शाइनिंग इंडिया का लक्ष्य पूरा हो सकता है बशर्ते ऑनलाइन जनता को ही देश और वास्तविक जनता मान लिया जाये
आर्थिक सुधारों का कमाल कि देश अब ऑनलाइन है! बाजार बम बम है मंटेक, रंगराजन, निलेकणि, पित्रोदा जैसे तकनीशियनों के अर्थव्यवस्था का कारोबार संभालने की संभावना से
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
वे लोग जो कप्यूटरीकरण का प्रबल विरोध करते रहे हैं, आज खामोश हैं। आर्थिक सुधारों का कमाल कि देश अब ऑनलाइन है!उपभोक्ता सेवाओं के आधुनिकीकरण से निःसंदेह बैकार का झंझट खत्म है और इसका स्वागत किया ही जाना चाहिए। पर सवाल है कि हर हाथ में मोबाइल दे देने से ही क्या देश ऑनलाइन हो सकता है?आप माने या न माने, जैसे गरीबी रेखा की परिभाषा से बाहर है मंटेक सिंह आहलूवालिया का पैंतीस लाख टकिया शौचालय और उनके विदेश यात्रा के खर्चे, जिससे कि गरीबी हटाने में वैसी ही मदद मिली जैसे राजस्व घाटा की नयी वास्तविक परिभाषा से, उसी तर्ज पर ऑनलाइन जनता को ही देश और वास्तविक जनता मान लिया जाये, तो शाइनिंग इंडिया का लक्ष्य पूरा हो सकता है। बाकी जो बहिष्कृत , सीमांत, अछूत, पिछड़ी , अदक्ष जनता है, उनके लिए फिक्र करने की जरुरत क्या है?शेयर बाजार की ओवर रेटिंग हो गयी। प्रणव मुखर्जी का रायसिनावास तय है और अब बारी मनमोहन के किनारे होने की है। बाजार बम बम है मंटेक, रंगराजन, निलेकणि, पित्रोदा जैसे तकनीशियनों के अर्थव्यवस्था का कारोबार संभालने की संभावना से। ऐसे में अचानक देश के ऑनलाइन हो जाने से बेहतर खबर क्रयशक्ति धारकों के लिए आखिर क्या हो सकती है बाजार में प्रवेश निषेध साइन बोर्ड टांगने या वंचितों की कतारों से निपटने की यह नायाब बंदोबस्त जरूर है! रसोई गैस (एलपीजी) की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने शुक्रवार को एक वेब पोर्टल लांच किया। देश के करीब 14 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता इस पोर्टल पर अपना बुकिंग स्टेटस, खपत का पैटर्न तथा अन्य विवरण देख सकते हैं। नए पोर्टल का नाम 'एलपीजी ट्रांसपेरेंसी पोर्टल' है। इस पर बुकिंग और डिलीवरी तिथि, एलपीजी उपयोग का पैटर्न, रियायत और वितरकों के विवरण तथा उपभोक्ताओं को प्रभावित करने वाले अन्य विवरण देखे जा सकते हैं।केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सरकारी वेबसाइट के माध्यम के जरिए इस पोर्टल पर पहुंचा जा सकता है। तीन सरकारी तेल वितरण कम्पनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम ने भी अपने वेबसाइट पर इसे जगह दी है।
दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम पिछले 18 महीने के निम्न स्तर पर आने के बावजूद तेल कंपनियां पेट्रोल के दाम नहीं घटा पा रही हैं क्योंकि उनकी नजर डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपये पर है जिसकी वजह से उनका आयात महंगा हो रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया इस समय अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर 57.30 रुपये प्रति डॉलर तक गिर चुका है। कच्चे तेल के दाम करीब 125 डॉलर की ऊंचाई से घटकर 90 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ जाने के बाद जो लाभ हुआ था, रुपये की गिरावट से वह लाभ जाता रहा।
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