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Tuesday, April 16, 2013

भूकंप बड़ी खबर है कि अमेरिका में फिर आतंकवादी हमला!भारतीय उपमहाद्वीप के लिए सबसे बड़ा खतरा तो यह है कि ओबामा को लोग अब जार्ज बुश का अवतार ही न बना दें।

भूकंप बड़ी खबर है कि अमेरिका में फिर आतंकवादी हमला!भारतीय उपमहाद्वीप के लिए सबसे बड़ा खतरा तो यह है कि ओबामा को लोग अब जार्ज बुश का अवतार ही न बना दें।


पलाश विश्वास


अजीब संयोग है कि अमेरिका के आतंक के खिलाफ युद्ध में फिलहाल जो सबसे बड़ा निशाना है, वह ईरान है। संयोग है कि अमेरिका के बॉस्टन में आतंकवादी​ हमला हुआ और ईरान समेत पूरा दक्षिण एशिया हिल गया। लेकिन यह हकीकत भी है कि भूकंप बले भी भूगर्भीय हलचल से हुआ हो और इसके ​​बाद विपर्यय से निपटने का इंतजाम भी हो सकता है, पर बोस्टन में जो आज हुआ, उसका असर ईरान समेत पूरे मुस्लिम विश्व, दक्षिण एशिया और बाकी दुनिया पर क्या होने वाला है , कहना मुश्किल है।अमेरिका के बॉस्टन में हुए धमाकों की जांच का समन्वय अब एफबीआई कर रही है।अमेरिका के बॉस्टन में जिस वक़्त बम धमाका हुआ तब मैराथन अपने ख़ात्मे पर था। बॉस्टन मैराथन दुनियां का सबसे पुराना मैराथन है।  बराक ओबामा ने सत्ता संभालते ही इराक और अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने की पहल ​​की। लेकिन इस आतंकवादी कार्रवाई ने उनके किये कराये को गुड़ गोबर कर दिया। कोरिया संकट पर अबतक जो संयम वाशिंगटन ने दिखाया है, वह ओबामा की बदली हुई विश्वनीति की ही अभिव्यक्ति रही है। वैसे ही अमेरिकी वर्चस्ववाद और युद्ध गृहयुद्ध के कारोबार पर आधारित अमेरिकी ​​अर्थव्यवस्था और वर्चस्ववादी वैश्विक  व्यवस्था पर हावी जायनवादी युद्दोन्मादी तत्व ओबामा की विदेश नीति और खासतौर पर आतंक के विरुद्ध युद्ध में उनकी नरमी के जबर्दस्त आलोचक हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेषाधिकार हैं, पर उनकी नीतियां और सिद्धांत संसदीय राजनीति के तहत बनते और ​​लागू होते हैं।भारतीय उपमहाद्वीप के लिए सबसे बड़ा खतरा तो यह है कि ओबामा को लोग अब जार्ज बुश का अवतार ही न बना दें। भूकंप तो आते ही रहते हैं। इस प्राकृतिक विपर्यय से निजात मिले न मिले, पर उससे उबरने के सिवाय कोई चारा नहीं है। लेकिन अमेरिका के आतंक के विरुद्ध युद्ध तेज होने के नतीजे भारत के लिए और समूचे एशिया के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं। क्यांकि भारत भी इस युद्ध में अमेरिका और इजराइल के साथ साझेदार है।


हमलोग अभी तक नहीं जानते कि ये धमाके किसने किए हैं और क्यों। और लोगों को कोई नतीजा नहीं निकालना चाहिए जब तक कि हमारे पास सारे तथ्य न आ जाएं। लेकिन किसी को भी कोई ग़लतफ़हमी नहीं होनी चाहिए। हमलोग इसकी जड़ तक जाएंगे और खोज निकालेंगे कि ये किसने और क्यों किए हैं।"

बराक ओबामा, अमेरिकी राष्ट्रपति


बॉस्टन: ओबामा ने 'आतंकी कार्रवाई' की निंदा की


बीबीसी के मुताबिक अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बॉस्टन में हुए धमाकों को 'आतंकी कार्रवाई' क़रार दिया है।


मंगलवार को अपने संदेश में ओबामा ने कहा कि ये हमले 'जघन्य' और 'कायरतापूर्ण' थे।


ग़ौरतलब है कि सोमवार को बॉस्टन मैराथन के दौरान हुए क्लिक करें दो बम धमाकों में अब तक तीन लोग मारे गए हैं और 150 से ज़्यादा ज़ख़्मी हुए हैं. मारे जाने वालों में एक आठ साल का बच्चा भी शामिल है।


सोमवार को अपनी प्रतिक्रिया में ओबामा ने 'आतंकी घटना' जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया था लेकिन मंगलवार को इसकी कड़ी निंदा करते हुए उन्होंने इसे 'आतंकी कार्रवाई' कहा।


ओबामा का कहना था, ''जब कभी भी मासूम नागरिकों को निशाना बनाने के लिए बमों का इस्तेमाल किया जाता है तो ये आतंकी कार्रवाई है।''


"जब कभी भी मासूम नागरिकों को निशाना बनाने के लिए बमों का इस्तेमाल किया जाता है तो ये आतंकी कार्रवाई है."

