Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Sunday, September 6, 2015

मैडम ख्रिस्टी जैसी खूबसूरत कोई सुपर माडल या विश्वसुंदरी या दिलों को लूटने वाली सुपर हिरोइन भी नहीं! आज सविता बाबू से सुबह सुबह मैंने कहा कि साहिबेकिताब नहीं हूं और न कोई तोप हूं और न नोबेलिया कोई,लेकिन गलत मत समझना मेरी औकात भी कोई कम नहीं है।मेरे पास मेरे टीचर हैं। ताराचंद्र त्रिपाठी ने लिखा है,कबीरदास को तब भी कलबुर्गी की तरह मजहबी लफंगों ने ही मारा।उनके खिलाफ इब्राहीम लोदी से सजाएमौत की गुहार लगाने वाले जैसे तमाम पंडित थे,वैसे ही मौलवी भी थे तमाम। मेरे मरने के बाद किसी को मेरी याद आये तो मेरे शिक्षकों और शिक्षिकाओं को याद जरुर कर लें।मुझ पर उनका जो कर्जा है अनंत अनंत,शायद इस बेमिसाल पूंजी से अबाध पूंजी के इस मुल्क का थोड़ा विकास हो जाये! पलाश विश्वास



मैडम ख्रिस्टी
जैसी खूबसूरत कोई सुपर माडल या विश्वसुंदरी या दिलों को लूटने वाली सुपर हिरोइन भी नहीं!

आज सविता बाबू से सुबह सुबह मैंने कहा कि साहिबेकिताब नहीं हूं और न कोई तोप हूं और न नोबेलिया कोई,लेकिन गलत मत समझना मेरी औकात भी कोई कम नहीं है।मेरे पास मेरे टीचर हैं।
ताराचंद्र त्रिपाठी ने लिखा है,कबीरदास को तब भी कलबुर्गी की तरह मजहबी लफंगों ने ही मारा।उनके खिलाफ इब्राहीम लोदी से सजाएमौत की गुहार लगाने वाले जैसे तमाम पंडित थे,वैसे ही मौलवी भी थे तमाम।
मेरे मरने के बाद किसी को मेरी याद आये तो मेरे शिक्षकों और शिक्षिकाओं को याद जरुर कर  लें।मुझ पर उनका जो कर्जा है अनंत अनंत,शायद इस  बेमिसाल पूंजी से अबाध पूंजी के  इस मुल्क का थोड़ा विकास हो जाये!
पलाश विश्वास
मेरे मरने के बाद किसी को मेरी याद आये तो मेरे शिक्षकों और शिक्षिकाओं को जरुर याद कर लें।मुझ पर उनका जो कर्जा है अनंत अनंत,शायद इस बेमिसाल पूंजी से अबाध पूंजी के इस मुल्क का थोड़ा विकास हो जाये!

मेरा कोई कालजयी बनने का शौक नहीं है लेकिन जिनने भी मुझे कोई सबक पढाया वे मेरे टीचर कालजयी हो जायें,तो अपनी बुरी तरह फेल जिंदगी का मुझे कोई अफसोस न होगा।

मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का है कि इस देश में शायद वैसे शिक्षक और वैसी शिक्षिकाएं अब नहीं हैं,जिनने अपने खून पसीने और समूचे दिलोदिमाग से हमारी पीढ़ी को इंसानियत का सबक पढ़ाया है।

नसीब का गुलाम नहीं हूं। फिरभी कहना होगा कि हमारे बच्चे बेहद बदनसीब हैं कि उन्हें हमारे टीचरों जैसे टीचरों से कोई वास्ता नहीं पड़ा।वरना उनकी क्या मजाल कि वे यूं अंधेरे में भटक रहे होते।वे होते तो कान खेंचकर उन्हें रास्ते पर ले आते।

आज सविता बाबू से सुबह सुबह मैंने कहा कि साहिबेकिताब नहीं हूं और न कोई तोप हूं और न नोबेलिया कोई,लेकिन गलत मत समझना मेरी औकात भी कोई कम नहीं है।मेरे पास मेरे टीचर हैं।

