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Monday, November 8, 2010

ओबामा का असली मकसद महज कारोबार नहीं, गांधीवादी मनुस्मृति व्यवस्था और कारपोरेट जिओनिस्ट ग्लोबल ब्राह्मणवादी साम्राज्यवाद की वैश्वक जमीन तैयार करना है!

अमेरिका से सावधान पुनश्च ग्यारह

ओबामा का असली मकसद महज कारोबार नहीं, गांधीवादी मनुस्मृति व्यवस्था और कारपोरेट जिओनिस्ट ग्लोबल ब्राह्मणवादी साम्राज्यवाद की वैश्वक जमीन तैयार करना है!

पलाश विश्वास
http://indianholocaustmyfatherslifeandtime.blogspot.com/

http://basantipurtimes.blogspot.com/

ओबामा का असली मकसद महज कारोबार नहीं, गांधीवादी मनुस्मृति व्यवस्था और कारपोरेट जिओनिस्ट ग्लोबल ब्राह्मणवादी साम्राज्यवाद की वैश्वक जमीन तैयार करना है!अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच करीब 10 अरब डॉलर ( 44 हजार करोड़ ) की डील की घोषणा की है। इन डीलों के पूरा होने पर अमेरिका में 50 हजार से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी। यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल मीट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत व्यापार प्रतिबंध हटाए, बदले में अमेरिका भी ऐसा ही करेगा। उन्होंने कहा,'ऐसी कोई वजह नहीं कि भारत अमेरिका का टॉप ट्रेडिंग पार्टनर (अभी भारत 12 वें नंबर पर है) नहीं बन सकता। अमेरिका एक्सपोर्ट कमिटियां बना रहा है ताकि सुरक्षा उपायों के कारण हाई टेक्नॉलजी ट्रेड प्रभावित न हो।'

ओबामा की यात्रा को कारोबारी बताना असली एजंडे से ध्यान बंटाना है। ओबामा ने जितनी बार गांधी और टैगोर को उद्धृत किया, उतनी ही बार ग्लोबल हिंदुत्व का परचम लहराया है। अकारण नहीं है कि ब्राह्मण वामपंथियों ने उनका तीखा विरोध करने से परहेज किया। संघ परिवार, कांग्रेस गठबंधन और वामपंथी तीनो राजनीतिक धड़े भारत में मनुस्मृति शासन कायम करने के लिए एकजुट है और गांधी नेहरु टैगोर के हिंदू राष्ट्रवाद को मजबूत करने के लिए अमेरिका की कदमबोशी करने से बाहतर तरीका और क्या हो सकता है? संसद में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने भाषण में 'राष्ट्रपिता महात्मा गांधी', 'धन्यवाद', 'पंचतंत्र' और 'जय हिंद' जैसे कई ऐसे प्रचलित हिंदी शब्दों का प्रयोग किया। उन्हें यह मालूम है कि इन शब्दों को बोलकर आम भारतीय की नब्ज को छुआ जा सकता है।

अब यह बात धीरे-धीरे साफ हो रही है कि पिछले कुछ महीनों से शेयर मार्केट में



जो तेजी का दौर चल रहा है, उसके पीछे ओबामा फैक्टर का हाथ है। जब से ओबामा ने भारत के दौरे की घोषणा की है, उसके बाद से अमेरिकी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने निवेश की झड़ी लगा दी। परिणाम सामने हैं, नवंबर में ही बीएसई सेंसेक्स ने 21 हजार को छू लिया।

वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति। भारतीय मूलनिवासियों के सबसे पड़े दुशमन गांधी, जिसने पूना समझौते के जरिए हमेशा के लिए तीन प्रतिशत बामहणों का राज कायम किया राम राज्य के बहाने, उनकी सत्य वर्ण व्यवस्था, अन्याय  और असमावनता का सत्यम असत्यम सच है। उनकी अहिंसा गांधीवादी राम राज्य के कारपोरेट युद्ध, अर्थ व्यवस्था और जीवन के हर क्षेत्र से पचासी फीसद मूलनिवासियों के सफाये के इंतजाम में, विशेष सैन्य अधिकार कानून,आतंकवाद निरोधक कानून, डायरेक्ट टैक्स कोड. नागरिकता संशोधन कानून, आर्थिक सुधार, यूनिक आइडेंटिटी पहचान, दमनकारी अत्याचारी इंतजामात और मूलनिवासियों की बेरोजगारी भुखमरी, विस्थापन, बामहनों और गांधी की जाति बनियों, इंडिया इनकारपोरेशन की सेनसेक्स प्रगति, निजीकरण, विनिवेश, भमंडलीकरण की प्रक्रिया में अभिव्यक्त है।संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने भारत को उभरती ताकत नहीं उभर चुकी ताकत बताया। ओबामा ने मार्टिन लूथर किंग के गांधी से प्रभावित होने की बात कही और कहा कि वह भी गांधी जी के अहिंसा के मूल्यों से प्रभावित हैं। ओबामा ने कहा कि गांधी जी से हमेशा प्रेरणा ली है और आज भी गांधी जी का अहिंसा का सिद्धांत जरूरी और व्यावहारिक है। ओबामा ने आध्यामिक गुरु विवेकानंद का भी जिक्र किया।

ओबामा अश्वेत हैं पर उनकी सरकार में जियोनिस्ट और ग्लोबल हिंदुत्व की महती भूमिका है। हिलेरी क्लिंटन से लेकर संघ परिवार, बाबी जिंदल से लेकर निक्की रंधावा की भरमार है। मध्यवर्ती चुनाव में पराजय से ओबामा कमजोर तो नहीं ही हुए, बल्कि उन्हें रिपब्लिकन हिंदुत्व का भारी समर्थन मिला है। जुबान पर गांधी टैगोर, हिंसा और सत्याग्रह के भाषण और इंडिया इनकारपोरेशन से वैश्वक साम्राज्य की सौदेबाजी, अमेरिकी ङथियार उद्योग के लिए न्यारा वारा बताता है कि वे किस गांधीवाद का अनुपालन कर रहे हैं। यह बहुजन मूलनिवासियों के सत्यानाश का जोरदार चाकचौबंद इंतजाम है।

आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का एजंडा ग्लोबल हिंदुत्व और जिओनिज्म के एजंडे को एकाकार कर देता है। रामराज्य दरअसल अश्वमेध यज्ञ की निरंतरता है, जिसे गांधी और टैगोर ने अंध राष्ट्रवाद में बदल दिया है और विश्व बैंक, आईएमएफ के चाकरों, इंडिया इनकारपोरेशन के नुमाइंदों, बामहन अर्थशास्त्रियों, नौकरशाहो और मीडिया ने इसे अमेरिकीकरण बना दिया है, जो दरअसल एलपीजी राज की स्थापना है और मुलनिवासियों के लिए इस देश को गैस चैंबर और भोपाल गैस त्रासदी मे तब्दील करना है। इस नये बंदोबस्त में फिलीस्तीन, इराक, अफगानिस्तान, सोमालियो, लातिन अमेरिका, अयोध्या, गुजरात नरसंहार, माओवादी हिंसा और कश्मीर का पूरा नक्शा गड्डमडड है। अमेरिकी अंध राष्ट्रवाद, रामराज्य, भारतमाता, मनुस्मृति, संघी हिंदू राष्ट्र वाद, नरसंहार की संस्कृति, गेस्टापो, मिथ्या मार्क्सवाद, समाजवाद, खुला बाजार और संसदीय लोकतंत्र का ब्राह्मणवादी वर्चस्ववाद जिओनिज्म और ग्लोबल हिंदुत्व के महामिलन महासागर में एकाकार है।

हम शुरू से तालिबान और अलकायदा सेत विश्व व्यापी आतंकवाद को अमेरिकी जियोनिस्ट ङियार उद्योग और युद्धक अर्थव्.वस्था की उपज मानते रहे हैंष इराक ईरान और अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान के युद्ध का बुनियादी मकसद कारपोरेट साम्राज्यवाद है, जो माओवादी हिंसा और हिंदू राषट्रवाद का भी टरम परम आध्यात्मिक लक्ष्य है। मुंबई २६११ और हेडली प्रकरण ले इस समीकरण को बेनकाब कर दिया है। पाकिस्तान नहीं, मूलनिवासियों का सबसे बड़ा दुश्मन ब्राहमणवाद है। प्रणव मुखर्जी, निलेकनी, आहलूवालिया, चिदंबरम, पित्रोदा और उनके सरगना मनमोहन सिंह ओबामा अमेरिका समर्थित पोषित सबसे बड़े दहशतगर्द हैं।

भारत में एलपीजी माफिया की सरकार रोजगार और आजीविका को खत्म कर रही है। विकास के नाम पर नरसंहार जारी है। पर ओबामा की मदद के लिए भारतीय उद्योगपति अमेरिका में अगले पांच साल में दस लाख नौकरियों का सृजन करेगी।

उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ :सीआईआई: ने रविवार को कहा कि भारत से बुनियादी ढांचा उपकरणों, परमाणु हार्डवेयर तथा सैन्य विमानों की खरीद संबंधी आर्डरों से अमेरिका में अगले दस साल में सात लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं।

परिसंघ ने अमेरिका में परिचालन कर रही अपनी सदस्य कंपनियों से एक सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला है। इसके अनुसार अमेरिका में भारतीय कारोबार अब केवल आईटी तथा आईटीईएस तक सीमित नहीं है और यह व्यापक हो चला है।

इस रपट में अनुमान लगाया गया है भारत द्वारा अमेरिकी सैन्य, परमाणु हार्डवेयर तथा असैन्य विमानों की खरीद से अगले दस साल में अमेरिका में 7,00,000 से अधिक नौकरियां मिल सकती हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा इन दिनों भारत की यात्रा पर हैं और उन्होंने कल भारतीय तथा अमेरिकी कंपनियों के बीच दस अरब डालर मूल्य के सौदों की घोषणा की।

इनके तहत रिलायंस पावर दो अरब डालर के उपकरण खरीदेगी जबकि स्पाइसजेट ने बोइंग से 30 विमान खरीदने का सौदा किया है। इन सौदों से अमेरिका में 50,000 से अधिक नौकरियां पैदा होंगी। रपट में कहा गया है कि अमेरिका में परिचालन कर रही भारतीय कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर भर्तियां कर रही हैं।

पूना समझौते से लोकतंत्र बैमायने हो गया। बामहणों के चुने हुए सांसद विधायक मंत्री उन्हीं के हित में खड़े होते हैं। ओबामा के संसदीय भाषण से भी यह साफ हुआ है।अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा सोमवार को संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में दिए गए भाषण को मुख्य विपक्षी दल भाजपा समेत लगभग सभी दलों ने जहां भारत के विकास की दृष्टि से सकारात्मक बताया तो वहीं वाम दलों ने गरीबी उन्मूलन का जिक्र नहीं होने के आधार पर इसे महज शब्दों की बाजीगरी करार दिया।

ओबामा ने घोषणा की है कि



उनका देश भारत के लिए निर्यात नियमों में ढील देगा, जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत को सैन्य और असैन्य प्रोडक्ट और तकनीक का निर्यात आसान हो सकेगा। ओबामा ने यह घोषणा शनिवार को भारत और अमेरिका के कारोबारी दिग्गजों की एक बैठक में की। इसमें जेफ इमेल्ट, मुकेश अंबानी, रतन टाटा और आनंद महिंद्रा जैसे इंडिया इंक के बड़े नाम शामिल थे। ओबामा के भाषण में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई और नई व्यवस्था को लागू करना अब एक विशेषज्ञ समूह के विचार-विमर्श पर निर्भर करेगा।

संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने भारत को उभरती ताकत नहीं उभर चुकी ताकत बताया। ओबामा ने मार्टिन लूथर किंग के गांधी से प्रभावित होने की बात कही और कहा कि वह भी गांधी जी के अहिंसा के मूल्यों से प्रभावित हैं। ओबामा ने कहा कि गांधी जी से  हमेशा प्रेरणा ली है और आज भी गांधी जी का अहिंसा का सिद्धांत जरूरी और व्यावहारिक है। ओबामा ने आध्यामिक गुरु विवेकानंद का भी जिक्र किया।
       

       

अथ श्री ओबामा उवाच

       
       
       
       
       
                                         
   
           
Nov 08, 12:30 am
           
                                                               
                               
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[जिहाद]
इस्लाम में जिहाद और हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। मैं खुद इस्लाम धर्म की बहुत इज्जत करता हूं। सबसे बड़ी चुनौती ये है कि हम उन लोगों को कैसे अलग-थलग करें, जिन्होंने जिहाद को गलत तरीके से पेश किया है। आज दुनिया भर में अलग-अलग धर्मो, जातियों, नस्लों के लोग एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं और दुनिया को तरक्की पर ले जा रहे हैं।
[भारत]
लोग कहते है कि भारत एक ताकत के रूप में उभर रहा है। परंतु मेरा मानना है कि भारत पहले ही क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक शक्ति के रूप में उभर चुका है। अमेरिका भारत को एक वैश्रि्वक ताकत के रूप में देखता है। भारत का एक ताकत के रूप में उभरना पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।
[पाकिस्तान]
हम एक स्थिर, शांत और समृद्ध पाकिस्तान चाहते हैं। पाकिस्तान में अस्थिरता, कंट्टरता और आतंकवाद दुनिया के लिए कैंसर के समान है। पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रगति उतनी तेज नहीं है, जितनी हम चाहते हैं।
[भारत-पाक रिश्ते]
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा बहुत ही मुश्किल रहे हैं। इतिहास इसका गवाह है कि दोनों देशों के रिश्ते अत्यंत जटिल रहे हैं। मैं चाहता हूं कि पाकिस्तान और भारत के बीच बातचीत शुरू हो और जो भी मतभेद हैं, उनका निपटारा हो। दोनो देश एक-दूसरे के साथ शांति से रहें।
[अमेरिका-पाक रिश्ते]
हम पाकिस्तान के दोस्त हैं और उसके साथ ईमानदार रहना चाहते हैं। मैंने हमेशा ही अपनी विदेश नीति में पाकिस्तान को महत्व दिया है। हम एक स्थिर, शांत और समृद्ध पाकिस्तान चाहते हैं।
[एशिया और पाकिस्तान]
एशिया में स्थिरता के लिए पाकिस्तान का स्थिर होना जरूरी है। पाकिस्तानी तरक्की से सबसे ज्यादा फर्क भारत पर पड़ेगा और यह भारत के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। पाकिस्तानी अस्थिरता का सबसे ज्यादा नुकसान भारत को ही उठाना पड़ेगा।
       
       


अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी यह किसी देश की सबसे लम्बी यात्रा है। ओबामा ने कहा कि वह और मिशेल भारत के मूल्यों से प्रभावित हैं। उनकी राय में 21वीं सदी के लिए दोनों देशों में दोस्ती जरूरी है। ओबामा मानते हैं कि भारत में निष्पक्ष चुनाव भारतीय लोकतंत्र की नींव है।

संसद भवन में ओबामा के हिन्दी में 'बहुत धन्यवाद' कहने पर पर सांसदों ने खूब तालियां बजाई। इसी के साथ ओबामा ने अपने भाषण का समापन 'जय हिन्द' शब्दों के साथ किया। ओबामा के पूरे भाषण करीब 35 बार सांसदों ने जोरदार तालियों के साथ उनका अभिनंदन किया। इससे पहले संसद भवन पहुंचने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने स्वागत किया।

ओबामा ने सेंट्रल हॉल में गोल्डन बुक में हस्ताक्षर किए। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सबसे पहले संबोधन प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का स्वागत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कर रहा है।

भारत ने आज अमेरिका की इस घोषणा का स्वागत किया कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य के रूप में देखना चाहता है !

भारत यात्रा पर आये अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच आज यहां हुए व्यापक विचार विमर्श के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की वकालत की तथा श्री ओबामा ने स्थायी सदस्यता के भारत के दावे का समर्थन किया !   डा. सिंह ने श्री ओबामा की इस घोषणा का स्वागत करते हुए इसकी सराहना की !

क्षेत्रीय और विश्व मामलों पर दोनों नेताओं ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को और पुख्ता बनाने का इरादा व्यक्त करते हुए कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवाद के अड्डों का सफाया होना चाहिए तथा कट्टरपंथी विचारधारा को परास्त किया जाना चाहिए !

संयुक्त वक्तव्य में आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा सहित सभी आतंकवादी संगठनों का ताना बाना नष्ट करने के लिए संयुक्त प्रयास करने का निश्चय भी किया गया1 दोनों देशों ने घरेलू सुरक्षा विभागों के बीच निरंतर संवाद कायम करने तथा आतंकवाद विरोधी तकनीकों के हस्तांतरण पर भी सहमति व्यक्त की !

