Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Thursday, April 18, 2013

कारपोरेट राज से आपको और क्या उम्मीदे हैं​?बहुसंख्य जनगण के मत्थे तो लिखा है आत्महत्या या फिर हत्या।

कारपोरेट राज से आपको और क्या उम्मीदे हैं​?बहुसंख्य जनगण के मत्थे तो लिखा है आत्महत्या या फिर हत्या।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

​​

​एकतरफ तो भूमि अधिग्रहण कानून पर सर्वदलीय सहमति हो गयी जिसके तहत बहुत जल्द जल जंगल जमीन से बेदखली का अभियान नये सिरे से लागू होगा। दूसरी तरफ सेज कानून को निवेशकों के हितों के मुताबिक बना दिया गया है। भूमि सुधार आंदोलन मीडिया विस्फोट के अलावा टाय टाय फिस्स साबित हुआ। खनन अधिनयम संशोधन कानून, वनाधिकार कानून और पर्यावरण कानून की तरह ही भूमि अधिग्रहण कानून का उपयोग कारपोरेट हित में करने के पूरे आसार है।बायोमैट्रिक नगरिकता की वजह से बदखल लोगों की ओर से कोई प्रतिरोध असंभव है। संविधान है, पर लागू नहीं है।असंवैधानिक ढंग से आर्थिक सुधारों के जरिये भारत को मुक्त बाजार का वधस्थल बना दिया गया। तमाम घोटालों में महामहिम​ ​ राष्ट्रपति  का नाम है, पर संवैधानिक रक्षाकवच की वजह से उन मामलों में जांच असंभव है। मुकदमा हो ही नहीं सकता। इस पर तुर्रा यह कि टेलीकॉम घोटाले की जांच कर रही जेपीसी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम को क्लीन चिट दे दी है। सूत्रों के मुताबिक जेपीसी ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में सारा ठीकरा तत्कालीन टेलीक़ॉम मंत्री ए राजा पर फोड़ा है। साथ ही 1 लाख 76 हजार करोड़ के घाटे के सीएजी के आंकड़े को भी खारिज किया है। हालांकि जेपीसी में शामिल विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट से असहमति जताते हुए विरोधपत्र देने का फैसला किया है। ड्राफ्ट रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए 25 अप्रैल को जेपीसी की बैठक होगी। अब जाहिर है कि कानून का राज सबके लिए समान नहीं है। कानून अपनी जगह है और संविधान अपनी जगह, लेकिन बहुसंख्य जनगण के मत्थे तो लिखा है आत्महत्या या फिर हत्या।इसी के मध्य ओडिशा सरकार ने जगतसिंहपुर जिले में पॉस्को इंडिया की प्रस्तावित वृहद इस्पात परियोजना के लिए 2,100 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है। एक्सपोर्ट में गिरावट की चुनौती का सामना कर रही सरकार ने एक्सपोर्टर्स की लोकप्रिय ईपीसीजी योजना को अभी जारी रखने और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) को कई नई रियायतें देने की घोषणा की है। निर्यात पर वैश्विक नरमी के प्रभाव को लेकर चिंतित वाणिज्य मंत्रालय ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में नई जान फूंकने के लिए पहल शुरू की है। देश के कुल सालाना निर्यात में सेज का योगदान 3 लाख करोड़ रुपये या लगभग 28 प्रतिशत है।सेज के समक्ष कर और प्रक्रिया संबंधी समस्याओं के मद्देनजर वाणिज्य मंत्रालय ने नीति और परिचालन संबंधी मुद्दों पर संबंधित पक्षों की राय मांगी है।मंत्रालय ने कहा, 'सेज से संबंधित नीतियों तथा परिचालन के मुद्दों के हल के लिए सभी संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे गए हैं।' मंत्रालय के अनुसार सेज कानून तथा नियम को अधिसूचित हुए पांच साल हुए हैं। इतने कम समय में 585 सेज को मंजूरी दी गई। उनमें से 143 से निर्यात हो रहा है।सरकार ने जीरो ड्यूटी ईपीसीजी स्कीम में सभी सेक्टर को शामिल करने का फैसला किया है।


