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Thursday, September 26, 2013

सोमेन मित्र,शिखा मित्र,कुणाल घोष,दिनेश त्रिवेदी,सौगत राय,तापस पाल,शताब्दी राय के विद्रोह से कुछ नहीं फर्क पड़ने वाला

अंतर्कलह, विद्रोह या माकपा में बदलाव से दीदी की सेहत पर कोई असर नहीं


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

सोमेन मित्र,शिखा मित्र,कुणाल घोष,दिनेश त्रिवेदी,सौगत राय,तापस पाल,शताब्दी राय के विद्रोह से कुछ नहीं फर्क पड़ने वाला


बंगाल में फिलहाल जो हालात बन गये हैं.उसके मद्देनजर नईबोतल में पुरानी शराब डालने की तर्ज पर माकपाई सांगठनिक कवायद या बहुप्रचारित सत्तादल तृणमूल कांग्रेस में अंतर्कलह और विद्रोह से सत्ता समीकरण बदलने की दूर दूर तक कोई संभावना नहीं है। कुणाल घोष के धमाके का जवाब दीदी शारदा कांड के पांच लाख पीड़ितों को मुआवजा बांटने की घोषणा करके दे दिया है। जनाधार के लेवेल पर इसके दीर्घस्थाई नतीजे तय हैं। रज्जाक मोल्ला के बाद बहिस्कृत सोमनाथ चटर्जी ने भी माकपा में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठायी है।अव्वल तो बंगाल में विपक्ष की राजनीति में ममता के मुकाबले कोई नेतृत्व के उभरने के परिदृश्य ही नहीं बन रहे  हैं। रातोंरात कोई ममता बनर्जी नहीं बन गयी। 1991 से लगातार सड़क पर जमीनी राजनीति के घनघोर संघर्ष से ममता का यह कद बना है। इसके विपरीत माकपायों को न अब जमीन से कोई नाता है और न सड़क से। अवधारणाओं की राजनीति में ही सीमाबद्ध हैं देशभर के वामपंथी। सामाजिक यथार्थ से, घरेलू परिस्थितियों से जिसका कुछ लेना देना है नहीं।इसी वजह से भारतीय राजनीति में वामपंथी सिरे से गैरप्रासंगिक हो गये हैं। बंगाल के सारे किले ढह चुके है और वामपंथियों को खोने के सिवाय कुछ हाशिल होने वाला नहीं है।


सोमेनदा के विद्रोह से कुछ नहीं होने वाला


विद्रोह ममता बनर्जी ने भी किया था।उसका असर होते होते पूरे दो दशक लग गये। विद्रोह प्रणव मुखर्जी, जतीन चक्रवर्ती, सैफुद्दीन, तपन सिकदार जैसे लोगों ने भी किया । लेकिन मुख्यधारा की राजनीति से हटकर कामयाबी सिर्फ ममता बनर्जी को ही मिली है। प्रणवदा और तपनबाबू फिर घर वापस हो गये। तो सैपुद्दीन चौधरी को आज कोई पूछ ही नहीं रहा है। सोमेन मित्र बेहतरीन संगठक हैं, लेकिन वे जननेता नहीं हैं। माकपा के ही समीर पुतुटुंडु बेहतरीन संगठक थे। माकपा से बाहरहोने के बाद वे अब शून्य हैं। कांग्रेस छोड़कर जो गलती छोड़दा ने कर दी है,घर वापस लौटकर उसे सुधारने की संभावना कम है। देशभर में परिस्थितियां लगाताक कांग्रेस के खिलाफ बन रही हैं, ऐसे में अपने दम पर कांग्रेस को फिर दीदी के मुकाबले खड़ा करने की उम्मीद बेकार है।


बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना हाल है कांग्रेस का



हालांकि कांग्रेस नेताओं की बांचें खिल गयी हैं। तृणमूल कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट सांसदों द्वारा पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने के बीच, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सचिव शकील अहमद ने गुरुवार को संकेत दिया कि अगर वे लोग कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास रखते हैं तो पार्टी उन्हें शामिल करने के खिलाफ नहीं है।राज्य के प्रभारी अहमद ने एक बांग्ला समाचार चैनल से कहा कि हमारा उद्देश्य स्पष्ट है। जो कोई भी हमारे साथ आना चाहता है, उसे कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास करना होगा और जो कोई भी तृणमूल कांग्रेस के कुशासन की पोल खोलना चाहता है, वह पार्टी में शामिल हो सकता है। उन्होंने अगले लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस के गठबंधन की संभावना को भी खारिज कर दिया। गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के तीन सांसदों कुणाल घोष, तपस पाल और शताब्दी राय ने बीते शुक्रवार को एक कार्यक्रम में पार्टी की आलोचना की थी।बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना हाल है कांग्रेस का!


