Shamshad Elahee Shams
दलित और आदिवासी समाज की अस्मिता, उनका सम्मान, उनके मानवाधिकार भारतीय जनमानस के एजेंडे से सिरे से ही गायब है. भारतीय राज्य अल्पसंख्यकों के प्रति ही नहीं बल्कि दलित, आदिवासी जनजातियों के खिलाफ़ अंग्रेज शासन से भी अधिक नृशंस और क्रूर है. छत्तीसगढ़ में पुलिसकर्मियों द्वारा आदिवासी लड़कियों के स्तनों को निचोड़ निचोड़ कर इस बात की पुष्टि करना कि वह विवाहिता है कि नहीं, यह विचारप्रणाली सिपाही की नहीं वरन अशोकलाट चिपकाए आईपीएस अधिकारी की है. कुछ मानसिक अपंग आईपीएस बनने वाले छोकरे छोकरियों को बधाई देते पाए जाते है, वे बताएं कि ऐसी खबर पढने के बाद कितने कथित कर्णधारों को शर्म आयी कि उसने खुदकशी कर ली या इस्तीफ़ा दे दिया?
सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर घुसेड़ने वाले आईपीएस अधिकारी को राष्ट्रपति अगर पदक दे, सामुहिक नरसंहार के कर्ताधर्ता को देश अगर प्रधानमंत्री बना दे तब पुलिस वाले के भीतर राक्षसी पृवर्ती आदिवासी लड़कियों के स्तन निचोड़ती मिले तो ताज्जुब क्या?
और हाँ, मुसलमानों तुम फलस्तीन के बच्चो पर इस्राइली क्रूरता के चित्र बाँटते-साझा करते रहो, उन्हें अपनी प्रोफाइल में टांकते रहो, लेकिन अपने ही देश के मजलूम दलितों और आदिवासियों के खिलाफ चल रहे सिलसिलेवार 'जड़ से मिटाओ-उजाडो' अभियान पर आपराधिक खामोशी जड़े रखना, आखिर तुम्हारा चरित्र भी तो कमोबेश ब्राह्मणवाद से ही ग्रस्त है न..
सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर घुसेड़ने वाले आईपीएस अधिकारी को राष्ट्रपति अगर पदक दे, सामुहिक नरसंहार के कर्ताधर्ता को देश अगर प्रधानमंत्री बना दे तब पुलिस वाले के भीतर राक्षसी पृवर्ती आदिवासी लड़कियों के स्तन निचोड़ती मिले तो ताज्जुब क्या?
और हाँ, मुसलमानों तुम फलस्तीन के बच्चो पर इस्राइली क्रूरता के चित्र बाँटते-साझा करते रहो, उन्हें अपनी प्रोफाइल में टांकते रहो, लेकिन अपने ही देश के मजलूम दलितों और आदिवासियों के खिलाफ चल रहे सिलसिलेवार 'जड़ से मिटाओ-उजाडो' अभियान पर आपराधिक खामोशी जड़े रखना, आखिर तुम्हारा चरित्र भी तो कमोबेश ब्राह्मणवाद से ही ग्रस्त है न..
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