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Monday, June 3, 2013

दीदी का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है और दीदी की अग्निपरीक्षा हो न हो,बंगाल की मौजूदा राजनीतिक दशा विपक्ष के लिए शनिदशा है!

दीदी का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है और दीदी की अग्निपरीक्षा हो न हो,बंगाल की मौजूदा राजनीतिक दशा विपक्ष के लिए शनिदशा है!


हावड़ा संसदीय उपचुनाव नतीजे की घोषणा औपचारिकता मात्र लगती है। दीदी ने सामने खड़े होकर पार्टी को जो आक्रामक नेतृत्व दिया है , उससे पंचायत चुनावों में भी विपक्ष के लिए खास उम्मीद नहीं है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


हावड़ा संसदीय उपचुनाव में मतदान शांतिपूर्ण ढंग से निपट गया। अब चुनाव नतीजे की घोषणा औपचारिकता मात्र लगती है।हावड़ा लोकसभा सीट के लिए रविवार को हुए उपचुनाव में करीब 64 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। मतदान शांतिपूर्ण रहा। चुनाव परिणाम बुधवार को जारी होंगे। कुछ जगहों पर राजनीतिक संघर्ष, कुछ बूथों में ईवीएम के खराब होने एवं एजेंटों को वहां जाने से रोकने जैसी छोटी-मोटी घटनाओं को छोड़कर दिनभर निर्विघ्न तरीके से मतदान का दौर चला।  दीदी ने सामने खड़े होकर पार्टी को जो आक्रामक नेतृत्व दिया है , उससे पंचायत चुनावों में भी विपक्ष के लिए खास उम्मीद नहीं है। जिस तरह हावड़ा के देहात में मीलों पैदल यात्रा करके रूठे मतदाताओं को मनाने का जोखिम उठाया दीदी ने, वैसा कर पाना विपक्ष के किसी नेता के बूते में नहीं है और न ही विपक्ष ममता का कोई विकल्प पेश करने में सक्षम है। ऐसे में बंगाल की मौजूदा राजनीतिक दशा विपक्ष के लिए शनिदशा है, दीदी की अग्निपरीक्षा हो न हो।वाममोर्चा सत्ता से बेदखली के बाद अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश में लड़खड़ा रहा है और कांग्रेस केंद्र की यूपीए सरकार के किये का बोझ ढोने में डूबती जा रही है। बंगाल की जनता के पास जाहिर है कि फिलहाल दीदी का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है और इसे दीदी सबसे बेहतर जानती हैं। इसलिे उन्होने चौतरफा मोर्चे खोलकर धुआंधार गोलंदाजी की युद्धनीति अपनायी हुई है। वे विपक्ष को किसी भी तरह की छूट देने के मूड में नहीं हैं।


लगता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दागी नेताओं को बचाने की आक्रामक शैली के आगे कांग्रेस और वाम दलों के पास कोई जवाबी हथियार ही नहीं बचा। अब सारा फोकस पंचायत चुनाव पर है, जिसे लेकर राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग में ठनी हुई है हालांकि राज्य सरकार ने अब सुरक्षा इंतजाम के लिए केंद्र से वाहिनी की भी मांग कर दी है। कुल मिलाकर शारदा फर्जीवाड़ा मामला अब ठंडे बस्ते में है।हावड़ा संसदीय चुनाव में भाजपाई समर्थन ने दीदी की हालत मजबूत कर दी है और मौजूदा हालात के मद्देनजर वहां अब भी तृणमूल कांग्रेस की बढ़त बनी हुई है। इसके बाद पंचायत चुनाव अधिसूचना  के बाद जो हालात बने हैं, ज्यादातर इलाकों में नामांकन दाखिल करने के शुरुआती दौर में ही तृणमूल से पिछड़ता नजर आ रहा है विपक्ष।शिकायतें दर्ज कराने के अलावा विपक्ष सत्ता दल का मौके पर मुकाबला करने  की हालत में नहीं है, यह साफ तौर पर दीखने लगा है।विडंबना है कि दीदी का नायाब अंदाज विपक्ष पर भारी पड़ रहा है। मसलन भले ही इस देश में रोज़ 20 करोड़ लोग भूखे सोते हों लेकिन ममता बनर्जी ने तय किया है कि वो कोलकाता में चिकन के दाम नहीं बढ़ने देंगी। उन्होंने निर्देश दिया है कि चिकन की कीमत 150 रुपये प्रति किलो से ज़्यादा ना हो। दीदी ने लगातार वाममोर्चा और काग्रेस पर हमला जारी रखते हुए तृणमूल समर्थकों के तेवर आक्रामक बना दिये हैं, जो विपक्ष के लिए हर इलाके में बेहद नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। इसके साथ ही विपक्ष के उकसावे के बावजूद दीदी ने संघ परिवार और भाजपा के खिलाफ अभी तक एक शब्द भी खर्च नहीं किये। इससे भाजपाइयों को अपने साथ रखने में उनको भारी कामयाबी मिल रही है। यह रणनीति कितनी कारगर हुई है, यह हावड़ा संसदीय चुनाव नतीजा आते ही मालूम पड़ने वाला है।


