चीयरलीडरों का ताजा जलवा। भारत को अमेरिकी उपनिवेश बनाने वाली सरकार को बचाने की हर कोशिश, पर परमाणु समझौते पर वामदलों का पारा गरम।
पलाश विश्वास
वामपंथी तिब्बत के मसले पर चीन के साथ हैं पर नेपाल में माओवादियों की जीत पर खामोश है माकपा का जेएनयू पलट पोलिट ब्यूरो।
नवउदारवादी आर्थिक नीतियों को गले लगाकर बुद्धदेव भट्टाचार्य और जार्ज बुश के गठजोड़ के जरिए वामशासित राज्यों में पूंजीवादी विकास की अंधी दौड़ में शामिल वामपंथी मुसलिम वोटबैंक के खातिर जब तब अमेरिकी साम्राज्यवाद के विरोध में शोर शराबा तो करती है , पर मनुस्मृति रंगभेद आधारित वैश्विक सत्तावर्ग के हितो के मद्देनजर नंदीग्राम और सिंगुर में मूलनिवासियों के सफाये से परहेज नही करती। दलित एजंडा और अंबेडकर, आरक्षण और ओबीसी के मुद्दे तो उछालती है माकपा, पर दर हकीकत मरीचझांपी में देशभर में बसे दलित शरणार्थियों को बंगाल में बसाने की लालच देकर कत्लेआम करने वाली माकपा उन्हें बांग्लादेशी करार देकर पास कि जाने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू करने में प्रणव मुखर्जी के साझीदार है। केंद्र में समर्थन के बदले तीन राज्यों में वाम सरकारे बनाये रखने के लिए किसी भी स्तर पर सौदेबाजी करने वाले वामपंथी चाहे जितना पारा गरम का दिखावा करें, दरअसल विदेशी पूंजी और विदेशी संस्कृति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में शक की गुंजाइश नहीं है।
१० नवंबर, १९५४ को जन्मे जय गोस्वामी प्रसिद्ध बांग्ला कवि हैं। उनके राजनीतिक पिता ने उन्हें साहित्य के प्रति उत्साहित किया। इनका पहला कविता संग्रह था-क्रिसमस ओ शीतेर सोनेटगुच्छ था। इन्हें १९८९ में 'घुमियेछो झौपता` पर प्रतिष्ठित आनंद पुरस्कार मिला था और २००० में 'पगली तोमारा संगे` पर साहित्य अकादमी सम्मान। जय ने केवल लेखन तक ही अपने को सीमित नहीं किया। वे लगातार जनता के संघर्षों के साथ जुड़े रहे हैं। उसकी आवाज में आवाज मिलाते रहे हैं। अभी हाल ही में जब नंदीग्राम में किसानों का निर्मम नरसंहार हुआ तो वह अपनी कविताओं के साथ सड़कों पर आ गये।
यहां प्रकाशित तीन कविताएं जय गोस्वामी ने नंदीग्राम की घटना के विरोध में हुई एक सभा में पढ़ी थीं। इनके साथ बांग्ला के प्रसिद्ध कवि द्युतिमान चौधरी की भी एक कविता प्रकाशित की जा रही है। इन मूल बांग्ला कविताओं का अनुवाद किया है बांग्ला कवि विश्वजीत सेन ने।
शासक के लिए
आप जो कहेंगे-मैं वही करूंगा
वही सुनूंगा, वही खाऊंगा
उसी को पहन कर खेत पर जाऊंगा
एक शब्द नहीं बोलूंगा
आप कहेंगे
गले में रस्सी डाल
झूलते रहो सारी रात
वही करूंगा
केवल
अगले दिन
जब आप कहेंगे
अब उतर आओ
तब लोगों की जरूरत पड़ेगी
मुझे उतारने के लिए
मैं खुद उतर नहीं पाऊंगा
सिर्फ इतना भर मैं नहीं कर पाऊंगा
इसके लिए आप मुझे
दोषी न समझें
स्वेच्छा से
उन्होंने जमीन दी है स्वेच्छा से
उन्होंने घर छोड़ा है स्वेच्छा से
लाठी के नीचे उन्होंने
बिछा दी है अपनी पीठ
क्यों तुम्हें यह सारा कुछ
दिखायी नहीं देता?
देख रहा हूं, सब कुछ देख रहा हूं
स्वेच्छा से
मैं देखने को बाध्य हूं
स्वेच्छा से/कि मानवाधिकार की लाशें
बाढ़ के पानी में बहती जा रही हैं
राजा के हुक्म से हथकड़ी लग चुकी है
लोकतंत्र को
उसके शरीर से टपक रहा है खून
प्रहरी उसे चला कर ले जा रहे हैं
श्मशान की ओर
हम सब खड़े हैं मुख्य सड़क पर
देख रहा हूं केवल
देख रहा हूं
स्वेच्छा से ।
हाजिरी बही
पहले छीन लो मेरा खेत
फिर मुझसे मजदूरी कराओ
मेरी जितनी भर आजादी थी
उसे तोड़वा दो लठैतों से
फिर उसे
कारखाने की सीमेंट और बालू में
सनवा दो
उसके बाद/सालों साल
मसनद रोशन कर
डंडा संभाले बैठे रहो।
अजीब अंधेरा
द्युतिमान चौधरी
वे इस बंगाल में ले आए हैं आज
एक अजीब अंधेरा
जिन्होंने कहा था 'अंधेरे को दूर भगाएंगे हम`
वही आज सारी रोशनी का लोप कर रहे हैं,
अंधेरे के राजाओं के हाथ
सुपुर्द कर रहे हैं जमीन और चेतना-
'तेभागा`१ की स्मृतियों को दफन कर रहे हैं
कह रहे हैं 'जाओ, पूंजी के आगोश में जाओ`
नन्दिनी२ अपने दो हाथों से
हटा रही है अंधेरा, पूकारती 'रंजन कहां हो तुम!`
जितने रंजन हैं सभी घुसपैठिए, यह मानकर
जारी हुआ है वारंट
फिर भी वे आ खड़े हो रहे हैं
किसानों के कंधों से कंधा मिलाकर
'तेभागा` के नारे पुन: सुनाई दे रहे हैं
उनकी प्रतिध्वनि जगा रही है संकल्प के पर्वत सी मानसिकता,
विरोध चारों ओर, कोतवाल त्रस्त हैं
जंगे-मैदान में नई रेखाएं खींची जा चुकी हैं
तय कर लो तुम किधर जाओगे,
क्या तुम भी कदम बढ़ाओगे व्यक्तिस्वार्थ की चारदिवारी की ओर
जैसे पूंजी की चाकरी करनेवाले 'वाम` ने बढ़ाए हैं
या रहोगे मनुष्य के साथ
विभिन्न रंगों में रंगे सेवादासों ने
षड़यंत्रों के जो जाल बूने हैं
उसे नष्ट करते हुए
नए दिवस का, नए समाज का स्वप्न
देखना क्या नहीं चाहते तुम?
