तो गिराबल्लभ,ऐसे ही जाना था। कोमा में। जबकि नगाड़े खामोश ही हैं।
पलाश विश्वास
पेप्पोर रद्दी पेप्पोर
पहर अभी बीता ही है
पर चौंधा मार रही है धूप
खड़े खड़े कुम्हला रहे हैं सजीले अशोक के पेड़
उरूज पर आ पहुंचा है बैसाख
सुन पड़ती है सड़क से
किसी बच्चा कबाड़ी की संगीतमय पुकार
गोया एक फ़रियाद है अज़ान सी
एक फ़रियाद है एक फ़रियाद
कुछ थोड़ा और भरती मुझे
अवसाद और अकेलेपन से
- वीरेन डंगवाल
गिराबल्लभ, कल नैनीताल में तुम्हारी अन्त्येष्टि हो जायेगी। पर तुम्हारे किस्से शायद ही खत्म हो। हमेशा से अराजक रहे हो। हुड़का धारण किया तो कुलीन बामहण बाप ने तज दिया। शान्त तो कभी थे नहीं तुम। इतनी खामोशी क्या तुम्हें शोभा देती है? तुम तो हमेशा खामोशी के खिलाफ ठैरे। नैनीताल समाचार की वे तूफानी बहसें याद हैं? जब कर्नल सैब बन्दूक उठा लेते थे? परेशान पवन राकेश और हरुआ दाढ़ी की गालियां भूल गये? हिमपात की वे गरजती रातें याद हैं? नैनीताल क्लब अग्निकांड याद है? पंतनगर नरसंहार वाली स्टोरी याद है? जब तराई के रुद्रपुर में तुम धन दिए गये थे? तुम्हारी, राजीव, शेखर वगैरह की नीलामी के खलाफ गिरफ्तारी की वारदात याद है? जब १४ नवंबर १९७८ को छात्रों ने विरोध में नैनीताल खिलाफ फूंक दिया था? हिंसा अहिंसा की तूफान बहसें याद है, जब तुम सारी दलीले खारिज करते हुए कह दिया करते थे, जन आंदोलन की दिशा जलता तय करती है, तुम स्साले कौन होते हो? तुम्हारे सौंदर्य बोध से परेशान शेखर पाठक और चंद्रेश शास्त्री के परेशान चेहरे याद है? तुम्हारे नाटक नगाड़े खामोश या युगमंच की प्रस्तुतियां तो याद होंगी? या फिर बनारस में राजीव कटियार ने जो मजमा लगोया था, और जनार्दन जोशी बतौर तुम्हारी जो हम सब टांग खींचा करते थे , भूल गये? हुड़के की थाप पर हिमालय और हिंदुस्तान उठा लेने वाले तुम्हें क्या इतनी खामोशी सुहाती है? हरेले के तिनड़ की कसम, बर्फानी रातों की कसम, जुनाली रातों की कसम. बारामासा बेड़े पाको, जागर, भूस्खलन, बाढ़ की कसम, कल अंत्येष्टि स पहले तमाम खबरों को खारिज करते हुए आपातकाल के खिलाफ बगावत, चिपको आंदोलन, नशा नहीं रोजगार दो, की तरह गरज उठो तुम गिरदा।
कल चंडीगढ़ से कलकतिया पत्रकार आलोक वर्मा के फोन पर तुम्हारी बीमारी की खबर लगी। नैनीतास में सारे मोबाइल और टेलीफून खामोश। फिर हरुआ दाढ़ी ने अस्पलाल से खबर की, आपरेशन कामयाब है। फिर भी फिक्र थी, तुमने अपनी सेहत की हमेशा ऐसी की तैसी कर रखी थी। भला हो हीरा भाभी का कि इतने दिनों तक तुम्हें जिंदा रखा। मारे डर के सविता के तगादा के बावजूद नैनीताल फोन नहीं किया। पहले ही दौरा से बच कर निकले हो। तुम्हे तो हमेशा बीमारी पालने की आदत थी। इसी लिए डर गया था। फिर उम्मीद थी कि अबके जब फोन लगाऊं तुम्हारी विख्यात हंसी की खनक सुनायी देगी। पर नेट पर मनहूस खबर आ ही गयी। सविता दिनभर दर्द के मारे परेशान थीं। परेशान कर दिया छैरा। उसे हीरा भाभी की फिक्र हो रही ठैरी। पर हम लोग भी तो तुम्हारे बिना कहीं के न ठैरे। सविता ने तो इस अक्तूबर को एलटीए पर नैनीताल जाने का प्लान भी बना लिया। अब पहाड़ जाकर क्या होगा?
कल ही हमने अमेरिका से सावधान पुनश्च लिखना शुरू किया और तुम ठहरे थोड़ा इंडजार भी न कर सके। इसबार छलड़ी के गीत कौन लिखेगा? जुलूस की अगुवाई में हुड़के की थाप कहां सुनायी देगी? भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ और रोज रोज की आपदा पर कौन दौड़ेगा? कौन याद दिलायेगा कमिटमेंट, सरोकार और विचारधारा की? कौन फिर कहेगा, फार्म क्या होता है, कानटेंट ही सबकुछ है? कौन पूछेगा दृष्टि के बारे में। कौन लड़ेगा हर शब्द के लिए?
नैनीताल: लगातार बारिश ने सरोवर नगरी के जनजीवन पर व्यापक असर डाला है। शुक्रवार को कभी तेज तो कभी हल्की बारिश का दौर जारी रहा। मौसम विभाग के अनुसार मौसम में फिलहाल सुधार आने की उम्मीद नहीं है।
इधर पिछले कई दिनों से हो रही बारिश के कारण नगर में कई स्थानों पर जलभराव तथा मलबा आने का सिलसिला भी जारी है। लगातार वर्षा के चलते नैनी झील के जल स्तर में वृद्धि होने के कारण झील के चैनलों से जल निकासी की जा रही है। झील का जल स्तर 10 फीट 5 इंच पार कर चुका है। जीआईसी मौसम केंद्र के मुताबिक पिछले 24 घंटों में दौरान नगर में 52 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई, जबकि पिछले 60 घंटों में 273 मिमी वर्षा हो चुकी है। अधिकतम तापमान 20 व न्यूनतम 16 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। उधर मौसम विभाग के निदेशक डा.आनंद शर्मा के मुताबिक मानसूनी बादलों का सिस्टम बने होने के कारण मौसम में जल्द सुधार आना मुश्किल है।
मानसूनी मेघों के बरसने का सिलसिला अगले चौबीस घंटों में भी थमने के आसार नहीं हैं। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि राज्य में अधिकांश स्थानों पर बारिश होगी। कहीं अपेक्षाकृत भारी और कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है।
इन दिनों हो रही बारिश ने उत्तराखंड में लोगों के लिए आफत भी खड़ी की हुई है। शनिवार को भी राज्य के लगभग सभी हिस्सों में हुई वर्षा से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि अभी वर्षा का सिलसिला थमने की संभावना नहीं है। राज्य मौसम केंद्र के निदेशक डॉ.आनंद शर्मा के मुताबिक यूपी में एक सिस्टम बना है और पश्चिमी विक्षोभ भी है। साथ ही नमी भी अच्छी आ रही है। इस सबके चलते अगले चौबीस घंटों में भी उत्तराखंड में वर्षा होगी। उन्होंने बताया कि यूपी में कम दबाव का क्षेत्र बनने के भी आसार लग रहे हैं, जिसे मॉनिटर किया जा रहा है।
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नैनीताल की छवियां
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16 जन 2010 ... पानी से डबाडब भरा विशाल ताल और चारों ओर हरे भरे जंगलों से घिरा शहर नैनीताल। बांज, रयांज, देवदारू और सुरई के पेड़ पहाड़ों में गहरा हरा रंग भरते थे। चीना पीक, स्नो व्यू, ...
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25 जन 2008 ... नैनीताल को हम झील का शहर भी कह सकते हैं। नैनीताल भारत के सबसे सुन्दर हिल स्टेशनों में से है। १९३९ मीटर की उंचाई पर बसे नैनीताल को एक अंग्रेज पी बैरन ने १८३९ में खोजा था ...
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3 दिसं 2008 ... नैनीताल और उसके आस-पास ऐसी बहुत सारी जगहें हैं, जो आपका मन मोह लेंगी। अपने टूर के दौरान आप इन जगहों को देख सकते हैं...
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झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। बर्फ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्थान झीलों के घिरा हुआ है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। ...
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Uttaranchal | उत्तरांचल » विडियोः ...
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6 अगस्त 2007 ... इस अधिवेशन में पहले आप देखेंगे, डा शेखर पाठक के व्याख्यान - "उत्तराखंड गाथा" और "अपने लोगों को तुम जानो, अपने गांवों को पहचानो" की कुछ झलकियाँ, उसके बाद लोकल बाल ...
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भारत के मानचित्र पर उत्तराखंड अंकित · Location of उत्तराखण्ड. देहरादून · समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०). देश, Flag of India.svg भारत · राज्य · उत्तराखंड · जिले, १३. ' ९ नवंबर, २००० ...
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17 नवं 2007 ... उत्तराखंड की प्राकृतिक सुन्दरता, भाषा बोली, रीति रिवाज और सांस्कृतिक छवि को आप लोगों ... उत्तराखंड के कुछ लोक गीत ... देवभूमि उत्तराखंड में पाए जाते हैं मक्खन के पेड़! ...
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उत्तराखंड का परिचय
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23 जुलाई 2009 ... उत्तराखंड 2 मंडलो गढ़वाल और कुमाऊँ में विभक्त है. उत्तराखंड में वर्तमान में 13 जिले हैं जिनमें से 7 गढ़वाल में - देहरादून , उत्तरकाशी , पौड़ी , टेहरी (अब नई टेहरी) , चमोली ...
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29 अप्रैल 2010 ... ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। और इसकी भारत में लगभग 61 प्रजातियां पायी जाती हैं जिनमें से लगभग 58 तो अकेले हिमालयी इलाकों में ही होती हैं। ...
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उत्तराखंड के जनकवि 'गिरदा' का निधन
शालिनी जोशीदेहरादून से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
गिरदा ने कई समाज सुधार आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई
पहाड़ के जल, जंगल और जमीन के सरोकारों को लेकर अपनी कविताओं के जरिए जन-जन से संवाद करने की ताकत रखने वाले मशहूर जनकवि गिरीश तिवारी 'गिरदा' का निधन हो गया.
हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में एक ऑपरेशन के बाद रविवार की सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली.
गिरीश तिवारी 'गिरदा' का जन्म 10 सितंबर, 1942 को अल्मोड़ा के एक गांव में हुआ था. अपने ओज और अक्खड़पन के कारण वो 'गिरदा' नाम से लोकप्रिय हुए.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी 'गिरदा' लोकधुनों और लोकमंच के तो जानकार थे ही, उनके गीत चिपको आंदोलन, वन आंदोलन, नशा विरोधी आंदोलन, अलग राज्य के उत्तराखंड आंदोलन और नदी बचाओ आंदोलन की पहचान थे.
गिरदा की बहुत बड़ी उपस्थिति थी न सिर्फ़ उत्तराखंड में बल्कि पूरे देश की लोक-सांस्कतिक चेतना में. उनके गीतों में क्रांतिकारिता थी. उनके बिना पहाड़ की संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती.
मंगलेश डबराल, हिंदी कवि
उन्होंने खुद भी कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई.
उन्हें सुनने और देखने के लिए लोग उमड़ पड़ते. लोगों को एकजुट करने की उनमें गजब की शक्ति थी.
लोकप्रिय रचना
हिंदी में उनकी एक लोकप्रिय रचना है-अजी वाह क्या बात तुम्हारी
तुम तो पानी के व्यापारी
सारा पानी चूस रहे हो
नदी समंदर लूट रहे हो
गंगा यमुना की छाती पर कंकड़ पत्थर कूट रहे हो
उफ़ तुम्हारी ए ख़ुदग़र्ज़ी चलेगी कब तक ए मनमर्ज़ी
जिस दिन डोलेगी ए धरती
सर से निकलेगी सब मस्ती
दिल्ली देहरादून में बैठे योजनकारी तब क्या होगा
वर्ल्ड बैंक के टोकनधारी तब क्या होगा.