क्या करेंगे दिनेश त्रिवेदी,सौगत राय?


तृणमूल कांग्रेस सांसद कुणाल घोष से गुरुवार को भी अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं पर हमले जारी रखा। तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं के इस आरोप पर कि वह कांग्रेस से मिले हुए हैं, कुणाल ने कहा कि तृणमूल के ही कई नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं। कुणाल ने कहा, 'पार्टी में अनुशासन की बात करने वाले कई सांसद पहले भी कांग्रेस के संपर्क में थे और अब भी हैं। वे (तृणमूल सांसद) पाला बदल सकते हैं.' उन्होंने कहा, 'सोमेन मित्र, दिनेश त्रिवेदी और सौगत राय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल से मिल चुके हैं।'पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी बैरकपुर में माकपा दिग्गज तड़ित तोपदार को हराकर केंद्र में रेल मंत्री बने। दीदी ने उन्हें रेलमंत्रालय से बाहर निकाल फेंका।इसीतरह सौगत राय भी हाशिये पर हैं।दोनों नेता की दीदी की मेहरबानी से सांसद हैं। तापस पाल ने इस बीच शताब्दी से आने को अलग कर लिया है ौर सुर बदलकर कहा कि वे दीदी के खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे।कुणाल के खुलास के बाद समझिये त्रिवेदी और सौगत के टिकट भी कट गये।पार्टी में या जनता के बीच ये कुछ कर दिखाने की हालत में ही नहीं हैं।ताजा हालत यह है कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि पार्टी का हर सदस्य अनुशासन का पालन करने को बाध्य है और कुणाल घोष, शताब्दी राय और तपस पाल जैसे सांसद यदि नाखुश हैं तो वे पार्टी छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं।


धमाकों से कुछ नहीं होगा


पूजा के बाद या दिवाली के बाद विधायक पत्नी शिखा मित्र के साथ संसाद जोड़ी तापस पाल और शताब्दी राय के साथ दागी कुणाल घोष के साथ दीदी के किले में सेंध लगा पायेंगे ,ऐसी कोई संभावना नहीं  है। कुणाल घोष के सबकुछ उगल देने पर तृणमूल के दागी चेहरे खुद ही हाशिये पर आ जाये तो दीदी को सुविधा  ही होगी। जिन्हें वे निकाल नहीं पायीं,वे खुद ब खुद बाहर हो जायेंगे। विकास और जनसरोकार का जो जब्जा दीदी दिखा रही हैं, उसकी फिलहाल कोई काट है ही नहीं। हर हाल में दीदी का जनाधार ही मजबूत होना है। कुमाल राजनीति में कहीं नहीं थे। न कबीर सुमन कहीं थे। और न तापस और शताब्दी कहीं हैं। इन्हें दीदी ने हैसियत दी ।दीदी का वरदहस्त हटते ही वे फिर कहीं नहीं होंगे। सोमेनदा अपवाद हैं। लेकिन अकेले सोमेनदा के बूते दीदी के विजयरथ को रोकना मुश्किल है।जाहिर है  कि धमाकों से कुछ नहीं होगा।धुंए और अखबारी सूर्खियों के अलावा कोई संभावना नहीं है।


शताब्दी और तापस के पत्ते साफ

लोग अभी अचंभे में हैं कि दीदी के परम भक्त तापस और शताब्दी अचानक सोमेनदा के खेमे में कैसे चले गये। अनव्रत से टकराव के सिलसिले में शताब्दी को अच्छी तरह मालूम हो गया कि दीदी का वरद हस्त अब उनके सिर पर नहीं है। बहुत संभावना है कि दीदी ने वीरभूम की संसदीय सीट के लिए प्रणवदा से वायदा कर लिया है कि उनके बेटे को ही यह सीट दे दी जायेगी। तापस पाल की सीट भी महुआ मित्र के नाम लिख दी गयी है।दोनों के पत्ते साफ हैं


