडीएजी के कार्यकारियों हरि नायर, गौतम दोषी एवं सुरेन्द्र पिपारा। उल्लेखनीय है कि निचली...

2जी घोटालाः सीबीआई जमानत का विरोध करेगी मनी कॉंट्रोल

कॉरपोरेट दिग्गजों की बेल का विरोध करेगी सीबीआइ याहू! जागरण

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दैनिक भास्कर

बचत खाते पर छोटे बैंक की बड़े बैंकों को कड़ी चुनौती

Pressnote.in - ‎4 घंटे पहले‎

नई दिल्ली | बचत खाते वाले ग्राहकों को लुभाने में निजी क्षेत्र के छोटे बैंक बड़े बैंकों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। बचत खाते पर ब्याज दरों के नियंत्रणमुक्त होते ही छोटे बैंकों ने ग्राहकों को ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया है। यस बैंक के बाद रविवार को कोटक महिंद्रा बैंक ने भी बचत खाते पर ज्यादा ब्याज देने का एलान कर दिया है। एक लाख रुपये तक की जमा राशि पर बैंक 5.50 फीसदी और एक लाख रुपये से ज्यादा की राशि पर छह फीसदी की दर से ...

कोटक महिंद्रा बैंकः बचत खातों पर 6% ब्याज मनी कॉंट्रोल

कई और बैंक बढ़ाएंगे बचत खाते पर ब्याज दैनिक भास्कर

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SamayLive

बढ़ती महंगाई पर प्रधानमंत्री ने जताई चिंता

star.newsbullet - ‎4 घंटे पहले‎

नई दिल्ली: एक बार फिर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बढ़ती महंगाई को लेकर चिंता जताई है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माना है कि खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतें बड़ी चिंता की वजह बनी हुई है. पीएम ने कहा है कि सरकार और रिजर्व बैंक को महंगाई पर काबू पाने के लिए जरूरी उपाय करते रहने पड़ेंगे. रविवार को राज्यपालों के सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के महीनों में खाने-पीने की वस्तुओं के ऊंचे दाम विशेष रूप ...

महंगाई को लेकर सोनिया चिंतित, थामस से की मुलाकात Oneindia Hindi

खाद्य वस्तुओं की महंगाई चिंता का विषय : मनमोहन एनडीटीवी खबर

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दैनिक भास्कर

सोने में तेज गिरावट, चांदी भी फिसली

दैनिक भास्कर - ‎1 घंटा पहले‎

सोने और चांदी की कीमतें एक बार फिर से धूल चाटती नजर आ रही है एमसीएक्स वायदा पर सोना 307 रुपए नीचे आकर 27251 रुपए प्रति दस ग्राम और चांदी वायदा 1148 रुपए लुढ़क कर 56225 रुपए । ओलमोंडज कमोडिटी के एवीपी अजय जैन के मुताबिक सोने और चांदी में गिरावट की मुख्य वजह डॉलर की मजबूती है लगातार मजबूत होता डॉलर सोने में कमजोरी पैदा कर रहा है साथ ही जापानी मुद्रा येन भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही थी जिसे संभालने के लिए जापानी सरकार ने दखल दिया ...

कमोडिटी बाजार: सोने-चांदी की बिगड़ी हालत मनी कॉंट्रोल

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भारत पर फिर उमड़ा एफआईआई का प्यार

दैनिक भास्कर - ‎9 घंटे पहले‎

बीते दो महीनों तक घरेलू बाजार से पूंजी निकालने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) अक्टूबर में फिर से भारतीय बाजार पर मेहरबान होते दिख रहे हैं। पूंजी बाजार नियामक सेबी के मुताबिक, अक्टूबर माह के दौरान एफआईआई भारतीय बाजार में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का शुद्ध निवेश कर चुके हैं। जानकारों का मानना है कि एफआईआई के निवेश में यह बढ़ोतरी कॉरपोरेट इंडिया की तरफ से आए उम्मीद से बेहतर नतीजों की वजह से दर्ज की गई है। ...

विदेशी निवेशकों का टाटा, अंबानी ग्रुप से मोह भंग नवभारत टाइम्स

एफआईआई ने किया 1000 करोड़ रुपये का निवेश Live हिन्दुस्तान

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Zee News हिन्दी

जीडीपी का 8.6 प्रतिशत रहेगा राजकोष्ाीय घाटा

Patrika.com - ‎10 घंटे पहले‎

नई दिल्ली। वैश्विक अनुसंधान फर्म मेक्वायर का कहना है कि 2011-12 में भारत का कुल राजकोष्ाीय घाटा इसके सकल घरेलू उत्पाद का 8.6 प्रतिशत रहेगा तथा इसमें और बढ़ोतरी से उद्योगों का भरोसा डगमगा सकता है। कुल राजकोष्ाीय घाटे में केंद्र व राज्यों का घाटा भी शामिल है। रपट में कहा गया है कि देश के एकीकृत राजकोष्ाीय घाटे में खाद्य, तेल व उर्वरक जैसे इतर-बजटीय उत्पाद शामिल हैं और यह लगभग 8.6 प्रतिशत रहेगा। रपट में राजकोष्ाीय घाटे में इस ...