दोनों देशों ने आतंकवादियों के आर्थिक संसाधनों को भी खत्म करने के लिए कोशिश करने का निश्चय किया ! दोनों नेताओं ने परमाणु निरस्त्रीकरण संधि के लिए वार्ताओं में हो रही देरी पर खेद व्यक्त करते हुए सैन्य परमाणु सामग्री के भविष्य में उत्पादन पर रोक लगाये जाने का भी समर्थन किया है !

भारत में परमाणु कारोबार को सुगम बनाने के लिए कानूनी प्रावधानों पर दोनों नेताओं ने संतोष व्यक्त किया1 अमेरिका का आग्रह था कि उसकी कंपनियों को भारत में परमाणु कारोबार के लिए समुचित माहौल उपलब्ध होना चाहिए तथा कानूनी प्रावधान अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप होने चाहिए !   दोनों देशों ने भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच इस संबंध में हो रही वार्ताओं का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की कि असैन्य परमाणु सहयोग पूरी तरह अमल में आयेगा !  अमेरिका ने परमाणु सामग्री आपूर्तिकर्ता समूह सहित चार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत को पूर्ण सदस्यता दिलाने का आश्वासन दिया !
ओबामा का कहना था, 'हम भले ही अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत कर रहे हैं लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि दोनों देशों के बीच उच्च स्तर के कारोबार के बीच गैर-जरूरी बाधाएं न आएं। हम निर्यात नियमों में ढील के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेंगे। इससे बहुत से हाई-टेक सेक्टरों में आपसी सहयोग बढ़ेगा और हमारे संबंध मजबूत होंगे।' निर्यात नियमों में ढील से भारत के अंतरिक्ष और रक्षा सेक्टरों से जुड़े इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) जैसे संगठनों को निर्यात करना अमेरिकी कंपनियों के लिए आसान हो सकता है। लेकिन यह अभी निश्चित नहीं है और राष्ट्रपति ने केवल निर्यात पर नियंत्रण व्यवस्था में 'सुधार' का जिक्र किया है।

ओबामा के संबोधन के केन्द्र में भारतीय बाजार संभावनाओं और भारत को निर्यात से पैदा होने वाली नौकरियां थीं। ओबामा की डेमोक्रेटिक पार्टी को पिछले सप्ताह मध्यावधि चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी को हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में बहुमत खोना पड़ा है। राष्ट्रपति ने भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच 10 अरब डॉलर (लगभग 44,000 करोड़ रुपए) के 20 सौदों का जिक्र किया, जिनसे अमेरिका में 50,000 नौकरियां मिलेंगी। ओबामा ने ट्राइडेंट होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में कहा, 'अमेरिका में कारोबार में निवेश और नौकरियों के अवसरों के लिए मैं पूरा प्रयास करूंगा और मुझे ऐसा करने में कोई शर्मिंदगी नहीं है। मैं भारत को निर्यात बढ़ाने के लिए अमेरिकी सरकार के सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा हूं।'

घोषित सौदों में भारतीय एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट को बोइंग द्वारा विमानों की बिक्री और अनिल अंबानी ग्रुप द्वारा लगाए जा रहे एक पावर प्लांट के लिए जीई को गैस टर्बाइन की आपूर्ति के लिए 75 करोड़ डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट शामिल था। ओबामा ने बताया कि बतौर राष्ट्रपति अमेरिका से बाहर उनकी यह अभी तक की सबसे लंबी यात्रा है। उनका कहना था कि वह उत्साह के साथ भारत की प्रगति की स्वागत करते हैं। ओबामा ने कहा कि अमेरिकी कंपनियां भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और रक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद के लिए तैयार हैं। महिंद्रा ग्रुप के आनंद महिंद्रा का कहना था कि इस बात में कोई अचरज नहीं है कि ओबामा भारत के साथ संबंधों से अमेरिका को होने वाले फायदे पर जोर दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'लंबे समय से भारत की ब्रांड इमेज हाथ बढ़ाकर कुछ मांगने की रही है। चलिए इस मौके का इस्तेमाल समान धरातल पर खड़े होने के लिए करें।' ओबामा के मुंबई में उतरने से पहले ही ओबामा प्रशासन अमेरिका में नौकरियां पैदा करने वाली डील का खाका खींचने में लगा था। एयर फोर्स वन में एक लंबी प्रेस ब्रीफिंग में अमेरिका के उच्चाधिकारियों ने एशिया के आथिर्क महत्व का खुलकर बखान किया। ओबामा भारत से इंडोनेशिया और फिर दक्षिण कोरिया जाएंगे। भारतीय अधिकारियों ने ओबामा के भाषण का स्वागत किया गया है। फिक्की के महासचिव अमित मित्रा ने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा एक कदम आगे जाना है। पिछले कुछ वर्षों से हम इस दिशा में कोई प्रगति नहीं कर रहे थे।'


एक्सपोर्ट रूल में नरमी से डीआरडीओ और इसरो जैसे संगठनों को टेक्नॉलजी ट्रांसफर पर लगी रोक हट सकती है। अमेरिका मीडिया में पहले ही कहा गया था कि भारत की ओर से आयात नियमों में ढील के बदले अमेरिका डीआरडीओ और इसरो जैसे संगठनों के लिए दोहरे काम (सैन्य-असैन्या) में इस्तेमाल हो सकने वाली टेक्नॉलजी के निर्यात पर रोक हटा सकता है।

ओबामा ने कहा कि भारत में आउटसोर्सिंग से अमेरिका में नौकरियों का नुकसान होता है, ट्रेड में इस तरह का एकतरफा रुख ठीक नहीं है, दोनों तरफ से गतिशील रिश्तों की जरूरत है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारा लक्ष्य अगले 5 सालों में अमेरिका- भारत व्यापार दोगुना करने का है। अमेरिका भारत में निवेश और बिजनेस बढ़ाना चाहता है, इससे दोनों देशों को फायदा होगा।'