बराक ओबामा, अमरीकी राष्ट्रपति


उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है कि इसके पीछे कोई घरेलू या विदेशी संगठन या कोई द्वेषपूर्ण व्यक्ति है।


ओबामा के अनुसार अभी तक इस घटना को अंजाम देने वाले के मक़सद के बारे में भी कोई सूचना नहीं मिल पाई है।


उन्होंने कहा कि फ़िलहाल इस बारे में इसके अलावा कुछ कहना केवल अटकलबाज़ी होगी।


भारत, पाकिस्‍तान और ईरान में आज शाम भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता 7.8 दर्ज की गई है।ईरान का दक्षिणपूर्वी हिस्सा मंगलवार को शक्तिशाली भूकंप के झटके से दहल उठा। भूकंप का झटका खाड़ी और दक्षिण एशिया के क्षेत्र में महसूस किया गया। इस भूकंप में 40 लोगों के मारे जाने की खबर है।आशंका है कि सैकड़ों लोग भूकंप से जिंदा दफन हो गये।भूकंप से भारत में तो किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है, लेकिन ईरान और पाकिस्‍तान में आए जलजले ने तबाही मचा दी।ईरान के अधिकारियों ने 40 लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि भूकंप से सबसे ज्‍यादा नुकसान दक्षिण ईरान में हुआ है। उधर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में भूकंप में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्‍य घायल हो गए हैं।शुरुआती जानकारी के मुताबिक भूकंप का केंद्र ईरान के खाश में था।भारतीय मौसम विभाग के अनुसार रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.8 दर्ज की गई। सबसे पहले गुजरात के भुज में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान और कश्मीर भी भूकंप के झटकों से कांप उठे।ईरान के भूकंप विज्ञान केंद्र ने अपनी वेबसाइट के जरिए जानकारी दी है कि भूकंप भारतीय समयानुसार शाम 4.14 बजे भूकंप का झटका आया। इसका केंद्र पाकिस्तान-अफगानिस्तान से लगी सीमा से करीब 80 किलोमीटर दूर था। भूकंप की तीव्रता 7.5 थी।यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने भूकंप की तीव्रता 7.8 बताई है और कहा है कि भूकंप ईरानी शहर खाश के निकट था। यह शहर सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में आता है।


दूसरी ओर,अमेरिका में बोस्टन मैराथन के दौरान आतंकवादियों द्वारा किए गए दो भयावह बम विस्फोटों के पीछे कई सवाल हैं जिनके जवाब तलाशे जा रहे हैं। इन बम विस्फोटों में तीन लोगों की मौत हो गई और कम से कम 144 लोग घायल हो गए। बोस्टन बम धमाके के रूप में अमेरिका में 11 सालों के बाद कोई आतंकवादी हमला हुआ है।बहरहाल, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दुनिया के सबसे पुराने खेल आयोजन, बोस्टन मैराथन के दौरान सोमवार के हड़ताल की मांग को रोक दिया और कहा कि 9/11 के बाद हुई इस पहली बड़ी घटना को आतंकवादी कार्रवाई मानते हुए इसके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के पूरे भार को सहना पड़ेगा। ओबामा ने कहा कि उनका प्रशासन इस घटना पर स्पष्ट दृष्टि से काम कर रहा है।



अमेरिका के बोस्टन में मैराथन के दौरान सोमवार को हुए दोहरे बम विस्फोटों में स्थानीय स्तर पर पनपे आतंकवादियों का हाथ होने की आशंका जताई गई है।मामले की जांच अपने हाथ में लेने वाली एफबीआई और गृह सुरक्षा विभाग के एजेंट रेवरे एक ऊंची इमारत में दाखिल हुए और छापेमारी की। छापेमारी का मकसद हमले से जुड़ा सुराग तलाशना था। छापेमारी करीब नौ घंटे तक चली।समाचार पत्र बोस्टन ग्लोब ने खबर दी है, एफबीआई और गृह सुरक्षा विभाग के एजेंट वाटर्स एज अपार्टमेंट में दाखिल होते देखे गए। रेवरे के अग्निशमन विभाग ने अपने फेसबुक पेज पर कहा कि एक व्यक्ति की तलाशी की गई है।


सीबीएस न्यूज के अनुसार अपार्टमेंट की तलाशी उस व्यक्ति से जुड़ी है जो ब्रिघम एंड वूमेंस हॉस्पिटल में कथित तौर पर निगरानी के तहत है। यह व्यक्ति सऊदी अरब का है जो अमेरिका में छात्र वीजा पर है।