राजकोषीय घाटा जीडीपी का 8.6 प्रतिशत रहने का अनुमान Live हिन्दुस्तान

राजकोषीय घाटा 8.6 फीसदी रहने का अनुमान Zee News हिन्दी

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दैनिक भास्कर

मारूति की नई पहल, गुजरात में लगाऐगी संयंत्र

Oneindia Hindi - ‎1 घंटा पहले‎

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारूति सुजुकी के खेमे से काफी दिनों के बाद एक अच्छी खबर सुनने को मिल रही है। पिछले पांच महिनो से लगातार मनेसर संयंत्र के हड़ताल, उत्पादन में कमी और बिक्री में गिरावट की मार झेल रही मारूति सुजुकी ने एक नई पहल की है। इस बार कंपनी गुजरात प्रांत में अपने नये संयंत्र को शुरू करने की योजना बनाई है। इसके लिए मारूति को को गुजरात सरकार की मंजूरी भी मिल गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मारूति का...

मारुति: गुजरात में नया प्लांट लगाने की योजना मनी कॉंट्रोल

मोदी की नजर में गुजरात के लिए न्यू-ईयर का गिफ्ट क्या है? दैनिक भास्कर

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दैनिक भास्कर

एशियाई मार से फिर लाल पड़े बाजार

दैनिक भास्कर - ‎2 घंटे पहले‎

हफ्ते के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार अंतर्राष्ट्रीय दवाब के आगे टूटते नजर आ रहे हैं। अमेरिकी बाजार शुक्रवार रात प्रेशर में बंद हुए थे जबकि एशियाई शेयर बाजार आज भी रेड जोन में कारोबार कर रहे हैं। जिसका सीधा असर भारतीय शेयर बाजारों की चाल पर देखने को मिल रहा है हांलाकि बीएसई में मिडकैप और स्मालकैप ग्रीन जोन में बने हुए हैं लेकिन सेक्टोरियल इंडेक्स में आईटी, टेक और रियलिटी सेक्टर को छोड़कर शेष सभी सेक्टर लाल निशान ...

एशियाई बाजारों में सुस्त कारोबार मनी कॉंट्रोल

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आज तक

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 68 अंक नीचे आया

आज तक - ‎2 घंटे पहले‎

हाल के दिनों में जबरदस्त तेजी के बाद बंबई शेयर बाजार गिरावट के साथ खुला और रीयल्टी, बैंकिंग और तेल व गैस शेयरों में मुनाफा वसूली से बीएसई सेंसेक्स 68 अंक टूट गया. पिछले चार कारोबारी सत्रों में 1016 अंक चढ़ने वाला सेंसेक्स बाजार खुलते ही 68.65 अंक टूटकर 17736.15 अंक पर आ गया. इसी तरह, नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 23.10 अंक कमजोर होकर 5337.60 अंक पर खुला. मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो देखने के लिए जाएं http://m.aajtak.in पर. बंबई शेयर बाजार.

शुरूआती कारोबार सुस्त Business standard Hindi

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दैनिक भास्कर

बैंक एकाउंट धारकों को होगा बड़ा फायदा

दैनिक भास्कर - ‎2 घंटे पहले‎

जी हां, बैंकिंग की दुनिया में नई क्रांति आने को तैयार है और इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया गंभीरता से विचार कर रहा है। मोबाइल और इंश्योरेंस पोर्टेब्लिटी के बाद अब आरबीआई बैंक एकाउंट पोर्टेब्लिटी लागू करने पर भी संजीदगी से विचार कर रहा है। आपको बता दें कि इस तरह की सुविधा दक्षिण अफ्रीका सहित यूरोप के बहुत से देशों में है। बहुत बार बैंक के ग्राहक बैंक की सेवा से संतुष्ट नहीं होते और मजबूरी में उसी बैंक को झेलते रहते हैं ...

एकाउंट नंबर बदले बिना बदल सकेंगे बैंक अमर उजाला

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SamayLive

गिरावट के साथ खुले बाजार

Zee News हिन्दी - ‎3 घंटे पहले‎

मुंबई: देश के शेयर बाजारों में सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख देखा गया। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स हालांकि 1.81 अंकों की मामूली बढ़त के साथ 17806.21 पर जबकि निफ्टी 19.65 अंकों की गिरावट के साथ 5341.05 पर खुला। सोमवार सुबह करीब 9.30 बजे बम्बई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 49.86 अंकों की गिरावट के साथ 17754.94 पर जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (का निफ्टी 20.15 अंकों की गिरावट के साथ 5340.15 पर कारोबार ...

शेयर बाजार में गिरावट के साथ कारोबार Hindi- Economic times

मामूली बढ़त के साथ खुले शेयर बाजार SamayLive

अमर उजाला

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बैंक को ६५ लाख का चूना लगाया, दो धरे

अमर उजाला - ‎12 घंटे पहले‎

नई दिल्ली। कालका जी पुलिस ने धोखाधड़ी कर बैंक को ६५ लाख का चुना लगाने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने एक कंपनी के बैंक अकाउंट में शामिल मोबाइल नंबर बदलवाने और चैक बुक का इस्तेमाल करके इतनी बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम दिया। इतना ही नहीं राशि दूसरी जगह ट्रांसफर करने के लिए एक फर्जी पहचान के साथ अकाउंट खुलवाकर रुपये जमा करवा लिए थे। पुलिस ने इनके पास से पौने छह लाख रुपये जब्त कर लिए हैं। पुलिस अन्य आरोपियों की ...