कुमांऊनी में उनका लिखा आज हिमालै तुमुकैं धत्यूंछौ... जागो जागो हो मेरा लाल...' एक नारे की तरह जाना जाता है.
शोक की लहर
उत्तराखंड की संस्कृति के बारे में जितनी जानकारी गिरदा को थी और जितना काम उन्होंने उसे बचाने के लिए किया वैसा और नहीं हो सकता. आंदोलन जब भी होंगे, जनसरोकारों की बात जब भी होगी गिरदा हमेशा वहां मौजूद होंगे.ज़हूर आलम, नैनीताल के रंगकर्मी
देशभर के संस्कृतिकर्मियों और लोकचेतना से जुड़े साहित्यकारों और पत्रकारों में उनके जाने से शोक की लहर है.
वरिष्ठ हिंदी कवि मंगलेश डबराल ने कहा, " गिरदा की बहुत बड़ी उपस्थिति थी न सिर्फ़ उत्तराखंड में बल्कि पूरे देश की लोक-सांस्कृतिक चेतना में. उनके गीतों में क्रांतिकारिता थी. उनके बिना पहाड़ की संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती. उत्तराखंड के संस्कृतिकर्मियों के लिए उनकी मृत्यु बड़ा आघात है."
नैनीताल के रंगकर्मी ज़हूर आलम का कहना है, " उत्तराखंड की संस्कृति के बारे में जितनी जानकारी गिरदा को थी और जितना काम उन्होंने उसे बचाने के लिए किया, वैसा और नहीं हो सकता. आंदोलन जब भी होंगे, जनसरोकारों की बात जब भी होगी गिरदा हमेशा वहां मौजूद होंगे."
गिरदा नैनीताल में रहे लेकिन उनके विचार और काम का फलक पूरे पहाड़ में फैला था.
आखिरी दिनों में भी वो सक्रिय रहे थे. उनकी सादगी, प्रखरता, जीवंत और जुझारू व्यक्तित्व को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2010/08/100822_girda_obituary_dps.shtml
unday, August 22, 2010
जनकवि गिर्दा नहीं रहे .....मेरे लिए गिर्दा हिंदी में लुप्त होती जनकवियों की परम्परा के अंतिम वारिसों में एक थे। मेरे मन में उनके लिए वही प्यार और सम्मान है जो नागार्जुन के लिए रहा। आज वो साथ छोड़ गए। इधर हमारा पहाड़ कई कई आपदाओं से जूझ रहा है.....प्राकृतिक आपदाएँ तो धीरे धीरे संभाल ली जायेंगी पर सुम्गढ़ में उन अट्ठारह बच्चों और अब इस अद्भुत जनकवि का जाना एक गहरा अँधेरा छोड़ जायेगा... गिर्दा को उपचार के लिए अचानक हल्द्वानी ले जाया गया था ....शेखर पाठक, राजीवलोचन साह, गिरिजा पांडे जैसे हमारे अग्रज मित्र उन्हें वहाँ ले गए ...पर गिर्दा शायद हल्द्वानी या किसी भी शहर की सरहद से दूर असीम की ओर जाना तय कर चुके थे। वे बहुत प्यार भरे शानदार इंसान थे, जिनकी कोमल हथेलियों की छाप हमारे चेहरे और माथे पर हमेशा रहेगी....हमें उस स्पर्श की ज़रुरत हमेशा रहेगी.....हम मानवीय प्रेम की उस दुर्लभ छुअन को किसी भी हाल में बचायेंगे...नहीं बचा पाए तो ख़ुद भी नहीं बच पायेंगे।
गिर्दा को याद करते हुए एक पोस्ट लगा रहा हूँ, जिसे दो साल पहले कबाडखाना में लगाया था. अभी बिलकुल अभी व्यक्ति गया है पर स्मृतियों से पूरा आकाश भरा है...ये आँसूं तुम्हारे ही लिए हो सकते थे गिर्दा.....हमारी ग़लतियों और कोताहियों के लिए हो सके तो माफ़ कर देना।
ये वीडियो छोटे भाई और साधना न्यूज़ में पत्रकार प्रिय बीरेंद्र बिष्ट के सौजन्य से....कैमरे में क़ैद गिर्दा के कुछ अंतिम ऊर्जावान पलों की इस प्रस्तुति के लिए अनुनाद परिवार उनका आभारी है....
जो नर जीवें खेलें फाग
नैनीताल में युगमंच, श्री रामसेवक सभा, पर्यटन एवं संस्कृति निदेशालय, नैनीताल समाचार, नयना देवी ट्रस्ट, संगीत कला अकादमी, श्री हरि संकीर्तन संगीत विद्यालय आदि के सहयोग से तीन दिन का `होली महोत्सव´ मनाया गया। होली के नागर रूप - बैठी होली से लेकर ठेठ ग्राम रूप - खड़ी होली तक होलियों के कई दौर चले। समापन नैनीताल समाचार के पटांगण में बैठी होली से हुआ। अंत में एक होली जुलूस निकाला गया, जिसमें राजीवलोचन साह ने एक विशिष्ट अर्थच्छाया और व्यंजना के साथ उत्तराखंड की जनभावनाओं से खिलवाड़ करने वाले राजनीतिक दलों, तिब्बत में नरसंहार कर रही चीनी सरकार, अमरीका से एक दुरभिसन्धि में बंध रही भारत सरकार, स्थानीय निकायों के निर्वाचन में खड़े होने वाले प्रत्याशियों आदि के लिए आशीष वचन उचारे। जनकवि गिरीश तिवारी `गिर्दा´ ने स्थानीय निकायों के निर्वाचन की तिथि की घोषणा के बाद के मंज़र पर एक गीत रचा है, जिसे उन्होंने होली जुलूस के साथ घूमते हुए जगह-जगह रुककर सुनाया। कबाड़खाना के साथियों और यात्रियों के लिए प्रस्तुत है यह गीत, लेकिन मूल कुमाऊंनी में। जैसे श्रीलाल शुक्ल के राग-दरबारी के शिवपालगंज में पूरा देश समाया है, वैसे ही गिर्दा के इस गीत में पूरे देश की राजनीति !
मेरी बारी, मेरी बारी, मेरी बारी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
धो धो कै तो सीट जनरल भै छा
धो धो के ठाड़ हुणै ए बारी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
एन बखत तौ चुल पन लुकला
एल डाका का जसा घ्वाड़ा ढाड़ी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
काटी मैं मूताणा का लै काम नी ए जो
कुर्सी लिजी हुणी ऊ ठाड़ी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
कभैं हमलैं जैको मूख नी देखो
बैनर में छाजि ऊ मूरत प्यारी
घर घर लटकन झख मारी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
हरियो काकड़ जसो हरी नैनीताल
हरी धणियों को लूण भरी नैनीताल
कपोरी खाणिया भै या बेशुमारी
एसि पड़ी अलबेर मारामारी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
गद्यात्मक भावार्थ -
मेरी बारी ! मेरी बारी - कहते सोचते हैं चुनावार्थी ! हाय ! इस बार देखिए ये मजेदारी!बड़ी मुश्किल से तो सीट अनारक्षित हुई है, बड़ी मुश्किल से हम खड़े हो पा रहे है। और ये वही लोग है जो विपदा आने पर बिलों में दुबक जाते है पर इस समय तो डाक के घोड़ों की तरह तैनात खड़े हैं (पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में डाक घोड़ों पर ले जायी जाती रही है)। गजब कि बात है कि जो कटे पर मूतने के भी काम नहीं आता, वो कुर्सी की खातिर खड़ा होने में कभी कोताही नहीं करता। कभी जो सूरत नहीं दिखती वही उन बैनरों में चमकती-झलकती है, जो घर-घर लटके झख मारते रहते हैं।
और अंत के छंद में समाया है अपार दुख - कि हरी ककड़ी के जैसा मेरा हरा नैनीताल! हरे धनिए के चटपटे नमक वाले कटोरे -सा भरा नैनीताल ! ऐसे हमारे नैनीताल को नोच-नोच कर खाने चल पड़े हैं ये लोग बेशुमार ! अबकी पड़ी है ऐसी मारामारी !
***
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दहलीज़ : ६ / भवानीप्रसाद मिश्र की कविता- 'कवि'
बिल्ली आ गई है मुंडेर पर
Posted by शिरीष कुमार मौर्य at 1:32 PM
Labels: स्मृति
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विजय गौड़ said...yah dukhad khabar kuchh hi der pahale bhai Rajesh saklani ne phone se di thi use confirm karne ke liye hi ANUNAD aur KABADKHANA tak pahuncha hu.salaam is lok kavi. unki smrityon ko fir share karunga.
August 22, 2010 2:08 PM <img src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1daruq6NnkUAKrB9PNDRYewMvipk4QV1qQumGa3NBBjvW1UQwWjawl6-_CP5pActanQsE4s4HSwlTAjVUx9lHldnRhVxTwMGyfIgIBI2ctUOvSSOwJxOHwXGJFbuxoNhsOoRNTa72xKE/s45/my+pic+1.jpg" width="35" height="35" class="photo" alt="">
pratibha said...
हम मानवीय प्रेम की उस दुर्लभ छुअन को किसी भी हाल में बचायेंगे...नहीं बचा पाए तो ख़ुद भी नहीं बच पायेंगे।
shrdhanjali!
August 22, 2010 2:40 PM <img src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgnY9XXekZZW7fLFdZXfUT92coH1WTw50j_3QAjYT6T3OJz25UDyH7SgQRS92ppe2VB86GBVhq1dasUGGsSvzQudygdkaKs6RYh_riHqI79YggntD49lO9joBNtFiZLFK0vvJUWi_NlT8E/s45/jaanu.jpg" width="35" height="35" class="photo" alt="">
शहरोज़ said...
वे बहुत प्यार भरे शानदार इंसान थे, जिनकी कोमल हथेलियों की छाप हमारे चेहरे और माथे पर हमेशा रहेगी....हमें उस स्पर्श की ज़रुरत हमेशा रहेगी.....हम मानवीय प्रेम की उस दुर्लभ छुअन को किसी भी हाल में बचायेंगे...नहीं बचा पाए तो ख़ुद भी नहीं बच पायेंगे।
आहात हैं हम सभी !विनम्र श्रद्धांजली!
समय हो यदि तो
माओवादी ममता पर तीखा बखान ज़रूर पढ़ें: http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
August 22, 2010 2:45 PM <img src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOqonGe8m1A_ybGOOjwyLR8cRHBoP314LXPG0NO-WFOd2YeYdacU4x7_fgGREdMkn_Hsb7dTHH2yP1rapMbbo2JcXZF-K5HaGc7lcu9aCysF_HK160Zzahf77aL5yk4EfOPqFMaw85y_0/s45/IMG_0041.jpg" width="35" height="35" class="photo" alt="">
राजेश उत्साही said...
गिर्दा और पहाड़ जैसे मेरे लिए पर्यायवाची हैं। उनका न रहना भी उतना ही सालेगा जितना किसी पहाड़ का ढह जाना। गिर्दा और उनकी जनकविता को सलाम।
August 22, 2010 3:33 PM <img src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiEaeINHbSn9i5G_junnodohJFu8cVCCnrg9djoWG0BPaFIwK6S7fIJpynG10vKtDQKzHZUo0Y4rNnDjGqYASPSr_CwLA6YS_h-hlvAmv6eyfi5JbshigXy_nvvPILTjavpXk2qW4sdm2Du/s45/IMG_5149.JPG" width="35" height="35" class="photo" alt="">
दीपा पाठक said...