आतंकवाद मामलों के विशेषज्ञ ब्रायन माइकल जेनकिन्स ने कहा, कट्टरपंथी मुसलमानों पर सबसे अधिक संदेह होगा, लेकिन दूसरी भी बहुत सारी आशंकाएं हैं। कुछ मीडिया समूहों का कहना है कि विस्फोटों से पश्चिम एशियाई तार जुड़े हो सकते हैं। खबरों में यह भी कहा गया है कि हमले के सिलसिले में पुलिस को एक अश्वेत पुरुष की तलाश है।


सीएनएन को मिले 'लुकआउट नोटिस' के अनुसार, पीठ पर काला बैग लिए और कमीज पहने इस व्यक्ति को कल दोपहर बोस्टन मैराथन की फिनिश लाइन के समीप पहले विस्फोट से करीब पांच मिनट पूर्व प्रतिबंधित इलाके में घुसने की कोशिश करते देखा गया था। बोस्टन विस्फोटों के बाद न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्‍स, शिकागो और वॉशिंगटन सहित कई बड़े अमेरिकी शहरों में अलर्ट जारी कर दिया गया।


एफबीआई के विशेष एजेंट रिचर्ड डेसलॉरियर्स ने कहा, हमारा मिशन स्पष्ट है। मैराथन विस्फोट के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के जद में लाना है। अमेरिकी जनता जवाब चाहती है। उन्होंने कहा, यह बहुत सक्रिय जांच रहेगी। इस इलाके में कई स्थानों पर हमारी जांच चल रही है। बहरहाल, अभी कोई दूसरा खतरा नहीं है। हम प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत जारी रखेंगे।

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि इन विस्फोटों के षड्यंत्रकारियों को न्याय के दायरे में लाया जाएगा, लेकिन उन्होंने इसे आतंकवादी घटना नहीं बताया। उनके बयान के कुछ देर बाद व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि वे इन धमाकों को आतंकवादी घटना के तौर पर देख रहे हैं। आतंकवाद मामलों के कुछ विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि कोई भी अनुमान लगाना मूर्खता होगी, लेकिन कुछ जानकारों का मानना है कि इसकी संभावना नहीं है कि विस्फोटों के पीछे कोई वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क है।मीडिया की खबरों में कहा गया था कि विस्फोट में इस्तेमाल किए गए बम बहुत उन्नत किस्म के नहीं थे अन्यथा और अधिक लोगों की मौत हो जाती। ऐसे में इस बात की संभावना नहीं है कि यह किसी विदेशी सरकार या वैश्विक आतंकवादी संगठन मसलन, अलकायदा की हरकत है।'बोस्टन ग्लोब' के अनुसार बम कट्टरपंथी इस्लामी व्यक्तियों द्वारा रखा गया हो सकता है, जो पश्चिम एशिया के घटनाक्रमों, स्थानीय वाम अथवा दक्षिणपंथी अतिवादियों से प्रभावित हो सकते हैं।


सबसे बड़ा खतरा यह है कि जब भारत में लोकसभा चुनाव कभी भी आसन्न है और पक्ष प्रतिपक्ष दोनों की पूंजी उग्रतम धर्मांध राष्ट्रवाद है, ​​आतंकवाद के खिलाफ तेज होते युद्ध और राममंदिर आंदोलन के जयघोष के मध्य निर्गुट आंदोलन को अलविदा कह चुके अमेरिकापरस्त भारत के ​​ लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य का भविष्य क्या होगा। हम अवधारणाओं, सिद्धांतों और विचारदाराओं के ढोल पीटने वाले लोग इस आसन्न संकट के बारे में क्या कुछ सोच भी रहे हैं? विश्वव्यवस्था का आलम मुक्त बाजार व्यवस्था में यह है कि साझा पर्यावरण और परिवेश के संरक्षण के लिए एशियाई देशों में जो तालमेल होना चाहिए, यह सिरे से गायब है। अब तो द्विपक्षीय मुद्दों और समस्याओं, साझा प्राकृतिक संसाधनों के बंटवारे और अबाध नदीप्रवाह, ​​यहां तक कि सीमाविवाद पर भी बातचीत का सिलसिला खत्म है। राजनय अबाध पूंजी प्रवाह और मुक्त व्यापार केविश्वबैंकाकीय मुद्राकोषीय एजंडा मुताबिक निर्धारित और प्रचलित है। ऐसे में सीमा के आरपार धर्मांध आतंक, सांप्रदायिकता और राजनीति से हम एक राष्ट्र के रुप में कैसे निपटेंगे। हिमालय एशिया का साझा प्राकृतिरक रक्षाकवच, जलसंसाधन स्रोत है, दिल्ली तक के बार बार भूकंप से दहल जाने और गढ़वाल कुमांयू में अतीत में होते रहे भूकंप के ​​मद्देनजर विकास के बहान समूचे हिमलय को एटम बम बना देने की प्रक्रिया के विरुद्ध हम कब सचेत होंगे,यह भी आतंक विरोधी विमर्श का पर्यावरण आयाम है।


सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा और यहां तक कि सार्वभौम सत्ता तक इस पूरे उपमहादेश में विदेशी ताकतों के हवाले हैं, राजनीतिक सत्ता कालाधन की​​ नस्लवादी वर्चस्ववादी दलाल प्रणाली में निहित है। इससे सर्वत्र न सिर्फ अल्पसंख्यकों की शामत आने वाली है , बल्कि बहुसंख्य मूलनिवासियों ​​पर कारपोरेट जयनवादी  विश्वव्यवस्था के दिशानिर्देशों के मुताबिक सैन्य राष्ट्र का दमन बढ़ने वाल है। पूरे उपमहादेश में उग्रतम धर्मांध राष्ट्रवादी साम्राज्यवाद और कारपोरेट साम्राज्यवाद एकाकार हो जने से जनता के विपर्यय भूंकप या किसी प्राकृतिक विपर्यय की टाइमलाइन तक सीमाबद्ध नहीं है।गौरतलब है कि मार्क मैजेटी की नई किताब द वे ऑफ द नाइफ से जो तथ्य सामने आए हैं, उससे न केवल अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों की असलियत फिर सामने आई है, बल्कि यह भी पता चला है कि अमेरिका अपने हितों के लिए आतंकवाद को किस तरह संरक्षण दे सकता है। यानी आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध की प्रतिबद्धता वहीं तक है, जहां तक उसके हित जुड़े हों।भारत-अमेरिकी रणनीतिक साझेदारी का मतलब क्या है,भारतीय जनता के कारपोरेट वधस्थल में युद्धबंदी बना लिये जाने के सामाजिक यथार्थ, सशस्त्र सैन्य विशेषाधिकार कानून, सलवाजुड़ुम, कारपोरेट नीति निर्धारण, पर्यावरण का सत्यानाश, बायोमैट्रिक नागरिकता अभियान की आड़ में निर्बाध बेदखली अभियान, कारपोरेटच राजनीति, कारपोरेट विचारधारा और संस्कृति, देश के आदिवासियों के विरुद्ध निरंतर युद्ध के रोजमर्रे के वास्तव और आर्थिक सुधारों के अश्वमेध अभियान से हम नहीं समझें. तो अमेरिकी आतंकविरोधी युद्ध में गलोबल वार्मिंग के माहौल में हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक मौसम बेमौसम खिलने न खिलने वाले फूलों के बारे में हम क्या खाक सोच पायेंगे। फूल खिले न खिले , जंगल में दहकते रहेंगे फूल और उन्हें मसलने का अभियान भी आतंक के विरुद्ध युद्ध का अनिवार्य हिस्सा होगा।


मार्क मैजेटी ने अपनी किताब में वैसे तो सीआईए और मिलिटरी इंडस्ट्रियल कांप्लेक्स के बीच संबंधों और सीआईए की कारगुजारियों को सामने लाने का काम किया है। इसमें सीआईए की रणनीति का खुलासा है, जिसमें उसकी ड्रोन नीति पर भी फोकस किया गया है।किताब के मुताबिक, पाकिस्तान में ड्रोन हमले अलोकप्रिय रहे, जिससे वहां के 18 करोड़ लोगों में अमेरिका के खिलाफ गुस्सा पैदा हुआ, जिसे इस्लामाबाद ने राष्ट्रीय गुस्से में परिवर्तित करने की युक्ति अपनाई और बार-बार अमेरिका को चेतावनी दी कि वह पाकिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करते हुए ड्रोन हमले तत्काल बंद करे।लेकिन किताब से पता चलता है कि पाकिस्तान संप्रभुता के सम्मान या अमेरिका के विरोध का सिर्फ प्रहसन कर रहा था, क्योंकि यह सब इस्लामाबाद की सहमति पर ही हो रहा था। लेकिन शर्त यह थी कि ये हमले पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों और कश्मीरी आतंकवादियों के लिए पाक अधिकृत कश्मीर में चलाए जा रहे प्रशिक्षण शिविरों पर नहीं किए जाएंगे। यानी अमेरिका अफगानिस्तान सीमा पर तो ड्रोन हमले करे, लेकिन उन शिविरों को न छुए, जहां भारत-विरोधी  आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया जाता है।


अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ 'सकारात्मक' रिश्तों का उदाहरण पेश करते हुए उसे बेचे जाने वाले अहम रक्षा उपकरणों पर लगभग 2 अरब अमेरिकी डॉलर की रियायत देने का फैसला किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा हितों का हवाला देते हुए अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को 6 महीने के भीतर दी गई इस तरह की यह दूसरी छूट है।तत्कालीन अमेरिकी उप विदेश मंत्री थॉमस नाइड्स ने 15 फरवरी को यह रियायत देने का फैसला किया था और सप्ताह भर बाद 22 फरवरी को विदेश विभाग की वेबसाइट पर इसका ब्योरा डाला गया। इस फैसले से पाकिस्तान को भारी मात्रा में रक्षा साजो-सामान बेचे जाने का रास्ता साफ हो गया है।पिछले वर्ष सितंबर में अमेरिका ने उन शर्तों को हटा लिया था जिनके चलते पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर की सहायता पर रोक लग सकती थी। ये शर्ते आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान के पर्याप्त प्रगति नहीं करने को लेकर लगाई गई थीं। वर्ष 2001 से लेकर अब तक पाकिस्तान को अमेरिका से 7.9 अरब डॉलर के सैन्य उपकरण मिल चुके हैं।


अमेरिका अच्छी तरह जानता रहा है कि 11 सितंबर में अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद मुशर्रफ का भाषण उनकी दृष्टि और नीति को रेखांकित करता है। वह जिन्ना के विचारों को फिर से स्थापित करने की बात करते हैं कि स्थिर पाकिस्तान अपने इस्लामिक चरित्र को कायम रखते हुए भी शांति का परचम लहरा सकता है। उस समय उनके आदर्श तुर्की के कमाल अतातुर्क थे। जनरल मुशर्रफ खुद को तुर्किश नेता के रूप में देखते थे, जिसने अपने देश की विशिष्ट पहचान बनाई थी। हालांकि किसी भी कीमत पर सत्ता बचाए रखने की मुशर्रफ की ललक ने उन्हें अनेक अनैतिक समझौतों के लिए मजबूर किया। इस दौरान उन्होंने दोहरे आचरण में भी सिद्धस्थता हासिल की। उन्होंने इस्लामिक दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ हताशा भरे समझौते किए और साथ ही खुद को उदारवादी के रूप में पेश करते रहे। आतंक के खिलाफ युद्ध में उन्होंने अमेरिका का समर्थन किया, किंतु साथ ही चोरी-छिपे आतंकी समूहों की सहायता भी करते रहे। ओसामा बिन लादेन को सुरक्षित पनाह उपलब्ध कराई और बराबर इन्कार करते रहे कि लादेन के बारे में उन्हें कोई जानकारी है। वह शांति स्थापित करने के लिए भारत पहुंचे, किंतु दिसंबर 2001 में भारत की संसद पर हमला कराने का इंतजाम किया और बाद में नवंबर 2008 में मुंबई आतंकी हमले को अंजाम तक पहुंचाने में मदद की।फिरभी हम अमेरिका के दिशानिर्देश पर देश चलाते हैं।


यह बार-बार बताया जाता है कि अमेरिका आतंकवाद के विरुद्ध नहीं, बल्कि अपने हितों के लिए युद्ध लड़ रहा है। इसलिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए वह उस आतंकवाद का मित्र भी बन सकता है, जिससे उसके अपने हितों को लाभ पहुंच रहा हो। एक खुलासा यह है कि सीआईए ने ऑपरेशन साइक्लोन के तहत पाकिस्तान में इस्लामी प्रशिक्षण विद्यालय स्थापित करने के लिए चार अरब डॉलर खर्च किए थे।इसके तहत युवा कट्टरपंथियों को वर्जीनिया में सीआईए के जासूसी प्रशिक्षण शिविर में भेजा गया था, जहां अल-कायदा के भावी सदस्यों को 'विध्वंस का कौशल' सिखाया जाता था। फ्रेडरिक ग्रेयर की रिपोर्ट हो या एड्रियन लेवी और कैथरीन स्काटक्लार्क की पुस्तक डिसेप्शन पाकिस्तान द यूनाइटेड स्टेट्स ऐंड द ग्लोबल वेपन कांसपिरेसी, क्रिस्टीन फेयर का आकलन हो या फिर मार्क मैजेटी की यह किताब, सभी सहमत हैं कि अमेरिका ने आतंकवाद को समाप्त  करने में नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसे बढ़ाने में सहयोग किया है।