उन्होंने कहा कि मेरे यहां पहुंचने से ठीक पहले कई डील हुई हैं। बोइंग भारत को दर्जनों प्लेन बेचेगी, तो जीई ने सैकड़ों इलेक्ट्रिक इंजन बेचने का सौदा किया है। ये डील 10 अरब डॉलर के हैं, जिससे अमेरिका में 50 हजार से अधिक लोगों को नौकरियां मिलेंगी। ओबामा की मौजूदगी में अनिल अंबानी ने जीई कंपनी से 2,400 मेगावाट के पावर प्रॉजेक्ट के लिए गैस टरबाइन खरीदने का करार किया। बोइंग के साथ प्राइवेट एयरलाइंस स्पाइसजेट ने डील की है।

अमेरिकी-भारतीय सीईओ की इस बैठक में ओबामा ने कहा, '10 अरब डॉलर के ये सौदे तो विशाल संभावनाओं का अंश मात्र हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत आने वाले समय में दुनिया का विशाल बाजार बनने वाला है और अमेरिकी कंपनियां यहां निवेश बढ़ाना चाहती है। पर इसके लिए जरूरी है कि भारत में शुल्क संबंधी अनिश्चितताएं दूर कर दी जाए और व्यापार के रास्ते में आने वाले दूसरी अडचनें समाप्त हों।'

ओबामा ने पाक के साथ संबंधों को चौपट कर दिया : बुश
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने अपने रिपब्लिकन उत्तराधिकारी बराक ओबामा की आलोचना करते हुए कहा है कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों को चौपट कर दिया। बुश अफगानिस्तान के बारे में अमेरिकी नीति को लेकर भी चिंतित हैं।
न्यूयार्क डेली न्यूज ने बुश के करीबी एक रिपब्लिकन अधिकारी के हवाले से कहा कि बुश ओबामा को एक विफल राष्ट्रपति मानते हैं। उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों को चौपट कर दिया है।
अधिकारी ने कहा, ''उन्हें लगता है कि नीतियों में बदलाव आया है।'' मौजूदा अफगानिस्तान रणनीति के बारे में चिंतित बुश ने सैनिकों की संख्या बढ़ाने और आतंकी निशानों के खिलाफ अधिक प्रभावी ड्रोन हमले किये जाने का समर्थन किया।
ओबामा के बारे में पूछे जाने पर बुश ने कहा, ''मैं चाहता हूं कि हमारे राष्ट्रपति सफल हों क्योंकि यदि हमारे राष्ट्रपति सफल होते हैं तो हमारा देश सफल होगा। मैं चाहता हूं कि मेरा देश सफल हो।'' बुश इससे पहले रिपब्लिकन नेता सारा पालिन को देश के अगले प्रमुख पद के लिए अयोग्य करार दे चुके हैं। गौरतलब है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति मंगलवार को अपनी पुस्तक ''डिसीजन प्वाइंट्स'' भी जारी करने जा रहे हैं।

शेयर मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरह से ओबामा ने दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने की बात कही है, उससे माकेर्ट में मनी फ्लो बढ़ेगा। कोई बड़ी बात नहीं मार्च-2011 तक सेंसेक्स 24 से 25 हजार के स्तर को छू ले।

दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज (डीएसई) के पूर्व प्रेजिडेंट बी.बी. साहनी का कहना है, इसमें दो राय नहीं है कि ओबामा का भारत में आना, भारतीय मार्केट खासकर शेयर मार्केट के लिए बोनांजा साबित हुआ है। विदेशी निवेशकों को पता है कि अब अमेरिका, भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करना चाहता है। अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करने के लिए लालायित हैं। इससे विदेशी निवेशकों को बल मिला है। अब वे खुलकर शेयरों में निवेश कर रहे हैं।

बोनांजा पोर्टफोलियो के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट अविनाश गुप्ता मानते हैं कि ओबामा ने भारतीय शेयर मार्केट के सेंटिमेंट को गरमा दिया है। अब जबकि ओबामा ने खुलकर भारत के साथ कारोबार बढ़ाने और हाई टेक्नॉलजी में छूट देने की बात की है, आने वाले समय में शेयर मार्केट का सेंटिमेंट इससे गरमाता रहेगा।

गौरतलब है कि भारतीय शेयर मार्केट में मौजूदा समय में करीब 934 विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) हैं। इनमें से 832 अमेरिकी एफआईआई हैं। ये एफआईआई ही इस वक्त शेयरों में भारी धन लगा रहे हैं।

नैक्सिस इंफोटेक लिमिटेड के प्रमुख और सीनियर शेयर ब्रोकर सुधीर जोशी का कहना है कि ओबामा का यह दौरा बेशक सौ पर्सेंट न हो, मगर 80 पर्सेंट विशुद्ध व्यापारिक दौरा है। उनका एक ही अजेंडा है कि भारत के साथ कारोबार बढ़ाया जाए। अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत के बाजारों को पूरे तौर पर खोल दिया जाए। ओबामा के जाने के बाद इस मामले पर काम शुरू हो जाएगा। दोनों तरफ से कंपनियां एक-दूसरे के यहां निवेश करेंगी।

निश्चित तौर पर ओबामा के भारत आने और भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को चरम पर ले जाने की बात से शेयर मार्केट नई ऊंचाइयों पर जा सकता है।





दिल्ली में दिखा मनमोहन-ओबामा का याराना
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच मधुर संबंध की एक झलक फिर से दिल्ली हवाई अड्डे पर रविवार को दिखी। यहां विमान से उतरते ही ओबामा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ऐसे गले मिले मानो वे दोनों लम्बे समय बाद मिले हों।
ओबामा अपनी पत्नी मिशेल के साथ रविवार को दिन में 3.30 बजे दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे। हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी के लिए प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, विदेश सचिव निरुपमा राव, अमेरिकी राजदूत टिमोथी जे. रोमर और दूसरे गणमान्य लोग मौजूद थे। अपने विशेष विमान एयरफोर्स वन से उतरते ही ओबामा प्रधानमंत्री से गले मिले। फिर दोनों नेताओं ने बड़ी गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया।
हवाई अड्डे पर दोनों नेताओं का मिलना न सिर्फ राजनयिक बल्कि सामाजिक स्तर पर वाकई दर्शनीय था। इस तरह दो राष्ट्राध्यक्षों को मुस्कराते हुए गले मिलते हुए विरले ही देखा जाता है। ओबामा का अपने दोस्त मनमोहन को यहां देखकर प्रफुल्लित होना लाजिमी था क्योंक प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल से जुड़ी परम्परा की परवाह किए बगैर खुद हवाई अड्डे पर मौजूद थे। वैसे दोनों दोस्तों की मुलाकात रात में भोज के दौरान होगी और फिर सोमवार को दोनों आधिकारिक तौर पर मिलेंगे।
वैसे मनमोहन की दोस्ती सिर्फ ओबामा से ही नहीं बल्कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से भी काफी प्रगाढ़ थी। वर्ष 2006 में जब बुश भारत के आधिकारिक दौरे पर आए थे तो उस समय भी मनमोहन इसी तरह उनकी अगवानी करने सीधे हवाई अड्डे पहुंच गए थे।

अमेरिका के राष्ट्रपति ने सोमवार शाम भारतीय संसद को संबोधित किया। ओबामा के संबोधन में भारतीयता को गौरवान्वित करने वाले कई अर्थ साफ सुने जा सकते थे। ओबामा ने देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को और देश के प्रजातंत्र को केंद्रीत करके अपना भाषण शुरू किया। ओबामा के भाषण के मुख्य बिंदु थे...
-संसद को संबोधित करने का मौका देने के लिए शुक्रिया।
-मेरी, मिशेल और सभी अमेरिकियों की तरफ से बहुत धन्यवाद।
-मुझे इस बात का गर्व है कि मैं राष्ट्रपति बनने के बाद इतनी जल्दी भारत आया।