बहुत ही मनहूस खबर है शिरीष! कल के स्थानीय अखबार में उनकी नाज़ुक हालत के बारे में पढ़ा, घबराहट तो थी लेकिन फिर भी ऐसी खबर के लिए दिल तैयार नहीं था। आज रास्ते खराब होने की वजह से अखबार ही नहीं आया और फिर आपकी यह पोस्ट! आप लोग जो पहाड़ की सांस्कृतिक सामाजिक गतिविधियों से सक्रियता से जुड़े हैं, उनके लिए यह कितना बड़ा आघात है समझा जा सकता है, क्योंकि मेरे जैसे लोग जिन्हें गिर्दा के सानिध्य में रहने के अवसर ही नहीं मिला बस चार-पांच पंक्ति की बातचीत या उत्तराखंड आंदोलन के समय उनके जोशीले गीतों के साथ स्वर मिलाने भर के इने-गिने मौकों में ही उनके साथ रह कर ही उनके न रहने की खबर से इतने विचलित हैं। श्रद्धांजलि के अलावा कुछ कहने के लिए अब है ही नहीं।
August 22, 2010 4:06 PM <img src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqLjFS6UvU6nFh9IlIa4HI5WCqQe8E1Qyt7Nlmu8tf1NdHtUcwEt-jnZGjnPAS3_Ri3Ylh30Vg-JapOxM2nl3SThuJ7Q5UezKsOy7IlJqdf2_JlictaNCiOl14cicjlsZ0L3fSys1ibKVK/s45/sushila..jpg" width="35" height="35" class="photo" alt="">
सुशीला पुरी said...
सही कहा प्रतिभा ने --- नहीं बचेंगे हम भी तब !
August 22, 2010 4:30 PM <img src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXsJPThv2wI0HF_EiszHc-Vseun6VRrEqj1U9K2HoI-S62Kyc2aUdnqF4JXK8qB1lS681Z4XagOtgFeegOyFpi0jHMBUl6JaPJFswRCXRltTuE2UbUsWHyMExJPNAy79Nod45L5yVTgZM/s45/Me2.JPG" width="35" height="35" class="photo" alt="">
दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...
गिर्दा जी को नमन। ऐसे जन कवि मुश्किल से पैदा होते हैं।
August 22, 2010 8:43 PM
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Sunday, August 22, 2010
लोकगायक गिर्दा का देहावसान
उत्तराखण्ड के विख्यात क्रान्तिधर्मी लोकगायक गिर्दा का कुछ क्षण पहले देहावसान हो गया.
उनके अथक रचनाकर्म को हमारा सलाम और उनके परिजनों, मित्रों को गहरी सहानुभूति.
दुःख की इस घड़ी में इस से अधिक क्या कहा जा सकता है,
http://kabaadkhaana.blogspot.com/2010/08/blog-post_22.html
आपने जो कहा...
दिनांक Aug 22 दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi की टिप्पणी blog post_22 पर: "गिर्दा जी को नमन। ऐसे जन कवि मुश्किल से पैदा होते हैं।"दिनांक Aug 22 सुशीला पुरी की टिप्पणी blog post_22 पर: "सही कहा प्रतिभा ने --- नहीं बचेंगे हम भी तब !"
दिनांक Aug 22 दीपा पाठक की टिप्पणी blog post_22 पर: "बहुत ही मनहूस खबर है शिरीष! कल के स्थानीय अखबार में उनकी नाज़ुक हालत के बारे में पढ़ा, घबराहट तो थी…"
दिनांक Aug 22 राजेश उत्साही की टिप्पणी blog post_22 पर: "गिर्दा और पहाड़ जैसे मेरे लिए पर्यायवाची हैं। उनका न रहना भी उतना ही सालेगा जितना किसी पहाड़ का ढह…"
दिनांक Aug 22 शहरोज़ की टिप्पणी blog post_22 पर: "वे बहुत प्यार भरे शानदार इंसान थे, जिनकी कोमल हथेलियों की छाप हमारे चेहरे और माथे पर हमेशा…"
दिनांक Aug 22 pratibha की टिप्पणी blog post_22 पर: "हम मानवीय प्रेम की उस दुर्लभ छुअन को किसी भी हाल में बचायेंगे...नहीं बचा पाए तो ख़ुद भी नहीं बच…"
दिनांक Aug 22 विजय गौड़ की टिप्पणी blog post_22 पर: "yah dukhad khabar kuchh hi der pahale bhai Rajesh saklani ne phone se di thi use confirm karne ke…"
दिनांक Aug 20 shanti की टिप्पणी blog post_15 पर: ""जितना भी हो अँधेरा कुछ उठे हुए हाथ साफ़ नज़र आते हैं " …"
दिनांक Aug 18 विशाल श्रीवास्तव की टिप्पणी blog post_17 पर: "आपका लेख काफी अच्चा है ... लगता है भैया आपको अंक मिल गया मेरी प्रति अभी तक नहीं पहुंची बड़ी उत्कंठा…"
दिनांक Aug 18 सुशीला पुरी की टिप्पणी blog post_17 पर: "मुझे बुद्धि मुक्तिबोध की चाहिए और हृदय नागार्जुन का पर हाथ हमेशा शमशेर का चाहिए, जिसे थामकर पिछले…"
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अनुनाद: जनकवि गिर्दा नहीं रहे .....
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22 अगस्त 2010 ... मेरे लिए गिर्दा हिंदी में लुप्त होती जनकवियों की परम्परा के अंतिम वारिसों में एक थे। मेरे मन में उनके लिए वही प्यार और सम्मान है जो नागार्जुन के लिए रहा। ...
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गिरीश तिवारी 'गिर्दा'
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आजीविका चलाने के लिए क्लर्क से लेकर वर्कचार्जी तक का काम करना पड़ा। फिर संस्कृति और सृजन के संयोग ने कुछ अलग करने की लालसा पैदा की। अभिलाषा पूरी हुई जब हिमालय और पर्वतीय ...
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गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी ...
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15 पोस्ट - 15 लेखक - अंतिम पोस्ट: 19 मई 2009
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गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA & HIS POEMS.
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www.merapahadforum.com/.../''-girda-his-poems/ - संचित प्रति
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गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा'
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By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on July 14, 2010. इस साल इत्तफाक ऐसा हुआ कि एक ओर 35 साल पहले का 25 जून 1975, ... By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on January 9, 2010. वक्त का सिलसिला यों ही चलता रहा और करता रहा ...
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गिर्दा कोट गाँव, हंडिया (इलाहाबाद ...
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गिर्दा कोट हंडिया , इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। ... गरघनपुर • गहरपुर धोबहा • गहरपुर सिया डीह • गिर्दा कोट • गुड़गाँव • गोंदरी • गोंदौरा • गोठवा • गोपालीपुर • गोबिंदापुर ...
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कबाड़खाना: लोकगायक गिर्दा का देहावसान
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22 अगस्त 2010 ... उत्तराखण्ड के विख्यात क्रान्तिधर्मी लोकगायक गिर्दा का कुछ क्षण पहले देहावसान हो गया. उनके अथक रचनाकर्म को हमारा सलाम और उनके परिजनों, मित्रों को गहरी सहानुभूति. ...
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गिर्दा : चिट्ठाजगत : धड़ाधड़ छप रहे ...
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गिर्दा : चिट्ठाजगत: Hindi Blogs, Hindi Blog, Aggregator, Search, Chitha, Chittha, Chitthe, Chitthi, Chithha, Chithhe.
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लेखक मंच » Blog Archive » उत्तराखंड के ...
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22 अगस्त 2010 ... नई दिल्ली: उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चंद्र तिवाडी 'गिर्दा' का 22 अगस्त सुबह हल्द्वानी में देहांत हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनकी अंत्येष्टि 23 अगस्त सुबह ...
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lekhakmanch.com/2010/08/22/उत्तराखंड-के-जनकवि-गिर्द/
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गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA ...
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16 पोस्ट - 16 लेखक - अंतिम पोस्ट: 5 जून 2009
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आप लोग अवगत ही हैं कि उत्तराखण्ड के जनकवि श्री गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" एक ऎसे कवि ... गिर्दा अपनी कविताओं से जनसमस्याओं और इसके समाधान के लिये बने शासन-प्रशासन के ...
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लेखक मंच » गिर्दा
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22 अगस्त 2010 ... नई दिल्ली: उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चंद्र तिवाडी 'गिर्दा' का 22 अगस्त सुबह हल्द्वानी में देहांत हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनकी अंत्येष्टि 23 अगस्त सुबह ...
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गिर्दा (Girdo)
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उत्तराखण्ड आन्दोलन का गिर्दा द्वारा ...
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9 अप्रैल 2008 ... सरजू-गुमती संगम में गंगजली उठूँलो-उत्तराखण्ड ल्हयूँलो 'भुलु'उत्तराखण्ड ल्हयूँलोउतरैणिक कौतीक हिटो वै फैसला करुँलो-उत्तराखण्ड ल्हयूंलो 'बैणी' उत्तराखण्ड ल्हयूंलो ...
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www.hisalu.com/364 - संचित प्रति
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जनकवि गिरीश तिवारी उर्फ गिरदा नहीं रहे
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22 अगस्त 2010 ... गिर्दा एक जनकवि होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। जिन्दगी भर उन्होनें समाज ... शायद इसिलिए गिरीश तिवारी गिर्दा जैसे लोगों को सिर्फ एक कलाकार के खांचें में फिट ...
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bhadas4media.com/dukh-dard/6233-girish-girda.html
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संस्कृति एक सामाजिक उत्पाद है - Myor Pahad
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उत्तराखंड मैं लोक गीतों का जब भी जिक्र होगा गिर्दा के बिना वह अधूरा ही रहेगा ! गिरीश तिवारी 'गिर्दा' ने अपनी कविताओं को जनता के स्वर दिए है ! पहाड़ के तमाम जनांदोलन मैं शामिल ...
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www.creativeuttarakhand.com/cu/.../girda-ivw.html - संचित प्रति
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जय भारत! जय उत्तराखण्ड!! JAY BHARAT! JAY ...
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10 सितं 2008 ... "उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन" के दौरान सरकारी उत्पीडन व दमन का परिहास करती गिरीश तिवारी "गिर्दा" की यह पंक्तियां आम लोगों के मन पर अंकित हो गयीं. गोलियां कोई निशाना ...
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jayuttarakhand.blogspot.com/.../blog-post_10.html - संचित प्रति
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गिर्दा - अंग्रेज़ी अनुवाद - bab.la शब्दकोश
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मुफ़्त अंग्रेज़ी शब्दकोश में 'गिर्दा' का अनुवाद और बहुत सारे अंग्रेज़ी अनुवादें.
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hi.bab.la/शब्दकोश/हिंदी.../गिर्दा - संचित प्रति
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Largest Hindi to Hindi Dictionary - Current Hindi Word: नीम ...
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Online Hindi-to-Hindi Dictionary with over 95000 words. Current word: Largest Hindi to Hindi Dictionary - Current Hindi Word: नीम-गिर्दा. ... नीम-गिर्दा, पुं० [?] बढ़इयों का एक उपकरण। समानार्थक शब्द -. Not found any synonyms. पीछे - मुख्र्य पृष्ठ ...
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pustak.org:4300/bs/home.php?mean=66022 - संचित प्रति
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गिर्दा | clipped.in
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22 अगस्त 2010 ... उत्तराखण्ड के विख्यात क्रान्तिधर्मी लोकगायक गिर्दा का कुछ क्षण पहले देहावसान हो गया. उनके अथक रचनाकर्म को हमारा सलाम और उनके परिजनों, मित्रों को गहरी सहानुभूति. ...
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clipped.in/taxonomy/term/180771
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वार्ता:गिर्दा कोट गाँव, हंडिया ...
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यह पृष्ठ गिर्दा कोट गाँव, हंडिया (इलाहाबाद) लेख के सुधार पर चर्चा करने के लिए वार्ता पन्ना है। यदि आप आप अपने संदेश पर जल्दी सबका ध्यान चाहते हैं, तो यहाँ सदेश लिखने के बाद ...