सुप्रीम कोर्ट में सेना और खुफ़िया एजेंसियों की ओर से जमा कराई गई एक रिपोर्ट के अनुसार अमरीका के क्लिक करें आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अब तक 15500 सुरक्षाकर्मियों सहित 49000 पाकिस्तानी लोग मारे गए हैं।यह रिपोर्ट अडयाला जेल के बाहर से लापता होने वाले सात कैदियों के मामले की सुनवाई के दौरान गुप्तचर संगठनों और सेना के प्रतिनिधि की ओर से अदालत में जमा कराई गई।सुप्रीम कोर्ट में सेना और खुफ़िया एजेंसियों के प्रतिनिधि की इस रिपोर्ट के अनुसार केवल पिछले पांच सालों के दौरान ही संघ प्रशासित कबायली क्षेत्र या फ़ाटा में आत्मघाती हमलों और बम धमाकों के परिणाम में नौ हज़ार से अधिक नागरिक और सैन्य अधिकारी मारे हैं।बीबीसी को मिली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल के दौरान सैन्य अभियानों में तीन हज़ार से अधिक विद्रोही भी मारे गए।इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल के दौरान संघीय सरकार प्रशासित कबायली इलाकों और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में 235 आत्मघाती हमले किए गए जबकि नौ हज़ार से ज़्यादा रॉकेट हमले भी किए।पिछले पांच साल के दौरान चार हज़ार से ज़्यादा बम हमले भी हुए हैं। इसके अलावा सरकार और फ़ौज की मदद करने वाली शांति समितियों के दो सौ से भी अधिक लोग चरमपंथियों का निशाना बने है।रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चरमपंथियों ने ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में एक हजार से अधिक शिक्षण संस्थानों को निशाना बनाया हैं।



यह खुलासा तो पाकिस्तान के संदर्भ में हुआ है, लेकिन यह कुलासा हमारी आंखें, अगर सचमुच हमारी आंखें हैं, खोलने के लिए काफी होने चाहिए।भारत में सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के बहाने विदेशी शक्तियों और खुपिया एजंसियों, भारतीय राजनय और प्रतिरक्षा पर दुनिया के हथियार उद्योग के वर्चस्व और हमारी संसदीय प्रणाली के सर्वोच्च स्तर पर उनके ही दलालों के राजकाज इसी आतंकविरोधी युद्ध की अनिवार्यता है। रक्षा घोटालों का हर तार वहीं आकर जुड़ते हैं और अदृश्य हो जाते हैं, जिन्हें कोज पाना किसी सीबीआई या संसदीय समिति के बूते में नहीं है।विदेशी निवेशकों की आस्था पर टिकी अर्थव्यवस्था और भारत बेचने के कारोबार पर निर्भर वित्तीय प्रबंधन भी इसी युद्ध का ही तो अंग है, जिसकी​​ परिणति भारत अमेरिकी परमाणु संधि और दुनियाभर के देशों के साथ परमाणु संधियां हैं। भोपाल गैस त्रासदी है। बाबरी विध्वंस है। सिखों का नरसंहार और गुजरात नरसंहार भी। अब तो गिनते रहिये कितने और नरसंहार और कितने और धमाके होंगे और फिर करते रहिये न्याय का इंतजार, युद्ध अपराधियों को अपना जनप्रतिनिधि बनाकर सत्ता के शिखरों तक पहुंचाते हुए!अमेरिका जानता था कि पाकिस्तान को हर साल मिलने वाली आर्थिक मदद का बड़ा हिस्सा चोरी-छिपे रक्षा कार्यक्रमों में खर्च किया जाता है। यानी जिमी कार्टर से लेकर जॉर्ज बुश या अब ओबामा तक-सभी राष्ट्रपति पाक परमाणु कार्यक्रम और रक्षा रणनीति की तरफ से आंखें मूंदे रहे, जबकि सभी को पता था कि पाकिस्तान का परमाणु शक्ति बनना एशिया की शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित होगा।प्रो. जॉन केनेथ गॉलब्रेथ ने 1960 के दशक में ही कहा था कि सशस्त्र सेना या हथियार बनाने वाली कंपनियां निर्णय लेकर अमेरिकी संसद और जनता को उनकी सूचना मात्र देती हैं। इसकी पुष्टि 1963 में आइजन हावर ने भी यह कहकर कर दी थी कि वास्तविक शक्ति पर्दे के पीछे है। वह शीतयुद्ध का दौर था, लेकिन अब तो वह स्थिति भी नहीं है।फिरभी हम अमेरिका के आतंक के विरुद्द युद्द में शामिल हैं और बोस्टन धमाके के बाद अमेरिका और इजराइल के शात मोर्चाबंद होंगे अपने ही जनगण और संविधान के विरुद्ध।उग्रतम हिंदू राष्ट्रवाद का जयघोष करते हुए। क्या यही राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता है? क्या यही देशभक्ति है? तो असली राष्ट्रद्रोही कौन हैं?