एक तरफ तो बिना पर्यावरण झंडी के विकास के नाम पर देशभर में आदिवासी, शरणार्थी, दलित और बस्तीवाले बेदखल किये जा रहे हैं। लंबित परियोजनाएं फिर चालू करने के लिए सरकार और सत्तावर्ग की ओर से हर किस्म की तिकड़में जारी हैं तो तमाशा यह है कि के. कस्तूरीरंगन की अगुवाई वाले एक उच्च स्तरीय कार्यसमूह ने पश्चिमी घाट पर करीब 60,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विकास गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील यह क्षेत्र गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, केरल और तमिलनाडु में फैला है। 10 सदस्यीय इस कार्यसमूह का गठन पर्यावरणविद माधव गाडगिल की अगुवाई वाली पारिस्थितिक विशेषज्ञों की समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट की समीक्षा के लिए किया गया था। कार्यसमूह ने गाडगिल समिति की रिपोर्ट से भी अलग हटकर सुझाव दिए हैं।गाडगिल समिति ने उन क्षेत्रवार गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश बनाने का सुझाव दिया था जिनकी इन संवेदनशील क्षेत्रों में अनुमति है। समिति ने अपनी रिपोर्ट कल पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन को सौंपी। रिपोर्ट में कहा गया है, 'पश्चिमी घाटों की सीमा के रूप में परिभाषित क्षेत्र में से करीब 37 फीसदी क्षेत्र पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील है।' इसमें से 60,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में फैला है। कार्यसमूह ने पर्यावरण पर सबसे ज्यादा असर डालने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध की सिफारिश की है।' कार्य समूह का गठन माधव गाडगिल की अगुवाई वाली समिति पश्चिमी घाट पारिस्थितिक विशेषज्ञ समिति (डब्ल्यूजीईईपी) द्वारा पूर्व में तैयार रिपोर्ट पर अपनी सिफारिशें देने के लिए किया गया था।


सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में कैटेगरी-बी की 63 माइंस से रोक हटा ली है। कर्नाटक के बेल्लारी में कैटेगरी-बी माइंस हैं। इससे सेसा गोवा, जेएसडब्ल्यू स्टील, एनएमडीसी, कल्याणी स्टील को फायदा होगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कैटेगरी-सी की 49 खदानों में माइनिंग लीज रद्द कर दी है। इसके अलावा कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर 7 माइन की लीज पर रोक बरकरार रखी गई है।


उधर ओडिशा के लांझीगढ़ में वेदांता का एल्युमीनियम प्लांट कम से कम 5 महीने के लिए फंस गया है। आज सुप्रीम कोर्ट ने मामला ग्राम सभा के हवाले कर दिया है।  


सुप्रीम कोर्ट ने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के नियामगिरी बॉक्साइट माइनिंग प्रोजेक्ट पर रोक बरकरार रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने नियामगिरी बॉक्साइट माइनिंग पर वरिष्ठ अधिकारियों  को फैसला लेने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम सभा को मामले की सुनवाई करने को कहा है। पर्यावरण की मंजूरी मिलने के बाद ही नियामगिरी में दोबारा खदान कार्य शुरू हो सकेगा।


जेएसडब्ल्यू स्टील के बेल्लारी यूनिट के सीईओ विनोद नोवाल का कहना है कि बी कैटेगरी माइन शुरू होने में 2-3 महीने का समय लगेगा। साथ ही कैटेगरी बी माइन के शुरू होने से 60-70 लाख टन आयरन ओर का उत्पादन बढ़ जाएगा।


कल्याणी स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर आर के गोयल का कहना है कि कैटेगरी-बी माइन खुलने में 2 साल लग सकते हैं। ज्यादातर माइंस की लीज खत्म हो चुकी है। ऐसे में सी-कैटेगरी की माइन कैप्टिव इस्तेमाल के लिए दी जानी चाहिए।


सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर व्यापक सहमति बना ली है । इससे महीने भर के गतिरोध के बाद विधेयक को संसद के बजट सत्र में ही पेश कर पारित कराने का रास्ता साफ हो गया ।करीब 90 मिनट की सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि हमने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर व्यापक सहमति बना ली है ।सरकार भाजपा की इस मांग पर सहमत हो गयी है कि भूमि अधिग्रहण की बजाय डेवलपर को उसे लीज पर दिया जाए ताकि भूमि का स्वामित्व किसान के पास ही रहे और उसे नियमित वाषिर्क आय होती रहे ।इस बीच सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक 2011 में संशोधन के लिए राजी हो गयी है । राज्यों के लिए इसमें प्रावधान होगा कि वे इस संबंध में कानून बनायें क्योंकि भूमि को लीज पर देना या लेना राज्य का विषय है ।द्रमुक और वाम दलों को हालांकि विधेयक के बारे में अभी भी आपत्तियां हैं । माकपा ने मांग की है कि भूमि अधिग्रहण के कारण प्रभावित होने वाले सभी परिवारों की सहमति हासिल की जाए । माकपा नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि मूल विधेयक से नये विधेयक को काफी हल्का कर दिया गया है । मौजूदा विधेयक किसानों के हितों के खिलाफ है । विधेयक जब संसद में पेश होगा, हम संशोधन लाएंगे ।लेकिन इस विरोध  से तबतक कोई फर्क नहीं पड़ता , जबतक न कि धर्मनिरपेक्ष औरलोकतांत्रिक ताकतों का संयुक्त मोर्चा संविधान और जनता के हकहकूक के लिए प्रतिरोध में सड़क पर नहीं उतरता। राजनीति के कारोबारी तो अपने वोट बैंक साध रहे हैं। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि वे कारपोरेट हितं के विराधमें नहीं हैं और उनके विरोध के बावजूद संघ परिवार के सक्रिय सहयोग से कानून बन ही जायेगा। पिछले दो दशकों से यही ​​नाटक जारी है। बेरोकटोक आर्थिक सुधारों का पहला चरण अल्पमत सरकारों ने पूरा कर लिया और अब फिर अल्पमत सरकार जनादेश और​​ संविधान की धज्जियां उड़ाते हुएसुदारों का दूसरा चरण पूरा करने में लगा है।


गौरतलब है कि ओड़ीशा में राज्य सरकार द्वारा तैयार स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है, 'सार्वजनिक क्षेत्र के औद्योगिक ढांचागत विकास निगम (आईडीसीओ) ने 2,100 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है जिसमें से 546 एकड़ जमीन का कब्जा पॉस्को को दे दिया गया है। शेष 1,554 एकड़ जमीन पॉस्को को दिए जाने के लिए तैयार है।' इस संयंत्र के लिए अन्य 600 एकड़ जमीन का अधिग्रहण चार महीने के भीतर किए जाने की संभावना है। यह स्थिति रिपोर्ट दक्षिण कोरिया के सोल में 23 अप्रैल, 2013 को होने वाली मंत्रिस्तरीय दूसरी संयुक्त समिति की बैठक में पेश की जाएगी।


गौरतलब है कि विश्व के एक तिहाई गरीब भारत में हैं जो रोजाना 1.25 डालर :करीब 65 रुपए: से कम में जीवन यापन करते हैं। विश्वबैंक की एक ताजा रपट में कहा गया है कि दुनिया में 1.2 अरब लोग अभी भी बेहद गरीबी की परिस्थिति में पड़े हैं।

'विश्व विकास संकेतक' शीर्षक रपट के आंकड़ों के आधार पर तैयार 'गरीबों की स्थिति:कहां हैं गरीब, कहां हैं सबसे गरीब' शीर्षक रपट में कहा गया कि 1981 से 2010 के बीच हर विकासशील क्षेत्र में अत्यधिक गरीब आबादी का अनुपात कम हुआ। इस दौरान इन क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात 50 फीसद से घटकर 21 फीसद पर आ गया। विकासशील देशों की जनसंख्या में इस दौरान 59 फीसद की बढ़ोतरी के बावजूद गरीबी का अनुपात कम हुआ है।हालांकि विश्व बैंक द्वारा जारी अत्यधिक गरीबी के नए विश्लेषण के मुताबिक अब भी 1.2 अरब लोग बेहद गरीबी में जीवन निर्वाह कर रहे हैं और हाल के वर्षों में अच्छी प्रगति करने के बावजूद उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र अब भी विश्व की एक तिहाई से अधिक गरीबों का घर है। विश्वबैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा ''हमने विकासशील दुनिया में रोजाना 1.25 डालर से कम आय पर जीने वाले लोगों की संख्या कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है पर अब भी 1.2 अरब लोगों का गरीबी में रहना हमारी सामूहिक चेतना पर कलंक है।''उन्होंने कहा '' ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गरीबी के खिलाफ लड़ाई तेज करने के संकल्प का ठोस आधार बन सकते हैं। हमारा विश्लेषण और हमारी सलाह 2030 तक दुनिया से बेहद गरीबी की स्थिति खत्म कर सकती है।''विश्व बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा ''हमने गरीबी खत्म करने की कोशिश की है लेकिन इतना काफी नहीं है क्योंकि करीब विश्व की आबादी का पांचवां हिस्सा अभी भी गरीबी रेखा से नीचे है।''