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hi.wikipedia.org/.../वार्ता:गिर्दा_कोट_गाँव,_हंडिया_(इलाहाबाद) - संचित प्रति
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स्वप्नदर्शी: गिरीश तिवारी "गिर्दा"
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18 अक्तू 2007 ... गिर्दा उत्तराखंड के लोककवि है। गिर्दा की कविता और उनका जीवन सामाजिक सरोकार से सरोबार है। गिर्दा की कविता राजनैतिक और क्रांतिकारी कवियों से कई मायने मे बहुत अलग है. ...
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swapandarshi.blogspot.com/.../girish-tiwaarii-girdaa.html - संचित प्रति
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गिर्दा
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Translation of Hindi "गिर्दा" to French in the free online e-dictioary.
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www.e-dictionary.info/hi/fr/गिर्दा/ - संचित प्रति
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Chaitra Navratras - चैत्र नवरात्र : नौर्त- मां दुर्गा के नौ ...
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मुश्किल से आमा का चूल्हा जला है, गीली है लकडी कि गीला धुंवा है| साग क्या छोंका कि गौं महका है ओssss होs रे, ओहोरे, गंध निराsली ओ दिगौsss लाली|| ओssss होs रे, ओहोरे, ओ दिगौ लाली|| "गिर्दा" ...
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www.merapahad.com/forum/culture-of.../navratra-in-uttarakhand/?...
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poem and commentry by girda
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By गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' on February 15, 2009. होली 2008 में उत्तराखंड निकाय चुनावों की मारामार से गुजर रहा था। तब हमने होलियाना अभिव्यक्ति दी -. मेरि बारी, मेरि बारी, मेरी बारी, ...
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गैरसैंण के बारे में गिर्दा के छन्द
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19 मार्च 2008 ... २४ सितम्बर, २००० को गिर्दा ने गैरसैंण रैली में यह छ्न्द कहे थे, जो सच भी हुयेकस होलो उत्तराखण्ड, कां होली राजधानी,राग-बागी यों आजि करला आपुणि मनमानी,यो बतौक खुली-खुलास ...
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Chaitra Navratras - चैत्र नवरात्र : नौर्त- मां दुर्गा के नौ ...
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15 पोस्ट - 2 लेखक - अंतिम पोस्ट: 4 अप्रैल 2008
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... से आमा का चूल्हा जला है, गीली है लकडी कि गीला धुंवा है| साग क्या छोंका कि गौं महका है ओssss होs रे, ओहोरे, गंध निराsली ओ दिगौsss लाली|| ओssss होs रे, ओहोरे, ओ दिगौ लाली|| "गिर्दा" ...
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UANA invites Narendra Singh Negiji in North America !!!
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15 पोस्ट - 3 लेखक - अंतिम पोस्ट: 24 अगस्त 2007
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गढ़वाल के प्रसिद्ध गीतकार नरेंद्र सिंह नेगी व कुमाऊं के प्रसिद्ध कवि गिरीश तिवारी 'गिर्दा' के गीत व कविताओं की जुगलबंदी ने सात समुंदर पार नार्थ अमेरिका के न्यूजर्सी ...
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www.younguttarakhand.com/...singh.../15/ - संचित प्रति
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गिर्दा का गीत - Hillwani, Voice of Hills from Uttarakhand
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गिर्दा का गीतः. गीत पेश हैं [Play Now]. नदियों में पानी कम हो रहा है. पानी की किल्लत है. बिजली परियोजनाएं आवंटित की जा रही हैं, प्रस्तावित हैं, लटकी हुई हैं या रद्द कर दी गई हैं. ...
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पवांण: गिर्दा !!
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22 अगस्त 2010 ... गिर्दा तुम याद आओगे जब भी लाट साहबों के फ़रमान मानवीयता की हदें तोड़ेंगे जब भी दरकेंगे समाज किसी परियोजना के कारण... जब भी जुड़ना चाहेंगे शब्द समाज की प्रगतिशीलता के ...
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pawaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_22.html
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कुमाऊनी कविता: श्री गिरीश तिवारी गिरदा (Girda)
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२४ सितम्बर, २००० को गिर्दा ल गैरसैंण रैली में य छ्न्द सुणाछी, जो बाद में सच हो कस होलो उत्तराखण्ड ... जनकवि गिरीश चन्द्र तिवाड़ी "गिर्दा" ज्यु की नज़र में लोकसभा चुनाव ...
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कार्यक्रम में गिर्दा ने कुमाऊंनी भोज्य परंपरा को अपने गीत मुश्किल से आमां का चूल्हा जला है, गीली है ... उल्लेखनीय है कि गिर्दा लंबे समय से कुमाऊं की लोक धारा पर गीत लिख रहे हैं। ...
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28 अप्रैल 2009 ... उत्तराखण्ड के अमर शहीदों को प्रसिद्द जनकवि गिरीश तिवारी "गिर्दा" की श्रद्दांजलि ... २४ सितम्बर, २००० को गिर्दा ने गैरसैंण रैली में यह छ्न्द कहे थे, जो सच भी हुये ...
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BBC Hindi - भारत - उत्तराखंड के जनकवि ...
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22 अगस्त 2010 ... गिर्दा की बहुत बड़ी उपस्थिति थी न सिर्फ़ उत्तराखंड में बल्कि पूरे देश की लोक-सांस्कतिक चेतना में. उनके गीतों में क्रांतिकारिता थी. उनके बिना पहाड़ की संस्कृति की ...
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समापन सत्र में लोक कवि गिरीश तिवारी 'गिर्दा' व नरेंद्र सिंह नेगी की जुगलबंदी के साथ 'उत्तराखंड गाथा' स्लाइडशो का प्रदर्शन किया गया। राजपुर रोड स्थित एक होटल में ...
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गिर्दा - English translation - bab.la Hindi-English dictionary
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Translation for 'गिर्दा' in the free Hindi-English dictionary and many other English translations.
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जय भारत! जय उत्तराखण्ड!! JAY BHARAT! JAY ...
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9 अप्रैल 2008 ... उत्तराखण्ड आन्दोलन का गिर्दा द्वारा लिखित कविता ! (बागस्यरौक गीत) ... 1 comments: pushpesh said... अति सुन्दर रचना है, नेट पर गिर्दा को उपलब्ध कराने के लिये आपका धन्यवाद. June 4, 2008 3:55 AM ...
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जैता एक दिन तो आलो, ऊ दिन यो दुनी में
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24 नवं 2009 ... गिर्दा अपनी कविताओं से जनसमस्याओं और इसके समाधान के लिये बने शासन-प्रशासन के तंत्र पर तीखे तंज भी कसते रहते हैं, उत्तराखण्ड की कोई भी समस्या हो, कोई भी आन्दोलन हो, ...
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दैनिक ट्रिब्यून » News » 'हिमाचल की गूंज ...
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लोकगायक गिर्दा व नरेन्द्र सिंह नेगी के गीतों की पृष्ठभूमि में इतिहासकार प्रो. पाठक ने दर्शकों को उत्तराखंड के वर्तमान व इतिहास की सैर कराई। आखिरी दिन पेंगुइन यात्रा की ...
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dainiktribuneonline.com/.../हिमाचल-की-गूंज-समारोह-ने-अ/ - संचित प्रति
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Yahoo! - Jagran - Yahoo! India - News
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समापन सत्र में लोक कवि गिरीश तिवारी 'गिर्दा' व नरेंद्र सिंह नेगी की जुगलबंदी के साथ 'उत्तराखंड गाथा' स्लाइडशो का प्रदर्शन किया गया। राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित ...
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in.jagran.yahoo.com/news/.../4_5_6311090.html - संचित प्रति
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Blogvani.com - Blog Articles related to garhwali song
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कुछ लोग शहीद हुए तो कुछ लोगों नें अपनी कलम के माध्यम से अपनी बात रखी, चाहे वह गिरीश चन्द्र तिवारी 'गिर्दा' हों या फिर नरेन्द्र सिंह नेगी। नेगी जी के गाये कुछ गीत जैसे "मथि ...
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www.blogvani.com/posts/tag/garhwali%20song - संचित प्रति
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Insight TV News
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16 अगस्त 2010 ... स्वाधीनता दिवस पर जनप्रिय कवि गिरीश तिवाडी'गिर्दा' ने अपने जानेमाने गीत की तान छेडी तो नगर ... स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित मुशायरे में गिर्दा ने सावन में ...
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www.insighttvnews.com/go.php?show...id... - संचित प्रति
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caIna maoM haolaI
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ये परंपरा वहां भले ही खत्म हो गई हो लेकिन यहां आज भी कायम हैं. गिरीश गिर्दा ... कुमाऊं के प्रसिद्द जनकवि गिरीश गिर्दा ने बैठ होली के सामाजिक शास्त्रीय संदर्भों और इस पर इस्लामी ...
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Desh Vides Se.....................
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राज्य के तीन कलाकारों क्रमश: गिरीश तिवारी गिर्दा, नरेंद्र नेगी व शेखर पाठक ने अमेरिका से ... उल्लेखनीय है गिर्दा, नेगी व पाठक 23 जुलाई को उत्तराखण्ड एसोसिएशन आफ नार्थ ...
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उत्तराखंड मैं लोक गीतों का जब भी जिक्र होगा गिर्दा के बिना वह अधूरा ही रहेगा ! गिरीश तिवारी 'गिर्दा' ने अपनी कविताओं को जनता के स्वर दिए है ! पहाड़ के तमाम जनांदोलन मैं शामिल ...
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कुमाऊनी गीत - स्व० गोपाल बाबू गोस्वामी (Gopal Babu Goswami)
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15 पोस्ट - 2 लेखक - अंतिम पोस्ट: 29 मार्च
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ब्रजेन्द्रलाल साह की नज़र पड़ी और उन्होंने नैनीताल में रहने वाले अपने शिष्य (अब प्रख्यात लोकगायक) गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' के पास भेजा कि इस लड़के को 'देख लें'. ...
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www.pahariforum.net/forum/index.php?topic=11... - संचित प्रति
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धौंसिया.....! : चिट्ठाजगत : धड़ाधड़ छप ...
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राज्य बनने की आठवीं वर्षगांठ पर जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की एक कविता तुम पूछ रहे हो आठ साल, उत्तराखण्ड के हाल-चाल? कैसे कह दूं, इन सालों में, कुछ भी नहीं घटा ... सम्बंधित लेख ...
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chitthajagat.in/?chitthakar=धौंसिया.....! - संचित प्रति
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BBCHindi.com | पत्रिका | कुमाऊँ में होती है ...
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21 मार्च 2008 ... ये परंपरा वहां भले ही खत्म हो गई हो लेकिन यहां आज भी कायम हैं. गिरीश गिर्दा ... कुमाऊं के प्रसिद्द जनकवि गिरीश गिर्दा ने बैठ होली के सामाजिक शास्त्रीय संदर्भों और इस पर ...
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www.bbc.co.uk/.../080321_holi_kumaon.shtml - संचित प्रति - iGoogle में जोड़ें
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Amar Ujala
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21 फ़र 2010 ... इस मौके पर गिरीश तिवारी गिर्दा, देवेंद्र कुमार, नीरज साह, अक्षय साह, राजीव लोचन साह, अक्षय साह, अरुण साह, अभिषेक, अनंत नारायण, कवीश नंदा समेत बैंक के कर्मचारी एवं जन ...
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beta.amarujala.com/.../04_SB8K8xLLM9MSSzPy8xBz9CP0os_jQIB-PMANPEwOLwGBjA0-LMCcfl0BTYwMXU_2Cb... - संचित प्रति
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Uttaranchal | उत्तरांचल » संस्मरणः वह एक ...
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1 अगस्त 2007 ... जानकारी के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया. गिर्दा और नरेंद्र नेगी की जुगलबंदी को सुनने का मुझे भी मौक़ा मिला है. सामाजिक प्रतिबद्धता उनके गीतों को और ज़्यादा बड़ा बनाती है. ...
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www.readers-cafe.net/.../narendra-sing-negi-sekhar-pathak-girda-meet/ - संचित प्रति - समान
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GBG1 - WikiUttarakhand
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29 Apr 2008 ... ब्रजेन्द्रलाल साह की नज़र पड़ी और उन्होंने नैनीताल में रहने वाले अपने शिष्य (अब प्रख्यात लोकगायक) गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' के पास भेजा कि इस लड़के को 'देख लें'. ...
