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Friday, February 15, 2013

फ्रांस के साथ बाजार के नियमों के मुताबिक अरबों डालर का रक्षा सौदा

फ्रांस के साथ बाजार के नियमों के मुताबिक अरबों डालर का रक्षा सौदा

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

अब दुनिया में भारतीय राजनेताओं और मैंगो जनता को छोड़कर  विरला ही कोई इतना मासूम होगा  जिसे यह भी नहीं पता कि अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में बिना कमीशन कोई सौदा पटता तो है नहीं। अब इस सौदे के खुलासे के लिए कब तक इंतजार करना​​ होगा, यही देखना बाकी है।


फ्रांस के साथ बाजार के नियमों के मुताबिक छह अरब डालर का रक्षा सौदा हो गया। सत्ता के खेल में संसाधन जुटाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और जायनवादी धर्मराष्ट्रवाद के तहत अंध धेशभक्ति के आवाहन के साथ राष्ट्र का सैन्यीकरण एक के बाद एक रक्षा घोटाले के बावजूद बदस्तूर जारी है।मजे की बात तो यह है कि यह सौदा ऐसे माहौल में हुआ जब बोफोर्स मामला रफा दफा हो जाने के बाद फिर इटली सा रक्षा घोटाले का जिन्न बोतल तोड़कर बाहर निकला है।संसद में अगले सप्ताह विपक्ष के हमले झेलने को तैयार सरकार ने शुक्रवार को कार्रवाई करते हुए अगस्ता वेस्टलैंड से अतिविशिष्ट व्यक्तियों के लिये हेलीकॉप्टर की खरीद का सौदा रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर दी। इस आरोप की जांच के लिए सीबीआई की एक टीम को इटली भेजने का फैसला भी किया गया है। आरोप है कि सौदा हासिल करने के लिए 362 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई। रक्षा मंत्रालय ने संविदा की शर्तों के अनुरूप अन्य कदम उठाने की भी चेतावनी दी। भारत ने फ्रांस को करीब पौने दो अरब डॉलर के सौदे वाली शॉर्ट रेंज मिसाइल के साझा उत्पादन करने की हरी झंडी दे दी है। इसके अलावा करीब 18 अरब डॉलर का रफेल लड़ाकू विमान सौदा और करीब आठ अरब डॉलर के दो परमाणु रिएक्टरों का सौदा जल्द करने का वादा भी किया गया है।राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद ने जो कहा है , उससे आशय निकाल लीजिये कि क्या हो रहा है।उन्होंने साफ साफ कह दिया कि रक्षा सौदे व्यापार ​
​के नियमों के तहत हो रहे हैं।फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांदे ने भरोसा दिया है कि भारत और फ्रांस के बीच हुए रक्षा सौदों में किसी तरह की अनैतिक बात नहीं होगी। उन्होंने कहा कि चाहे रफेल लड़ाकू विमान हो या कोई और रक्षा सौदा फ्रांस सिद्धांतों के आधार पर और व्यापार के नियमों के मुताबिक सौदेबाजी करता है। उल्लेखनीय है कि भारत ने फ्रांस की डसाल्ट कंपनी को 18 अरब डॉलर से भी ज्यादा के रफेल लड़ाकू विमान का सौदा देने का वादा किया है। प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद पत्रकारों से बातचीत में रक्षा सौदों में दलाली के बारे में पूछे जाने पर ओलांदे ने भरोसा दिया कि फ्रांस सौदा जीतने के लिए किसी तरह की अनैतिक हरकत करने में यकीन नहीं करता। भारत ने फ्रांस को 18 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की छह पनडुब्बियों का सौदा दिया है और करीब दस हजार करोड़ रुपये का सौदा मिराज-2000 लड़ाकू विमानों को आधुनिक बनाने के लिए दिया है।  अब दुनिया में भारतीय राजनेताओं और मैंगो जनता को छोड़कर  विरला ही कोई इतना मासूम होगा  जिसे यह भी नहीं पता कि अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में बिना कमीशन कोई सौदा पटता तो है नहीं। अब इस सौदे के खुलासे के लिए कब तक इंतजार करना​​ होगा, यही देखना बाकी है।

राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांदे की भारत यात्रा के दौरान महराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में स्थित जैतापुर के किसान वहां दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर हुई सहमति को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। ओलांदे  दो दिन की यात्रा पर भारत आए हुए हैं। दिसंबर 2010 में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी भारत आए थे। वो उस अवसर पर जैतापुर परमाणु संयंत्र के निर्माण के लिए 10 अरब डॉलर का सौदा करके ख़ुशी-ख़ुशी वापस अपने देश लौटे थे। लेकिन इस बार नए राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद को जैतापुर के किसानों का पैगाम है कि वो इस समझौते को वापस लें। दरअसल फ्रांस के सहयोग से जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण होना है, लेकिन जापान के फुकुशिमा जैसी त्रासदी रोकने के लिए कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं। इन लोगों का आरोप है कि परियोजना में पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं अपनाए गए हैं। ऑल इंडिया प्रोगेसिव वुमेंस एसोसिएशन (एआईपीडब्ल्यूए) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्‌स एसोसिएशन (एआईएसए) के कार्यकर्ताओं और छात्रों ने फ्रांसीसी कंपनी अरीवा के सहयोग से महाराष्ट्र के जैतापुर में परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के खिलाफ विरोध किया।

राष्ट्राध्यक्षों का दौरा अब राजनीतिक की जगह आर्थिक हो गया है।हेलिकॉप्टर घोटाले और रक्षा बजट घटाने के दबावों के बीच फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांदे भारत पहुंचे। मुश्किल यह है कि उनका दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत और इटली का हेलिकॉप्टर सौदा भ्रष्टाचार के विवाद में फंस गया है और आशंका जताई जा रही है कि हेलिकॉप्टर डील ही खारिज कर दी जाए। ऐसे में फ्रांस के 126 रफाल विमान बेचने के अति महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर भी सवाल उठ सकते हैं.राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद ने शुक्रवार को कहा कि फ्रांसीसी कंपनियां भारत में एक अरब डॉलर का निवेश करना चाहती हैं, लेकिन भारत को अड़चनें हटाकर बाजार खोलने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए ओलोंद ने कहा कि बाजार खोलने में हमेशा ही बाधाएं आती हैं।हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस देश के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। अपनी दो दिन की भारत यात्रा पूरी करते हुए ओलोंद ने स्वीकार किया कि ये बाधाएं (बाजार में सुधार लाने के) दोनों ही देश में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मैं यहां राजनीतिक निर्णयों में हस्तक्षेप करने नहीं आया हूं, बल्कि ये निर्णय (बाजार खोलने के) चाहे जो भी हो, आवश्यक हैं।उन्होंने कहा कि हम सभी यह जानते हैं कि भारत का एक महान भविष्य है और हम इसका हिस्सा बनना चाहते हैं। ओलोंद ने कहा कि भारत में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ने की संभावना है लेकिन साथ ही विशाल आकार के मद्देनजर इसके समक्ष जबरदस्त चुनौतियां भी हैं।इसके अलावा जैतापुर में 1650 मेगावॉट के छह परमाणु रिएक्टर लगने हैं जिसमें से शुरू में दो रिएक्टरों को लगाने पर बातचीत फ्रांस की अरेवा और भारत की एनपीसीआईएल के बीच चल रही है। दोनों देशों ने साझा बयान में कहा है कि जैतापुर में लगने वाले ईपीआर परमाणु रिएक्टर सुरक्षा के सबसे कड़े मानक अपनाएंगे।

फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांदे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच गुरुवार को हुई बातचीत के दौरान करीब नौ किलोमीटर दूर तक सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल (एसआरसैम) के साझा उत्पादन पर भारत ने सहमति दी। इस मिसाइल को भारत और फ्रांस की दोस्ती के प्रतीक के तौर पर मैत्री मिसाइल नाम दिया गया है। आर्मी ने करीब पांच साल पहले ही रक्षा मंत्रालय से कहा था कि उसे ऐसी मिसाइल चाहिए जो छह सेकंड के भीतर दुश्मन के लड़ाकू विमानों पर हमला कर सके। चूंकि भारत में विकसित की जा रही शॉर्ट रेंज मिसाइल त्रिशूल कामयाब नहीं हो सकी थी इसलिए इसका विकास करने वाले डीआरडीओ को फ्रांस की मिसाइल बनाने वाली नामी कंपनी एमबीडीए के साथ त्रिशूल को मैत्री मिसाइल में बदलने की जिम्मेदारी सौंपी गई। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नए गुणात्मक स्तर पर ले जाने की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शॉर्ट रेंज मिसाइल का भारत में ही साझा उत्पादन होगा। उन्होंने कहा कि इससे भारत और फ्रांस के बीच सामरिक साझेदारी मजबूत होगी। साझा बयान में स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के उत्पादन और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के आधुनिकीकरण का काम संतोषजनक चलने का जिक्र किया गया है। दोनों नेताओं की मौजूदगी में अंतरिक्ष , शिक्षा , परिवहन और संस्कृति के क्षेत्र में दीर्घकालीन सहयोग और आदान प्रदान के लिए चार समझौते भी हुए। एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ ओलांद गुरुवार सवेरे यहां पहुंचे। उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल में छह मंत्री और 5० सदस्यीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल भी शामिल है।

फ्रांस के राष्ट्रपति फ़्रांस्वा ओलांडे 14 फरवरी के तड़ते नई दिल्ली पहुंचे। फिर उन्होंने अलग-अलग तौर पर भारत के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, विदेश मंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी की अध्यक्ष और संसद में विपक्षी दल के नेता से वार्ता की। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के साथ उन की बातचीत में रक्षा,असैनिक परमाणु ऊर्जा और आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।ओलांडे की इस भारत-यात्रा को फ़्रांस ने भारी महत्व दिया है। फ्रांस के विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और कैबिनेट के अन्य प्रमुख सदस्य तथा 60 से अधिक बडी कंपनियों के अध्यक्ष ओलांडे के साथ भारत आए हुए हैं।भारत के वायुसेना-अध्यक्ष ने संकेत दिया कि उन की सेना चाहती है कि इस साल जून माह से पूर्व अंतिम समझौता संपन्न होगी, ताकि इन विमानों का यथाशीघ्र सेना में प्रयोग किया जा सके। उधर फ्रांस की विमान निर्माण कंपनी डासोल्ट ने इस बात की पुष्टि की कि भारत ने फ्रांस के साथ 126 राफेल युद्धक विमान खरीदने संबंधी पहले समझौते के आधार पर इस तरह के और भी 63 विमान खरीदने का सौदा किया है।  भारत के रक्षा विशेषज्ञ कोमोडोर सी उदय भास्कर का मानना है कि भारत और फ्रांस के पचासों साल पुराने रिश्ते को एक हेलिकॉप्टर सौदे से नहीं जोड़ा जा सकता। उन्होंने डॉयचे वेले से कहा कि पैसों की कमी हो तो अलग बात है, "मुझे नहीं लगता कि हेलिकॉप्टर सौदे की वजह से फ्रांस के साथ रिश्तों पर कोई असर पड़ेगा, अगर असर पड़ेगा तो यह कि भारत का बजट घाटा लगातार बढ़ रहा है और अगर किसी तरह की हिचक होगी तो यह आर्थिक और पैसों की वजह से होगी।" फ्रांस भारत का प्रमुख परमाणु ईंधन आपूर्तिकर्ता भी है।

सूत्रों के अनुसार भारत और फ़्रास के बीच असैनिक परमाणु ऊर्जा के संदर्भ में सहयोग भी ध्यानाकर्षक है। फ़्रांस अपनी योजनानुसार भारत को उस की जैतापुर परमाणु बिजली परियोजना में असैनिक परमाणु बिजली तकनीक प्रदान करेगा। इस बात पर द्विपक्षीय वार्ता तकनीकी स्तर पर कुंजीभूत दौर में दाखिल हो चुकी है।भारत-फ़्रांस के आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग को नया आयाम देना भी ओलांडे की वर्तमान यात्रा का एक मुख्य एजेंडा है। 2012 में भारत और फ्रांस के बीच केवल 8 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ, जो 12 अरब डॉलर के पहले तय लक्ष्य से कहीं अधिक कम है। हॉ, आतंकविरोध, शिक्षा, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग भी दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत के विषयों में शामिल हैं।

