और दलित छात्रावास को जला दिया गया
मुखिया के भोज तक की खबर तीन-तीन पेज पर आती रही. लेकिन इन सबों के बीच कतिरा के राजकीय कल्याण दलित छात्रावास की सुध लेने की किसी ने जरुरत महसूस नहीं की. यह वही छात्रावास है जिसपर मुखिया की मौत के बाद जातिवादी और उपद्रवी तत्वों ने हमला किया था...
फोटो और रिपोर्ट सरोज कुमार
रणवीर सेना के प्रमुख रहे ब्रम्हेश्वर मुखिया के मारे जाने के बाद आरा शहर चर्चा में रहा. खासकर आरा का कतिरा मुहल्ला जिसमें ब्रम्हेश्वर का घर है. 1 जून को ब्रम्हेश्वर मुखिया के मारे जाने के बाद बड़े-बड़े नेता से लेकर अफसरों और मीडिया वालों की नजर इस पर रही. बिहार के अखबारों ने तो बकायदा मुखिया के मारे जाने को लेकर पुलिस के समानंतर इंवेस्टीगेशन शुरु कर दी.
मुखिया से जुड़ी खबरें लीड तो बनती ही रही, अंदर के पन्ने भी सचित्र (कॉमिक्स की तरह) रंगे जाते रहे. मुखिया के भोज तक की खबर तीन-तीन पेज पर आती रही. यहां तक कि क्या-क्या पकवान बन रहे हैं और भोज के एक दिन पहले आग लगने से जली कुर्सियां कैसी लग रही हैं, इस तरह की खबरें आती रही. हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, प्रभात खबर सभी ने ऐसी ही रिपोर्टिंग की.
मुखिया के मरने पर मार्मिक रिपोर्ट लिखे जाते रहे. लेकिन इन सबों के बीच कतिरा के राजकीय कल्याण दलित छात्रावास की सुध लेने की जरुरत किसी ने महसूस नहीं की. यह वही छात्रावास है, जिसपर मुखिया की मौत के बाद जातिवादी और उपद्रवी तत्वों ने हमला किया था. छात्रों की पिटाई करने के साथ ही लूटपाट की गई और छात्रावास में आग के हवाले कर दिया.
दलित छात्रावास के छात्र राजू रंजन ने बताया,"अभी मैं सो कर सुबह करीब 7.30 उठा ही था कि हमला हुआ. हम छात्र अभी संभल पाते कि उससे पहले ही मारा पीटा जाने लगा और कमरों में आग लगा दी गयी. डरकर छात्र जान बचाने इधर-उधर भागने लगे".
दलित छात्रावास के 17 कमरे मुखिया समर्थकों द्वारा बुरी तरह जला दिए गए हैं. दैनिक उपयोग की चीजों के साथ-साथ प्रमाणपत्र, साइकिलें, किताबें और कपड़े या तो लूट लिए गए या फिर जला दिए गए. छात्रों के पास मौजूद भीमराव अंबेडकर की मूर्ति और तस्वीरों को भी हमलावारों ने निशाना बनाया. छात्रों ने बताया कि छात्रावास का 'छात्र -प्रधान' विकास पासवान अपने कमरे में अंबेडकर की मूर्ति रखते हैं. छात्र इस मूर्ति की पूजा अंबेडकर जयंती को किया करते हैं. हमलावारों ने कमरे का ताला तोड़ उसे जलाने के साथ ही उस मूर्ति को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.
छात्र शिवप्रकाश रंजन बताते हैं, 'मेरे कमरे की अंबेडकर की तस्वीरें फाड़ी और जला दी गयीं.यह हमला सिर्फ उपद्रव-भर न होकर पूरी तरह से सोचा-समझा सामंतवादी हमला था और हमारे आदर्शों की हमारे आँखों के सामने औकात बतानी थी.'छात्र राकेश कुमार ने बताया, 'हमले के दौरान पुलिस वाले मौजूद थे लेकिन कोई उपरावियों को रोक नहीं रहा था. पहला हमला 7.30 बजे हुआ फिर दुबारा भी हमला किया गया. उस समय जो छात्र छात्रावास में छिपे हुए थे, पुलिसवालों ने उन्हें पीछे की दीवार कूद कर भागने कहा. मजबूरन छात्रों को बचने के लिए दीवार कूद कर भागना पड़ा.'
