From: Raj Kishore <truthonly@gmail.com>
Date: 2012/6/22
Subject: हिंदीसमय पर इस हफ्ते
प्रिय मित्र,
हिंदीसमय (www.hindisamay.com) की बढ़ती हुई लोकप्रियता हमारे लिए बहुत उत्साहवर्धक है। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के इस वेबसाइट को इंटरनेट पर हिंदी का सबसे बड़ा पुस्तकालय बनाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। खुशी की बात है कि अनेक लेखक स्वयं अपनी रचनाएँ हिंदीसमय में शामिल करने के लिए भेज रहे हैं। दूसरी ओर, पाठक भी सुझाव दे रहे हैं कि वे यहाँ कौन-कौन-सी रचनाएँ पढ़ना चाहते हैं। सहयोग की इस भावना से हम कम समय मे अधिक दूरी नाप सकते हैं।
इस बार की खास सामग्री है मार्कंडेय की अंतिम कहानियों में एक - गरीबों की बस्ती। इसके साथ ही हम प्रकाशित कर रहे हैं मार्कंडेय जी को लिखे गए तीन समकालीन लेखकों के पत्र। वरिष्ठ कथाकार से.रा. यात्री का एक कहानी संकलन हिंदीसमय पर पहले से मौजूद है - अकर्मक क्रिया। अब उनका एक और कहानी संकलन पढ़िए - सिलसिला।
राजकिशोर का उपन्यास 'तुम्हारा सुख' काफी पढ़ा गया था। अब प्रस्तुत है उनका दूसरा उपन्यास - सुनंदा की डायरी। यह उपन्यास तो क्या है - हमारे समय के ज्वलंत प्रश्नों पर दिलचस्प और विचारोत्तेजक चर्चा है।
पत्रकार जगमोहन फुटेला याद कर रहे हैं अपने 'बाबा' कमलेश्वर को, जो साहस और स्वाभिमान की मूर्ति थे और इसीलिए उन्हें बार-बार नौकरी बदलनी पड़ती थी।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा प्रस्तुत 'कविता शती' श्रृंखला की तीसरी कड़ी में आप जिनकी कविताएँ उन्हीं की आवाज में सुन सकेंगे, वे हैं - विष्णु खरे, विनोद कुमार शुक्ल, चंद्रकांत देवताले, नंदकिशोर आचार्य, रमेश दत्त दुबे और प्रयाग शुक्ल।
आपको पता ही है कि हिंदीसमय पर आपकी प्रतिक्रियाओं, टिप्पणियों और सुझावों की हमें आतुर प्रतीक्षा रहती है।
निवेदन है कि आप इस मेल को जितने अधिक साहित्य प्रेमियों को फारवर्ड कर सकें, हिंदी साहित्य को अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने के इस अभियान को उतना ही बल मिलेगा।
सविनय,
संपादक
--
वर्धा - 442 001
No comments:
Post a Comment