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bedupako.wetpaint.com/page/GBG1 - संचित प्रति
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देश/ विदेशको समाचारः एचकेनेपाल डट कम ...
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3 Jan 2009 ... अरुसित विवाह हुन लागेकी गोरखा भूतपूर्व सैनिककी कुमारी छोरीलाई बदनाम गरी आफ्नो राक्षसी पञ्जामा फसाउन गोपाल यतिसम्म गिर्दा रहेछन्, यति निकृष्ट रुप देखाउन ...
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hknepal.com/wp/?p=8255 - संचित प्रति - समान
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Hindi - List of Books in Hindi | pahar
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गिरीश तिवाडी 'गिर्दा'. book_cover_019.jpg. Long poem related generally with social movements of Uttarakhand and specially with the Uttarakhand state movement. Girish Tiwari "Girda" is a famous poet, dramatist and cultural activist of Uttarakhand and also an active member of pahar editorial team. ...
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www.pahar.org/drupal/publication/hindi - संचित प्रति
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गिरीश तिवाड़ी \'गिर्दा\' : समाज ...
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30 जून 2010 ... गिरीश तिवाड़ी \'गिर्दा\' : चिट्ठाजगत: Hindi Blogs, Hindi Blog, Aggregator, Search, Chitha, Chittha, Chitthe, Chitthi, Chithha, Chithhe.
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samaj.chitthajagat.in/?...गिरीश%20तिवाड़ी%20'गिर्दा' - संचित प्रति
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हम मैहनतकश जग वालों से
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1 मई 2008 ... उत्तराखण्ड के जनकवि श्री गिरीश तिवाड़ी "गिर्दा" की इस रचना पाडकास्ट पर सुनकर बहुत अच्छा लगा। Satish Yadav. May 30, 2008 at 7:50 am | Permalink. बहुत अच्छा लगा। shanker singh. June 25, 2008 at 7:26 pm | Permalink ...
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kakesh.com/.../ham-mehanat-kash-by-girda/ - संचित प्रति - समान
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News
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शनिवार को प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए रंगकर्मी गिर्दा ने स्वयं की संस्कृति, ... इस मौके पर गिर्दा ने स्वरचित कविताएं भी सुनाई। अल्मोड़ा परिसर के गणित विभाग के प्रो. ...
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www4.jagran.com/news.aspx?id=596727&code... - संचित प्रति
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पहाड़ में जमीनों की अंधाधुंध खरीद ...
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25 जन 2010 ... इस अवसर पर जनकवि गिरीश तिवारी 'गिर्दा' ने कहा कि राज्य गठन के नौ साल बाद ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। उलोवा के अध्यक्ष शमशेर बिष्ट ने पदयात्रा को ...
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uttarakhandlive.in/?p=3487 - संचित प्रति
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Yolike Videos - शोषण videos
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नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? *******************************************Please need your Support ! Join Me in facebook , Follow Me in... channelnicky; Length: 10:4; Tags: channelnicky beware nepali actor ...
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www.yolike.com/video/शोषण/ - संचित प्रति
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Indian Holocaust My Father`s Life and Time: Our Poet GIRDA is Not ...
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आप लोग अवगत ही हैं कि उत्तराखण्ड के जनकवि श्री गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" एक ऎसे कवि ... गिर्दा अपनी कविताओं से .... Translation for 'गिर्दा' in the free Hindi-English dictionary and many other English translations. ...
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indianholocaustmyfatherslifeandtime.blogspot.com/.../our-poet-girda-is-not-well-and-nether.html
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पहाड़ के बाबत | pahar
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अपने मुलुक का भूगोल, डॉ किरण त्रिपाठी, 1997. उत्तराखण्ड का एतिहासिक भूगोल (६ से ११ शताब्दी), तारा चंद्र त्रिपाठी, 1999. उत्तराखण्ड काव्य, गिरीश तिवाडी 'गिर्दा', 2002 ...
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www.pahar.org/drupal/node/416 - संचित प्रति - समान
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helpless people of uttarakhad
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31 मई 2010 ... उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान जनकवि 'गिर्दा' ने एक गीत के माध्यम से राज्य के भावी स्वरूप का खाका खींचा था। उन्होंने इस गीत के माध्यम से सपन्न और आत्मनिर्भर राज्य ...
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charutiwari.merapahad.in/.../helpless-people-of-uttarakhad/ - संचित प्रति
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Hindi Blogs | clipped.in
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मेरे लिए गिर्दा हिंदी में लुप्त होती जनकवियों की परम्परा के अंतिम वारिसों में एक थे। मेरे मन में उनके लिए वही प्यार और सम्मान है जो नागार्जुन के लिए रहा। आज वो साथ छोड़ गए। ...
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clipped.in/Hindi - समान
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Hemwati Nandan Bahuguna Garhwal University - HNBGU | Courses & Schemes
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गिरीश तिवारी 'गिर्दा' राजमुकुट : गोविन्द वल्लभ पंत अष्टावक्र : बजेन्द्र लाल शाह खाड़ू लापता : ललित मोहन थपलियाल पन्ना : गोविन्द वल्लभ पंत अजुवा बफौल : एजेन्द्र बोरा युद्धमन : ...
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hnbgu.ac.in/index.php?option... - संचित प्रति - समान
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English - Hindi dictionary - P: penny - pertain - page 4
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परिधि, घेरा, गिर्दा. perish (vi) १. मिट जाना, मर जाना, नष्ट हो जाना, बरबाद हो जाना. perishable (a) १. नाशवान, विनाशी, नश्वर. perishable (n) १. खराब हो जानेवाली वस्तु. perjure (vt) १. झूठी कसम खाना. perjured (a) १. ...
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english-hindi.classicdictionary.info/P/page-4.html - संचित प्रति
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शोषण videos
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नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? *******************************************Please need your Support ! Join Me in facebook , Follow Me in... http://www.completeza.com ...
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www.completeza.com/.../शोषण/ - दक्षिण अफ्रीका - संचित प्रति
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शोषण मई - Guarda il video - Kendin Coş
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बिचरा our Nepali Actress , Becareful Everytime ( HQ ) नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? *******************************************Please need you.. 07/04/2010 1.34.47 | Colpire: 0 ...
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it.kendincos.net/video-htffddvh---.html - संचित प्रति
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BdYouTube.com - यौन videos
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नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? *******************************************Please need your Support ! Join Me in facebook , Follow Me in... channelnicky; Length: 10:4; Tags: channelnicky beware nepali actor ...
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bdyoutube.com/यौन/ - संचित प्रति
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सर्व सक्तिमान IPl महाराज की जय हो ...
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23 अप्रैल 2010... पैदा कहाँ से होते हैं , और फिर गायब कहाँ हो जाते हैं , क्यूँ की इन पंडितों मैं से तो कई ऐसे हैं जिनको कभी हिन्दुतानी टीम के इर्द गिर्दा भटकने का मौका भी नसीब नहीं हुआ. ...
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jagranjunction.com/.../सर्वा-सक्तिमान-ipl-महाराज-की/ - संचित प्रति
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Sakshatkar.com
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जिसके तहत मशहूर कथाकार विद्यासागर नौटियाल, दलित लेखक और चिंतक ओमप्रकाश वाल्मीकि से इंटरव्यू, जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा और हिंदी के वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल की कविताएं, ...
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sakshatkar.hindiblogs.net/page/12/ - संचित प्रति
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जन्म से ही गलत दिशा में चला गया ...
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राज्य आंदोलनकारी व जनकवि गिरीश तिवारी उर्फ गिर्दा का मानना है कि उत्तराखण्ड जन्म से गलत दिशा में चला गया है। राज्य विरोधी ताकतों को सूबे के भूगोल में शामिल करने से हालात अधिक ...
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article.wn.com/.../WNAT4e5d83ae231d4f67a1d1d461319ebfc7/ - संचित प्रति
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Basti - A Hindi Book by - Intjar Husain - बस्ती ...
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पूछा, 'कोहे-क़ाफ़ के गिर्दा-गिर्द क्या है ? फ़रमाया, सात ज़मीन। पूछा, सात ज़मीनों के गिर्द क्या है ? फ़रमाया, अजदहा। पूछा, अजहदे के गिर्द है ? फ़रमाया, अजगहा। पूछा, ज़मीन के नीचे ...
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vedantijeevan.com/bs/home.php?bookid=3812 - संचित प्रति
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BustVideo - यौन
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नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? *******************************************Please need your Support ! Join Me in facebook , Follow Me in Twitter I am Really Thankful For your Support and responses Which has ...
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www.bust-video.info/tag/Video/यौन/?language... - संचित प्रति
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kailash pandey - Google Profile
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कविता- मंगलेश डबराल, गिरिश तिवारी "गिर्दा", उर्मील कुमार थपलियाल. साहित्य, रंगमंच, चित्रकला, संस्कृति पर बन्धुकुशावर्ती, ललित पोखरिया, डा० भुषण साहू आदि के लेख ...
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zoogle.ubik.net/profiles/116690838543338499642 - संचित प्रति
UTTARAKAHND E-PORTAL
यह साईट आपके कम्प्यूटर को हानि पहुंचा सकती है.जब की मंगलेश डबराल, नरेन्द्र नेगी, मनु पंवार, बची राम कौंसवाल, अतुल शर्मा, जनकवि गिरीश तिवारी 'गिर्दा', चारू चन्द्र चंदोला सहित राजेन तोडरिया ने अपनी कलम का जादू फिर से दिखाया ...
premarora.com/
पत्रकार शिवप्रसाद की वेबसाइट 'हिलवाणी'
3 जुलाई 2010 ... जिसके तहत मशहूर कथाकार विद्यासागर नौटियाल, दलित लेखक और चिंतक ओमप्रकाश वाल्मीकि से इंटरव्यू, जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा और हिंदी के वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल की ...www.bhadas4media.com/.../5590-shiv-hillwani.html - संचित प्रति
KhanTV.Com - nepali actress videos
- [ इस पृष्ठ का अनुवाद करें ]नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? *******************************************Please need your Support ! Join Me in facebook , Follow Me in... channelnicky; Length: 10:4; Tags: channelnicky beware nepali actor ...
www.khantv.com/nepali+actress/ - संचित प्रति
गिर कर | में नदी गिरने डूबे गिरी ...
का जब भी जिक्र होगा गिर्दा के बिना वह अधूरा ही रहेगा ! गिरीश तिवारी 'गिर्दा' ने अपनी कविताओं को जनता के स्वर दिए है ! पहाड़ के तमाम जनांदोलन मैं शामिल... सुनाई देती है ! ...search.webdunia.com/gujarati/tag/गिर-कर.html - संचित प्रति
:: दुई मुक्तक by Bharatmani Chongbang
जा-गिर्दा गिर्दा म निगालोको भाटा भएको छु, कति मान्नु फन्टुस् हूकुमहरु म बतास चल्दाको छता भएको छु, न भोक, न तिर्खा तपाईको सेवा गरिरहदा, हजूरलाई नै पहिर्याउने खादा भएको छु । ...www.tanneri.com.np/new/readarticle.php?AID... - संचित प्रति
अभी भी है जंग जारी, वेदना - Jagran Yahoo! India ...