न्यूयार्क में  भारतीय अर्थव्यवस्था में नरमी को अस्थायी बताते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि यह दो साल में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर पर लौट आएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सालाना 50 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश खपा सकता है।चिदंबरम ने चालू खाते के घाटे का अधिक होने की वास्तविकता को  स्वीकारते हुए कहा है कि सरकार ने इसके घटाने के लिए कोई समयसीमा या लक्ष्य नहीं रखा है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि तेल की कीमतों में नरमी से यह घाटा घटाने में मदद मिलेगी हो 2012-13 में बढ़कर जीडीपी का लगभग पांच प्रतिशत हो गया।यहां अंतरराष्ट्रीय मीडिया को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार क्षेत्रवार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :एफडीआई: सीमा की समीक्षा कर रही है।

उन्होंने कहा, 'भारत 8 प्रतिशत की संभावित वृद्धि दर हासिल करने को तैयार खड़ा है और देश ने विदेशी निवेश की कोई सीमा तय नहीं की है।'उन्होंने कहा, 'देश के रूप में हम 50 अरब डालर का निवेश एक साल या अधिक अवधि में खपा सकते हैं। विदेशी मु्रदा प्रावाह के लिहाज से पहली वरीयता एफडीआई की है, उसके बाद एफआईआई व विदेशी वाणिज्यिक उधारी है।'

उन्होंने कहा कि एफडीआई किसी भी अन्य देश की तरह भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। चिदंबरम ने इसी सप्ताह कनाडा व अमेरिका में निवेशकों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि भारतीय नरमी फौरी है। े मैं इस सवाल की वैधता से सहमत हूं लेकिन हमारे पास जवाब है। 2004 से 2012 के दौरान छह साल के लिए हमारी वृद्धि दर 8 प्रतिशत रही जबकि चार साल यह दर 9 प्रतिशत थी।'


विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) परियोजनाओं के विकास में निवशकों की घटी रूचि के मद्देनजर सरकार ने आज इस योजना के लिए एक सुधार पैकेज की घोषणा की जिसमें भूमि अधिग्रहण के मानदंड को उदार बनाने और परियोजनाएं छोड़ने से संबंधी एक नीति शामिल है। सरकार को उम्मीद है कि इससे विशेष आर्थिक क्षेत्र :सेज: में निवेशकों की रुचि फिर जगेगी। इस पैकेज में सेज परियोजनाओं के लिए न्यूनतम जमीन की आवश्यकता आधी कर दी गयी है तथा आईटी..और आईटीईएस :सूचना प्रौद्योगिकी-सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवा क्षेत्र: के सेज के लिए न्यूनत जमीन की शर्त खत्म कर दी गयी है।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने यहां विदेश व्यापान नीति की वार्षिक समीक्षा में कहा, ''सेज योजना का अभी पूरा फायदा नहीं मिला है। हमने सेज नीति की व्यापार समीक्षा की है ... मुझे सेज में निवेशकों की रुचि फिर से जगाने के लिए सुधार पैकेज की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।''किसी समय सेज निवेशकों का प्रमुख आकर्षण था लेकिन वैश्विक नरमी के अलावा प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर प्रणाली :डीटीसी:के तहत मैट और डीडीटी :लाभांश वितरण कर: के प्रावधान के कारण इसमें रुचि घटी है।शर्मा ने कहा कि सरकार ने इस बात को स्वीकार किया कि सेज की स्थापना के लिए जमीन बड़े आकार की जमीन जुटाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा ''हमने विभिन्न प्रकार के सेज के न्यूनतम भूमि की अनिवार्यता आधी कर दी है।''