१. तेभागा : स्वतंत्रता पूर्व अविभाजित बंगाल का किसान आन्दोलन, जिसने भू-व्यवस्था पर आधारित शोषण की जडों हिलाकर रख दिया था।
२. नंदिनी : रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित 'रक्तकरबी` (लाल कनेर) नाटक की नायिका। रंजन उसके प्रेमी एक युवक का नाम है।
महंगाई पर चौतरफा घिरी सरकार मौजूदा संकट से उबरने के रास्ते अभी तलाश ही रही है कि कामरेड परमाणु करार पर एक बार फिर उसे घेरने की तैयारी में जुट गए हैं।संसद के मुख्य द्वार के निकट राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना देने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि कमजोर सार्वजनिक वितरण प्रणाली [पीडीएस] और आवश्यक वस्तुओं को वायदा कारोबार के दायरे में लाने से महंगाई बेतहाशा बढ़ी है। शनिवार को इस मुद्दे पर सरकार की समर्थक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता प्रकाश करात ने संसद भवन के बाहर गिरफ्तारी दी। समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह ने भी इस मुद्दे पर गिरफ्तारी दी। इधर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सरकार महंगाई नियंत्रित नहीं होती तो उनकी पार्टी यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, फारवर्ड ब्लाक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी एवं तेलुगू देशम पार्टी के सांसदों ने संसद भवन के मुख्य द्वार पर धरना दिया। संसद के दोनों सदनों में भी महँगाई को लेकर हंगामा हुआ जिस कारण दोनों सदनों की बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक देश भर में खुदरा दुकानों का विरोध करने वाले कम्युनिस्टों के शासन वाले राज्यों में देशी खुदरा कम्पनियों को मंजूरी मिलने जा रही है। पश्चिम बंगाल और केरल में रिलायंस की खुदरा योजनाओं को धक्का पहुंचने के महीनों बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) ने कांग्रेस में फैसला किया गया है कि संगठित खुदरा क्षेत्र की भारतीय बहुदेशीय कम्पनियों को राज्य में कारोबार करने की इजाजत दे दी जाए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भूमि उच्छेद परिषद के सदस्यों के बीच शनिवार सुबह हिंसा भड़क गई। खबरों मेंं बताया जा रहा है कि महिला से बलात्कार के बाद इलाके में हिंसा भड़क गई। दोनों तरफ से भारी गोलीबारी की गई है, जिसमें कई घायल हो गए हैं। पूरे इलाके में इस ताजा घटनाक्रम के बाद तनाव उत्पन्न हो गया है। नंदीग्राम के हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा करने गईं तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की कार पर रविवार को माकपा के कथित समर्थकों ने हमला किया। ममता ने नंदीग्राम थाने में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई है। इसके साथ ही पार्टी ने राज्यपाल, गृह सचिव, केन्द्रीय गृह सचिव, समेत अन्य केन्द्रीय एजेसिंयों से भी इसकी शिकायत की है। यह तय है कि नंदीग्राम और सिंगुर विवादों के साए में अगले माह होने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के इन चुनावों पर माकपा की राजनैतिक हैसियत की घट-बढ़ टिकी हुई है। खास तौर पर पार्टी महाधिवेशन के बाद होने वाले पहले ग्रास रूट स्तर के चुनावों में माकपा का खराब प्रदर्शन उसकी राजनीति को और गहरी चोट पहुंचाएगा। इस लिहाज से माकपा पूरी सावधानी बरत रही है। तृणमूल महिला कांग्रेस की सभा में सुश्री बैनर्जी ने कहा, बंगाल की महिलाओं ने कभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को प्रेरित किया था। आज समय आ गया है जब वे आगे बढ़कर पंचायती चुनावों में अपने हाथ में बागडौर लेकर सत्ताधारी दल को सबक सिखाएं। यह सिंगुर और नंदीग्राम में हुई हिंसा का करारा जवाब होगा।
अमेरिका के साथ नाभिकीय ऊर्जा संधि पर सरकार की खिंचाई करने का यह मौका कामरेडों को पांच मई को मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक वामदलों के दबाव में सरकार ने संप्रग-वाम सुलह समिति की आठवीं बैठक इस दिन बुलाने का फैसला किया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भारत तथा अमेरिका के बीच असैनिक परमाणु सहयोग के संबंध में 123 समझौते का हाइड कानून से कोई ताल्लुक नहीं होने के अमेरिकी दावे को ' भाषा की बाजीगरी' बताते हुए खारिज कर दिया है।भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु करार के विरोध के बाद माकपा ने फिर यूपीए सरकार पर हमला बोला. करार के बाद अब सैन्य समझौते को लेकर लेफ्ट लाल है. माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि हमारी पार्टी अमेरिका के साथ सैन्य समझौते को समाप्त करने और अमेरिकी रणनीतिक चाल से भारत को मुक्त कराने पर ध्यान देगी. अमेरिका अपने लाभ के लिए भारत को रणनीतिक चाल में उलझाकर रखना चाहता है.येचुरी और सोनिया के बीच चर्चा के दौरान अमेरिका के साथ परमाणु करार का मसला भी उठा। येचुरी ने सोनिया को कोयंबटूर में हाल ही हुई माकपा कांग्रेस में करार के विरोध को लेकर पारित किए गए संकल्प के बारे में भी अवगत कराया। महाधिवेशन के दौरान करात के बयान का हवाला देते हुए माकपा सांसद ने कह दिया कि करार पर सरकार को कदम बढ़ाने पर वामदलों की सहमति नहीं मिल पाएगी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने यूपीए सरकार को दो टूक कहा है कि भारत-अमेरिकी असैन्य परमाणु करार पर उसे आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा। अपनी ताजा धमकी में पार्टी नेताओं यह भी कहा कि अब वे अमेरिका के साथ 2005 जुलाई में हुआ सामरिक समझौता भी विफल करेंगे। पार्टी की 19वीं कांग्रेस को संबोधित करते हुए माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि एटमी करार को रोकने से ही हमारा काम पूरा नहीं हुआ है। हमें अपना आंदोलन जारी रखना है।अपने चौंतीस साल के इतिहास में पहली बार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो में उसका कोई संस्थापक सदस्य नहीं है। ज्योति बसु और हरकिशन सिंह सुरजीत पार्टी की स्थापना के बाद बने पहले पोलित ब्यूरो के सदस्य थे और उम्र और बीमारी के चलते वे अब पोलित ब्यूरो में नहीं हैं। माकपा के पोलित ब्यूरो में हुए परिवर्तन को एक नई पीढ़ी का उदय कहा जा सकता है। ...प्रकाश करात को एक बार फिर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) का महासचिव चुन लिया गया है. कोयंबटूर में हुई पार्टी की 19वीं कांग्रेस में पोलित ब्यूरो का भी पुनर्गठन किया गया है. पोलित ब्यूरो में अब वरिष्ठ नेता ज्योति बसु और हरकिशन सिंह सुरजीत की जगह नए नेताओं को शामिल किया गया है. दोनों नेताओं के ख़राब स्वास्थ्य को देखते हुए ऐसा किया गया है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की उन्नीसवीं कांग्रेस महज एक सियासी जलसा बन कर रह गई। पार्टी के लिए यह सिद्धांत, संगठन और संघर्ष के सवालों पर खुलकर अपनी समीक्षा करने का अहम मौका हो सकता था। लेकिन जो हुआ, वह सिर्फ खानापूरी है। पार्टी संगठन में सुधार लाने के लिए कदम उठाने का ऐलान किया गया है। इसी तरह कैडरों में बढ़ते करप्शन पर रोक लगाने तथा हिंदी प्रदेश में अपना विस्तार करने की बातें कही तो गई हैं, लेकिन ये मुद्दे नए नहीं हैं ...प्रकाश कारत ने देश में तीसरे मोर्चे के गठन की ज़रूरत बताई है लेकिन कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से दूर रखना उसकी पहली प्राथमिकता है. सीपीएम के छह दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन प्रकाश कारत ने कहा कि वाम दलों के दबाव के कारण ही अब तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार अमरीका के साथ असैनिक परमाणु समझौता नहीं कर पाई है.पार्टी महाधिवेशन में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि आगामी चुनाव में भाजपा को हर स्तर पर परास्त करने की सभी तरकीबें अपनाई जाएंगी। साथ ही यह भी खुलासा किया गया कि कांग्रेस के साथ कोई चुनावी मोर्चा या गठबंधन नहीं बनाया जाएगा। पार्टी की नजर में कांग्रेस बुर्जुवा-पूंजीवादी पार्टी है, जो सांप्रदायिक ताकतों के सिर उठाने पर घुटने टेक देती है। ... भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी .भाकपा. के महासचिव ए. बी. बर्द्धन ने राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी .भाजपा. के विकल्प के तौर पर ..तीसरा मोर्चा.. तैयार करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों से संधि वार्ता करने की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी .माकपा. से आज अपील की1
अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश से मिलकर लौटे विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने परमाणु करार के लिए भले ही कुछ और मोहलत हासिल कर ली हो लेकिन कामरेडों की आपत्ति दूर करने के मकसद से हाइड कानून पर बुश प्रशासन की सफाई का आश्वासन हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाए। इतना जरूर तय हो गया कि परमाणु करार से जुड़े इस कानून की बाध्यता को लेकर अमेरिकी अधिकारी कोई भी कड़ा बयान देने से बचेंगे। अमेरिका के साथ असैनिक परमाणु करार पर भाजपा के विचारों से विरोधाभास जताते हुए पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा ने कहा है कि भारत को करार पर आगे बढ़ना चाहिए और विफल रहने पर देश की छवि बुरी तरह प्रभावित होगी तथा उसके परमाणु कार्यक्रम को झटका लगेगा। परमाणु करार पर लगातार जारी अनिश्चितता के बावजूद संप्रग और इसके वाम सहयोगी छह मई को इसे लेकर मुलाकात करेंगे। समन्वय समिति की इस बैठक के दौरान सुरक्षा मानक समझौते पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से बातचीत तथा परमाणु करार को लागू करने पर चर्चा की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में उम्मीद की जा रही है कि मई के शुरू में या दो जून को होने वाली एजेंसी के गर्वनिंग बोर्ड की बैठक में भारत केद्रिंत परमाणु समझौते की दिशा में ठोस प्रगति हो सकती है। भारत की और से भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष अनिल काकोकदर वार्ताकार हैं। आईएईए में भारत संबंधी वार्ता की प्रगति पर नजदीकी निगाह रख रहे सूत्रों के अनुसार दो जून को एजेंसी के संचालन मंडल की बैठक होनी है...अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु करार के भविष्य पर मंडराती अनिश्चितता व बढ़ती चिंताओं के बीच भारत ने कहा कि वह करार को लेकर अब भी आशान्वित है. भारत ने संकेत दिया कि वह अन्य देशों के लिए इंटरनेशनल न्यूक्लियर फ्यूल बैंक के गठन में सहयोग करेगा. ब्रिटेन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटजिक स्टडीज द्वारा आयोजित सेमिनार में विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने कहा कि हमें परमाणु करार के शीघ्र अस्तित्व में आ जाने की उम्मीद है. ...