इस मौके पर राहत इंदौरी, वेदव्रत बाजपेयी, रामेंद्र त्रिपाठी, लोकेश नवानी, कविता तिवारी, प्रदीप चौबे, गिरीश तिवारी गिर्दा, सुनील जोगी, वीणापाणी जोशी, अनूप श्रीवास्तव, ...in.jagran.yahoo.com/.../index.php?... - संचित प्रति
0 Comments - Uttarakhand Community Portal : Ghughuti - A Sweet ...
1 पोस्ट - अंतिम पोस्ट: 9 अगस्तसांस्कृतिक टीमों के चयन में निर्णायक की भूमिका में रंगकर्मी, जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा, शिवचरण पांडे, जुगल किशोर पेटशाली, मोहन सिंह डोलिया के अतिरिक्त सूचना ...
www.ghughuti.com/dignews/display.../id_3400/ - संचित प्रति
और वार्तालाप परिणाम प्राप्त करें
YouTube - बिचरा our Nepali Actress , Becareful Everytime ( HQ ) | ||||||
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- 10 मिनट - 14 अगस्त 2009 नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? ******************* ************************ Please need your Suppor... www.youtube.com/watch?v=5Jb7NSnm7qc - more videos » |
चारु तिवारी: Page 2
2 जून 2010 ... उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान जनकवि 'गिर्दा' ने एक गीत के माध्यम से राज्य के भावी स्वरूप का खाका खींचा था। उन्होंने इस गीत के माध्यम से सपन्न और आत्मनिर्भर राज्य ...charutiwari.merapahad.in/author/charutiwari/.../2/ - संचित प्रति
Uttaranchal | उत्तरांचल » विडियोः नरेन्द्र ...
26 सितं 2007 ... Comments (14). ganga rawat says: October 25, 2007 at 9:10 am. namskar ji ganga singh rawat china. SURENDER SINGH RAMOLA says: November 4, 2007 at 12:22 pm. नमस्कार जी नरेंदर सिंह जी और गिर्दा के जुन्गाल्बंदी की मी सुरेंदर सिंह रमोला ...www.readers-cafe.net/.../09/.../comment-page-1/ - संचित प्रति
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E - Vision Technocraft - Welcome To Srijan Samvad
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... देवेश ठाकुर, महेन्द्र सिंह मटियानी, नवीन जोशी, हिमांशु जोशी, नवीन कुमार त्रिपाठी, गिरीश तिवारी गिर्दा, राजेन्द्र यादव, पंकज बिष्ट, राजकिशोर, यश मालवीय, हरीश चन्द्र पाण्डेय, ...
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srijansamvad.com/Seema.html - संचित प्रति
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Sex exploitation of Nepali Actresses
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Sex exploitation of Nepali Actresses. (1/1). tundikhel: How Nepali Actresses are exploitated sexually in film industries नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? http://www.youtube.com/watch?v=5Jb7NSnm7qc ...
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forum.xnepali.com/index.php?topic=10384.0;... - संचित प्रति
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आमा और जंबू का धुंगार..
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23 जन 2008 ... इस संदर्भ में गिर्दा की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं-. मुश्किल से आमा का चुल्हा जला है…..। (चौमासा का दिन छन, लाकड़ा-पातड़ा सब भीज रईं) मुश्किल से आमा का चूल्हा जला है, ...
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kakesh.com/2008/aama-ki-narai/ - संचित प्रति
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words starting with P - विक्षनरी
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5 अगस्त 2007 ... परिधि, घेरा, गिर्दा. perish ( VI ) १. मिट जाना, मर जाना, नष्ट हो जाना, बरबाद हो जाना. perishable ( A ) १. नाशवान, विनाशी, नश्वर. perishable ( N ) १. खराब हो जानेवाली वस्तु. perjure ( VT ) ...
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hi.wiktionary.org/wiki/words_starting_with_P - संचित प्रति
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BBC Hindi - भारत - उत्तराखंड में होली की ...
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1 मार्च 2010 ... होली मर्मज्ञ एवं संस्कृतिकर्मी रहे गिरीश तिवारी 'गिर्दा' कहते हैं, ''बैठकी होली अपने समृद्ध लोकसंगीत की वजह से यहाँ की संस्कृति में रच बस गई है. यह लोकगीत न्योली जैसे ...
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https://www.bbc.co.uk/.../100228_uttarakhand_holi_dps.shtml - संचित प्रति - iGoogle में जोड़ें
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Indiga.Hindi.Diccionario.P
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परिधि, घेरा, गिर्दा perish VI १. मिट जाना, मर जाना, नष्ट हो जाना, बरबाद हो जाना perishable A १. नाशवान, विनाशी, नश्वर perishable N १. खराब हो जानेवाली वस्तु perjure VT १. झूठी कसम खाना perjured A १. ...
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www.indiga.org/lhindi/dic/dic_eh_p.php - संचित प्रति
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Uttarakhand Daily New - WikiUttarakhand
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13 फ़र 2009 ... इस दौरान जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा के जनगीत- ओ जैंता एक दिन तौ आलो दिन यो दूनी में. व डा.अतुल शर्मा के गीत-नदी तू बहते रहना.. गाकर यात्रा का समापन किया गया। Post reply ...
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bedupako.wetpaint.com/thread/2238300/?offset... - संचित प्रति
kailash pandey - Google Profile
कविता- मंगलेश डबराल, गिरिश तिवारी "गिर्दा", उर्मील कुमार थपलियाल साहित्य, रंगमंच, चित्रकला, संस्कृति पर बन्धुकुशावर्ती, ललित पोखरिया, डा० भुषण साहू आदि के लेख इसके अलावा कई नये ...www.google.com/.../116690838543338499642 - संचित प्रति
निर्मल-आनन्द: दायें या बायें
30 जन 2010 ... गिर्दा भी लगता है फिल्म में है. तस्वीर में उनको देखकर, और इससे लगता है कि अगर गिर्दा की कुछ भी संगत होगी, या रही होगी तो फिल्म ये सभी स्थानीय कलाकार बंबई वालों पर भारी ...nirmal-anand.blogspot.com/.../blog-post_30.html - संचित प्रति
हिंदी कवियों लेखकों की जन्मशती ...
गिरीश तिवारी गिर्दा ने गीत के माध्यम से कहा कि प्रतिशोध से ही अभिव्यक्ति की शुरुआत होती है। शेरदा अनपढ़ और अलगोजा वादक लालसिंह रावत ने अपनी कर्णप्रिय प्रस्तुति दी। ...www.swatantraawaz.com/2/janamsathi.htm - संचित प्रति
Local News Paper, Regional News, New Delhi News, Lucknow, Gurgaon ...
10 अगस्त 2010 ... कमेटी के अध्यक्ष नवीन चंद्र जोशी, यज्ञाधीश॒गोविंद गोरिला, ग्राम प्रधान संगठन के ब्लाक अध्यक्ष गिरीश जोशी गिर्दा,॒पूर्व प्रधान नारायण सिंह कपकोटी,॒दयाल चंद्र जोशी, ...www.amarujala.com/city/.../Bagrswar-1159-114.html - संचित प्रति
फोटो गैलरी - UTTARAKAHND E-PORTAL
यह साईट आपके कम्प्यूटर को हानि पहुंचा सकती है.जब की मंगलेश डबराल, नरेन्द्र नेगी, मनु पंवार, बची राम कौंसवाल, अतुल शर्मा, जनकवि गिरीश तिवारी 'गिर्दा', चारू चन्द्र चंदोला सहित राजेन तोडरिया ने अपनी कलम का जादू फिर से दिखाया ...
premarora.com/photo.html
Nepali Actress Jharana Bajracharya Interview. lexlimbu - Watch ...
- [ इस पृष्ठ का अनुवाद करें ]बिचरा our Nepali Actress , Becareful Everytime ( HQ ) नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? *******************************************Please need you.. 4/7/2010 1:34:47 AM | Hit: 0 ...
en.kendincos.net/video-ptnlthl-nepali-actress-jharana-bajracharya-interview-lexlimbu.html - संयुक्त राज्य अमेरिका - संचित प्रति
Udas Naslain - A Hindi Book by - Abdullah Husain - उदास ...
उनके गिर्दा-गिर्द पचास-पचास गज तक जगह खाली पड़ी थी, जहाँ किसी वक्त में बड़ा खूबसूरत बाग़ीचा होगा, लेकिन अब महज़-ख़ुश्क पौधे और टुंड-मुंड दरख़्त खड़े थे हवेली मुद्दत से खाली ...pustak.org/bs/home.php?bookid=3178 - संचित प्रति
Today in History - Worldnews.com
- [ इस पृष्ठ का अनुवाद करें ]15 Aug 2010 ... नायिकाहरु माथिको यौन शोषण , हाम्रा Nepali Director / Producer हरु कति सम्म गिर्दा रैईछन त ? *******************************************Please need your Support ! Join Me in facebook , Follow Me in Twitter I am Really Thankful For your Support and ...
article.wn.com/view/2010/08/.../Today_in_History/ - संचित प्रति
नैनीताल का पहला फिल्म उत्सव | यशस्वी
12 नवं 2009 ... इसी सत्र में फिल्म समारोह स्मारिका का विमोचन भी किया गया और प्रणय कृष्ण, गिरीश तिवाड़ी `गिर्दा´ एवं इस आयोजन के समन्वयक संजय जोशी ने सभा को संबोधित किया। ...yashswi.blogspot.com/2009/11/blog-post_12.html - संचित प्रति
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गिरजे का बगली रास्ता · गिरजे का पूर्वी भाग · गिरजे का पुरोहित · गिरजे के बीच का भाग · गिरजे की जमीन या आमदानी · गिरोह · झिरी · गिरी · गिरी हुई ढेर · गिर्दा · गिर्गिट · गिर्जाघर ...www.websters-online-dictionary.org/.../index24.html - संचित प्रति
लेक सिटी में शनिवार को भी दिन भर रुक-रुककर वर्षा हुई। इस बीच कई बार नगर में घना कोहरा छाया रहा। नगर में पिछले 72 घंटों में तीन सौ मिमी वर्षा हो चुकी है। शनिवार को 27 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। इधर लगातार वर्षा के कारण झील का जल स्तर 10.3 फिट पहुंच गया है। इसे स्थिर बनाये रखने के लिए स्लाइंस गेटों से तीन इंच पानी की निकासी बलियानाले में की जा रही है। झील का जल स्तर फिलहाल अक्टूबर में निर्धारित लेबल से डेढ़ फीट नीचे है। नगर के आसपास के क्षेत्रों में भी शनिवार को वर्षा होने के समाचार हैं।
शनिवार को नैनीताल व उसके आसपास के क्षेत्रों में दिन भर वर्षा हुई। जीआईसी मौसम विज्ञान केंद्र में शनिवार को 27 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। इस तरह पिछले 72 घंटों में नैनीताल में तीन सौ मिमी वर्षा हो चुकी है। यहां न्यूनतम तापमान 16.5 व अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। आर्द्रता अधिकतम 100 व न्यूनतम 80 प्रतिशत दर्ज की गई।
विगत दिनों से हो रही वर्षा के कारण मार्ग बंद होने व खुलने का क्रम जारी है। पिछले दो दिन से भूस्खलन के कारण बंद हुआ नैनीताल हाईवे शनिवार को यातायात के लिए खुल गया है। सायंकाल को नैना गांव में पुन: मलबा आने से मार्ग बंद हो गया। जिसे कुछ समय बाद खोल दिया गया। शनिवार को भवाली मार्ग, कालाढूंगी मार्ग व पंगूठ मार्ग में पेड़ गिरने से घंटों यातायात ठप रहा। उधर पदमपुरी मार्ग के चांफी में वन विभाग की नर्सरी बालू से पट जाने के कारण नष्ट हो गई। अभी कई सम्पर्क मार्ग बंद पड़े हैं।