कांग्रेस की हालत इतनी खराब हो गयी है कि ममता के वारों के जवाब में उसे केंद्रीय नेतृत्व पर ही भरोसा करना पड़ा। मसलन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आड़े हाथों लेते हुए जमकर कटाक्ष किया।शारदा चिट फंड कांड के आरोपियों को तृणमूल सरकार बचाना चाहती है। राज्य सरकार मामले की सीबीआइ जांच से डर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कवयित्री, चित्रकार के साथ अब भविष्यवक्ता बन गई हैं। यही वजह है कि उन्होंने पहले ही केंद्र में संप्रग-तीन सरकार न बनने की भविष्यवाणी कर दी है। उन्होंने कहा कि राज्य में पंचायत चुनाव में तृणमूल सरकार का सफाया हो जाएगा।हावड़ा में उपचुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे रमेश ने कहा कि केंद्र सरकार इतनी गैर-जिम्मेवार नहीं है कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए। जबकि मुख्यमंत्री केंद्र को ही धमकी देते हुए साहस दिखाने की बात कह रही हैं। वाममोर्चा शासनकाल के दौरान वे खुद अक्सर ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करती थीं। मुख्यमंत्री जैसे पद पर रहते हुए मुख्यमंत्री को शब्दों का ध्यान रखना चाहिए।


ममता ने दो जून को होने वाले हावड़ा लोकसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी प्रसून बनर्जी के समर्थन में आयोजित जनसभा में कहा, 'उनका छोटे और मझोले किसानों या बंटाईदारों के प्रति रवैया हो या एलपीजी सिलेंडरों और उर्वरकों के दामों में बढ़ोत्तरी, हम उनकी नीतियां स्वीकार नहीं कर सके क्योंकि यह हमारे जनसमर्थित उददेश्यों के खिलाफ है और इसलिए हम संप्रग से हट गए।' राज्य की वित्तीय स्थिति के लिए केन्द्र को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने अपने इस दावे को फिर दोहराया कि केन्द्र सरकार पूर्व वाममोर्चा सरकार द्वारा लिये गये ऋण पर ब्याज के रूप में राजस्व का एक बड़ा हिस्सा ले रही थी। ममता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस, माकपा और भाजपा एक साथ मिलकर तृणमूल कांग्रेस को जीत से रोकना चाहते हैं।हावड़ा में  तीन दिन में चार जनसभाओं को संबोधित करने वाली ममता ने आरोप लगाया कि भाजपा ने उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी भले ही वापस ले लिया हो लेकिन यह दो निर्दलीय उम्मीदवारों को मदद दे रही है। मुख्यमंत्री ने सलकिया में लोकसभा उप चुनाव में पार्टी उम्मीदवार प्रसून मुखर्जी के समर्थन में आयोजित चुनावी सभा में फिर यह दोहराया कि 6 माह में ही लोकसभा चुनाव होगा और यूपीए सरकार की विदाई होगी। अपने पूर्व सहयोगी काग्रेस के खिलाफ मुहिम जारी रखते हुए तृणमूल काग्रेस की अध्यक्ष ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को आगामी लोकसभा चुनाव में एक तिहाई सीट भी नहीं मिलेगी। काग्रेस हमारी आजीविका खाकर बैठ गई है। लोकसभा चुनाव के मात्र छह महीने दूर हैं, इस बार संप्रग की विदाई हो जाएगी। उन्होंने कहा कि माकपा ने 34 वषरें में बंगाल का सत्यानाश किया और आज कामरेड टीवी चैनल पर बैठ कर बड़ा-बड़ा ज्ञान देते नजर आ रहे हैं। सुश्री बनर्जी ने कांग्रेस और माकपा पर निशाना साधा और कहा कि वाममोर्चा सरकार द्वारा थोपे कर्ज को उन्हें चुकाना पड़ रहा है। इस बार सरकार के राजस्व में 11 हजार करोड़ रुपया की वृद्धि हुई थी लेकिन वह भी कर्ज व सूद चुकाने में चला गया। आज केंद्र उनकी सरकार को आर्थिक मदद नहीं करने के लिए कानून का हवाला दे रहा है लेकिन वाममोर्चा सरकार को कर्ज पर कर्ज लेने की छूट देने के लिए कोई कानून बाधक नहीं था। उन्होंने केंद्र से कर्ज व सूद की वसूली पर कुछ समय के लिए रोक लगाने की मांग की थी लेकिन उन्हें किस्त में भी कर्ज चुकाने की छूट नहीं मिली।