बहु-उत्पाद सेज के लिए न्यूनतम भूमि अनिवार्यता 1000 हेक्टेयर से घटाकर 500 हेक्टेयर कर दी गई है और क्षेत्र विशेष से जुड़े सेज के लिए इसे 100 हेक्टेयर से घटाकर 50 हेक्टेयर कर दिया गया है।न्यूनतम निर्मित क्षेत्र की अनिवार्यता को उदार बनाया गया है। इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी संवर्द्धित क्षेत्र सेज की स्थापना के लिए न्यूनतम भूमि अनिवार्यता की जरूरत नहीं होगी।शर्मा ने कहा कि सरकार को सेज इकाइयों से प्रतिक्रिया मिली है और उन्होंने सुझाव दिया है कि परियोजना छोड़ने की व्यवस्था के अभाव में वे अलाभप्रद स्थिति में हैं।उन्होंने कहा ''हमने अब सेज इकाई की बिक्री समेत स्वामित्व के हस्तांतरण की मंजूरी देने का भी फैसला किया है।''


द्रमुक नेता टी आर बालू ने दावा किया कि विधेयक संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है और उनकी पार्टी विधेयक से सहमत नहीं हो सकती ।श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर पिछले ही महीने सरकार से समर्थन वापस लेने वाली द्रमुक से विधेयक पर कल तक सुझाव देने को कहा गया है ।



विधेयक में भूमि अधिग्रहण को लेकर उद्योग की समस्याओं के दूर करने का प्रस्ताव है । यह 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून को बदलकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास का प्रावधान करता है । पिछले एक सप्ताह के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश इस विधेयक पर समर्थन जुटाने के लिए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली और माकपा नेता सीताराम येचुरी से मिले ।


रमेश ने सपा नेता राम गोपाल यादव और जदयू नेता शरद यादव के साथ भी अलग अलग बैठकें की थीं । नौ अप्रैल की बैठक में सुषमा ने भाजपा की ओर से 12 बिन्दु रखे थे ।


माकपा और भाजपा ने सरकार से कहा था कि वह विधेयक को ग्रामीण विकास संबंधी संसद की स्थायी समिति के विचारार्थ भेजे और मानसून सत्र में इसे संसद में पेश करे ।


पिछली बैठक में सपा के रेवती रमण सिंह ने मुआवजे की कम राशि पर आपत्ति व्यक्त करते हुए सुझाव दिया था कि भूमि देने वाले किसानों के परिवार में युवा सदस्यों को नौकरियां मिलनी चाहिए ।


विभिन्न दलों के विरोध के बाद सरकार ने उनसे विधेयक पर अपने सुझाव 15 अप्रैल तक सौंपने को कहा था । ग्रामीण विकास मंत्री को इन सुझावों पर 18 अप्रैल तक विचार करना था ।




पीएफ ट्रांसफर, निकासी को ऑनलाइन आवेदन


सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंधन करने वाले निकाय ईपीएफओ के 5 करोड़ से अधिक अंशधारक भविष्य निधि (पीएफ) स्थानांतरण और अपने धन की निकासी के लिए एक जुलाई से आनलाइन आवेदन कर सकेंगे।


कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त अनिल स्वरूप ने यहां पीएचडी चैंबर के सम्मेलन में संवाददाताओं को बताया कि हमने एक केंद्रीय मंजूरी केंद्र स्थापित करने का निर्णय किया है। इससे अंशधारक कोषों की निकासी और स्थानांतरण के दावों के निपटान के लिए आनलाइन आवेदन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि अंशधारकों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या नौकरी बदलने की स्थिति में अपने पीएफ खाते के स्थानांतरण को लेकर आती है। यह केंद्रीय मंजूरी प्रणाली इस संबंध में प्रक्रिया में तेजी लाएगी। स्वरूप ने कहा कि इस सुविधा से लोग आनलाइन अपने आवेदन की स्थिति का पता लगा सकेंगे। हालांकि, सभी अंशधारकों को स्थायी खाता संख्या उपलब्ध कराने की ईपीएफओ की महत्वकांक्षी योजना अगले साल की शुरुआत तक सिरे चढ़ सकेगी।