अमेरिका ने भारत के साथ असैन्य परमाणु करार के बारे में कहा है कि इस डील के प्रावधानों में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता सियान मैक्कोरमार्क ने शुक्रवार को संवाददाताओं से बताया कि समझौते के बारे में भारत को अगला कदम बढ़ाना है। अमेरिका ने कहा है कि परमाणुु समझौते के क्रियान्वयन के बारे में अब भारत को आगे कदम बढ़ाना है। अमेरिका ने संकेत दिया है कि यदि भारत अपने आंतरिक मसलों को सुलझाने में विफल रहा तो असैन्य परमाणु करार अगली सरकार के पाले में जा सकता है। अमेरिका ने कहा है कि कांग्रेस के लिए समय बीतता जा रहा है, हालांकि इस दिशा में आगे बढ़ने की अभी भी संभावनाएं हैं। विदेश विभाग के प्रवक्ता टाम कैसी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि हम चाहेंगे कि यह सौदा जितना जल्द संभव हो सके, पूरा हो जाए।
भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु करार को सफल अंजाम तक पहुंचाने के संबंध में कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि इसके लिए कोई भी समय सीमा तय नहीं कर सकता और करार के लिए सरकार की बलि देना बिना शहादत की मौत के समान होगा। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस बात पर जोर देना बेहद महत्वपूर्ण है कि भारत और अमेरिका संबंध बहुकोणीय, बहुस्तरीय और बहुपक्षीय हैं।
माकपा के संसदीय नेताओं ने कहा कि 123 समझौते का मूल आधार अमेरिकी हाइड कानून है और दोनों को अलग-अलग बताना भाषाई कलाबाजी के अलावा कुछ नही है।उन्होंने इस परमाणु करार की अंतिम मंजूरी के लिए अमेरिकी कांग्रेस में पेश किए जाने से पहले इस पर संसद को विश्वास में लेने के विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के आश्वासन को भी गैर जरूरी बताया और कहा कि संसद का बहुमत इस करार के खिलाफ अपनी भावना व्यक्त कर चुका है।
भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत राबर्ट ब्लैकविल ने कहा है कि परमाणु करार की विफलता से भारत-अमेरिका संबंधों में बहुत फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन भारत को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। ब्लैकविल ने एक कार्यक्रम में कहा कि यदि असैन्य परमाणु समझौता नहीं होता है तो इसकी कीमत अमेरिका को नहीं चुकानी पड़ेगी।
राज्यसभा में माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के प्रभारी अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री रिचर्ड बाउचर के संबंधित दावे के बारे में कहा कि हाइड कानून भारत अमेरिकी परमाणु करार का मूल आधार है और यह करार जारी रखने के लिए अमेरिकी कांग्रेस पर भारत की विदेश नीति के अमेरिकी हितों के अनुरूप होना सुनिश्चित करने तथा भारतीय परमाणु कार्यक्रम के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति पर वार्षिक प्रमाणन जैसी कई शर्तों का प्रस्ताव करता है।
जापान के नगानो में ओलिंपिक मशाल रिले के दूसरे दौर में तिब्बत समर्थक प्रदर्शनकारियों के विरोध में सैकड़ों चीनी छात्रों ने लाल झंडों के साथ ही 'एक विश्व एक सपना' वाले पोस्टर लहराए। मशाल रिले भारतीय समयानुसार प्रातॅ पांच बजे आयोजित होनी थी लेकिन इसके कुछ ही देर पहले बारिश होने लगी। दोनों पक्ष एक दूसरे से भिड़ने को बेताब थे। पुलिस ने दोनों पक्षों को अलग करने के लिए तारबंदी और ट्रकों का प्रयोग किया।
तिब्बत पर वार्ता की पेशकश के बाद लगातार पैंतरा बदल रहा चीन रविवार को भी दलाई लामा पर हमलावर रहा। उसका कहना है कि तिब्बती धर्म गुरु शब्दों की बाजीगरी कर रहे हैं। चीन के अनुसार दलाई लामा की यह सारी कवायद तिब्बत की आजादी के लिए विश्व का समर्थन जुटाना है।
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र 'द पीपुल्स डेली' के मुताबिक दलाई लामा द्वारा मध्यम मार्ग और अधिक स्वायत्तता जैसे शब्दों का प्रयोग कुछ और नहीं बल्कि तिब्बत की आजादी की बात कहना है। अखबार ने 'अटेम्प्ट टू स्पिलिट द मदरलैंड..' शीर्षक से एक लेख पहले पन्ने पर प्रकाशित किया है। इसमें लिखा गया है कि दलाई लामा तिब्बत को चीन से अलग करने के अपने अंतिम लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर तरह का प्रयास जारी रखे हुए हैं।
लेख में कहा गया कि दलाई लामा की चीन को तोड़ने की साजिश कभी कामयाब नहीं होगी। अखबार ने इस लेख के साथ ही दलाई लामा का वह बयान भी छापा है जिसमें तिब्बती धर्म गुरु ने अपने दूत के साथ वार्ता की पेशकश का स्वागत किया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि तिब्बती नेता के प्रति सरकार की नीति यथावत रहेगी। बातचीत के लिए हमारे दरवाजे पहले की तरह खुले हैं बशर्ते वह हमारी बात मान लें।
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार पर प्रधानमंत्री के विशेष दूत तथा नेपाल में भारत के राजदूत रहे श्याम सरन ने कहा कि निश्चित तौर पर नेपाल में सभी राजनैतिक ताकतों को प्रोत्साहन दिया जाएगा कि वे नेपाल की राष्ट्रीय सरकार में शामिल होने के प्रचंड के आह्वान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दें। इसमें मधेसी जैसी नई राजनैतिक ताकतें भी शामिल हैं। नेपाल के चुनावों में माओवादियों के हाथों नेपाली कांग्रेस (एनसी) और नेपाल की एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (यूएमएल) की पराजय के बाद प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला और माओवादी नेता प्रचंड के बीच सत्ता संघर्ष का नया दौर शुरू हो गया है। माओवादियों ने 601 सदस्यों वाली असेंबली में 220 सीटें जीती हैं।
संविधान सभा चुनाव में दो बड़ी पार्टियों की हार और मओवादियों की आश्चर्यजनक जीत के साथ नेपाल में एक बार फिर सत्ता को लेकर रस्साकशी शुरू होती नजर आ रही है। इस रस्साकशी में शामिल है प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला की पार्टी नेपाली कांग्रेस और माओवादी।
601 सदस्यों के लिए हुए चुनाव में 220 माओवादी जीते हैं। नेपाली कांग्रेस के सदस्यों की संख्या माओवादियों से करीब आधी है। माओवादियों के नेता प्रचंड के नेतृत्व में यहां गठबंधन की सरकार बनाने की कवायद भी तेज हो गई है। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद माओवादियों का कहना है कि उन्हें नई सरकार का नेतृत्व और संविधान सभा का प्रारूप तैयार करने का जनादेश मिला है। लेकिन नेपाली कांग्रेस इसके खिलाफ खड़ी होने लगी है।
नेपाली कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि कोइराला को प्रधानमंत्री पद पर बने रहने देना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और पूर्व योजना व कार्यमंत्री गोपाल मान श्रेष्ठ ने प्रधानमंत्री के रूप में कोइराला की जोरदार वकालत करनी शुरू कर दी है। इन दोनों वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि माओवादियों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री नामित करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। श्रेष्ठ का तो यहां तक कहना है कि प्रचंड प्रधानमंत्री नहीं हो सकते, क्योंकि वह माओवादी गुरिल्ला सेना के सुप्रीम कमांडर भी हैं। जाहिर है कि नेपाली कांग्रेस की यह बात माओवादियों का गुस्सा बढ़ाने के लिए काफी है।