मैंने उनसे निवेदन किया कि कल मैंने कबीरदास होते तो मजहबी लफंगे क्या उन्हें बख्श देते।

रात को मेलबाक्स में ब्रह्मराक्षस आकर खड़े हो गये।
ताराचंद्र त्रिपाठी ने लिखा है,कबीरदास को तब भी कलबुर्गी की तरह मजहबी लफंगों ने ही मारा।

ताराचंद्र त्रिपाठी ने लिखा है,उकबीर दास के खिलाफ इब्राहीम लोदी से सजाएमौत की गुहार लगाने वाले जैसे तमाम पंडित थे,वैसे ही मौलवी भी थे तमाम।

रात को फोन लगाकर अमलेदु से कहा कि अब कोई सूरत नहीं है कि हम जनता को कनेक्ट कर सकें।

शाम को आनंद तेलतुंबड़े से भी लंबी चौड़ी बातें हुई।हम दोनों माथापच्ची कर रहे थे कि सूचनाओं से जनता को लैस कैसे किया जाये।कैसे तमाम आर्थिक मसलों को  मसलों डीकोड करके जनता के बीच वाइरल बना दिया जाये।

क्योंकि गाली गलौज से लेकर हत्या और कत्लेआम के फतवे तक वाइरल हैं।

वाइरल है रेप और गैंगरेप के तौर तरीके और उसके तमामो साजोसामान और सार्वजनिक तौर पर नीलाम हो रहा है औरत तब्दील मांस का दरिया।

वीडियो लबालब हैं।

चुटकुले और खुदाई किस्से बेपनाह हैं वाइरल।

उनपर कोई रोक नहीं है।

नफरत के मजहबी सियासती सैलाब पर रोक नहीं है।
दूसरी ओर, इकोनामिक टाइम्स में छपे शेयर बाजार के धंसने की खबर की लिंक भी डीएक्टीवेटेड है।

सियासत से हुकूमत निबट लेती है लेकिन हुकूमत को बहुत डर है कि जनता हिसाब किताब में कहीं दिलचस्पी न लें।

जनता को इस अजनबी अर्थशास्त्र मं दिलचस्पी है नहीं,ऐसा भी नहीं है।खुल्ला हाट में जब चाहूं तब मैंने संडे के तेल से बड़ा मजमा खड़ा किया है और उस मजमे के मुखातिब अर्थशास्त्र के तिलिस्म को खोला है।लेकिन यह एक दो वाकया का मामला नहीं है।

यह सिलसिला होना चाहिए जैसे कविता 16 मई के बाद।
या यह सिलसिला होना चाहिए जैसे प्रतिरोध का सिनेमा।

हमें यकीनन संगठन बतौर यह काम करना चाहिए।जिनके पास बाकायदा संगठन है,उनकी दिलचस्पी सिर्फ सियासत में हैं और उनके मंचों पर कोई जहरीले सांपों का पिटारा खोला नहीं गया है।

ध्यान रखे रिजर्वेशन के बारे में आनंद का खुलासा मेइनस्ट्रीम के अगले दो अंकों में दो किश्तों में होना है।

हिंदी अनुवाद के लिए देखते रहे हमारे ब्लागों को और पढ़ते रहे हस्तक्षेप।

दुनिया भर की खास चाजें रेयाज और अभिषेक अनूदित करके परोस रहे हैं।देखते रहे उनके हाशिया और जनपथ भी।

हमने अमलेंदु से कहा कि साधन संसाधन हमारे पास कोई है नहीं।कहने को सारा देश है।सारे अपने हैं।

हकीकत में कोई साथ नहीं है और न किसी का हाथ हमारे हाथ में है।फिर भी लड़ेंगे।

हमने कहा कि चाहो तो हमारे प्रवचन थाम लिया करो लेकिन जबभी जो भी सूचना हाथ लगे,तुरंत जनता के बीच फेंक दिया करो कि जनता उसे तभी लपक ले,मीडिया के गुड़ गोबर करने से पहले।

मैंने सविता बाबू और अमलेंदु दोनों को बताया कि नोबेलिया हम कभी न होंगे लेकिन हमारे जैसे खुशकिस्मत भी कोई नहीं है।

