किस हिंदी का विश्व सम्मेलन! मोदी सरकार के हिंदी-प्रेम को, लेखन और लेखकों की ही नहीं, उस जिंदा समाज की भी कोई जरूरत नहीं है, जिसको ये लेखक और लेखन अभिव्यक्ति देते हैं। जिस तरह संघ का राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रवासियों से मुक्त होता है, उसी प्रकार उसका हिंदी प्रेम, हिंदी बरतने वालों से मुक्त है।
मोदी सरकार के हिंदी-प्रेम को, लेखन और लेखकों की ही नहीं, उस जिंदा समाज की भी कोई जरूरत नहीं है, जिसको ये लेखक और लेखन अभिव्यक्ति देते हैं। जिस तरह संघ का राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रवासियों से मुक्त होता है, उसी प्रकार उसका हिंदी प्रेम, हिंदी बरतने वालों से मुक्त है।
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