माओवादी न तो हथियार डालना चाहते और न ही अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को भंग करना चाहते हैं। माओवादियों के निर्वाचित सदस्य प्रभाकर का कहना है कि शांति समझौते के तहत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को सरकारी सेना में शामिल करने का प्रावधान किया गया है, उसे छिन्न-भिन्न करने का नहीं।
गिरते स्वास्थ्य और परिवार के बीच, यहां तक कि अपनी बेटी का विरोध झेल रहे कोइराला भी प्रधानमंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिखते। संविधान सभा का चुनाव संपन्न हो जाने के बाद राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करने वाले कोइराला ने नए सिरे से सत्ता में बने रहने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। वह गठबंधन के लिए छोटी पार्टियों से मशविरा करने में जुटे हैं।
कांग्रेस की तर्ज पर ही एक और बड़ी पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने भी माओवादियों के खिलाफ कमर कसनी शुरू कर दी है। इस पार्टी ने कहा है कि नई सरकार के गठन से पहले माओवादी अन्य पार्टियों के कार्यकर्ताओं को धमकाना, आतंकित करना बंद करें।
नेपाल में भारत के नए राजदूत राकेश सूद ने शनिवार को प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला से मुलाकात कर ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा की।
सूद ने अभी प्रधानमंत्री को अपना नियुक्ति पत्र नहीं सौंपा है। मुलाकात के दौरान सूद ने नेपाल में संविधान सभा के सफल चुनाव के लिए प्रधानमंत्री कोइराला को बधाई दी। बैठक के दौरान दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।
सूद ने सुबह नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेर बहादुर देउबा से भी मुलाकात कर हाल के राजनीतिक हालात पर विचार-विमर्श किया। देउबा ने कहा है कि माओवादियों को दो तिहाई बहुमत नहीं मिल पाने की दशा में नेपाली कांग्रेस को ही नई सरकार का नेतृत्व करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि माओवादी चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जरूर उभरे हैं, लेकिन उनके पास सरकार बदलने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं है। कोइराला ने शांति की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई है और संविधान सभा के चुनाव भी सफलतापूर्वक संपन्न कराए हैं। इसलिए हमारा मानना है कि उन्हें ही भावी सरकार का नेतृत्व करना चाहिए। जब कोइराला से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम आम सहमति के आधार पर सरकार चलाने पर सहमत हैं। आगे मैं कुछ नहीं जानता। नेपाली कांग्रेस के महासचिव विमलेंद्र निधि ने कहा है कि आम सहमति की सरकार आज भी अस्तित्व में है और सभी पार्टियां इसी सरकार को संविधान सभा चुनाव के बाद भी चलाने को राजी हैं। माओवादियों को स्पष्ट बताना चाहिए कि क्यों सरकार का नेतृत्व बदला जाए।
भाजपा की अगुवाई में राजग ने मंहगाई का मुद्दा छीन लिया तो खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचने लगी। भारत-अमेरिकी परमाणु करार का विरोध कर रही भाजपा ने रविवार को कहा कि कोई भी देश यह लिखित गारंटी नहीं दे सकता कि वह भविष्य में परमाणु परीक्षण नहीं करेगा।
पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने एशियानेट चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि कोई देश ऐसी गारंटी नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि क्या किसी देश ने ऐसा कहा कि इसके बाद वह कोई और परमाणु परीक्षण नहीं करेगा। क्या अमेरिका ने ऐसा कोई वादा किया है। क्या किसी भी ऐसे देश ने, जिसके पास पहले से परमाणु हथियारों का बड़ा ज़खीरा है, लिखित में ऐसी गारंटी दी है। उन्होंने कहा कि स्वयं की ओर से इसका त्याग [परीक्षण] किया जाना एक बात है। समझौते के रूप में लिखित तौर पर ऐसा कहना दूसरी बात है।
कांग्रेस के नेताओं द्वारा राहुल गांधी को भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश किए जाने के संबंध में आडवाणी ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वंशगत राजनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अधिकतर दलों में यह प्रवृत्ति है लेकिन भाजपा में ऐसा नहीं है।
वाम दलों के भाजपा विरोध के संबंध में किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका दल अछूत करार दिए जाने की राजनीति में विश्वास नहीं करता है। वाम दल ऐसा करते हैं। उन्होंने कहा कि केवल भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के नाम पर कांग्रेस का दामन पकड़ना वाम दलों के पाखंड को दर्शाता है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि सरकार ने मुद्रा स्फीति रोकने के लिए जो कदम उठाए हैं। उनसे आने वाले समय में महँगाई कम होने की उम्मीद है।
चिदम्बरम ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान शुक्रवार कहा कि सरकार ने महँगाई रोकने के कदम उठाए हैं तथा रिजर्व बैंक ने भी मौद्रिक कदम उठाए हैं। कृषि मंत्री ने भी 2007-08 में गेहूँ सहित विभिन्न खाद्यान्नों का रिकार्ड उत्पादन होने और मानसून के बेहतर होने की बात कही है जिससे कृषि जिन्सों की सरकारी खरीद भी अच्छी रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने से महँगाई बढ़ी है पर सरकार ने जो कदम उठाए हैं उससे महँगाई कम होगी लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के व्यापारियों ने उनके गोदामों पर छापे मारे जाने का विरोध किया है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल भी परोक्ष रूप से उनका समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस्पात कंपनियों ने भी कच्चे माल का दाम बढ़ने के बावजूद स्टील के दाम और नहीं बढ़ाने पर सहमति दी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रा स्फीति सितम्बर 2002 से दिसम्बर 2007 तक चार प्रतिशत से नीचे थी पर वह जनवरी 2008 में बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो गई। फरवरी 2008 में 6.4 प्रतिशत हो गई। उन्होंने बताया कि गत पाँच अप्रैल को समाप्त सप्ताह में यह बढ़कर 7.14 प्रतिशत हो गई। इसका कारण थोक मूल्य सूचकांक में 25.9 प्रतिशत वजन वाली 33 वस्तुओं ने कुल मुद्रास्फीति में 80 प्रतिशत का योगदान दिया।
चाहे ओबामा बने राष्ट्रपति , चाहे हिलेरी- सत्तावर्ग की अमेरिकीपरस्ती में कोई फर्क नहीं
शुरुआती जीत के कारण बराक ओबामा भले ही हिलेरी क्लिंटन से आगे चल रहे हैं लेकिन अब दोनों के बीच अंतर की खाई तेजी से पट रही है। पेंसिलवेनिया की जीत के बाद हिलेरी अब ओबामा को बराबर की टक्कर दे रही हैं। इंडियाना में छह मई को प्राइमरी के चुनाव होने वाले हैं। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के अनुसार यहां पर हिलेरी और ओबामा बराबरी पर हैं। इंडियाना में 187 प्रतिनिधियों के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के दोनों दावेदारों में भिड़ंत है।