दीदी और दादा का नया समीकरण

अगले लोकसभा चुनाव में जनादेश अगर खंडित हुआ और लोकसभा त्रिशंकु हो गयी तो राष्ट्रपति की भूमिका सबसे अहम होगी। दागी नेताओं की सीटें बहाल रखने वाले अध्यादेश को वापस लौटाकर दादा ने संकेच दे ही दिया है कि जरुरी नहीं है कि वे कांग्रेस के इशारे पर ही चलें। इस संदर्भ में राष्ट्रपति के पिछले कोलकाता दौरे में दिल्ली वापसी विलंबित करके दीदी के साथ उनकी एकांत बैठक पर परदा उटना अभी बाकी है। लेकिन यह तय है कि दोनों के बीच कुछ पक रहा है और नया समीकरण भी बन रहा है जो बंगाल और बाकी देश के लिए महत्व पूर्ण है।दागी सांसदों और विधायकों को बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश पर अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी सवाल उठा दिए हैं।राष्ट्रपति ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों को तलब कर पूछा कि आखिर दागियों को बचाने के लिए अध्यादेश की क्या जरूरत पड़ गई।इस अध्यादेश को लेकर विपक्ष की ओर से हमला तेज होने और कांग्रेस में भी विरोध के स्वर उठने से यूपीए सरकार चौतरफा घिरती दिख रही है।ऐसे में अध्यादेश पर मुहर लगाने के बजाय सवाल दाग कर दादा ने सरकार की मुश्किल और बढ़ा दी है। इससे माना जा रहा है कि यह अध्यादेश लटक भी सकता है।कैबिनेट से मंगलवार को मंजूरी के बाद यह अध्यादेश राष्ट्रपति के पास भेजा गया था।राष्ट्रपति ने बृहस्पतिवार रात पहले गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कानून मंत्री कपिल सिब्बल को बुलाया, फिर बाद में संसदीय मामलों के मंत्री कमल नाथ को बुलाकर इस अध्यादेश पर बात की।


30 सितंबर से मुआवजा


शारदा समूह की पोंजी योजनाओं की धोखाधड़ी के शिकार लाखों निवेशकों को राहत देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार 30 सितंबर से मुआवजा वितरित करेगी। जंगलमह के दौरे परगईं मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार 30 सितंबर को कोलकाता में खुदीराम अनुशीलन केन्द्र में एक कार्यक्रम में धोखाधड़ी के शिकार एक हजार निवेशकों को मुआवजा देगी।उन्होंने कहा कि सरकार इसके बाद 10-12 दिन में एक लाख अन्य निवेशकों को मुआवजा देने का प्रयास करेगी। ममता ने कहा कि सरकार को दीवाली के बाद तीन चार लाख अन्य निवेशकों को मुआवजा देने की आशा है। इस संकट के लिए पूर्व वाममोर्चा शासन को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जनता के साथ धोखा हुआ। यह पूर्व शासन के दौरान हुआ। अप्रैल में इस मामले के प्रकाश में आने के बाद मुख्यमंत्री ने धोखाधड़ी के शिकार निवेशकों को 500 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी।


दीदी का कलेजा कहां से लाओगे?


ममता बनर्जी ने कहा है कि हालांकि उनका नाम माओवादियों की हिट-लिस्ट में है, लेकिन वह इससे भयभीत नहीं हैं और वह माओवादियों के पुराने गढ़ जंगलमहल का दौरा करती रहेंगी।ममता ने बुधवार को जंगल महल के शिलदा में एक जनसभा में कहा, मैंने सुना है कि मेरा नाम उनकी हिट-लिस्ट में सबसे ऊपर है। अगर वे बहादुर हैं, तो उन्हें सामने आना चाहिए। मैं उनसे भयभीत नहीं हूं। जंगलमहल का दौरा करने से मुझे कोई नहीं रोक सकता।दीदी का यह कलेजा कहां से लाओगे?


