क्या हिन्दु नेताओं की सारी राजनीति बच्चे पैदा करने की होड़ तक ही सीमित हो गयी है? पैदा होने वाले के भविष्य और देश की अर्थ व्यवस्था पर उस के दुष्प्रभाव से उनका कोई मतलब नहीं है.
वस्तुत: १९७७ में इन्दिरा गान्धी की अकल्पनीय पराजय के बाद हमारे नेताओं की,देश हित में, प्रभावी निर्णय लेने की हिम्मत ही जबाब दे गयी है. अब तो हालत सम्प्रदायों के नेताओं पटाने तक सीमित हो गयी है. क्यों नही सरकार य कानून पास करती इस कानून के पास होने की तिथि के बाद जिस किसी दम्पति के दो से अधिक बच्चे होंगे, उनके परिवार को राज्य की ओर से मिलने वाली कोई भी सुविधा, अनुमन्य नहीं होगी. राशन कार्ड, गैस सब्सिडी, या जो भी सुविधा वर्तमान में अनुमन्य है बन्द.. असर होगा भाई! कर के तो देखो. नहीं तो बढ़्ती आबादी अपना ही नहीं पूरे देश का भी भट्टा बैठा देगी.
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7 years ago
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