मालूम हो पर्वतीय क्षेत्र में अब भी रुक रुककर वर्षा हो रही है। अभी मार्गो के पुन: बंद होने की आशंका भी जताई जा रही है। नैनीताल हाईवे के आम पड़ाव में मार्ग धंसने व नैना गांव में भारी भूस्खलन के कारण पिछले दो दिनों से मार्ग बंद था। शनिवार को यातायात के लिए खोल दिया है। इस मार्ग में भारी वाहन न चलाये जाने की चेतावनी भी दी गई है। शनिवार को नैनीताल-भवाली मार्ग के कैंट पार्क में तथा कालाढूंगी मार्ग के बारापत्थर में पेड़ गिरने से घंटों यातायात बाधित हो गया जिसे बाद में खोल दिया गया।
उधर नैनीताल-पंगूठ-कुंजखड़क मार्ग में पेड़ गिरने व मलबा आने से तीन दिन मार्ग बंद रहा जिसे शनिवार को खोल दिया गया है। इधर पिनरौ-नौकुचियाताल मार्ग, बेब्ररी-रानीबाग मार्ग, ज्योलीकोट-सड़ियाताल मार्ग, हल्द्वानी-हैड़ाखान मार्ग, ओखलकांडा-हैड़ाखान मार्ग सहित कई सम्पर्क मार्ग बंद पड़े हैं। ग्रामीणों को आवाजाही में दिक्कतें आ रही है। उधर भीमताल-पदमपुरी मार्ग के चांफी नामक स्थान में भूमि संरक्षण विभाग की एक नर्सरी नाले में आई बाढ के कारण बालू से पट गई है। उप प्रभागीय वनाधिकारी भूमि संरक्षण आनंद आर्या ने बताया नर्सरी में बांज व उतीस के 24 हजार तथा एलबेरा के 13 हजार पौधे नष्ट हो गये है।
अचानक जल स्तर बढ़ने से नैनी झील से गुरुवार को पानी की निकासी करनी पड़ी। इस दौरान झील से हजारों की संख्या में मछलियां बलियानाला में बह गयीं। यह माजरा देख मछली के शौकीन लोग जान जोखिम में डालकर उफनते बलियानाले में उतर गये और उन्होंने जमकर मछलियां बटोरीं। कई लोगों ने जाल लगाकर भी मछलियां पकड़ीं। इस दौरान धोबीघाट के पास एक युवक नाले में बहने से बाल बाल बच गया। मछली पकड़ने के दौरान तमाशाई भी जुटे रहे, लेकिन पुलिस प्रशासन ने इसकी ओर कतई कोई ध्यान नहीं दिया।
ज्ञातव्य है नैनी झील से जल निकासी के लिए पांच चैनल बने हैं। इन चैनलों में लगी जालियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं, लेकिन प्राधिकरण व लोक निर्माण विभाग द्वारा टूटी जालियां ठीक नहीं करायी जा रही है। जिसके चलते गुरुवार को नैनी झील का पानी छोड़ते ही हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी मछलियां बलियानाले में बह गयी। झील में मत्स्य बीज डालने के लिए हर साल झील विकास प्राधिकरण द्वारा लाखों रुपए खर्च किए जाते है, लेकिन मछलियों को इस तरह नालों में बहने के लिए छोड़ दिया जाता है। यह शासकीय धन की बर्बादी नहीं तो और क्या है।
वर्षा से नवनिर्मित खुर्पाताल बल्दियाखान मार्ग कई स्थानों में ध्वस्त हो गया है। उधर खूपी तोक में मार्ग दो फीट धंस गया है जबकि नैनीताल एनएच के आम पड़ाव में मार्ग डेढ़ फीट धंस गया है। इधर तल्ला कृष्णापुर वार्ड में दीवार गिरने से एक मकान ध्वस्त हो गया।
ज्ञातव्य है पूर्व में भारी वर्षा से बल्दियाखान-खुर्पाताल मार्ग कई स्थानों में ध्वस्त हो गया। गत दिन से हो रही वर्षा के कारण इस मार्ग के मल्ला ताकुला व रूसी में मार्ग कई स्थानों में ध्वस्त हो गया है। उधर नैनीताल एनएच के आम पड़ाव के पास मार्ग पुन: धंस गया है। ज्ञातव्य है पिछले वर्ष भी इस स्थान पर मार्ग धंस गया था। जिसे पन्द्रह लाख खर्च कर ठीक किया गया था। एनएच के सहायक अभियंता पीसी जोशी ने बताया कि आम पड़ाव में भू कटाव के कारण भूमि धंस रही है। जिसे शीघ्र ठीक कर लिया जायेगा। उधर खूपी तोक में भी भूधंसाव के कारण मार्ग लगभग दो फीट धंस गया है। इस स्थान पर दुर्घटना होने का खतरा पैदा हो गया है। गेठिया से मस्जिद तिराहे तक कई स्थानों में मलबा आने से मार्ग अत्यधिक संकरा हो गया है। एनएच के सहायक अभियंता एमपीएस कालाकोटी ने बताया कि इस मार्ग का बरसात के बाद जीर्णोद्धार होना है। फिलहाल खतरे वाले स्थानों पर कार्य कराया जा रहा है। इधर नगर से सटे तल्ला कष्णापुर में दीवार ढहने से जीवन लाल का मकान ध्वस्त हो गया। परिवार के सदस्य बाल बाल बच गये। परिवार ने एक टिन शेड में शरण ली है। पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष डीएन भट्ट ने प्रशासन से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है।
देवभूमि संस्कृति की थाह ले सकेंगे पर्यटक
देश-विदेश के पर्यटकों, सैलानियों, श्रद्धालुओं और शोधार्थियों को देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक, सामाजिक, एतिहासिक, पुरातात्विक धरोहरों, अनछुए पहलुओं और गतिविधियों की थाह सहजता से ले सकेंगे। इस दायरे में सांस्कृतिक परिसर, हिमालयन म्युजियम और ललित कला अकादमी के रूप में कार्ययोजना सरकार ने तैयार की है।हिमालयी अंचल उत्तराखंड की समृद्ध धरोहरों, संस्कृति और ललित कला को प्रोत्साहन और संरक्षित करने की सरकार की योजना आने वाले वर्षो में परवान चढ़ने को है। प्रकृति की खूबसूरती से अटे पड़े इस क्षेत्र के बारे में पर्यटकों को और ज्यादा जानकारी मिल सकेगी। इसके लिए तैयार की गई विस्तृत कार्ययोजना 13वें वित्त आयोग की मदद से जमीन पर उतरेगी। धन मिलने में अड़ंगा न लगे, इस वजह से उक्त योजनाओं के लिए 'जमीन' तैयार कर ली गई है। शिक्षा में पहचान कायम कर चुकी दूननगरी और इसके नजदीक संस्कृति की छटा बिखरेगी।
दून में सूबे की सांस्कृतिक विरासत सहेजने को सांस्कृतिक परिसर की स्थापना होगी। इसके लिए इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कौलागढ़ के समीप भूमि चयन की कार्रवाई को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 20 करोड़ की लागत से यह परिसर बनेगा। इसे 13वें वित्त आयोग में प्रस्तावित किया जा चुका है। दून में ही ललित कला अकादमी की स्थापना को सरकार ने रेंजर्स कॉलेज पसंद किया है। कॉलेज की भूमि संस्कृति महकमे को ट्रांसफर करने को केंद्र सरकार को पत्र भेजा जा चुका है। अकादमी की स्थापना का खर्च राज्य को खुद वहन करना पड़ेगा। इस कड़ी में 25 करोड़ लागत से हिमालयन म्युजियम बनाने के लिए ऋषिकेश में आईएसबीटी नजदीक तकरीबन दस एकड़ वन भूमि के हस्तांतरण की कार्रवाई शुरू की गई है। म्युजियम में चार तीर्थ धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के साथ ही विभिन्न देव स्थलों, मंदिरों की अनुकृति, पुरातात्विक स्थलों, शिल्पकला, सिक्कों, ऐतिहासिक धरोहरों को विभिन्न गैलरी के माध्यम से पेश किया जाएगा। संस्कृति निदेशक बीना भट्ट के मुताबिक सरकार का फोकस उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर सहेजने के साथ ही उसे प्रोत्साहित करने पर है। धन उपलब्ध होते ही इन योजनाओं को जल्द पूरा किया जाएगा।
पीएम ने जाने सूबे में आपदा के हालात
'अब तक 69 की मौत और 173 घायल, 945 सड़कें और 887 पेयजल योजनाएं बहीं। पचासों मकान ध्वस्त और अब तक साढ़े तीन हजार करोड़ की संपत्तिका नुकसान। उस पर राज्य सरकार के सीमित संसाधन'। ऐसे में सूबे में आपदा से किस कदर बदहाली होगी, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है।शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक को फोन किया और राज्य में ज्यादा बारिश से पैदा हुई दिक्कतों के बारे में पूछा। इस पर डॉ. निशंक ने पीएम को इस देवभूमि में आपदा की भयावह स्थिति से अगवत कराया। इसके बाद एनेक्सी में पत्रकारों से बातचीत में सीएम ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजकर राज्य के लिए पांच हजार करोड़ का पैकेज मांगा है। सीएम ने कहा कि पूरे प्रदेश में हालात खराब हो रहे हैं। पांच से सात लाख लोग ज्यादा बारिश, भूस्खलन आदि से प्रभावित हो रहे हैं। सड़के खराब हो गई हैं तो पेयजल लाइनें और सिंचाई नहरें बह गई है। कई स्थानों पर भू-स्खलन का खतरा बरकरार है। उन्होंने कुमाऊं और गढ़वाल में कई स्थानों का खुद दौरा करके लोगों की परेशानी को देखा और समझा है। सरकार प्रभावित लोगों की हर संभव मदद कर रही है। फिर भी राज्य के सीमित संसाधन आड़े आ रहे हैं। खतरे की जद में चिन्हि्त एक सौ गांवों के विस्थापन में पैसे के साथ ही जगह की कमी समस्या पैदा कर रही है। उन्होंने पीएम ने विस्थापितों के लिए वन भूमि उपलब्ध कराने का आग्रह भी किया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में राहत कायरें का खाका खींच लिया गया है। जनता थोड़ा सा धैर्य रखे, सूबे की सरकार हर कदम पर लोगों की मदद करने को तैयार है। सीएम ने कहा कि लोहारीनाग-पाला विद्युत परियोजना स्थगित करने के बारे में आधिकारिक सूचना तो नहीं मिली है पर अन्य माध्यमों से पता चला है। पीएम ने उनके पत्र की एक मांग स्वीकार कर ली है। अब दो हजार मेगावाट बिजली देना स्वीकार होने पर वे अपनी पूरी कैबिनेट के साथ दिल्ली जाकर पीएम का आभार व्यक्त करेंगे। इस वार्ता के दौरान काबीना मंत्री प्रकाश पंत, मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल व आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव भाष्करानंद भी मौजूद रहे।
ओखलकांडा के कई स्कूल जर्जर, बच्चों को खतरा
विकास खंड ओखलकांडा के कई स्कूल भवन अत्यधिक जर्जर हो गये हैं। इन भवनों के कई हिस्से वर्षा से क्षतिग्रस्त हो गये। शनिवार को ग्रामीणों के शिष्टमंडल ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन देकर तुरन्त हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग की ताकि यहां सुमगढ जैसी घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।क्षेत्र पंचायत सदस्य राम सिंह कैड़ा के नेतृत्व में ग्रामीणों के शिष्टमंडल ने जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि ओखलकांडा के ग्राम सभा टांडा स्थित जूनियर हाईस्कूल का एक कक्षा-कक्ष वर्षा में नाले में समा गया है। इसके अलावा दो कक्षों में दरारें आ गई हैं। ग्राम सभा जान सिमलकन्या के जूनियर हाईस्कूल का पूरा भवन गिरने की स्थिति में है। इससे बच्चों को खतरा बना हुआ है। इसके अलावा पुटगांव प्राइमरी पाठशाला व पोखरी प्राइमरी स्कूल के भवन भी जर्जर स्थिति में है। शिष्टमंडल ने डीएम से अनुरोध किया है कि वह शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित कर पूरे विकास खंड में विद्यालयों का आंकलन कराने को निर्देशित करें।
Sunday, August 22, 2010
जनकवि गिर्दा नहीं रहे .....
गिर्दा को याद करते हुए एक पोस्ट लगा रहा हूँ, जिसे दो साल पहले कबाडखाना में लगाया था. अभी बिलकुल अभी व्यक्ति गया है पर स्मृतियों से पूरा आकाश भरा है...ये आँसूं तुम्हारे ही लिए हो सकते थे गिर्दा.....हमारी ग़लतियों और कोताहियों के लिए हो सके तो माफ़ कर देना।
ये वीडियो छोटे भाई और साधना न्यूज़ में पत्रकार प्रिय बीरेंद्र बिष्ट के सौजन्य से....कैमरे में क़ैद गिर्दा के कुछ अंतिम ऊर्जावान पलों की इस प्रस्तुति के लिए अनुनाद परिवार उनका आभारी है....