-ये इत्तेफाक नहीं है कि मेरे इस विदेश दौरे की शुरुआत भारत से हुई है।
-भारत उभरता हुआ देश नहीं बल्कि एक उभरा हुआ देश है।
-अगर गांधी के संदेश नहीं होते तो मैं आज अमेरिका का राष्ट्रपति के रूप में आपके सामने नहीं खड़ा होता।
-भारत और अमेरिका की दोस्ती 21वीं सदी में मील का पत्थर साबित होगी।
-भारत ने मानवता के लिए अपने दरवाजे खोले हैं।
-भारत ने विविध धर्मों को अपने यहां जगह दी है ।
-भारत ने तमाम अविष्कारों के साथ विश्व को शून्य दिया है।
-भारत ने गांधी जी के जरिए अहिंसा का पाठ पढ़ाया है।
-गांधी जी ने ही मार्टिन लूथर किंग को राह दिखायी।
-गांधी जी ने भारतवासियों को अपना भविष्य़ खुद लिखने की प्रेरणा दी ।
-मैं राजघाट जाकर खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हूं ।
-भारत ने अपनी प्रगति और तरक्की से उन लोगों के मुंह बंद किए जो आजादी के वक्त इसे एक गरीब मुल्क समझते थे।
-आप लोगों ने आम चीजों में ही नहीं बल्कि आधुनिक तकनीक के अविष्कारों में भी तरक्की की है।
-आप लोगों ने भारत के विचार को विश्व के सामने पेश किया है जो एक सबक है।
-आपने अपने देश में निष्पक्ष चुनावों की परंपरा शुरू करके लोकतंत्र को मजबूत किया है।
-आपके यहां हर किसी की आवाज सुनी जाती है।
-भारत ने सिर्फ लोकतांत्रिक मूल्यों को ही नहीं बढ़ाया है बल्कि वह लोकतंत्र के खंभे के तौर पर उभरा है।
-गुट निरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत भारत के दृढ़संकल्प को दर्शाती है।
-हमें अपनी दोस्ती को आपसी फायदे से आगे बढ़ाकर विश्व के फायदे के लिए इस्तेमाल करना है।
-अमेरिका और भारत के हित एक दूसरे की दोस्ती में हैं।
-अमेरिका स्थिरता, शांति, मजबूत अर्थव्यवस्था, सुरक्षित विश्व चाहता है। भारत भी इन्हीं मूल्यों को मानता है।
-भारत न सिर्फ एक उभरती शक्ति है बल्कि ये एक ताकत है जो दुनिया को रोशनी दिखाता है, अमेरिका भी यही करता है।
-हम मुक्त बाजार और अर्थव्यवस्था में विश्वास रखते हैं इसीलिए मेरे मुताबिक अमेरिका और भारत एक दूसरे से अलग नहीं रह सकते।
-भारत और अमेरिका काफी अहम मुद्दों पर काफी समय से साथ काम कर रहे हैं।
-जी 20 में हमने तमाम दूसरे मुल्कों को अपनी आवाज उठाने का मौका दिया है।
-हम संयु्क्त राष्ट्र के शांति प्रयासों में भारत की मदद के कायल हैं।
-हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का समर्थन करते हैं।
-हम हाईटेक सेक्टर में एक-दूसरे की मदद करेंगे।
-हम संयुक्त शोध संस्थान खोलेंगे जिससे क्लीन एनर्जी की व्यवस्था होगी।
-अमेरिका विश्व की सबसे खुली अर्थव्यवस्था है और रहेगी। भारत को भी ये करना होगा।
-कृषि क्षेत्र में हमें मिलकर काम करना होगा। भारत किसानों को सशक्त कर रहा है।
-भारत और अमेरिका में हरित क्रांति की जरूरत है।
-फसल और मौसम अनुमान सिस्टम लगाने की जरूरत है जिसे अमेरिका स्थापित करेगा।
-हम भारत की कृषि क्षमता को अफ्रीका में इस्तेमाल करेंगे और भूखमरी का खात्मा होगा।
-हम टीबी और एड्स जैसी बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए वचनबद्ध हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करेंगे।
-निर्दोषों की हत्या से बड़ा अपराध नहीं हो सकता है।
-आतंकवाद के नासूर को जड़ से खत्म करना होगा।
-मैं मुंबई हमले के वक्त भारत के लोगों के संयम की सराहना करता हूं।
-अफगानिस्तान में भारत की अहम भूमिका है।
-अमेरिका का वादा है कि वो अफगानिस्तान के लोगों को उनकी जमीन वापस करेगा।
-हम पाकिस्तान के साथ बात करेंगे कि सीमावर्ती इलाकों में चरमपंथियों पर लगाम लगे।
-पाकिस्तान की जमीन पर मौजूद आतंकियों को खत्म करना होगा।
-हम पाकिस्तान को कहेंगे कि वो अपनी जमीन से आतंकवाद को खत्म करे और मुंबई के दोषियों को सजा दिलाए।
-हम पाकिस्तान और भारत की बातचीत के पक्षधर हैं लेकिन चाहते हैं कि कश्मीर का मुद्दा दोनों देश आपस में सुलझाएं।
-हम आने वाले दिनों में भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में देखना चाहते हैं।
-अमेरिका विश्व में शांति चाहता है।
-हम चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल देश मजबूत हों ताकि उसके फैसलों पर मजबूती से अमल हो सके।
-भारत को शुरुआत करनी होगी कि विश्व बिना परमाणु बम के हो और शांति रहे।
-अमेरिका में सरकार खुली, पारदर्शी और लोगों के प्रति जवाबदेह होती है, भारत में भी यही व्यवस्था है।
-मुक्त शासन के लिए पारदर्शिता जरूरी है।
-जब भारत में चुनाव होते हैं तो दुनिया देखती है। ये विस्मय करने वाली प्रक्रिया है।
-ये लोकतंत्र में भारत के विश्वास का प्रतीक है।
-दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र होने के नाते भारत और अमेरिका से दुनिया को ज्यादा अपेक्षाएं हैं।
-भारत मिसाल बन रहा है अफ्रीका और उन देशों के लिए जो ब्रिटिश राज से आजाद हुए हैं।
-शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रयासों पर कुठाराघात होता है तो तकलीफ होती है।
-राजनीतिज्ञों की जिम्मेदारी है कि वो दुनिया को एक सुरक्षित और ईमानदार विश्व दें।
-भारत ने सदियों की तरक्की दशकों में हासिल कर ली है।
- इस रफ्तार को थमने नहीं देना है।
-अमेरिका हमेशा भारत के साथ हर मुद्दे पर हर मामले में हर वक्त साथ है।
-हमारा मानना है कि भविष्य सुरक्षित हो और हर किसी को अपनी बात कहने का मौका मिले।
-डॉ. अंबेडकर ने विश्व को लोकतांत्रिक मूल्य समझने का मौका दिया।
-चांदनी चौक से लेकर कोलकाता और बैंगलोर तक में आम आदमी को अपनी बात कहने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने का मौका मिलता रहे।
-भारत और अमेरिका की यही कहानी है – हम बिना मतभेदों को सामने लाए एक-दूसरे की बात समझते हैं।
-हमें विश्व चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विश्व साझेदारी करनी होगी।
-जय हिंद! भारत अमेरिका दोस्ती अमर रहे!
आर्बिट्राज से FII ने किए अरबों के वारे-न्यारे

अक्टूबर सीरीज की एक्सपायरी पर कॉस्ट ऑफ कैरी में आए



असाधारण उछाल के कारण कारोबारियों को अपने सौदे नवंबर सीरीज में रोलओवर करने के बजाय काटने पर मजबूर होना पड़ा। लेकिन विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) इस स्थिति में भी मोटा मुनाफा बनाने में कामयाब रहे क्योंकि उन्होंने एक्सपायरी के ही दिन बड़ी संख्या में इंडेक्स फ्यूचर की बिक्री की और इस तरह उन्होंने ज्यादा प्रीमियम का फायदा उठाया। एफआईआई आंकड़ों पर एक नजर डालने से संकेत मिलता है कि वे पिछले कुछ कारोबारी सत्रों में स्टॉक फ्यूचर के शुद्ध बिकवाल रहे हैं, लेकिन उन्होंने कैश मार्केट में खरीदारी की है।


हो सकता है कि यह बिक्री उन्होंने शेयरों की अपनी खरीद को हेज करने के लिए की हो या फिर ऐसा कैश-फ्यूचर आर्बिट्राज के नतीजे के तौर पर सामने आया है। आईआईएफएल प्रीमिया के एवीपी डेरिवेटिव्स मनोज मुरलीधरन ने कहा, 'आम तौर पर ताजा आर्बिट्राज को बाजार में बुलिश सेंटीमेंट के तौर पर देखा जाता है।' उनके मुताबिक, दायरे में चल रहे बाजार में आर्बिट्राज का मकसद यह अटकलबाजी हो सकती है कि एक बार अगर निफ्टी अपने दायरे से निकल कर नई ऊंचाई की ओर बढ़ेगा, तो इंडेक्स फ्यूचर में शॉर्ट कवरिंग से इस तेजी का बरकरार रहना सुनिश्चित हो जाएगा।