शारदा समूह फर्जीवाड़े के मामले में सेबी और केंद्रीय एजंसियों की गोलंदाजी बंद हो गयी है। चिटफंड कंपनियों से निपटने के लिए नये कानून का मामला राज्य और केंद्र सरकार की ओर से खूब उछाला गया, लेकिन अब चारों तरफ सन्नाटा है। असम और त्रिपुरा में सीबीआई जांच की प्रगति के बारे में कोई खबर नहीं है और न ही प्रवर्तन निदेशालय या आयकर विभाग ने कोई तीर मारे हैं। इस बीच बंगाल में विशेष जांच दल क्या कर रहा है , किसी को नहीं मालूम। जब जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन कर ही दिया गया है तो विधाननगर पुलिस, दक्षिण 24 परगना पुलिस और कोलकाता पुलिस क्या कर रही है, यह सवाल उठ रहा है। जेल हिफाजत और पुलिस हिफाजत के मध्य सुदीप्त और देवयानी से सघन पूछताछ से तमाम खुलासे हुए, उस सिलसिले में क्या कार्रवाई हुई कोई नहीं बताता। बहरहाल सीबीआई को लिखे पत्र में उल्लेखित मातंग सिंह से जरुर पूछताछ हो गयी। बाकी लोग अभी पुलिस की पहुंच से बाहर हैं।अभी तक सुदीप्त के परिजनों और शारदा समूह के दूसरे कर्मचारियों का अता पता नहीं है। सेबी की कड़ी चेतावनी के बावजूद रोजवैली और एमपीएस की पोंजी स्कीमें जोर शोर से चल रही है। इस सिलसिले में हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है और सेबी कुछ भी करने की हालत में नहीं है।सेबी के अध्यक्ष यूके सिन्हा ने कहा है कि सेबी की कुछ कानूनी सीमाएं हैं और कंपनियों से संबंधित खास मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करेंगे, क्योंकि खास मामलों में कुछ अदालती और अर्ध न्यायिक आदेश रहे हैं। इसके बावजूदसेबी अपने दायरे के भीतर रहते हुए इस दिशा में प्रयास कर रहा है। धड़ल्ले से जारी है चिटफंड कारोबार। कहीं कोई फर्क नहीं पड़ा। इस मामले में विपक्ष के भी घिर जाने से यह अब राजनीतिक मुद्दा भी नहीं रहा।


शारदा समूह की पोंजी योजना के एक शीर्ष अधिकारी को आज कोलकाता के बाहरी क्षेत्र पूर्व जाधवपुर से गिरफ्तार किया गया। वह पिछले दो महीने से फरार था। पुलिस ने आज कहा कि अरिंदम दास उर्फ बुम्बा को कल रात पूर्व जाधवपुर में एक स्थान से भागने का प्रयास करते हुए गिरफ्तार किया गया।


सूत्रों ने कहा कि उसने शारदा समूह के मुख्यालय में धन जमा नहीं करके दक्षिण 24 परगना जिले के हजारों निवेशकों को कथित रूप से ठगा था। सारदा समूह के अध्यक्ष सुदीप्त सेन ने भी आरोप लगाया है कि जिले के निवेशकों से धन जमा करने के मामलों पर गौर करने वाला मुख्य अधिकारी दास धन चुराता था।


सूत्रों ने कहा कि एक आटोरिक्शा चालक दास ने शुरूआत में चिटफंड कंपनी के लिए संपत्ति खरीदी और बाद में कथित रूप से धन चुरा लिया। बरूईपुर के उपसंभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट देवदीप मन्ना ने आज अदालत में पेश किये गये दास को 14 दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।


पश्चिम बंगाल के शारदा समूह का मामला सामने आने के बाद सरकार ने हाल ही में अंतर मंत्रालयीय समूह (आईएमजी) का गठन किया है, जिसकी पहली बैठक में हुए फैसलों के मुताबिक दावा किया जा रहा है कि देश में पोंजी स्कीम के जरिए ऊंचे रिटर्न देने का लालच देने वालों के लिए आगे की राह कठिन हो सकती है। सरकार के स्तर पर जहां इस तरह की स्कीम लाने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान हो सकता है।वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसे नियामकों के अधिकारों में भी बढ़ोतरी हो सकती है।स्कीम चलाने वाली कंपनियों के कर्ताधर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान करने पर भी सहमति बनी है। अधिकारी के अनुसार साथ ही यह भी माना गया है कि पोंजी स्कीम से आम लोगों को खास तौर से सतर्क करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को भी आगे आने होगा, जिससे कि लोग इस तरह की स्कीम में निवेश न करें।आईएमजी ने इसके अलावा आरबीआई और सेबी को ज्यादा अधिकारी देने के लिए एक मसौदा पेश करने को कहा है, जिससे कि नियामक ऐसी स्कीम पर जल्द और सख्त कार्रवाई कर सकें। इसके पहले संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति ने भी आरबीआई से इस पूरे मामले पर एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।



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