मारुति सुजुकी में कमजोरी: राकेश बंसल

मनी कॉंट्रोल - ‎1 घंटा पहले‎

राकेशबंसल डॉटकॉम के राकेश बंसल के मुताबिक मारुति सुजुकी में कमजोरी का रुख बना हुआ है। शेयर में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। शेयर में 1050-1030 रुपये के आसपास अच्छा सपोर्ट है। निवेशक 1050-1030 रुपये के नीचे का स्टॉपलॉस लगाकर मारुति सुजुकी में खरीदारी कर सकते हैं। लेकिन राकेश बंसल का कहना है कि अगर ऑटो शेयरों में ही निवेश करना है तो मारुति सुजुकी के बजाय हीरो मोटोकॉर्प, बजाज ऑटो, एमएंडएम जैसे शेयरों में निवेश करना बेहतर ...

शेयर सौदों पर अब भी 'एसटीटी' की तलवार

दैनिक भास्कर - ‎9 घंटे पहले‎

शेयरों की खरीद-फरोख्त पर लगने वाले 'एसटीटी' की समाप्ति की उम्मीद कर रहे निवेशकों के लिए निराशाजनक खबर है। दरअसल, राजस्व विभाग सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को समाप्त किए जाने के खिलाफ है। इस विभाग का मानना है कि एसटीटी से शेयर बाजार में होने वाले निवेश पर नजर रखने में मदद मिलती है। यही नहीं, एसटीटी से यह भी पता लगाने में आसानी होती है कि बगैर लेखा-जोखा वाले फंड का प्रवाह आखिरकार किस ओर है। राजस्व विभाग के एक ...

शेयर बाजारों से हट सकता है एसटीटी Patrika.com

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स्टॉक 20-20 (31 अक्टूबर)

मनी कॉंट्रोल - ‎5 घंटे पहले‎

सीएनबीसी आवाज़ पर हम आपके लिए लाएं हैं एक ऐसा अनोखा मुकाबला, जो है आपके लिए फायदेमंद। T-20 के मजे के साथ आपको मिलेंगें शेयर बाजार में आज ट्रेड करने के लिए कई मौके। दरअसल, हम आपको उन 40 स्टॉक्स के बारे में जानकारी देंगे जिनमें आज ट्रेडिंग कर के आप कमा सकते हैं मुनाफा। भले ही वो शेयर चढ़े या लुढ़के आपको फायदा दे कर ही जाएंगे। यानी 40 शेयरों में आज खरीदने या बेचने पर सलाह। हमारी पहली टीम के कप्तान हैं रिसर्च एनालिस्ट आशीष वर्मा। ...

एलआईसी प्रमुख की घोषणा 20/11 तक

दैनिक भास्कर - ‎9 घंटे पहले‎

देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के चेयरमैन का फैसला 20 नवंबर तक हो जाने की संभावना है। एलआईसी के चेयरमैन टी. एस. विजयन को प्रबंध निदेशक बनाए जाने के बाद से लगातार दो बार इसके प्रबंध निदेशक डी. के. मेहरोत्रा को विस्तार देकर चेयरमैन बनाया गया था। जिनका कार्यकाल 26 नवंबर तक है। इसलिए अब जब इस पद के लिए इंटरव्यू हो गया है तो इस बार मेहरोत्रा को विस्तार देने की बजाय नए चेयरमैन की सीधे घोषणा की जाने ...

मेहरोत्रा हो सकते हैं चेयरमैन Patrika.com

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वेटेल को इंडियन ग्रां प्री में पोल पोजिशन

एनडीटीवी खबर - ‎२९-१०-२०११‎

रेड बुल के सेबेश्चियन वेटेल रविवार को होने वाली फॉर्मूला वन इंडियन ग्रां प्री में पहले नंबर से शुरुआत करेंगे, जबकि सहारा फोर्स इंडिया को पहली घरेलू रेस में अंक जुटाने की उम्मीद है, क्योंकि एड्रियन सुतिल क्वालीफाइंग ग्रिड में आठवां स्थान हासिल करने में सफल रहे। वेटेल ने 1 मिनट 24.178 सेकेंड के समय से 2011 सत्र में अपनी 13वीं पोल पोजीशन हासिल की। उन्होंने मैकलारेन के लुइस हैमिल्टन को 0.296 सेकेंड से पछाड़ दिया। ...

इंडियन ग्रां पी : तीसरे अभ्यास सत्र में वेट्टल रहे अव्वल मेरी खबर.कोम

इंडियन ग्रांप्री : अभ्यास सत्र में मास्सा सबसे तेज Zee News हिन्दी

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सोने में तेज गिरावट, चांदी भी फिसली

दैनिक भास्कर

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मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

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