उन्होंने माओवादियों को कायर बताया, जो लोगों की हत्या के लिए रात के अंधेरे का फायदा उठाते हैं। उन्होंने कहा, विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए मैं एक हजार बार जंगलमहल का दौरा करूंगी। ममता ने लोगों का आह्वान किया कि वे माओवादियों का विरोध करें, ताकि वे शांति को बाधित नहीं कर सकें।उन्होंने कहा, हमने जंगलमहल में कई लोगों को पुलिस बल, शहरी पुलिस और ग्राम पुलिस में भर्ती की है। विनाशकारी राजनीति करने के लिए माओवादियों की तीखी आलोचना करते हुए ममता ने कहा कि 24 ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल के उन जवानों के सम्मान में एक स्मारक बनवाया जाएगा, जिनकी फरवरी, 2010 में पश्चिमी मिदनापुर में शिविर पर माओवादी हमले में मौत हो गई थी। एक सामुदायिक प्रशिक्षण केंद्र की भी स्थापना की जाएगी।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गोलतोरे, सिलदा और जिले के अन्य स्थानों में एक पर्यटन परियोजना शुरू करेगी, ताकि जंगलमहल में और पर्यटक आ सकें और उसका आर्थिक विकास हो सके।


भाजपाई मांग


गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि शारदा कांड में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता और मंत्री शामिल हैं, तभी राज्य सरकार सीबीआई जांच से परहेज कर रही है।सिन्हा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए शारदा चिटफंड कांड की सीबीआई जांच की मांग उठाई। उन्होंने दावा किया कि अगर इस मामले की सीबीआई जांच होती है तो तृणमूल कांग्रेस के कई नेता और मंत्री को जेल हो सकती है। इसी डर से राज्य सरकार सीबीआई जांच नहीं करा रही है।इसके साथ ही सिन्हा ने यह भी मांग की कि राज्य सरकार शारदा चिटफंड कंपनी में पैसे निवेश करने वालों की रकम दुर्गापूजा से पहले उन्हें मुहैया कराए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की कार्य प्रणाली से विधानसभा की गरिमा को धक्का पहुंच रहा है।


उलटे फंस गये माकपाई


मत्रियों, सांसदों और दूसरे नेताओं के फंसे होने के बावजूद न भाजपा और न माकपा या कांग्रेस शारदा फर्जीवाड़े या चिटफंड को काई मुद्दा बना सके। चिटफंड कंपनियों से माकपाइयों का भी चौली दामन का नाता है।दूसरे दल भी दूध के धुले नहीं है। हावड़ा संसदीय उपचुनाव, पंचायत चुनाव और पालिका चुनाव में इस मुद्दे का कोई असर नहीं है। उलटे पूर्व सांसद लक्ष्मण सेठ समते तमाम वामनेताओं को थोक के भाव जेल पहुंचा दिया गया। गौतम देव से लेकर सूर्यकांत मिश्र तक मुकदमों में फस गये हैं ।नंदीग्राम प्रकरण में बुद्धदेव को फंसाने की तैयारी है।जबकि तृममूल नेताओं को आंच तक नही आयी। बागावत का झंडा उठानेवाली शताब्दी भी कुणालकी तरह शारदा से जुड़ी हैं।


कुणाल की धमकियां


तृणमूल कांग्रेस के बागी सांसद कुणाल घोष पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। विधाननगर पुलिस ने पांच दिन में कुणाल घोष से गुरुवार को तीसरी बार पूछताछ की। इस बीच बागी सांसद ने अपनी हत्या की आशंका जताई है। कुणाल घोष ने धमकी दी है कि अगर उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला तो वो एक वीडियो के जरिए सबकी पोल पट्टी खोल देंगे।


दिल्ली से कोलकाता पहुंचने के बाद कुणाल सीधे पूछताछ के लिए हाजिर हुए। कुणाल ने कहा कि उन्हें अपनी जान पर खतरा महसूस हो रहा है इसलिए उन्होंने सच सामने लाने के लिए वीडियो बनाया है। कुणाल के खिलाफ पुलिस की सख्ती से चिटफंट घोटाला फिर से सुर्खियों में है। सूबे की सियासत भी तेज हो गई है। तापस राय और शताब्दी राय भी बागी तेवर दिखा रहे हैं। इससे पहले सांसद कबीर सुमन भी पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर चुके हैं। पार्टी ने तीनों सांसदों को कारण बताओ नोटिस थमा दिया है। पुलिस की पूछताछ को भी दबाव का ही हिस्सा माना जा रहा है।