उन्होंने कहा कि इसमें 8 से 10 महीने का समय लगेगा। चूंकि सभी अंशधारकों को स्थायी खाता संख्या उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में समय लगेगा, हमने केंद्रीय मंजूरी प्रणाली की स्थापना पहले करने के बारे में सोचा। नई व्यवस्था के तहत पूर्व नियोक्ता से पीएफ खाते के ब्यौरे का सत्यापन कराने की जिम्मेदारी ईपीएफओ पर होगी। वर्तमान में, कर्मचारियों को अपने आवेदनों का सत्यापन अपने नियोक्ताओं से कराना होता है।


केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 8 फीसदी बढ़ा


केन्द्र सरकार ने अपने लगभग 50 लाख कर्मियों और 30 लाख पेंशनभोगियों को भारी राहत देते हुए उनका महंगाई भत्ता गुरुवार को आठ प्रतिशत बढा दिया । अब उन्हें 72 प्रतिशत की जगह 80 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा ।


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया । बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बताया कि यह बढोतरी एक जनवरी 2013 से लागू होगी और कर्मचारी एवं पेंशनभोगी एरियर पाने के हकदार होंगे ।


उन्होंने कहा कि गुरुवार के फैसले से सरकारी खजाने पर सालाना 8629.20 करोड रूपये का बोझ पडेगा । जनवरी से मार्च के बीच की अतिरिक्त अवधि के भुगतान के कारण चालू वित्त वर्ष में राजकोष पर 10067 करोड रूपये का बोझ आएगा ।


सरकार ने पिछले साल सितंबर में महंगाई भत्ता बढाकर 72 फीसदी किया था । उस समय बढोतरी को एक जुलाई 2012 से लागू किया गया था ।


वेदांता की नियामगिरी परियोजना फिर खटाई में


ओडिशा की नियामगिरी पहाड़ी में वेदांता की बॉक्साइट खनन परियोजना एक बार फिर खटाई में पड़ गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने वेदांता से जनजातीय आबादी के धर्म तथा संस्कृति संबंधी पहलुओं को समझने के लिए ग्रामसभा के पास जाने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की वन पीठ ने कहा कि ग्राम सभा तीन माह में क्षेत्र में डोंगारिया कोंध जनजाति के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन करने के बाद निर्णय लेगी। इसके बाद वेदांता केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री के पास जाएगी, जो इस परियोजना के दूसरे चरण की मंजूरी के लिए दो माह में निर्णय लेगी।


न्यायालय का आदेश इस बात को ध्यान में रखते हुए आया है कि क्षेत्र की जनजातीय आबादी नियामगिरी पहाड़ी की चोटी पर पूजा करती है।


न्यायालय का निर्णय केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के वर्ष 2010 के आदेश के खिलाफ ओडिशा खनन निगम तथा वेदांता की याचिका पर सुनवाई के बाद आया है। केंद्रीय मंत्रालय ने वर्ष 2010 में परियोजना के दूसरे चरण को मिली मंजूरी यह कहते हुए रद्द कर दी थी कि इससे वर्ष 2008 में मिली मंजूरी की शर्तो का उल्लंघन होगा।



भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की  इकाई द्वारा विदेशी मुद्रा खाता खोलना, धारण करना और बनाए रखना

भारतीय रिज़र्व बैंक

विदेशी  मुद्रा  विभाग

केन्द्रीय कार्यालय

मुंबई-400001


ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.28


03 अक्तूबर 2002


विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदय/महोदया


भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की  इकाई द्वारा विदेशी मुद्रा खाता खोलना, धारण करना और बनाए रखना


प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति का विदेशी मुद्रा खाता) नियमावली, 2000  से संबंधित 27 फरवरी 2001 की अधिसूचना सं. फेमा.37/2001-आरबी की ओर आकर्षित किया जाता है जिसमें 21 जून 2002 की अधिसूचना सं. फेमा.63/2001-आरबी (प्रतिलिपि संलग्न) द्वारा संशोधन किया गया है।