जो नर जीवें खेलें फाग
नैनीताल में युगमंच, श्री रामसेवक सभा, पर्यटन एवं संस्कृति निदेशालय, नैनीताल समाचार, नयना देवी ट्रस्ट, संगीत कला अकादमी, श्री हरि संकीर्तन संगीत विद्यालय आदि के सहयोग से तीन दिन का `होली महोत्सव´ मनाया गया। होली के नागर रूप - बैठी होली से लेकर ठेठ ग्राम रूप - खड़ी होली तक होलियों के कई दौर चले। समापन नैनीताल समाचार के पटांगण में बैठी होली से हुआ। अंत में एक होली जुलूस निकाला गया, जिसमें राजीवलोचन साह ने एक विशिष्ट अर्थच्छाया और व्यंजना के साथ उत्तराखंड की जनभावनाओं से खिलवाड़ करने वाले राजनीतिक दलों, तिब्बत में नरसंहार कर रही चीनी सरकार, अमरीका से एक दुरभिसन्धि में बंध रही भारत सरकार, स्थानीय निकायों के निर्वाचन में खड़े होने वाले प्रत्याशियों आदि के लिए आशीष वचन उचारे। जनकवि गिरीश तिवारी `गिर्दा´ ने स्थानीय निकायों के निर्वाचन की तिथि की घोषणा के बाद के मंज़र पर एक गीत रचा है, जिसे उन्होंने होली जुलूस के साथ घूमते हुए जगह-जगह रुककर सुनाया। कबाड़खाना के साथियों और यात्रियों के लिए प्रस्तुत है यह गीत, लेकिन मूल कुमाऊंनी में। जैसे श्रीलाल शुक्ल के राग-दरबारी के शिवपालगंज में पूरा देश समाया है, वैसे ही गिर्दा के इस गीत में पूरे देश की राजनीति !
मेरी बारी, मेरी बारी, मेरी बारी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
धो धो कै तो सीट जनरल भै छा
धो धो के ठाड़ हुणै ए बारी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
एन बखत तौ चुल पन लुकला
एल डाका का जसा घ्वाड़ा ढाड़ी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
काटी मैं मूताणा का लै काम नी ए जो
कुर्सी लिजी हुणी ऊ ठाड़ी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
कभैं हमलैं जैको मूख नी देखो
बैनर में छाजि ऊ मूरत प्यारी
घर घर लटकन झख मारी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
हरियो काकड़ जसो हरी नैनीताल
हरी धणियों को लूण भरी नैनीताल
कपोरी खाणिया भै या बेशुमारी
एसि पड़ी अलबेर मारामारी
हाइ अलबेरि यो देखो मजेदारी
गद्यात्मक भावार्थ -
मेरी बारी ! मेरी बारी - कहते सोचते हैं चुनावार्थी ! हाय ! इस बार देखिए ये मजेदारी!बड़ी मुश्किल से तो सीट अनारक्षित हुई है, बड़ी मुश्किल से हम खड़े हो पा रहे है। और ये वही लोग है जो विपदा आने पर बिलों में दुबक जाते है पर इस समय तो डाक के घोड़ों की तरह तैनात खड़े हैं (पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में डाक घोड़ों पर ले जायी जाती रही है)। गजब कि बात है कि जो कटे पर मूतने के भी काम नहीं आता, वो कुर्सी की खातिर खड़ा होने में कभी कोताही नहीं करता। कभी जो सूरत नहीं दिखती वही उन बैनरों में चमकती-झलकती है, जो घर-घर लटके झख मारते रहते हैं।
और अंत के छंद में समाया है अपार दुख - कि हरी ककड़ी के जैसा मेरा हरा नैनीताल! हरे धनिए के चटपटे नमक वाले कटोरे -सा भरा नैनीताल ! ऐसे हमारे नैनीताल को नोच-नोच कर खाने चल पड़े हैं ये लोग बेशुमार ! अबकी पड़ी है ऐसी मारामारी !
***
चिठ्ठी पत्री
- चिट्ठी-पत्री : जनता जागरूक बने और सक्रिय सहभागिता निभाये
- चिट्ठ्ठी – पत्री : कहीं कुछ टूट गया है
- चिट्ठ्ठी – पत्री: संपादक जी आग लगना कुदरती घटना नहीं है
- चिट्ठ्ठी – पत्री : दक्षिण एशिया ही है, जिसे पुरुषों ने अपना मूत्रालय बना रखा है
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7 comments:
yah dukhad khabar kuchh hi der pahale bhai Rajesh saklani ne phone se di thi use confirm karne ke liye hi ANUNAD aur KABADKHANA tak pahuncha hu.salaam is lok kavi. unki smrityon ko fir share karunga.
हम मानवीय प्रेम की उस दुर्लभ छुअन को किसी भी हाल में बचायेंगे...नहीं बचा पाए तो ख़ुद भी नहीं बच पायेंगे।
shrdhanjali!
वे बहुत प्यार भरे शानदार इंसान थे, जिनकी कोमल हथेलियों की छाप हमारे चेहरे और माथे पर हमेशा रहेगी....हमें उस स्पर्श की ज़रुरत हमेशा रहेगी.....हम मानवीय प्रेम की उस दुर्लभ छुअन को किसी भी हाल में बचायेंगे...नहीं बचा पाए तो ख़ुद भी नहीं बच पायेंगे।
आहात हैं हम सभी !विनम्र श्रद्धांजली!
समय हो यदि तो
माओवादी ममता पर तीखा बखान ज़रूर पढ़ें: http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
गिर्दा और पहाड़ जैसे मेरे लिए पर्यायवाची हैं। उनका न रहना भी उतना ही सालेगा जितना किसी पहाड़ का ढह जाना। गिर्दा और उनकी जनकविता को सलाम।
बहुत ही मनहूस खबर है शिरीष! कल के स्थानीय अखबार में उनकी नाज़ुक हालत के बारे में पढ़ा, घबराहट तो थी लेकिन फिर भी ऐसी खबर के लिए दिल तैयार नहीं था। आज रास्ते खराब होने की वजह से अखबार ही नहीं आया और फिर आपकी यह पोस्ट! आप लोग जो पहाड़ की सांस्कृतिक सामाजिक गतिविधियों से सक्रियता से जुड़े हैं, उनके लिए यह कितना बड़ा आघात है समझा जा सकता है, क्योंकि मेरे जैसे लोग जिन्हें गिर्दा के सानिध्य में रहने के अवसर ही नहीं मिला बस चार-पांच पंक्ति की बातचीत या उत्तराखंड आंदोलन के समय उनके जोशीले गीतों के साथ स्वर मिलाने भर के इने-गिने मौकों में ही उनके साथ रह कर ही उनके न रहने की खबर से इतने विचलित हैं। श्रद्धांजलि के अलावा कुछ कहने के लिए अब है ही नहीं।
सही कहा प्रतिभा ने --- नहीं बचेंगे हम भी तब !
गिर्दा जी को नमन। ऐसे जन कवि मुश्किल से पैदा होते हैं।
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कवियों में बची रहे थोड़ी लज्जा ...
वह नहीं जो कंधे छीलता हुआ आततायी की तरह गुज़रता है
बल्कि वह जो एक अनजानी यात्रा के बाद
धरती के किसी छोर पर पहुँचने जैसा होता है
मैं चाहता हूँ स्वाद बचा रहे
मिठास और कडवाहट से दूर जो चीज़ों को खाता नहीं है
बल्कि उन्हें बचाए रखने की कोशिश का
एक नाम है
एक सरल वाक्य बचाना मेरा उद्देश्य है
मसलन यह कि हम इंसान हैं
मैं चाहता हूँ इस वाक्य की सच्चाई बची रहे
सड़क पर जो नारा सुनाई दे रहा है
वह बचा रहे अपने अर्थ के साथ
मैं चाहता हूँ निराशा बची रहे
जो फिर से एक उम्मीद पैदा करती है
अपने लिए
शब्द बचे रहें
जो चिड़ियों की तरह कभी पकड़ में नहीं आते
प्रेम में बचकानापन बचा रहे
कवियों में बची रहे थोड़ी सी लज्जा ...
- मंगलेश डबराल
http://anunaad.blogspot.com/2010/08/blog-post_22.html
उत्तराखंड के जनकवि 'गिरदा' का निधन
शालिनी जोशी
देहरादून से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
गिरदा ने कई समाज सुधार आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई
पहाड़ के जल, जंगल और जमीन के सरोकारों को लेकर अपनी कविताओं के जरिए जन-जन से संवाद करने की ताकत रखने वाले मशहूर जनकवि गिरीश तिवारी 'गिरदा' का निधन हो गया.
हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में एक ऑपरेशन के बाद रविवार की सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली.
गिरीश तिवारी 'गिरदा' का जन्म 10 सितंबर, 1942 को अल्मोड़ा के एक गांव में हुआ था. अपने ओज और अक्खड़पन के कारण वो 'गिरदा' नाम से लोकप्रिय हुए.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी 'गिरदा' लोकधुनों और लोकमंच के तो जानकार थे ही, उनके गीत चिपको आंदोलन, वन आंदोलन, नशा विरोधी आंदोलन, अलग राज्य के उत्तराखंड आंदोलन और नदी बचाओ आंदोलन की पहचान थे.
मंगलेश डबराल, हिंदी कवि
उन्होंने खुद भी कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई.
उन्हें सुनने और देखने के लिए लोग उमड़ पड़ते. लोगों को एकजुट करने की उनमें गजब की शक्ति थी.
लोकप्रिय रचना
हिंदी में उनकी एक लोकप्रिय रचना है-
अजी वाह क्या बात तुम्हारी
तुम तो पानी के व्यापारी
सारा पानी चूस रहे हो
नदी समंदर लूट रहे हो
गंगा यमुना की छाती पर कंकड़ पत्थर कूट रहे हो
उफ़ तुम्हारी ए ख़ुदग़र्ज़ी चलेगी कब तक ए मनमर्ज़ी
जिस दिन डोलेगी ए धरती
सर से निकलेगी सब मस्ती
दिल्ली देहरादून में बैठे योजनकारी तब क्या होगा
वर्ल्ड बैंक के टोकनधारी तब क्या होगा.
कुमांऊनी में उनका लिखा आज हिमालै तुमुकैं धत्यूंछौ... जागो जागो हो मेरा लाल...' एक नारे की तरह जाना जाता है.
शोक की लहर
ज़हूर आलम, नैनीताल के रंगकर्मी
देशभर के संस्कृतिकर्मियों और लोकचेतना से जुड़े साहित्यकारों और पत्रकारों में उनके जाने से शोक की लहर है.
वरिष्ठ हिंदी कवि मंगलेश डबराल ने कहा, " गिरदा की बहुत बड़ी उपस्थिति थी न सिर्फ़ उत्तराखंड में बल्कि पूरे देश की लोक-सांस्कृतिक चेतना में. उनके गीतों में क्रांतिकारिता थी. उनके बिना पहाड़ की संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती. उत्तराखंड के संस्कृतिकर्मियों के लिए उनकी मृत्यु बड़ा आघात है."
नैनीताल के रंगकर्मी ज़हूर आलम का कहना है, " उत्तराखंड की संस्कृति के बारे में जितनी जानकारी गिरदा को थी और जितना काम उन्होंने उसे बचाने के लिए किया, वैसा और नहीं हो सकता. आंदोलन जब भी होंगे, जनसरोकारों की बात जब भी होगी गिरदा हमेशा वहां मौजूद होंगे."
गिरदा नैनीताल में रहे लेकिन उनके विचार और काम का फलक पूरे पहाड़ में फैला था.
आखिरी दिनों में भी वो सक्रिय रहे थे. उनकी सादगी, प्रखरता, जीवंत और जुझारू व्यक्तित्व को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2010/08/100822_girda_obituary_dps.shtml
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