राजनयिक सूत्रों के मुताबिक डीआरडीओ और एमबीडीए के बीच यह साझा परियोजना चूंकि सफल रही है इसलिए अब इसे जमीन पर उतारने का काम शुरू किया जाएगा। फिलहाल आर्मी की दो रेजिमेंटों के लिए 36 ऐसी प्रणालियां दी जाएंगी, जिसमें एक हजार मैत्री मिसाइलें होंगी। अगले पांच से दस बरस में आर्मी को ऐसी कुल आठ रेजिमेंट खड़ी करनी हैं इसलिए भविष्य में यह सौदा कई अरब डॉलर का हो सकता है।

बातचीत के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि जैतापुर में लगने वाले दो परमाणु रिएक्टरों के लिए व्यावसायिक और तकनीकी बातचीत में अच्छी प्रगति हुई है जिसे हम जल्द लागू करेंगे। जैतापुर में 1650 मेगावॉट के छह परमाणु रिएक्टर लगने हैं जिसमें से शुरू में दो रिएक्टरों को लगाने पर बातचीत फ्रांस की अरेवा और भारत की एनपीसीआईएल के बीच चल रही है। दोनों देशों ने साझा बयान में कहा है कि जैतापुर में लगने वाले ईपीआर परमाणु रिएक्टर सुरक्षा के सबसे कड़े मानक अपनाएंगे।

फ्रांस और भारत की वार्ता जहां अरेवा परमाणु रिएक्टर और दस्सॉ रफाल ल़डाकू विमानों पर काफी आगे बढ़ चुकी है, वहीं फ्रांस विनिर्माण सहित दूसरे कई क्षेत्रों में आर्थिक तेजी लाने के लिए भारत की ओर देख रहा है। एक परामर्श कम्पनी ट्रेंडो के मुताबिक 2010 से फ्रांस विनिर्माण में पिछ़ड रहा है। 2012 में विनिर्माण इकाइयों के बंद होने की घटना में 42 फीसदी उछाल रही। इस वर्ष 1087 इकाइयां बंद हुई और 24 हजार लोगों की नौकरियां गई। 2013 में भी यही रूझान रहने वाला है।

वाहन निर्माता कम्पनी पियोगयोट ने कहा है कि पेरिस के उपनगरीय इलाके में स्थित ऑल्ने-सॉस-बोइस संयंत्र को वह बंद कर देगा। इससे 2,800 लोगों की नौकरी चली जाएगी। होलांद ने चुनावी अभियान के दौरान कहा था कि वह संयंत्र को बंद नहीं होने देंगे। उनकी जीत के एक साल बाद भी हालांकि स्थिति जस की तस है। पिछले दिन कार निर्माता ने किसी भी एक साल में सर्वाधिक पांच अरब यूरो के घाटे की घोषणा की। इससे पियोगयोट की स्थिति की गम्भीरता का पता चलता है। ट्रेंडो ने कहा कि बंद होने वाली कम्पनियों की संख्या मीडिया में बताई जा रही संख्या से कहीं अधिक हैं। वे छोटी हैं और उनमें 100 से कम और कई में 10 से भी कम कर्मचारी काम करते हैं। ट्रेंड के मुताबिक सिर्फ पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी, निर्माण, अंतरिक्ष और एरोनोटिक्स जैसे क्षेत्रो में ही रोजगार बढ़ा है।