याद करें जुलाई 25, 2012


देश के नए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई चौथा विश्वयुद्ध है और यह विश्वयुद्ध इसलिए है, क्योंकि यह बला अपना शैतानी सिर दुनिया में कहीं भी उठा सकती है।


प्रणब ने संसद के केंद्रीय कक्ष में भारत के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद कहा, ...अभी युद्ध का युग समाप्त नहीं हुआ है। हम चौथे विश्वयुद्ध के बीच में हैं। तीसरा विश्वयुद्ध शीतयुद्ध था, परंतु 1990 के दशक की शुरुआत में जब यह युद्ध समाप्त हुआ, उस समय तक एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बहुत गर्म माहौल था। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई चौथा विश्वयुद्ध है और यह विश्वयुद्ध इसलिए है, क्योंकि यह बुराई अपना शैतानी सिर दुनिया में कहीं भी उठा सकती है।


भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएच कपाड़िया ने प्रणब को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इस दौरान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनडीए के कार्यवाहक अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता क्रमश: सुषमा स्वराज और अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री, प्रदेशों के राज्यपाल, राज्यों के मुख्यमंत्री, विभिन्न देशों के भारत स्थित राजदूत, सांसद और अन्य गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं।


प्रणब ने कहा, दूसरे देशों को इसकी (आतंकवाद की) जघन्यता तथा खतरनाक परिणामों के बारे में बाद में पता लगा, जबकि भारत को इस युद्ध का सामना उससे कहीं पहले से करना पड़ रहा है। प्रणब ने कहा कि भारत के लोगों ने घावों का दर्द सहते हुए परिपक्वता का उदाहरण प्रस्तुत किया है। जो हिंसा भड़काते हैं और घृणा फैलाते हैं, उन्हें एक सच्चाई समझनी होगी। वर्षों के युद्ध के मुकाबले शांति के कुछ क्षणों से कहीं अधिक उपलब्धि प्राप्त की जा सकती है। भारत आत्मसंतुष्ट है और समृद्धि के ऊंचे शिखर पर बैठने की इच्छा से प्रेरित है। यह अपने इस मिशन में आतंकवाद फैलाने वाले खतरनाक लोगों के कारण विचलित नहीं होगा।


इसके तुरंत बाद  पहली अगस्त २०१२ को अमेरिकी सीनेटर डाना रोहराबैचर ने कहा कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत, अमेरिका का प्रमुख सहयोगी है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और अफगानिस्तान में शांति को बढ़ावा देने में भारत के प्रयासों की प्रशंसा की।कैलीफोर्निया के 46वें जिले का कांग्रेस में प्रतिनिधित्व करने वाले रोहराबैचर ने कहा, 'वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत, अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है।


रोहराबैचर के अनुसार, भारत और अमेरिका, दोनों ने सुरक्षा व आतंकवाद से मुकाबला जैसे क्षेत्रों में अपने सहयोग के आपसी लाभ को समझ लिया है और यह रुझान आने वाले समय में और मजबूत होगा।


उन्होंने कहा, 'हम [भारत व अमेरिका] शीत युद्ध के कारण सहयोगी नहीं बने है। शीत युद्ध 20 वर्ष पहले समाप्त हो गया था और अब शक्ति का पलड़ा पूरब की ओर झुक गया है। भारत व अमेरिका का सहयोग और बढ़ेगा।'


सीनेटर ने, भारतीय वायुसेना के लिए बोइंग द्वारा तैयार किए जा रहे 10 सी-17 विमानों में से पहले विमान के हिस्सों को एक साथ जोड़ने के लिए आयोजित एक समारोह के मौके पर बात की। यह समारोह लाग बीच पर स्थित बोइंग की इकाई में आयोजित किया गया था।


पिछले वर्ष जून में रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी सरकार के विदेश विभाग के बिक्री प्रावधानों के तहत 10 सी-17 एयरलिफ्टर खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। प्रथम विमान के भारतीय वायुसेना में 2013 के मध्य तक शामिल किए जाने का अनुमान है।


रोहराबैचर ने कहा कि सी-17 जैसी सैन्य प्रणालियां आतंकवाद के खतरे से हिफाजत करने में भारत की मदद करेगी। सान फ्रांसिस्को में भारतीय महावाणिज्यदूत एन. पार्थसारथी ने रोहराबैचर के विचार से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ रहे रक्षा संबंध दोनों देशों द्वारा हासिल की गई आपसी समझ की गहराई का एक संकेत हैं।



अमेरिकी समाचार चैनल 'सीएनएन' ने राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि कई विस्फोटों के साथ की गई कोई भी घटना स्पष्टत: आतंक फैलाने वाली घटना होती है, और इस घटना को भी आतंकवादी घटना के रूप में ही लिया जाएगा।अधिकारी ने आगे कहा कि हालांकि, अभी तक हमें यह नहीं पता चल सका है कि ये हमले किसने करवाए। इसलिए विस्तृत जांच के जरिए ही पता किया जाएगा कि यह घटना किसी आतंकवादी समूह द्वारा या विदेशी समूह द्वारा या किसी घरेलू समूह द्वारा किया गया।