2. उपर्युक्त अधिसूचना के पैरा 6अ के अनुसार भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की इकाई को किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास अधिसूचना में निर्दिष्ट शर्तों पर विदेशी मुद्रा खाता खोलने, धारण करने और बनाए रखने की अनुमति दी जा सकती है।


3. विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की इकाई के विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते के लिए उपर्युक्त विनियम की अनुसूची से विशेष प्रावधान वाला पैरा 5 हटा दिया गया है।


4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी  संबंधित घटकों अवगत कराएं ।


5.  इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 की 42) धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन जारी किए गए हैं।


भवदीया


(ग्रेस कोसी  )

मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक

विदेशी मुद्रा विभाग

केंद्रीय कार्यालय

मुंबई


अधिसूचना सं.फेमा.63/2002-आरबी


दिनांक : 21 जून 2002


विदेशी मुद्रा प्रबंध  ( भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी करेंसी खाता) ( तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2002


विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 9 के खण्ड (बी) तथा धारा 47 की उपधारा (2) के खंड (ई) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और 27 फरवरी 2001 की अधिसूचना सं. फेमा.37/2001-आरबी के अधिक्रमण में भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के निवासी किसी व्यक्ति का विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2000 में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्,


1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ :-


(i) इन विनियमों को  विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति का विदेशी मुद्रा खाता) (तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2002 कहा जायेगा ।


(ii) ये सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तिथि से लागू होंगे।


विनियमों में संशोधन :-


2. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति का विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2000 (इसके पश्चात यह  "उक्त विनियमावली " कहा जायेगा) में विनियमावली के पैरा 6 के पश्चात निम्नलिखित पैरा  शामिल किया जाएगा, अर्थात्


" 6अ. विशेष आर्थिक क्षेत्र में इकाई का विदेशी मुद्रा खाता।"


विशेष आर्थिक क्षेत्र में  स्थित इकाई भारत में प्राधिकृत व्यापारी के साथ विदेशी मुद्रा खोल सकता है, धारण कर सकता है तथा उसे रख सकता है बशर्ते ;


(क) विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाई  द्वारा प्राप्त सभी विदेशी मुद्रा निधियों को इस प्रकार के खाते में जमा किया गया हो;


(ख) भारत में रुपयों के तहत खरीदी गई विदेशी मुद्रा भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति के बिना खाते में जमा न की गयी हो;


(ग) खाते में रखी गयी निधियों का उपयोग भारत के निवासी या अन्य के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र  की इकाई के वास्तविक व्यापारी लेनदेनों के लिए ही किया जाये;


(घ) खाते की बकाया राशि को भारत सरकार की 3 मई 2000 की अधिसूचना सं जीएसआर.381(ई) की अनुसूची III की मद 3 और 4 को छोड़कर, नियम 5 के अंतर्गत लगाये गये प्रतिबंधों से छुट दी जाए। बशर्ते इसके अलावा इन खातों में जमा निधि जो किसी भी प्रकार से विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाई नहीं होने के कारण ऐसे किसी भी भारत के निवासी व्यक्ति अथवा इकाई को उधार नहीं दी जाए अथवा उपलब्ध न करायी जाए।"


3. विनियम की अनुसूची के विद्यमान पैरा 5 को निकाल दिया जाए ।


(कि.ज.उदेशी)

कार्यपालक निदेशक






No comments:

मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha

হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!

मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड

Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!

हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।

In conversation with Palash Biswas

Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg

Save the Universities!

RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!

जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।

#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

Tweet Please

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA

THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER

http://youtu.be/NrcmNEjaN8c The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today. http://youtu.be/NrcmNEjaN8c Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program ______________________________________________________ By JIM YARDLEY http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR

Published on 10 Apr 2013 Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya. http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP

[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also. He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT

THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM

Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia. http://youtu.be/lD2_V7CB2Is

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE

अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।' http://youtu.be/j8GXlmSBbbk