कब मिलेंगे लड़ाकू विमान

फ्रांस में बने रफाल विमान माली में जलवा दिखा रहे हैं और ओलांद इस डील को पक्का करने की पूरी कोशिश करेंगे।  हालांकि फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों का कहना है कि चीजें बहुत तेजी से हो रही हैं लेकिन "इस दौरे में समझौते पर हस्ताक्षर नहीं" होगा। रफाल बनाने वाली दासो कंपनी के मुख्य कार्यकारी एरिक ट्रापियर का कहना है कि भारत 126 विमानों के बाद 63 विमानों की दूसरी खेप भी लेना चाहता है।  भारतीय वायु सेना प्रमुख एनएके ब्राउन समझते हैं कि यह सौदा जून तक पक्का हो जाएगा ताकि "जल्द ही इन्हें सेना में शामिल किया जा सके। "


रूसी लड़ाकू विमान सुखोई के अलावा भारतीय वायु सेना में फ्रांसीसी मिराज भी है।  भास्कर बताते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब अमेरिका जैसे देशों ने नजरें फेर ली थीं, तो फ्रांस ने एलिजे विमान दिए थे, जो पनडुब्बी भेदी विमान था।  ओलांद के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भी भारत पहुंचने वाले हैं, जिन्होंने यूरोप के मिले जुले प्रोडक्ट यूरोफाइटर के लिए लॉबिंग की थी पर भारत ने फ्रांसीसी रफाल खरीदने का फैसला किया।  समझौते के तहत शुरुआती 18 विमान फ्रांस से भेजे जाएंगे, जबकि बाद में हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड के साथ मिल कर इनका उत्पादन शुरू होगा।

भारत पर भरोसा
कभी बोफोर्स दलाली से हिल जाने वाले भारत में हाल के दिनों में एक बार फिर रक्षा सौदों पर सवाल उठ रहा है. इटली के हेलिकॉप्टर से पहले स्लोवाकिया के टाट्रा ट्रकों पर भी सवाल उठ चुके हैं। कोमोडोर भास्कर मानते हैं कि बोफोर्स के बाद भारत में सौदे मुश्किल हुए हैं लेकिन भारत ने भरोसा बनाए रखा है, "भारत के अंदर निर्णय लेने में बहुत समय लगता है. बोफोर्स के बाद से इसका असर बढ़ गया है। लेकिन अमेरिका रूस, फ्रांस या इटली जैसे हथियार सप्लाई करने वाले देशों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा है।भारत के साथ विश्वसनीयता को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया गया है।"

रफाल सौदे के अलावा ओलांदे  कुछ और मसलों पर बात करेंगे। भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई के वरिष्ठ पत्रकार अजय कौल ने बताया कि शिक्षा और तकनीकी सहयोग पर भी बात होगी और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते पर भी चर्चा हो सकती है। कौल ने कहा, "इस दौरे में मुक्त व्यापार पर कोई बड़ी सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन मुद्दा बहुत आगे बढ़ चुका है, जिसमें भारत को फ्रांस जैसे देशों का समर्थन पहले से ही हासिल है।"

आपसी तनाव

मानवाधिकार के मुद्दे पर पश्चिमी देश भारत पर सवाल उठाते रहे हैं। हाल ही में अफजल गुरु को फांसी हुई है और फ्रांस सहित दुनिया के बहुतेरे देश फांसी की सजा का विरोध करते हैं। कौल का मानना है कि ओलांद के दौरे में इस वजह से तल्खी आने की संभावना नहीं है, "भारत की लाइन रही है कि ये अंदरूनी मामले हैं और उसे इसमें किसी दूसरे पक्ष के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।"

भारत पगड़ी पर प्रतिबंध हटाने की मांग करता रहा है। धार्मिक निशानियों पर पाबंदी की वजह से फ्रांस में रहने वाले सिख पगड़ी नहीं पहन सकते। फ्रांस के पिछले राष्ट्रपति निकोला सारकोजी के साथ भी भारत ने यह मुद्दा उठाया था और पिछले दिनों विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी अपने फ्रांस दौरे पर इस पर बात की। यह फिर से बातचीत में मुद्दा बन सकता है. हालांकि कौल कहते हैं कि "भारत इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर सकता क्योंकि यह उनका अंदरूनी मामला है।"

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