हमारे गुरुजी जो भी हम लिखते हैं जब भी,अब भी जांच दिया करते हैं।मौका हुआ तो जब तब कान खेंच लिया करते हैं।

मैंने सविता बाबू और अमलेंदु दोनों को बताया कि नोबेलिया हम कभी न होंगे लेकिन हमारे जैसे खुशकिस्मत भी कोई नहीं है।हमारे गांव के लोग रोज मेरा लिखा पढ़ते हैं।

मैंने सविता बाबू और अमलेंदु दोनों को बताया कि नोबेलिया हम कभी न होंगे लेकिन मेरा हिमालय मेरे साथ साथ है।

यह वरदान मेरे शिक्षकों और शिक्षिकाओं का है।
जो किसी इच्छा मृत्यु से भी बड़का वरदान है।

पिछली दफा नैनीताल गया तो त्रिपाठी जी तो नहीं मिले।कैप्टेन एलएम साह से भी मुलाकात होते होते रह गयी।

मैडम अनिल बिष्ट से घंटाभर फोन पर बातें होती रही और हम दोबारा डीेएसबी जीते रहे।

फोन छोड़ते छोड़ते सत्तर दशक में नैनीताल की सबसे खूबसूरत कन्या ने कह दिया कि अगली बार आओ तो मिलकर जरुर जाना।

इतनी बेपनाह मुहब्बत भी होती नहीं है किसीसे किसी को जो मेरी शिक्षिकाओं से मुझे मिली है।

मैडम मधुलिका दीक्षित जैसी मीठी आवाज मुझे लता मंगेशकर की भी नहीं लगती।बीए से एमए तक उनने हमें पोएट्री पढ़ाई है।प्रोज भी पढ़ाया है।

सबक के मध्य कभी भी वे पुकारती थीं,मिस्टर बिश्वास,व्हाटॊस युओर ओपिनियन।

फिर जो मैं शुरु हो जाता था, वे मुझे रोकती न थीं।

उन्हें हर वक्त सही सही मालूम होता था कि मैं कुछ डिफरेंट सोच रहा होता हूं।ऐन मौके पर मुझे भी सारे क्लास को अपनी सोच बताने का मौका वे बना देती थीं।आज भी वह पुकार सुनने को तड़प रहा हूं।

डीएसबी छोड़ने के बाद उन्होंने ही कहा था कि नौकरियां तो सभी करते रहते हैं,तुम अलग कुछ कर सकते हो।करो।

डा. मानस मुकुल दास इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उनके गुरु थे और डीएसबी में उनके उस गुरु से पोएट्री पर मेरी अविराम बहस चली थी दिनरात।उनने कहा कि इलाहाबाद जाओ और डा. दास के मातहत रिसर्च करो तो खुलेंगे सारे दरवाजे।

मैं खाली हाथ इलाहाबाद चला गया और खाली हाथ जेएनयू गया मंगलेश के कहने पर उर्मिलेश के साथ।फिर धनबाद होकर दुनिया में कहां कहां न भटका।खाली हाथ ही रह गया।

फिर नैनीताल या इलाहाबाद जब भी गया अपनी प्यारी मैडम जिनकी आंखें तीर कमान थीं और जो किसी भी हीरोइन से खूबसूरत थीं,उन्हें हर मोड़ पर खोजता रहा।फिर वे कभी नहीं मिलीं।

मैंने इस बार भी मैडम अनिल बिष्ट से पूछा कि मैडम मधुलिका कहां हैं और उनने कहा कि तुम्हारे जाने के बाद उनने नौकरी छोड़ दी थी और अपने पति के साथ चली गयी थी।फिर उनका अता पता नहीं है।मैडम बिष्ट उनकी सबसे पक्की सहेली थीं।