इंडियाना चुनाव के लिए सीएनएन, एआरजी और इंडियाना पोलिस स्टार ने अलग-अलग सर्वे कराया था। सभी सर्वेक्षणों के आधार पर यही निष्कर्ष निकला है कि क्लिंटन और ओबामा के हिस्से में 45-45 फीसदी मत आ रहे हैं। दस प्रतिशत मतदाता अभी अनिश्चय की स्थिति में हैं। मौजूदा समय में ओबामा प्रतिनिधियों की गिनती में हिलेरी के मुकाबले 130 अंकों से आगे चल रहे हैं। ओबामा के पास कुल 1705 प्रतिनिधि हैं जबकि हिलेरी के खाते में 1575 हैं। पेंसिलवेनिया चुनाव से पहले यह अंतर दो सौ के करीब था। 22 अप्रैल को यहां पर हिलेरी को मिली जीत से यह अंतर कम हुआ। अगर इंडियाना में मुकाबला बराबरी पर छूटा तो यह अंतर और कम होगा। इसके बाद नार्थ कैरोलिना में दोनों के बीच मुकाबला है। यहां भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। अब केवल नौ राज्यों में चुनाव होना है। दोनों दावेदारों के बीच जिस तरह का मुकाबला चल रहा है, उसके आधार पर फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता है कि दोनों में से कौन टिकट हासिल करने के लिए जरूरी 2025 प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल कर सकेगा। डेमोक्रेटिक पार्टी के अगस्त में डेनेवर में होने वाले सम्मेलन में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा।
इस बीच अपनी साख और मजबूत करने के लिए हिलेरी ने एक बार फिर ओबामा को आमने-सामने बहस के लिए ललकारा है। इंडियाना में शनिवार को हिलेरी ने कहा कि पीठ पीछे आरोप-प्रत्यारोप मढ़ने से बेहतर है एक बार फिर 90 मिनट के लिए बहस कर लें और सभी मुद्दों को मतदाताओं के समक्ष स्पष्ट कर दें। ओबामा और हिलेरी में अब तक 21 बार सार्वजनिक बहस हो चुकी है।
परमाणु करार [123 समझौता] के मौजूदा मसौदे में किसी बदलाव से इनकार कर अमेरिका ने भारत सरकार की सांसत बढ़ा दी है। नाभिकीय ऊर्जा संधि को परवान न चढ़ने देने की कसम खाए वामदलों ने अमेरिकी अधिकारी के बयान के बाद इस मुद्दे पर सरकार की एक न सुनने का फैसला कर लिया है।
ऐसे में परमाणु करार पर वामदलों को किसी तरह मना लेने की सरकार की रही सही उम्मीद भी जाती नजर आ रही है। करार पर वामदलों की हरी झंडी पाने के लिए संप्रग-वाम सुलह समिति की 6 मई को होने वाली बैठक से चंद रोज पहले वाशिंगटन में विदेश विभाग के प्रवक्ता मैक्कारमेक के इस बयान ने भारत को तो सकते में डाल ही दिया है, वामदलों को भी अपने सुर तेज करने का मौका दे दिया है।
कामरेड कुनबे का पारा चढ़ाने का पूरा इंतजाम करते हुए अमेरिकी प्रवक्ता ने शनिवार को कह दिया कि परमाणु करार की गेंद अब भारत के पाले में है। उसे 123 समझौते के मौजूदा मसौदे के आधार पर ही वामदलों को राजी करना है। यानी संकेत साफ हैं कि करार की शर्तो में भारी बदलाव की वाम मोर्चा की मांग तो दूर, अमेरिका इसमें एक शब्द की भी हेर-फेर करने के खिलाफ है। सूत्रों के अनुसार अमेरिका के इस संकेत के बाद कामरेडों ने भी अपनी आस्तीनें चढ़ा ली हैं।
अंदरखाने चल रही तैयारी के अनुसार उन्होंने अब तो सरकार को सफाई का भी मौका नहीं देने की ठान ली है। एक बड़े माकपा नेता ने कहा द्घस्त्र अब जब अमेरिका ने ही साफ कर दिया कि भारत के पास करार को जस का तस स्वीकार करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है तो वाम मोर्चा नेताओं के प्रश्नों की बात कहां रह जाती है। सरकार भी अब लाचार है। ऐसे में तो उसे कदम पीछे लेने ही होंगे।' ऐसे में सुलह समिति की चर्चा समय नष्ट करने के अलावा कुछ भी नहीं होगी।
स्पष्ट है कि कामरेडों की आपत्ति खास तौर से 123 समझौते पर ही रही है जिससे अमेरिकी घरेलू कानून 'हाइड एक्ट' सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इसमें भारी संशोधनों की मांग वाम मोर्चा सरकार से करता रहा है। कामरेडों के रुख से पहले ही हताश दिख रही सरकार अमेरिकी अधिकारी की तल्ख टिप्पणी के बाद बगलें ही झांक सकती है। विदेश नीति पर बहस के दौरान पिछले दिनों राज्यसभा में विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सरकार की इस मसले पर निराशा स्पष्ट जाहिर कर दी थी।
हाइड ऐक्ट को लेकर माकपा सांसद सीताराम येचुरी के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध कर संकेत दे दिए थे कि सरकार इस पर पूरी तरह लाचार है। यह संकेत देकर कि इस मसले पर भारत में मौजूदा राजनैतिक गतिरोध से अमेरिका का कोई लेनादेना नहीं है, मैक्कारमेक ने सरकार की निराशा बढ़ाने का ही काम किया है। खास तौर पर तब जबकि प्रणब ने वाशिंगटन में विदेश मंत्री कोंडलीजा राइस से अपील की थी कि उनके देश की तरफ से ऐसा कोई बयान न आए जिससे कामरेडों को मनाने की कोशिश को झटका लगे।
महँगाई के कारण विपक्ष और जनता के तानों को झेल रहे प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के लिए भारतीय वायु सेना ठंडी बयार जैसी खबर ला रही है।
-भारतीय वायु सेना के लिए 42 हजार करोड़ रुपए की लागत से खरीदे जाने वाले 126 लड़ाकू विमानों के सौदे को हासिल करने के लिए काँटे की जंग प्रस्ताव भेजने की आखिरी तारीख समाप्त होने से पहले ही गुरुवार से शुरू हो गई।
इस सौदे की होड़ में शामिल होने जा रही चार प्रमुख यूरोपीय देशों की विमान कम्पनी ईएडीएस ने गुरुवार को जर्मन, ब्रिटेन, स्पेन और इटली के राजदूतों और वहाँ की वायु सेना के अधिकारियों को प्रचार अभियान के मैदान में उतारा।
वायु सेना के लिए बहुद्देश्यीय लड़ाकू विमानों की खरीददारी का अंतरराष्ट्रीय टेंडर छह कम्पनियों को पिछले साल अगस्त में जारी किया गया था और प्रस्ताव भेजने की अंतिम तारीख समाप्त होने पर उसे आठ सप्ताह बढ़ाकर 28 अप्रैल कर दिया गया था।
ईएडीएस के मुख्यकार्यकारी अधिकारी ने गुरुवार को घोषणा की कि उनकी कम्पनी सोमवार को अपना प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को सौंपने जा रही है और इससे चार दिन पहले इस कम्पनी ने गुरुवार को यह आयोजन कर भारत को संदेश दिया है कि वह यह संबंध कायम करने के लिए कितनी उत्सुक है।
इस सौदे की होड़ में अमेरिका की दो दिग्गज कम्पनियाँ लॉकहीड मार्टिन और बोइंग भी शामिल हैं। इनके अलावा इसराइल के राफेल, स्वीडन के ग्रिपन और रूस के मिग 35 को सौदे की होड़ में आमंत्रित किया गया है। पाँचों देश अपने दावे को मजबूती देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
ईएडीएस कम्पनी इस बार भारतीय कहावत दूध का जला छाछ भी फूंक मार कर पीता है' की तर्ज पर कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि सेना के लिए 197 हेलीकॉप्टरों की खरीददारी में ऐन मौके पर उसका सौदा रद्द हो गया था।
नेपाल में संविधान सभा की 601 सीटों के लिए हुए चुनाव के शुक्रवार को घोषित परिणामों में माओवादी 29.28 प्रतिशत वोटों के साथ 220 सीटें हासिल कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरे हैं।
माओवादियों की पार्टी को प्रत्यक्ष चुनाव में 240 में से 120 सीटें मिली हैं जबकि उन्हें समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से 100 सीटें हासिल हुई हैं। माओवादियों के पक्ष में 31 लाख 44 हजार 204 वोट पड़े।
नेपाली काग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पार्टी को समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत 22 लाख 69 हजार 823 वोट मिले। कांग्रेस को 110 सीटें मिली हैं जबकि संयुक्त मार्क्सवादी-लेनिनवादी को 103 सीटों के साथ 21 लाख 83 हजार 370 वोट मिले।
एम पी आर एफ चौथी बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है। उसे 52 सीटों के साथ छह लाख 78 हजार 300 वोट मिले हैं।
तेराई मधेस लोकतांत्रिक पार्टी ने 20, सदभावना पार्टी ने नौ और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने आठ सीटें जीती हैं लेकिन इन्हे प्रत्यक्ष चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी है।
चुनाव में 16 ऐसी पार्टियाँ हैं जिन्हें प्रत्यक्ष चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली हैं। उन्हें समानुपातिक प्रतिनिधित्व के तहत सीटें मिली हैं।