सीबीएस बोस्टन स्टेशन 'डब्ल्यूबीजेड-टीवीज' के अनुसार इस बीच कानून प्रवर्तन अधिकारी बोस्टन बम विस्फोट मामले की जांच सोमवार को देर शाम से लेकर मंगलवार की सुबह तक करते रहे। इस बीच अधिकारियों ने बोस्टन के उपनगरीय इलाके रिवेयर में एक अपार्टमेंट की तलाशी ली।


डब्ल्यूजेड ने कहा कि खोजबीन नौ घंटो तक चलती रही। रिवेयर अग्निशमन विभाग ने अपने आधिकारिक फेसबुक खाते पर लिखा कि यह खोजबीन एक विशेष व्यक्ति को खोजने के लिए की गई।


अमेरिकी समाचार पत्र 'बोस्टन ग्लोब' के अनुसार बोस्टन बम विस्फोट में मारे गए तीन लोगों में एक आठ वर्षीय बच्चे की पहचान मार्टिन रिचर्ड के रूप में कर ली गई है। विस्फोट में घायल 144 लोगों में 17 की हालत बेहद नाजुक है और 25 की हालत गंभीर है। घायलों में कम से कम आठ बच्चे भी शामिल हैं।


समाचार चैनल सीएनएन ने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि बम विस्फोट की जांच संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) कर रही है और संघीय कानून लगा दिया गया है, जिसके अंतर्गत एक जगह भीड़ लगाने पर पाबंदी लगा दी गई है।बोस्टन ग्लोब ने सूत्रों के हवाले से कहा कि अधिकारियों ने एक सऊदी अरब के नागरिक से पूछताछ की। विस्फोट स्थल से यह व्यक्ति भागने की कोशिश कर रहा था तभी एक दर्शक ने उसे पकड़ लिया। बोस्टन बम विस्फोट से दुखी अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में शोकस्वरूप राष्ट्रीय झंडे को आधा झुका दिया गया है।


प्रत्यक्षदर्शियों को याद आया मुंबई हमला


अमेरिका के बोस्टन मैराथन में फैले आतंक के मंजर को देखने वाली महिला ने इस बर्बर आतंकी वारदात की तुलना मुंबई हमले (26/11) से की है। मुंबई हमले के दौरान ये महिला भारत दौरे पर थीं जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई को रक्तरंजित कर दिया था।


स्टेफनी डगलस अपने मित्र लिंडा क्लेयर विलिट्स के साथ वर्जीनिया से खेल आयोजन का आनंद उठाने आई थीं। जब दो बम धमाके हुए जिसमें तीन लोग मारे गए और 140 से ज्यादा लोग घायल हो गए।


बोस्टन में आतंकी वारदात को देखकर डगलस को मुंबई हमला स्मरण हो आया। जब वह मुंबई में थीं और उस वक्त 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने भारत की वाणिज्यिक राजधानी में कहर बरपा दिया था। 26-28 नवंबर के इस तांडव में 166 लोग मारे गए थे।


सीएनएन के मुताबिक डगलस ने कहा कि यह दूसरी बार है, मैं दोनों शहरों में मौजूद रही हूं जब इस तरह की घटनाएं घटित हो रही हैं। विलिट्स ने बोस्टन मैराथन में सीमा रेखा पार की थी और डगलस को संदेश भेजा था जो मंदारिन ओरिएंटल होटल के 'बार' में इंतजार कर रही थीं।


विलिट्स ने कहा कि मैं अपने रास्ते पर हूं। उनकी मित्र स्टेफनी डगलस मैराथन का आनंद उठाने को तैयार थीं। लेकिन तभी पहला धमाका हुआ, मुश्किल से सेकेंड बाद गगनभेदी दहाड़ के साथ चीखने-चिल्लाने की आवाज से समूचा क्षेत्र गूंज उठा।

डगलस ने कहा कि धमाका इतना तेज था कि बीयर बार धुएं से भर गया और कुर्सियां बिल्कुल खाली हो गईं। मैंन लोगों को देखा- ऐसा लग रहा था कि वे हवा के माध्यम से वास्तविक उड़ान के लिए उछाल पट पर थे। बाहर की तरफ, एक आदमी का पैर अलग हो गया था लेकिन वह उठने की कोशिश करता रहा।


विलिट्स ने कहा कि यह एक दर्दनाक घटना है। लेकिन मैं बिल्कुल ऐसा महसूस करती हूं कि हम हो रही चीजों को रोक नहीं सकते हैं, क्योंकि तब आतंकियों की जीत होगी।







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#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি

अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास

ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?

Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION! Published on Mar 19, 2013 The Himalayan Voice Cambridge, Massachusetts United States of America

BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Imminent Massive earthquake in the Himalayas

Palash Biswas on Citizenship Amendment Act

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003 Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003 http://youtu.be/zGDfsLzxTXo

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