शेक्सपीअर पढ़ाती थीं मिसेज नीलू कुमार और उन्हें देखते हुए हमें नूतन की तमाम फिल्में याद आ जाती थीं।तब भी वे पचास पार थीं।शिवानी और जयंती पंत की बहन थीं सबसे छोटी।पुष्पेश,मृगेश और मृणाल की मौसी।तब भी उनके गालों पर पहाड़ों के तमाम सेब बगीचे थे।वे नहीं होतीं तो मैं न ग्रीक त्रासदी समझता और न कैथार्सिस और न कभी समझ पाता कि आखिर दिल क्या चीज है।

चित्रा कपाही फाइनल में थीं जब मैं प्रीवियस में था।उनकी बहन नीना हमारे साथ थीं।एमए करते ही वे डीएसबी हमें पढ़ाने चली आयीं।उनका पेपर ऐस्से था और एमए में मैं अकेला उनका स्टुडेंट था।बाकी लोग अमेरिकन लिटरेचर पढ़ रहे थे।

चित्रा को मेरे दिलोदिमाग का अता पता खूब था।वे कहती थीं तुम तो खुद लिखते हो।पढ़ने की क्या बात है और मसला यह भी है कि तुम्हें पढ़ाया क्या जाये।आओ,हम बातें करें।

हिमपात और मूसलाधार बारिश में हम बातें ही करते रहे।हमने डीएसबी छोड़ा और वे शादी करके लंदन में बस गयीं।

गीता शर्मा बेहद खूबसूरत थीं।डीएसबी में जब हम फर्स्ट ईअर में दाखिल हुए तो वे एमए फाइनल में थी।जब हम एमए फाइनल में थे तब वे हमें पोएट्री पढ़ाती थी।

बीच में ही लेक्चर रोक कर वे कहती थीं कि ये तुम मुझे ही क्यों देखते रहते हो।या फिर कि तुम बादलों मे कहां खो जाते हो।


एक थीं वीणा पांडेय दिनेशपुर हाईस्कूल में हमें साइंस और बायोलाजी पढ़ाने वाली।तब वे बाइस तेइस की होंगी शायद बीएससी करके देहात में आ गयी थीं।

मेरे रिजल्ट के लिए वे मुझसे ज्यादा बेचैन हुआ करती थीं।
हम देहाती बच्चों के लिए वे कुर्बान थीं।

कीचड़ों से लथपथ थे हमारे रास्ते।हम उन्हें अमूमन चड्डी और नेंकर में नंगे बदन टकरा जाते थे,लेकिन उनके दिल में फिर भी हमारे लिए बेपनाह मुहब्बत थी।

मेरे हाईस्कूल पास करने के बाद वे लापता हो गयीं।
मैने नैनीताल और अल्मोड़ा में उन्हें खोजा।
वे लाला बाजार अल्मोड़ा की थीं।लेकिन वे फिर नहीं मिली।

इन तमाम खूबसूरत महिलाओ को हमारी औकात के बारे में मालूम था।उन्हें मालूम था कि बंटवारे से जो खून की नदियां बह निकली, उसके मध्य खून से लबालब कोई द्वीप हूं मैं बेहद बदसूरत, बौना,काला ,अछूत।

मैं कोई रब का बंदा भी नहीं हूं लेकिन रब की सौं,उन टीचरों जैसी खालिस मुहब्बत मेरे दिल ने कभी नहीं देखा।

जिनने चिथड़ों में लिपटे मेरे वजूद को निखारने की हर संभव कोशिश की और उनकी आंखों में मैंने मुहब्बत के सिवाय कभी कुछ नहीं देखा।

उन सबने अपने अपने तरीके से सतह से नीचे किन्हीं गहराइयों से मुझे खींचकर निकाला अपने खूबसूरत हाथों से और हमें हिम्मत तलक न हुई कि हम शिकायत भी करें कि मैम,हमारे डैने नहीं हैं।

वे सारी की सारी परियां थीं,जिनने बिन मांगे अपने डैने मुझे दे दिये।फिर पीछे मुड़कर देखा तलक नहीं।

कौन कहता है कि मुहब्बत किसी महजबीं से होती है और किसी से नहीं।हमें तो अपने स्कूल कालेज में तमाम परियां मिली थीं।

उनकी मुहब्बत के आगे सारी मुहब्बतें फीकी हैं।
उनके बिना बेरंग है कायनात सारी।
उन सबको पता था कि मुझे कुछ ना कुछ जरुरी जरुर करना है।