वहीं प्रशासन इस मामले में संज्ञान भी नहीं ले रहा था. डीएम ऑफिस में विरोध-प्रदर्शन के बाद डीएम प्रतिमा एस के वर्मा छात्रों से मिलती हैं और कार्रवाई का आश्वासन देती हैं . लेकिन यह सिर्फ दिखावा मालूम पड़ता है क्योंकि एक तरफ तो ब्रम्हेश्वर मुखिया के भोज से पहले हुए अग्निकांड में तत्काल 8 लाख रुपए मुआवजा घोषित कर देती है, दूसरी तरफ दलित छात्रों की सुध भी नहीं लेती.
मजबूरन छात्र पटना में प्रदर्शन करते हैं. जिस पुलिस मुखिया की शवयात्रा में रोकने का कोई प्रयास नहीं किया था, वही पटना पुलिस इन्हें गिरफ्तार करती है. छात्रों के दबाव बनाने पर उनके प्रतिनिधि मंडल को कल्याण मंत्री जीतन राम मांझी से मिलाया जाता है. हद तो तब हो जाती है जब कल्याण मंत्री कहते हैं कि उन्हें नहीं मालूम कि दलित छात्रावास पर हमला हुआ है.
छात्रों के प्रतिनिधि मंडल में शामिल छात्र शिवप्रकाश रंजन कहते हैं, "कल्याण मंत्री ने अब एक जांच टीम बना भेजने का आश्वासन दिया है. लेकिन वे बार-बार यहीं कहते रहे कि उन्हें छात्रावास पर हमले की जानकारी नहीं है". आखिर प्रशासन क्या कर रहा था? इन छात्रावासों की देखरेख करने वाला कल्याण विभाग कहां था? इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन ने उदासीनता बरती और सरकार सोई रही. विपक्ष ने भी कोई दिलचस्पी नहीं ली. वहीं दूसरी ओर मुखिया के भोज में सरकार के नेताओं के साथ-साथ वामपंथी दलों को छोड़ सारे दलों के नेता पहुंचे.
बहरहाल छात्रों में अभी भी दहशत है. वे सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. छात्रावास में जहां करीब 300 छात्र रहते हैं, वहीं मुठ्ठी भर छात्र ही अभी मौजूद हैं. इसमें वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों जैसे महाराजा कॉलेज, ब्रह्मर्षि कॉलेज, जैन कॉलेज के छात्र रहते हैं जो आरा के देहाती क्षेत्रों के अलावे भोजपुरी क्षेत्र के अन्य जिलों, बक्सर से लेकर रोहतास तक के गांवों से आते हैं.
ये सारे गरीब परिवार से आते हैं और तमाम कठिनाइयों से जूझते हुए अपनी पढ़ाई कर रहे हैं.छात्र दोषियों को चिन्हित कर गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, वहीं प्रशासन का रुख अब तक सकरात्मक नहीं रहा है. मीडिया भी इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखा रही, जबकि ब्रह्मेश्वर मुखिया के बारे में इसमें खूब रिपोर्टिंग हुई है.
फोटो कैप्सन - 1 . आग के हवाले अंबेडकर की मूर्ति.२- कमरा तोड़कर जलाया गया.३- जला हुआ छात्रावास का एक कमरा. 4, 5, 6 - लूटपाट के बाद आग के हवाले कर दिए गए छात्रावास के कमरे. 7- किताबों को भी नहीं बख्शा. 8- हमलावरों पर कार्रवाई के लिए प्रदर्शन.
सरोज कुमार युवा पत्रकार हैं.
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