कुणाल घोष ने कहा कि जिस अर्नब घोष (पुलिस अफसर) ने मुझे बुलाया था, वो नहीं था। दूसरे अफसरों ने बात की। मैं किसी भी मनी मार्केट से नहीं मिला हुआ हूं। पर जब भी मुझसे पूछा जाएगा, सहयोग करूंगा। कुणाल घोष ने अभी पूरी तरह मुंह नहीं खोला है। माना जा रहा है कि ज्यादा सख्ती बरते जाने पर कुणाल चिटफंट कंपनी से पैसे लेने वाले कुछ पार्टी नेताओं के नाम का खुलासा कर सकते हैं। शारदा ग्रुप के सीईओ सुदीप्तो सेन ने सीबीआई को लिखी चिट्ठी में सांसद कुणाल घोष और श्रृंजय बोस पर पैसे लेने का आरोप मढ़ा था।


जाहिर है कि कुणाल घोष ने अब अपनी हत्या हो जाने की भी आशंका जता दी है। अपने बयान की उन्होंने वीडियो रिकार्डिंग भी करा ली है।तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष ने कहा कि शारदा चिटफंड घोटाला कांड में पुलिस ने अगर उनको गिरफ्तार किया ते वे कई रहस्य खोल देंगे। घोष ने पत्रकारों से कहा-पुलिस अगर मुझे गिरफ्तार करना चाहती है तो वह ऐसा कर सकती है, लेकिन गिरफ्तारी के पहले मैं एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाने की इजाजत चाहूंगा, क्योंकि मुझे बहुत कुछ कहना है।

घोष को विधाननगर कमिश्नरी की तरफ से शारदा चिटफंड घोटाले की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इससे पहले वे शनिवार को भी यहां पूछताछ के सिलसिले में बुलाए गए थे।


कुणाल घोष ने तृणमूल कांग्रेस के भीतर एक जांच कमिटी गठित करने की भी मांग की, ताकि वे पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी बात कह सकें। उन्होंने पत्रकारों से कहा-मैंने पार्टी के महासचिव मुकुल राय को एक पत्र भेज दिया है, जिसमें मैंने इस बात का उल्लेख किया है कि मुझे पार्टी नेतृत्व के सामने बहुत सारी बातें कहनी हैं। मैंने मांग की है कि पार्टी के भीतर एक जांच कमिटी गठित की जाए. अगर ऐसा होता है तो मैं कमिटी के सामने बात रख पाऊंगा। उन्होंने कहा कि ऐसी बातें प्रशासनिक जांच आयोग के सामने नहीं खोली जा सकती हैं।


मालूम हो कि कुणाल घोष समेत तृणमूल कांग्रेस के दो अन्य सांसदों तापस पाल व शताब्दी राय को पिछले शुक्रवार को पार्टी की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। तीनों सांसदों को यह नोटिस महानगर में आयोजित एक सभा में उनके द्वारा पार्टी के खिलाफ की गई टिप्पणी के लिए जारी किया गया था।


तृणमूल कांग्रेस के एक वर्ग के उस बयान कि घोष बिना राजनीतिक आधार वाले राजनीतिज्ञ हैं और वे अवसरवादी भी हैं, पर प्रतिक्रिया जताते हुए तृणमूल के सांसद ने कहा-विभिन्न वर्गों से कई तरह के बयान सुनने को मिलते हैं। मैं सिर्फ इतना कहना चहता हूं कि मैं भी ममता बनर्जी द्वारा छेड़े गए उस संघर्ष का हिस्सा हूं जो तृणमूल प्रमुख ने सिंगुर व नंदीग्राम आंदोलन के समय शुरू किया था।


इधर, विधाननगर पुलिस कमिश्नरी के उपायुक्त (खुफिया विभाग) अर्णव घोष ने बताया कि शारदा चिटफंड घोटाले की जांच के सिलसिले में इस साल अप्रैल में भी कुणाल घोष से पूछताछ की गई थी और उन्हीं तथ्यों के सत्यापन के लिए घोष को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर कुणाल घोष को दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। गौरतलब है कि शारदा चिटफंड घोटाला बीते अप्रैल में उजागर हुआ था. शारदा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन इस वक्त जेल में हैं। तृणमूल के सांसद कुणाल घोष इसी समूह के कुछ अखबारों व टीवी चैनल के सीईओ थे।



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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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