हम फिर फैज़ अहमद फैज़ के मुखातिब
जब ज़ुल्म - ओ - सितम के कोह - ऐ - गिरां
रुई की तरह उड़ जायेंगे
हम मेहकूमे के पाओं तले
यह धरती धड़ धड़ धड्केगी
और अहले हकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी
हम देखेंगे। ……
पलाश विश्वास
आगे समय बेहद कठिन है और किसी भी तरह की जनपक्षधरता का अंजाम बेहद चुनौतीभरा हो सकता है,जिनसे निपटने के लिए में देश के एक एक नागरिक को संबोधित करके उन्हें सच का सामना करने वास्ते हर हालत में तैयार करना होगा वरना हम जीने या मरने काबिल भी नहीं रहेंगे।
हम अकेले नहीं है।साथियों के बढ़े हुए हाथ मजबूती से थाम लेने पर हर मुश्किल आसान हो जाती है।
अब मत चूको चौहान।
साथी अशोक चौधरी के सौजन्य से हम फिर फैज़ अहमद फैज़ के मुखातिब हो गये।
Iqbal Bano Live – http://www.youtube.com/watch?v=VIDXUD1-8bo
हम देखेंगे। …… लाज़िम है के हम भी देखेंगे। ..... हम देखेंगे
वो दिन के जिसका वादा है हम देखेंगे
जो लोह - ऐ - अज़ल पे लिखा है। ..... हम देखेंगे
जब ज़ुल्म - ओ - सितम के कोह - ऐ - गिरां
रुई की तरह उड़ जायेंगे
हम मेहकूमे के पाओं तले
यह धरती धड़ धड़ धड्केगी
और अहले हकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी
हम देखेंगे। ……
जब अर्ज़ - ऐ - खुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जायेंगे
हम एहले सफा मरदू - दे - हरम
मसनद पे बिठाये जायेंगे
सब ताज उछाले जायेंगे
सब तखत गिराये जायेंगे
हम देखेंगे। ....
बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो गायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र भी है नज़ीर भी
उठेगा अन-ल-हक़ का नारा
जो मैं भी हु और तुम भी हो
और राज करेगी ख़ल्क़ - ऐ - खुद
जो मैं भी हु और तुम भी हो
हम देखेंगे। ....
हम देखेंगे। ....
लाज़िम है के हम भी देखेंगे।
फैज़ अहमद फैज़
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