एक महीने के भीतर वायुसेना के पास 734 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए तीन बोइंग बिजनेस जेट (बीबीजे) में से पहला विमान आ रहा है जिसमें प्रधानमंत्री के लिए पूरा दफ्तर आकाश में खुल जाएगा। गलीचों, सोफासेट और तमाम तरह की सुविधाओं से लैस इस उड़न खटोले में धरती से 41 हजार फुट तक की ऊँचाई पर सफर करते हुए प्रधानमंत्री बैठकें और प्रेस काँफ्रेंस भी कर सकेंगे। थकान होने पर वह चैन से सो सकेंगे और अपने विमान में ही ऑडियो विजुअल माध्यम से हमेशा नई दिल्ली कार्यालय के सम्पर्क में बने रहेंगे।
बीबीजे अगले महीने के आखिर तक वायु सेना के वीवीआईपी कम्युनिकेशन स्क्वेड्रन में शामिल हो रहा है जिसका जिम्मा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शीर्ष कैबिनेट मंत्रियों की हवाई यात्राओं का होता है। इस समय विमान की भीतरी सज्जा अमेरिका के डेलवेयर में पैट्स एयरक्राफ्ट कम्पलीशन सेंटर में चल रही है। वहाँ इसमें अत्याधुनिक स्टेटरूम, मीटिंग रूम, कम्युनिकेशन सेंटर और 48 यात्रियों के बैठने की सुविधा बनाई जा रही है। वहीं पर भारतीय वायु सेना इसकी परीक्षण उड़ान भी आयोजित कर रही है। यह विमान मई के आखिर में या जून के पहले सप्ताह में पालम हवाई अड्डे को स्पर्श करेगा।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए इस विमान में अत्यंत गोपनीय मिसाइल बचाव प्रणाली लगाई जा रही है तथा इसे राडार चेतावनी प्रणाली एवं इलेक्ट्रॉनिक प्रतिरोधी उपायों से लैस किया जा रहा है। विमान में इंफ्रा रेड सेंसर और मिसाइल को काफी दूरी से भांपने वाले जैमर लगे होंगे।
वायु सेना के सूत्रों के अनुसार यह विमान एक बार में 14 घंटे की उड़ान में ग्यारह हजार से अधिक किलोमीटर का सफर तय कर सकता है और 807 वर्ग फुट का यह प्रधानमंत्री आवास एवं कार्यालय हवा में 890 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है।
महँगाई की दर में वृद्धि से बेफ्रिक देश के शेयर बाजारों ने बैकिंग, धातु, रियलटी तथा ऑयल एंड गैस कंपनियों के शेयरों को मिले समर्थन से शुक्रवार को लंबी छलाँग लगाई। बम्बई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 404.90 अंक के उछाल के साथ पचपन दिन के अंतराल के बाद 17 हजार अंक को पार करने में सफल रहा। निफ्टी ने तेजी का सैंकड़ा अर्थात 111.85 अंक की बढ़त पाई।
सत्र की शुरुआत से ही बाजार मजबूती में दिखा। मोबाइल टेलीफोन सेवा वर्ग की अग्रणी कंपनी भारती एयर टेल के शानदार परिणाम से शुरुआत से ही सुधार का रुख था। महँगाई के एक सप्ताह की गिरावट के बाद फिर से बढ़ने का बाजार पर कोई असर नहीं दिखा और वह निरंतर मजबूत होता रहा।
सेंसेक्स गुरुवार के 16721.08 अंक की तुलना में 16781.97 अंक पर मजबूत खुला और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। ऊँचे में 17150.92 अंक तक चढ़ने के बाद समाप्ति पर सेंसेक्स कुल 404.90 अंक अर्थात 2.42 प्रतिशत की बढ़त से 17125.98 अंक पर बंद हुआ। उन्नतीस फरवरी के बाद सेंसेक्स फिर 17000 अंक के पार निकला है।
निफ्टी 111.85 अंक बढ़कर 5111.70 अंक पर पहुँच गया। एशियाई शेयर बाजारों में जापान का निक्केई 2.4 प्रतिशत ऊँचा रहा, जबकि चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसैंग 0.64 प्रतिशत नीचे रहे।
सेंसेक्स में जोरदार बढ़त के बावजूद छोटी कंपनियों में बिकवाली का दबाव रहने से बीएसई का रुख नकारात्मक रहा। मिडकैप सूचकांक 51.81 अंक ऊपर रहा तो स्मालकैप में 13.29 अंक की गिरावट थी। बीएसई में कुल 2762 कंपनियों के शेयरों में कामकाज हुआ। इसमें से 53.08 प्रतिशत अर्थात 1466 में नुकसान तथा 45.08 प्रतिशत अथवा 1245 के शेयर फायदे में रहे, जबकि 51 में स्थिरता थी। सेंसेक्स के तीस शेयरों में 22 फायदे ओर आठ नुकसान में थे।
बीएसई के अन्य सूचकांकों में बैंकेक्स 286.03 अंक, धातु 370.75 अंक, ऑयल एंड गैस 179.23 अंक तथा रियलटी में 112.64 अंक का सुधार हुआ। बीएसई का कोई भी सूचकांक आज गिरावट में नहीं रहा।
शानदार नतीजों की बदौलत भारती एयर टेल का शेयर सेंसेक्स में सर्वाधिक बढ़त हासिल करने वाला रहा। इसमें 9.61 प्रतिशत अर्थात 81.10 रुपए का उछाल आया। शुरु में 850 रुपए पर खुलने के बाद ऊँचे में 941.90 रुपए तथा नीचे में 845 रुपए तक गिरकर यह 925.30 रुपए पर बंद हुआ। रिलायंस कम्युनीकेशंस में 577.05 रुपए पर 8.31 प्रतिशत अर्थात 39.75 रुपए का लाभ रहा।
आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस एनर्जी, एसबीआई, विप्रो लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक, टाटा स्टील, एचडीएफसी, ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईटीसी लिमिटेड, सत्यम कंप्यूटर, एनटीपीसी, एलएंडटी, भेल, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, रैनबैक्सी लैबोरेट्रीज, टाटा मोटर्स और ग्रासिम इंडस्ट्रीज सेंसेक्स के फायदे वाले पहले बीस शेयरों में थे।
एसीसी का शेयर आज लगातार दूसरे दिन घाटे में रहा। इसमें 782.75 रुपए पर 1.92 प्रतिशत अर्थात 15.35 रुपए निकल गए। अम्बूजा सीमेंट, डीएलएफ, सिप्ला लिमिटेड, मारुति सुजूकी, इन्फोसिस टेक, जयप्रकाश एसोसिएट्स और टीसीएस घाटे में बंद हुए।
बढ़ती लागत का दबाव झेल रही घरेलू कंपनियाँ अपने माल की कीमतें बढ़ाने की तैयारी में हैं जिससे अप्रैल-सितंबर 08 की छमाही में महँगाई की मार और कड़ी होने का खतरा बढ़ा है। यह बात भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की के ताजा व्यावसायिक मनोबल सर्वेक्षण से सामने आई है।
मार्च में कराए गए इस सर्वेक्षण की रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ' कच्चे माल और उत्पादन के अन्य संसाधनों की बढ़ती लागत के कारण विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों के लिए कारोबार में मुश्किलें बढ़ गई हैं। सर्वेक्षण के अनुसार लागत का दबाव बढ़ने के कारण कारण 31 प्रतिशत कंपनियाँ अगले छह माह के दौरान कीमतें बढ़ाने की योजना बना रही हैं। इनमें भारी उद्योग क्षेत्र की कंपनियाँ भी शामिल हैं। छह माह पूर्व केवल 15 प्रतिशत कंपनियों ने कहा था कि वे कीमत बढ़ाने की योजना बना रही है।
यह बदलाव तब आया है जबकि वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने महँगाई का दबाव कम करने के लिए इस बार बजट में उत्पाद शुल्क में दो प्रतिशत की कमी कर दी है ताकि कारखानों में बनने वाले सामानों की कीमतें कम हो सकें।
महँगाई के दवाब की प्रमुख सूचक थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रा स्फीति की वार्षिक दर 12 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 7.14 प्रतिशत से बढ़कर 7.33 प्रतिशत हो गई। पिछले वर्ष इसी दौरान मुद्रा स्फीति 6.34 प्रतिशत थी। मुद्रा स्फीति का दबाव एक बड़ा मुद्दा बन गया है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने शनिवार को वाम दलों के साथ एक बैठक के बाद जारी बयान में राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे महँगाई पर राजनीति न करें और इसका भय न खड़ा करें क्यों कि इससे जमाखोरी और सट्टा बाजारी बढ़ती है।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों के बारे में फिक्की की विज्ञप्ति में कहा गया है कि 2008-09 के बजट में उद्योगों को दो उत्पाद शुल्क में दो प्रतिशत की सामान्य रियायत का लाभ भी लागत के दबाव में काफूर हो सकता है। ज्यादातर कंपनियों का कहना है कि उत्पाद शुल्क की रियायत की बदौलत अपनी चीजों के दाम को थोड़े समय तक ही थाम सकती हैं।