विश्लेषकों का कहना है कि कैश और फ्यूचर के बीच सीरीज की शुरुआत में प्रीमियम आमतौर पर 60-70 बीपीएस होता है, लेकिन इस बार नकदी की कमी के कारण यह अंतर 180-200 बीपीएस हो गया, जिसके कारण बने आर्बिट्राज अवसर का लाभ उठाने के लिए संस्थागत निवेशक आकर्षित हुए। एफआईआई ने पिछले दो महीनों में केवल आर्बिट्राज में 5 अरब डॉलर के करीब रकम लगाई और लगभग 1.5-2 फीसदी पूरी तरह से सुरक्षित मुनाफा बनाया। निर्मल बांग सिक्योरिटीज के डेरिवेटिव्स स्ट्रैटेजिस्ट शशांक मेहता ने कहा, 'अक्टूबर एक्सपायरी के दिन हमने कैश और नवंबर फ्यूचर के बीच कई दिग्गज शेयरों, जैसे आईटीसी, आईडीएफसी, गेल, स्टरलाइट, एचपीसीएल, बीपीसीएल, टाटा स्टील, सन फार्मा और बहुसंख्यक मझोली बैंकिंग कंपनियों का स्प्रेड 170 बीपीएस से ज्यादा तक हो गया।'


फंड हाउस बाजार में एक साथ तेजी और मंदी के सौदे कर सकते हैं और इसलिए कैश-फ्यूचर आर्बिट्राज कर पाते हैं। इस रणनीति के तहत निवेशक एक शेयर खरीदता है और उसी समय उनका स्टॉक फ्यूचर शॉर्ट सेल कर देता है। अमूमन ऐसा उसी शेयर में किया जाता है, जिसका फ्यूचर स्पॉट के मुकाबले प्रीमियम पर चल रहा हो। इससे उन्हें मुनाफा बनाने का मौका मिल जाता है, जो कि लगभग जोखिम मुक्त होता है क्योंकि शेयर और उसके फ्यूचर के बीच का अंतर आम तौर पर स्थिर होता है। जैसे, अगर कोई विदेशी फंड 100 रुपए का एक शेयर खरीद कर उसे फ्यूचर में 101 रुपए पर शॉर्ट कर दे, तो वह 1 रुपया का मुनाफा बनाएगा। निपटान पर, फंड स्टॉक फ्यूचर में अपना शॉर्ट कवर कर लेगा और कैश में खरीदा शेयर भी बेच देगा।
       

       

कैसे देखें ओबामा के गांधी प्रेम को?

       
       
       
       
       
                                         
   
           
Nov 08, 12:31 am
           
                                                               
                               
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ओबामा का महात्मा गांधी प्रेम जग जाहिर है। ओबामा के इस 'गांधी प्रेम' को कैसे देखें? इस पर गांधीवादियों की अलग-अलग राय है। गांधीवादियों का मानना है कि ओबामा भले ही विश्व के शक्तिशाली नेता हैं, लेकिन उनके गांधी प्रेम को देखते हुए किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता।
गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव सुरेंद्र कुमार कहते हैं, 'गांधी के प्रति ओबामा के नजरिए की विभिन्न व्याख्याएं की जा सकती है।'
उन्होंने कहा, 'ओबामा के बार-बार गांधी को याद करने के मायने हम यूं निकाल सकते हैं कि अमेरिकी राजनीति की गांधी दर्शन में दिलचस्पी बढ़ रही है और ओबामा की टिप्पणियों से उनके देश में गांधी और लोकप्रिय होंगे।' उन्होंने यह भी कहा, 'एक नजरिए से महात्मा गांधी की शख्सीयत किसी ताकतवर राष्ट्राध्यक्ष के प्रमाण-पत्र की मोहताज नहीं है।'
गांधीवादी विचारक और लखनऊ विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. शैलनाथ चतुर्वेदी कहते हैं, 'ओबामा भारतीय जनमानस की नब्ज जानते हैं, इसीलिए वह मणि भवन गए और गांधी का जिक्र किया।' उन्होंने कहा कि अमेरिका के हाल के वर्षों के इतिहास को देखते हुए हम यह नहीं कह सकते कि ओबामा के दृष्टिकोण के कारण गांधी अमेरिका में प्रासंगिक हो जाएंगे।
बापू में ओबामा की श्रद्धा का पता इससे चलता है कि मुंबई आने के कुछ ही घंटों में उन्होंने राष्ट्रपिता को भारत का ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व का 'नायक' बताया। वह मुंबई स्थित मणि भवन गए, जहां गांधीजी ठहरा करते थे। आठ नवंबर को ओबामा राजघाट जाकर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देंगे। 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर मनाए जाने वाले विश्व अहिंसा दिवस पर ओबामा ने कहा था कि अमेरिका की जड़ें गांधी के भारत में है। वजह यह कि उनके आदर्शों को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने भी साझा किया था और इससे अमेरिकी समाज में काफी बदलाव आया था।
       
               

       

ओबामा के नयनों को भा गई नैनो

       
       
       
       
       
                                         
   
           
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दुनिया के सबसे समृद्ध देश के मुखिया बराक ओबामा विश्व की सबसे सस्ती कार 'नैनो' से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। इस कार को दुनिया के सामने लाने वाले उद्योगपति रतन टाटा का परिचय ओबामा ने मिशेल से कुछ इस अंदाज में करवाया, 'ये वही हैं जिन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाई है।' इस बात पर मिशेल ने तुरंत इस कार देखने की इच्छा जताई। शनिवार की शाम को बातचीत के बाद टाटा ने तुरंत ही शोफर के साथ एक चमचमाती नैनो कार की व्यवस्था की। दंपती ने इस छोटी कार में बैठकर मजा लिया और भारतीय इंजीनियरिंग की सराहना की।
       
       
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जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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