मैडम मधुलिका कहती थीं,तुम जैसा किसी को कहीं नहीं देखा।
रुकना नहीं किसी कीमत पर।हर जंग जीतने का यकीन रखो अपने दिलो दिमाग में।मेरी अब औकात ही क्या कि उनका कहा ना मानूं।

मुझे सख्त अफसोस है कि जिनके कहे का मेंने हमेशा अक्षरशः पालन किया,अब वे शिक्षा क्षेत्र में हैं नहीं और हमारे बच्चे इस खुल्ला बाजार में बारुदी सुरंगों के बीच जान हथेली पर लिए दिशाहीन भटक रहे हैं।

और उनकी दृष्टि निखारने के लिए कोई टीचर नहीं है।
उनकी दुनियाको खूबसूरत बनाने वाली कोई टीचर नहीं है।

जैसी मेरी पहली टीचर मैडम ख्रिस्टी और जैसे मेरे पहले अध्यापक पीतांबर पंत।मैडम ख्रिस्टी का जब तबादला हुआ तो वे बहुत बहुत रोयी जैसे वे अपने बच्चों से अलग हो रही हों।

वे बेहद खूबसूरत थीं।इतनी खूबसूरत कि कायनात ने उनसे हसीन किसीको शायद बनाया ही न हो।

मैडम ख्रिस्टी जैसी खूबसूरत कोई सुपर माडल या विश्वसुंदरी या दिलों को लूटने वाली सुपर हिरोइन भी नहीं!

मुझसे बदमाश बच्चा कोई न था।
घर में संगीत का शिक्षक अलग थे।
मैंने कभी सुर न साधा लेकिन आजीवन उस शिक्षक ने याद रखा मुझे।नेत्रहीन हुए जब तबभी मेरी आजाज सुनकर मुझे पहचानते रहे दशकों बाद मुलाकात के बावजूद।

बसंतीपुर में शिक्षक अलग होता था।बसंतीरपुर के बच्चों के लिए।जहां बसंतीपुर का सिलेबस था।हिंदी,बांग्ला और अंग्रेजी अनिवार्य।फतवा था कि हमारे बच्चों को इंसान बना देना है।

भोर तड़के ही सीनियर बच्चे दूधमुंहों को उठाकर टीचर के हवाले कर देते थे।हमारी आदत थी सुबह बिना गांव का पूरा च्ककर लगाये मेरी नींद खुलती ही न थी।इस नींद में खलल पड़ जाये तो समझो कि दुनिया एक तरफ और मैं एक तरफ और सारा गांव कुरुक्षेत्र।
मुझे खींच टांगकर स्कूल में ले जाते न जाते इंटरवेल हो जाता।

वहां भी मैं सीधे टीचर जी के कंधे सवार हो जाता था, तब तक न उतरता था जबतक न कि वे मुझे सकुशल घर छोड़ आते।

फिर आयी मैडम ख्रीस्टी।थीं वे टीचर पड़ोस के गांव चित्तरंजनपुर के बालिका विद्यालय में।

हमारे यहां कुंडु परिवार ने तराई की आबोहवा को अपने माफिक गलत समझते हुए सरकारी क्वार्टर और जमीन छोड़कर एकदिन रात के अंधेरे में चोरों की तरह निकल भाग लिया फिर वही बंगाल।बसंतीपुर में वह पहला बिछोह था।

वही क्वार्टर स्कूल था जो कुंवारी मैडम ख्रीस्टी का डेरा था।
शायद वे जादू जानती थीं या फिर हैमलिन की बांसुरी उनके पास थी।आसपास के सारे गांवो के बच्चों को वे खींचकर बिना लिंगभेद चित्तरंजन बालिका विद्यालय ले गयीं।

मैडम ख्रीस्टी का जादू ऐसा चला जो मैंने फिर स्कूल कालेज को ही हमेशा के लिए जन्नत मान लिया।ख्वाहिश तो थीकि उसी जन्नत में मरुं,हुआ यह कि पत्रकार बना और कुत्ते की मौत मरना है।