फिक्की के इस सर्वेक्षण में एक करोड़ रुपए से 50 हजार करोड़ रुपए तक का सालाना कारोबार करने वाली 392 कंपनियों से व्यवसाय के वातावरण के बारें में उनकी राय ली गई थी। इनमें कपड़ा, चमड़ा से लेकर लोहा, इस्पात और दवा से लेकर वाहन तक बनाने वाली कंपनियाँ शामिल हैं।
फिक्की की विज्ञप्ति के अनुसार ब्याज की महँगी दरों, रुपए की विनिमय दर में तेजी और कच्चे माल की लागत और मुद्रा स्फीति के दवाव के कारण उनका विश्वास डिगा हुआ है। इस सर्वेक्षण में 50 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि पिछले छह माह में व्यावसायिक वातावरण खराब हुआ है। छह माह पूर्व इस तरह की बात करने वाली कंपनियों का हिस्सा 19 प्रतिशत था। 38 प्रतिशत ने कहा कि अगले छह माह तक यही माहौल रहेगा जबकि 33 प्रतिशत ने कहा कि माहौल और खराब हो सकता है। पर 54 प्रतिशत अब भी निवेश बढने की उम्मीद रखती है जो फिक्की की राय में आशा की लौ के बने रहने का पर्याय है।
फिक्की सर्वेक्षण का सकल व्यावसायिक विश्वास सूचकांक छह माह पूर्व के 61.2 अंक से घट कर 55.3 अंक पर आ गया है। केवल 36 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि पिछले छह माह में उनके उद्योग का कामकाज सुधरा है। 38 प्रतिशत ने कहा कि अगली छमाही में उनका लाभ घट सकता है।
देश के शेयर बाजारों में पिछले दो सप्ताह से चली आ रही तेजी आगामी हफ्ते विदेशी शेयर बाजारों की चाल पर निर्भर करेगी। छब्बीस अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में बम्बई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 644.78 अंक तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 153.30 अंक की जोरदार बढ़त के साथ बंद हुए।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि वैसे तो बढ़त का सिलसिला बने रहने की अधिक संभावना है किंतु इसका काफी कुछ दारोमदार विदेशी बाजारों की चाल पर निर्भर करेगा।
दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपीटल मार्केट्स लिमिटेड के प्रमुख अशोककुमार अग्रवाल के अनुसार फिलहाल जो परिस्थितियाँ है उसे देखते हुए बाजार का मूड अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि कंपनियों के परिणामों को लेकर बाजार को जैसी उम्मीद थी, नतीजे उससे कहीं बेहतर निकले।
अग्रवाल का कहना है कि महँगाई को लेकर थोड़ी बहुत चिंता जरूर है किंतु गेहूँ के दामों में नरमी का रुख है और आगे मानसून अच्छा रहने की उम्मीद से आवश्यक जिसों के दामों में उतार आ सकता है जो बाजार के लिए अच्छा रहेगा।
शुक्रवार को अमेरिका के शेयर बाजारों में गिरावट का रुख रहा। माइक्रोसाफ्ट कॉर्पोरेशन के निराशाजनक परिणामों और कच्चे तेल की रिकार्ड कीमतों से बाजार पर असर दिखा। इसका सोमवार को यहाँ के बाजार पर कुछ प्रभाव देखा जा सकता है।
रिजर्व बैंक 29 अप्रैल को चालू वित्त वर्ष के लिए रिण एवं मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। बाजार की नजर इस पर टिकी हुई है कि रिजर्व बैंक महँगाई को रोकने के लिए क्या ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा। बैंक पहले ही आश्चर्यजनक ढंग से नगद सुरक्षित अनुपात..सीआरआर.. में आधा प्रतिशत बढ़ोतरी कर चुका है। दो चरणों में लागू की जाने वाली बढ़ोतरी की पहली किस्त छब्बीस अप्रैल को शुरू हो गई। दूसरे चरण की वृद्घि 10 मई से लागू होगी। रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंकिग तंत्र से साढ़े अट्ठारह हजार करोड़ रुपए निकल जाएँगे।
छब्बीस अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में सेंसेक्स 644.78 अंक अर्थात 3.91 प्रतिशत की वृद्धि के साथ पचपन दिन के बाद 17 हजार अंक को पार करने में सफल रहा। यह 17125.98 अंक पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी 153.3 अंक अर्थात 3.09 प्रतिशत की छलांग के साथ 5111.70 अंक पर पहुँच गया।
कंपनियों के बेहतर परिणामों की बदौलत विदेशी निवेशकों की सक्रियता फिर से दिखी। बीएसई के मिडकैप और स्मालकैप भी तेजी की दौड़ में पीछे नहीं रहे। इनमें क्रमश: 219.82 अंक अर्थात 3.22 प्रतिशत तथा 196.36 अंक अथवा 2.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
बीते सप्ताह के पहले दो दिनों में तेजी पाने के बाद बुधवार को शेयरबाजारों को झटका लगा। गुरुवार को वायदा एवं विकल्प कारोबार का अंतिम दिन होने के कारण सीमित गतिविधियों के बीच शेयर बाजारों में मिलाजुला रुख रहा किंतु शुक्रवार को शेयर बाजारों ने अच्छी छलांग लगाई।
सप्ताह के दौरान सेंसेक्स से जुडी कंपनियों में बढ़त पाने वाले शेयरों आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 9.69 प्रतिशत बढ़कर 916.15 रुपए पर पहुँच गया। समाप्त वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में शुद्ध लाभ में गिरावट के समाचारों के बीच अग्रणी यात्री कार कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड का शेयर 2.99 प्रतिशत गिरकर 737.25 रुपए का रह गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में 2624.50 रुपए पर 0.47 प्रतिशत का नुकसान हुआ।
इंजीनियरिंग और निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनी लार्सन ऐंड ट्रुबो का शेयर 7.03 प्रतिशत की छलांग से 2971.35 रुपए पर पहुँच गया। सत्यम कंप्यूटर का शेयर 444.60 रुपए पर 5.19 प्रतिशत नीचे आए। विप्रो में 466.20 रुपए पर 1.52 प्रतिशत की बढ़त थी।
नेपाली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि माओवादी प्रमुख प्रचंड के नेतृत्व में सरकार का गठन करने से पहले माओवादियों को अपने हथियार सार्वजनिक तौर पर नष्ट कर देने चाहिए अथवा उन्हें अधिकारियों के हवाले कर दिया जाना चाहिए।
नेपाल में हाल ही में संपन्न संविधान सभा के चुनाव में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी [माआवोदी] सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। नेपाली कांग्रेस के उप प्रमुख गोपाल मान श्रेष्ठ ने कहा कि नेकपा [माओवादी] प्रमुख प्रचंड को अगर अगली सरकार का नेतृत्व करने की इच्छा है तो उन्हें माओवादियों की जनमुक्ति सेना [पीएलए] के सुप्रीम कमांडर का पद छोड़ देना चाहिए। श्रेष्ठ ने कहा कि पीएलए और नेपाल सेना का प्रमुख एक ही समय में एक ही व्यक्ति नहीं हो सकता। सरकार बनाने से पहले पूर्व विद्रोहियों को अपने हथियार या तो सार्वजनिक रूप से नष्ट कर देने चाहिए अथवा उन्हें अधिकारियों के हवाले कर देना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि आज से दो साल पहले नेपाल की बहुदलीय सरकार के समय माओवादियों ने जब शांति प्रक्रिया में भाग लेते हुए मुख्यधारा में प्रवेश किया था तो लगभग साढ़े तीन हजार हथियार संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में सौंप दिए थे। प्रचंड ने इससे पहले कहा था माओवादियों की अगुवाई में जल्दी ही सरकार का गठन किया जाएगा। इस सरकार में वह प्रधानमंत्री बनेंगे। नेपाल के अंतरिम संविधान के अनुसार देश का प्रधानमंत्री ही सेना का सर्वोच्च कमांडर होता है। यह पद पहले नेपाल के राजा के पास था।
नेपाली कांग्रेस और नेकपा [एमाले] ने माओवादियों से कहा है कि वह सरकार बनाने से पहले दूसरे दलों के कैडरों को आतंकित करना तथा डराना धमकाना छोड़ें। नेकपा [एमाले] की स्थायी समिति के नेता झालानाथ खनाल ने माओवादियों से कहा कि वह अपने यंग कम्यूनिस्ट लीग को भंग कर दे। माओवादियों की यह युवा शाखा कथित रूप से पूरे देश में लोगों को डराने, धमकाने, प्रताडि़त करने तथा अपहरण करने के मामलों में संलिप्त है।
दूसरी तरफ संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरिम संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाए। उनका कहना है कि नई सरकार के गठन के लिए माओवादियों को महत्वपूर्ण दलों से समर्थन हासिल करना आवश्यक होगा। संविधान विशेषज्ञों को कहना है कि संविधान उन लोगों को सरकार गठन करने की अनुमति नहीं देता जिनके पास साधारण बहुमत है। नेपाल की संविधान सभा में 601 सीट है। हाल ही में हुए संपन्न चुनाव के बाद माओवादियों के पास 220 सीटें हैं जो कुल सीट की 36 फीसदी है। सदन में नेपाली कांग्रेस और नेकपा [एमाले] ने क्रमश: 110 और 103 सीटें जीती हैं। संवैधानिक अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि संविधान के अनुसार नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए राष्ट्रीय सहमति की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को बदलने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। इस प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दलों को एक साथ काम करना चाहिए ताकि सहमति से नए संविधान का मसौदा तैयार किया जा सके।
पहाड़ के समग्र विकास के लिए अलग गोर्खालैंड राज्य होना जरूरी है। उक्त मंतव्य आल झारखंड स्टूडेंट पार्टी के केंद्रीय महासचिव अजय व रांची शाखा के अध्यक्ष जेम्सू खाल्गू ने शनिवार को व्यक्त की। आझा स्टूडेंट पार्टी के महासचिव अजय ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को विकास की काफी उम्मीदें हैं। इसके लिए पहाड़ व समतल को मिलाकर जातिगत नहीं बल्कि विकास के मद्देनजर अलग गोर्खालैंड राज्य का गठन करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अलग गोर्खालैंड राज्य बनने से पहाड़, समतल के मारवाड़ी,बिहारी, बंगाली, आदिवासी समेत क्षेत्र में रहने वाले सभी वर्ग के लोग विकास से लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि अलग गोर्खालैंड राज्य के लिए आगसू समर्थन करेगा और इसके लिए सभी कदम उठाने को तैयार है। पार्टी महासचिव ने कहा कि डुवार्स क्षेत्र में पार्टी ने अलग राज्य के समर्थन में जनसभा व रैली आयोजित करनी शुरु कर दी है। उन्होंने कहा कि गोर्खाओं ने झारखंड राज्य गठन की मांग में सहयोग दिया था जिसे हम लोग भूले नहीं हैं। इसलिए गोर्खालैंड राज्य गठन करने के लिए पहाड़ तराई से लेकर दिल्ली तक के संघर्ष होगा। उन्होंने कहा कि अलग राज्य गोर्खालैंड गठन होने से मात्र पहाड़ और तराई क्षेत्र का विकास होगा। जब तक गोर्खालैंड नहीं होगा तब तक विकास होना संभंव नहीं है। आगासू नेताओं को गोजमुमो टाउन कमेटी के अध्यक्ष दिनेश गुरुंग और पार्षद तेजिंग खाम्बाचे ने स्वागत किया इन नेताओं को विभिन्न स्थानों में स्वागत किया है।
गोर्खाओं को विदेशी कहना कतई बर्दाश्त नहीं उक्त बातें गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग ने शनिवार को सुनकोश में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहीं। अलग गोर्खालैंड राज्य के समर्थन में आग्सू द्वारा विगत 13 अप्रैल से दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र से प्रारंभ हुई पदयात्रा 26 अप्रैल शनिवार को सुनकोश पहुंचकर सभा के रुप में तब्दील हुई। श्री गुरुंग ने कहा कि गोर्खालैंड राज्य के मानचित्र में दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र से लेकर सुनकोश तक का भूभाग है। उक्त क्षेत्र मिलाकर ही गोर्खालैंड राज्य देना होगा। श्री गुरुंग ने कहा कि हम अपनी मांग के लिए जनतांत्रिक तरीके से कदम आगे बढ़ायेंगे। श्री गुरुंग ने कहा कि गोर्खालैंड के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में मार्च तक गोर्खालैंड राज्य अवश्य होगा। गोर्खालैंड राज्य की मांग का विरोध करने वालों के संबंध में श्री गुरुंग ने कहा कि वह चाहे जितने विरोधी नारे लगायें सभी सहन कर लेंगे मगर गोर्खाओं को विदेशी कहना कतई बर्दाश्त न होगा। गोजमुमो सुप्रीमो श्री गुरुंग ने कहा कि गोर्खाओं ने देश को आजादी दिलाने से लेकर अब तक देश की सुरक्षा में किसी तरह की कोताही नहीं बरती है इसलिए भारत सरकार को गोर्खाओं के त्याग व बलिदान का उचित मूल्यांकन कर गोर्खालैंड देना होगा। श्री गुरुंग ने कहा कि अलग गोर्खालैंड राज्य के लिए बलि की वेदी पर चढ़ने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मैं जनता को धोखा न दूंगा। उन्होंने कहा कि डुवार्स वासियों को अब कोई धोखा न होगा। उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी ,डुवार्स समेत जितनी भी भूमि है उसमें से एक इंच भी भूमि छोड़ी न जायेगी। उक्त सारी जमीन गोर्खालैंड के मानचित्र के अन्तर्गत है। गोजमुमो सुप्रीमो ने विगत 13 अप्रैल से आग्सू द्वारा प्रारंभ हुई पदयात्रा में शामिल लोगों को बधाई दी। वहीं दूसरी ओर आग्सू के पदयात्रियों ने सुनकोश पहुंचकर वहां अलग गोर्खालैंड राज्य की मांग के समर्थन में आग्सू का झंडा लहराया। समारोह में आग्सू अध्यक्ष रविशंकर शर्मा, उपाध्यक्ष शंकर छेत्री समेत केपीपी के नेता भी उपस्थित थे। दूसरी ओर कर्सियांग से मिली जानकारी के अनुसार अलग राज्य गोर्खालैंड के मानचित्र व सीमांकन की पहचान को लेकर विगत 13 अप्रैल से दार्जिलिंग से प्रारंभ पदयात्रा शनिवार को सफलता पूर्वक सुनकोश पहुंचने की जानकारी मिलते ही आज गोजमुमो आग्सू के सदस्यों ने आतिशबाजी कर खुशी व्यक्त की। गौरतलब है कि पदयात्रियों ने सुनकोश पहुंचकर गोजमुमो का झंडा फहराया है। इसी तरह गोसाईगांव से मिली जानकारी के अनुसार आग्सू सदस्यों द्वारा सुनकोश नदी के किनारे झंडा फहराने की सूचना मिलते ही गोजमुमो अध्यक्ष विमल गुरुंग व महासचिव रोशन गिरि के नेतृत्व में शनिवार को हजारों समर्थको ने गगनभेदी नारेबाजी करते हुए गोर्खालैंड की सीमा रेखा तय की। राष्ट्रीय राजमार्ग 31 न.रंभी बाजार गोर्खालैंड के सचिव नरबू लामा ने कहा कि पूर्व इतिहास के दौरान ही हमने यह फैसला लिया है जिसे हम हासिल करके रहेंगे।श्री लामा ने कहा कि संकोश नदी के उसपार बोड़ोलैंड है और इस पार सिलीगुड़ी, डुवार्स, इस्लामपुर व चोपड़ा तक का क्षेत्र गोर्खालैंड के मानचित्र में है। हम अलग गोर्खालैंड राज्य की समस्त सीमाओं पर झंडा फहरायेंगे।
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हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।
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जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।
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Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
The Himalayan Voice
Cambridge, Massachusetts
United States of America
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
Imminent Massive earthquake in the Himalayas
Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
______________________________________________________
By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
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