उन दिनों तराई में बाढ़ भी आती थी।चित्तरंजनपुर के रास्ते बंद हो जाते थे क्योंकि नदी नाले तमाम तब भी बंधे न थे।

बगल में नदीपार अर्जुनपुर था सिखों का गांव।
जहां सारे गांवो के बच्चे आ जात थे।
वहीं किसी भी सरदार के गर स्कूल लग जाता था।
तभी से हर सिख का घर मेरा घर है।

किसी बिल्ली की तरह बसंतीपुर के बच्चों को उठाकर वे नदी किनारे ले जाती थीं।तब अर्जुन पुर के बड़े सिख बच्चे गुड़ उबालने की कड़ाही लेकर तैरकर इस पार आते और बारी बारी उसपार ले जाते।

इसीतरह वापसी होती।
भरी बरसात में भी मैडम ख्रीस्टी का स्कूल लगता था।
में तब आधी कक्षा का छात्र था और पक्का पढ़ाकू और लढ़ाकू दोनों था।

हमें सबसे ज्यादा सदमा तब लगा अस्सी के दशक के सिख नरसंहार के बाद,जब अर्जुनपुर के हमारे सहपाठी भी आतंकवादी करार दिये गये और मुठभेड़ में मार दिये गये।

तब तक इंदिरा गांधी ने गूलरभोज के पास  हरिपुरा जलाशय का उद्घाटन कर दिया था और वह बरसाती नदी भी मर गयी थी।

जब भी उस मरी हुई नदी को छूता हूं मेरा दिलोदिमाग आतंकवादी बना दिये गये मेरे बचपन के लहू से लहूलुहान हो जाता है।इसीलिए कत्लेआम के किसी भी कातिल को मैं माफ नहीं कर सकता।

हम आधी कक्षा पार करके पहली में दाखिला कर गये तो बिना मेघ वज्रपात हो गया।मैडम ख्रीस्टी का तबादला हो गया।

जाते जाते मैडम ख्रीस्टी बसंतीपुर के बच्चों को उठाकर हरिदासपुर में पीतंबर पंत के अखाड़े में डाल गयीं और उन्हें हिदायत देती गयीं कि हर बच्चे का ख्याल कैसे रखना है।

वह हमारी कुछ लगती न थीं।
किसी मुकम्मल मां से कम न थी वह मुकम्मल कुंवरी मां,न जाने कितने उनके बच्चे थे और तब परिवार नियोजन भी न था।

किसी मुकम्मल मां से कम न थी वह मुकम्मल कुंवरी मां,जो हर बच्चे का अलग अलग ख्याल रखती थीं इसतरह कि किसी बच्चे को कभी कहते हुए नहीं सुना कि उसके हिस्से में मुहब्बत थोड़ी कम हो गयी।

हरिदासपुर से पीतांबर पंत ने हमने दुनिया के मुकाबले खड़े होने को तौर तरीके बताये। वह लंबा किस्सा है।
फिर कभी मेरे उस टीचर के बारे में।

फिलहाल इतना ही कि मैडम ख्रिस्टी जैसी खूबसूरत कोई सुपर माडल या विश्वसुंदरी या दिलों को लूटने वाली सुपर हिरोइन भी नहीं!

हमने जब तक प्राइमरी की दहलीज पार नहीं की कहीं भी हुईं मैडम ख्रीस्टी,बिल्ली की तरह चली आती थीं जानने के लिए कि हमारी पढ़ाई ठीक से हुई कि नहीं।

फिलहाल इतना ही कि

मैडम ख्रिस्टी जैसी खूबसूरत कोई सुपर माडल या विश्वसुंदरी या दिलों को लूटने वाली सुपर हिरोइन भी नहीं!
मेरे मरने के बाद किसी को मेरी याद आये तो मेरे शिक्षकों और शिक्षिकाओं को याद जरुर कर  लें।मुझ पर उनका जो कर्जा है अनंत अनंत,शायद इस  बेमिसाल पूंजी से अबाध पूंजी के  इस मुल्क का थोड़ा विकास हो जाये!

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

Tweet Please

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk