Thursday, December 11, 2025
घुसपैठिए कहकर दंडकारण्य पुनर्वास योजना के तहत बसे बंगाली विस्थापितों को आदिवासियों से लड़ाने का मकसद क्या है?
मैं मानता हूं कि मेरा खून आदिवासी है, मिजाज योद्धा का है और अंतरात्मा स्त्री है।
आदिवासी हमसे अलग नहीं है।
धर्म और जाति के तंत्र में हम फंसे हुए हैं ,आदिवासी नहीं।
मीडिया में ओड़िशा के मलकानगिरी में दंडकारण्य प्रोजेक्ट के तहत बसाए गए विभाजन पीड़ित विस्थापितों को बांग्लादेशी बताया जाना बहुत भ्रामक और आपत्तिजनक है।
मलकानगिरी में उपद्रव दो गांवों का मामला है।एक आदिवासी स्त्री की हत्या से यह गुस्सा भड़का।पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया है और वहां स्थिति अब नियंत्रित है। कृपया इसे आदिवासी बंगाली दंगा के रूप में प्रचारित करने से बाज आएं।
घटना का तथ्यात्मक ब्यौरा बीबीसी ने दिया है। गलत बयानी और गलत रिपोर्टिंग से पहले इसे जरूर पढ़ें।
1960 में भारत विभाजन के बाद आए विस्थापितों को विभिन्न कैंपों से लाकर मलकानगिरी के 250 गांवों, पाखनजोड़ कांकेर,छत्तीसगढ़ में नब्बे और ओडिशा के नवरंगपुर जिले के 85 गांवों में भारत सरकार की पुनर्वास योजना के तहत बसाया गया।इसके अलावा ओडिशा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र और तेलंगाना में भी विभाजन पीड़ित बंगाली विस्थापित 1960 में बसाए गए उन्हें बांग्लादेशी हिंदू कहना सरासर गलत है।
यह एक आपराधिक कृत्य के खिलाफ एक गांव के लोगों का दूसरे गांव के खिलाफ भड़के गुस्से से फैली हिस्सा है। इसे बांग्लादेश हिंदुओं पर आदिवासियों का हमला कहना,प्रचारित करना और इस पर राजनीति करना भी बेहद गलत है।
जिन साथियों को इस बारे में कुछ मालूम नहीं है, वे कृपया Rupesh Kumar Singh की लिखी बंगाली विस्थापितों की आपबीती की किताब #छिन्नमूल और इस महादेश में सभी समुदायों के विस्थापन और पुनर्वास की लड़ाई पर केंद्रित मेरी किताब #पुलिनबाबू जरूर पढ़ें।
#बीबीसी की रपट इस प्रकार है:
ओडिशा के मलकानगिरी में हिंसाइमेज स्रोत,Subrat Kumar Pati
इमेज कैप्शन,पुलिस ने कहा है कि स्थिति उनके नियंत्रण में है
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी योगेश बहादुर खुरानिया ने घटनास्थल का दौरा कर स्थिति की समीक्षा की. घटनास्थल पर भारी पुलिस बल तैनात है.
ओडिशा के गृह विभाग की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया कि असामाजिक तत्व स्थिति का फ़ायदा उठाते हुए ग़लत सूचना न फैलाएं, इसलिए इंटरनेट सेवा बंद की गई है.
मलकानगिरी के एसपी विनोद पाटिल ने बीबीसी न्यूज़ हिन्दी से कहा कि स्थिति नियंत्रण में है. इंटरनेट सेवा बंद है, ज़रूरत पड़ने पर आगे भी इसे बंद रखा जाएगा.
उन्होंने बताया कि पुलिस की मौजूदगी में मंगलवार को मृत महिला का अंतिम संस्कार किया जाएगा. एसपी विनोद पाटिल के मुताबिक़ इस मामले की उच्च स्तरीय जांच जारी है.
#BBC_News_हिन्दी
Wednesday, December 10, 2025
लिखोगे तो बचोगे। चेहरा एक सा नहीं रहता।
एक प्रिय बेटी के लिए
बहुत बहुत आभार।आप जितना अच्छा बोलती हैं ,उतना ही अच्छा लिखती हैं।
विजुअल मीडिया में लोकप्रियता जल्दी मिलती है और व्यस्तता बढ़ जाती है।लिखना आहिस्ते आहिस्ते छूट जाता है।
बहुतों के साथ ऐसा होता रहा है। मुझे इसकी चिंता थी आपको लेकर।
नब्बे के दशक में कोलकाता में जब न्यूज चैनल नए नए खुल रहे थे, अंग्रेजी,बांग्ला और हिंदी में कोलकाता में बोलने वाले कम लोग थे।हर चैनल से मुझे बहुत अच्छे ऑफर मिले।
सविताजी ने veto लगा दिया।कहा, जब तक चेहरा दिखेगा,अच्छा आकर्षक नजर आएगा, जब तक पर्दे पर बने रहोगे, सबकी नजर तुम पर रहेगी।फिर लोग भूल जाएंगे।कोई रिकॉर्ड भी नहीं बचेगा।
इंडियन एक्सप्रेस छोड़कर कहां जाओगे?
लिखोगे तो आज नहीं तो कल,सौ दो सौ या पांच सौ साल बाद लोग पढ़ेंगे जरूर।
विश्व पुस्तक मेले में पुलिनबाबू
#पुलिनबाबू:#विस्थापन_का_यथार्थ, #पुनर्वास_की_लड़ाई
विस्थापन इस महादेश ही नहीं, पूरी दुनिया की समस्या है।आधी दुनिया विस्थापितों की हैं। वे अलगाव, वंचना,उत्पीड़न और अन्य के शिकार नागरिकता, मातृभाषा, इतिहास,भूगोल, जल जंगल जमीन, विरासत, संस्कृति, अस्मिता, पहचान के संकट से जूझते हुए अपना अपना फिलिस्ती जी रहे है।
अपने पिता पुलिनबाबू की सरहदों के आर पार पुनर्वास, नागरिक और मानवाधिकार के संघर्ष और संवाद के बहाने आंदोलनकारी पुरखों के गांव बसंतीपुर को आधार बनाकर अपने तीन वर्षीय पोते की स्मृति की निरंतरता में विस्थापन का यथार्थ जीते हुए अपने पचास साल की पत्रकारिता की दृष्टि से इस महादेश में विस्थापन की समस्या को समग्रता से देखते हुए मैंने पुनर्वास की लड़ाई पर किताब लिखी है।
सत्तर साल की जिंदगी में पढ़ने लिखने के अलावा कुछ नहीं किया।बड़े अखबारों में चार दशक तक संपादकीय में कम किया और पांच दशक तक हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी में निरंतर लिखा है,बोला है जनता के ज्वलंत मुद्दों पर।
फिरभी मैं एक रिटायर्ड श्रमजीवी पत्रकार हूं। मैंने न सत्ता के गलियारे से संबंध रखा और न अपने संबंधों को भुनाया। हमेशा कार्पोरेट राज और मुक्त बाजार की विषमता के विरुद्ध समता और न्याय के लिए लिखा है। मैं कोई साहित्यकार नहीं हूं।सदा आम सामाजिक कार्यकर्ता हूं। रिटायर हुए एक दशक बीत गया।कोई जमा पूंजी नहीं है।अपने घर और गांव में हूं तो राशन पानी का तात्कालिक संकट नहीं है। मेरे सामाजिक कम को देशभर से समर्थन मिलता है। देशभर के लोगों का प्यार मिलता है।इतना काफी है पूंजी बतौर मेरी बची खुची जिंदगी के लिए।
अब मैं किताबें खरीद नहीं सकता।अपनी किताब भी नहीं। अपनी किताब की भी मेरे पास कोई प्रति नहीं है।चर्चा के लिए, समीक्षा के लिए या मित्रों के लिए किताब खरीदने की मेरी हैसियत नहीं है।
खासकर देशभर में विभिन्न भाषाओं के उन मित्रों से माफी चाहता हूं जो पिछले पांच दशकों से मुझे अपनी किताबें भेजते रहे हैं। अपनी किताब मैं उन्हें भेज नहीं सकता। यह किताब अमेजन या प्रकाशक न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन से ही खरीदकर पढ़ सकते हैं आप अगर यह किताब आपको जरूरी लगती है।
दिल्ली पुस्तक मेले में जो मित्र या साथी जाएंगे, वे चाहें तो न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन के स्टाल से यह किताब प्राप्त कर सकते हैं।
कुछ साथी विस्थापन के यथार्थ,पुनर्वास की लड़ाई पर केंद्रित मेरी किताब लेना चाहते हैं। यह किताब Amazon स्टोर में उपलब्ध है और दिल्ली से वितरित हो रही है।इच्छुक साथ इस लिंक पर जाकर किताब के लिए सीधे ऑर्डर कर सकते हैं।
https://www.amazon.in/Pulinbabu-Visthapan-Yatharth-Punarvas-Ladai/dp/9364073428
इसके अलावा सीधे प्रकाशक न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन से भी प्राप्त कर सकते हैं। उनका फोन नंबर 8750688053 है।
कुछ साथी विस्थापन के यथार्थ,पुनर्वास की लड़ाई पर केंद्रित मेरी किताब लेना चाहते हैं। यह किताब Amazon स्टोर में उपलब्ध है और दिल्ली से वितरित हो रही है।इच्छुक साथ इस लिंक पर जाकर किताब के लिए सीधे ऑर्डर कर सकते हैं।
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इसके अलावा सीधे प्रकाशक न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन से भी प्राप्त कर सकते हैं। उनका फोन नंबर 8750688053 है।
Tuesday, December 9, 2025
हम जन इतिहास और पीड़ित जनता की आपबीती भी दर्ज करते हैं।
देवरिया, उत्तर प्रदेश में प्रेरणा अंशु
योगेन्द्र पांडेय पत्रिका के साथ।
तमाम मुश्किलात के बावजूद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम,बंगाल,महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में भी प्रेरणा अंशु पहुंच रही है।
झारखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान,मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सर्वत्र आपकी पत्रिका पहुंच रही है। हिमालय से लेकर हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर, कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी, पूर्वोत्तर से लेकर कच्छ के रण और जैसलमेर जोधपुर बीकानेर के मरुस्थल तक।
हमें आर्थिक सहयोग के अलावा प्रासंगिक, जनता के ज्वलंत सवालों पर मजबूत कंटेंट की सख्त जरूरत है। कथा रिपोर्ताज, जमीनी रपट और तथ्यात्मक आलेख सबसे जरूरी है।सभी विधाओं में अप्रकाशित मौलिक रचनाएं सिर्फ मेल से आमंत्रित हैं।
हम रात दिन जनता के बीच हैं।
हम रात दिन जनता के मोर्चे पर है।
हम रात दिन जनता की अनसुनी आवाज़ Ansuni Awaaz बुलंद कर रहे हैं।
फेसबुक पर अनसुनी आवाज़ के पचास हजार और यूट्यूब पर 35 फॉलोअर हैं,जिनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।
हमें आपके समर्थन, प्यार और सहयोग चाहिए।
हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता हाशिए के लोगों और उपेक्षित भूगोल को है। हम हर कीमत पर संसाधन सीमित होने के बावजूद प्रेरणा अंशु हर महीने नियमित और निरंतर निकाल रहे हैं और जन इतिहास और पीड़ितों की आपबीती भी दर्ज कर रहे हैं।
Sunday, December 7, 2025
मुक्त,आत्मनिर्भर,सुखी, समृद्ध हो हमारी बेटियां, बहुएं, बहनें और सभी स्त्रियां
#मुक्त,#सशक्त, #सुखी,#समृद्ध हों #हमारी_बेटियां,#बहुएं और #सभी_स्त्रियां
#प्रेरणा_अंशु के #किशोरी_केंद्रित #स्त्री_विशेषांक के लिए 15 जनवरी तक सभी विधाओं में रचनाएं आमंत्रित।
मेरी मां बसंती देवी के बन पर मेरे गांव का नाम बसंतीपुर पड़ा। आंदोलनकारियों का गांव है यह। इस गांव से मां को इतनी मुहब्बत थी कि चालीस साल हम बाहर रहे, मां एक दिन के लिए भी हमारे डेरे पर कहीं नहीं गई। मायके भी नहीं। पिताजी सड़क के आदमी थे।सड़क और संसद की लड़ाई में वे मां के लिए या परिवार के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सके।सिर्फ हमारे पढ़ने लिखने और मनुष्य होने पर उन्होंने सबकुछ दांव पर लगा दिया।
मेरे परिवार,मेरे गांव और तराई के लोगों ने मेरी मां को इतना सम्मान दिया कि उन्हें जिंदगी से कभी कोई शिकायत नहीं थी।जीवनभर वे दूसरों का ख्याल रखती गई।
मेरी ताई हेमलता हरिचांद गुरुचांद ठाकुर की वंशज और उनके आंदोलन की बारिश थीं। घर में वे सर्वेसर्वा थीं। मेरे ताऊजी अनिल विश्वास खेती और संगीत में व्यस्त रहते थे। स्त्रियों का सम्मान करना मैने उनसे सीखा।
मेरी चाची ऊषा देवी को पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। उनसे इसलिए हमारी निकटता ज्यादा थी। उनका बेटा सुभाष मुझसे दो साल छोटा है। वह धनबाद और कोलकाता में भी पत्रकारिता करता रहा।चाची इसलिए मृत्यु तक हमारे साथ थीं। उन्होंने कैंसर से 1994 में कोलकाता में दम तोड़ा। ताई जी 1991 में और मां 2006 में चली गईं। लेकिन तीनों हमारे साथ हमेशा मौजूद हैं।
बसंतीपुर ही नहीं, दिनेशपुर की रिफ्यूजी बंगाली कॉलोनियां ही नहीं, तराई और पहाड़ में भी मुझे सभी स्त्रियों का इतना प्यार मिला है कि उनका ऋण और मेरा उनके प्रति फर्ज का बोझ बहुत बड़ा है।
प्रेरणा अंशु के दफ्तर में जाम मैं रोज काम करता हूं,मास्टर प्रताप सिंह का घर है। इस घर में भी मेरी तीन बेटियां हैं। Samajotthan School- English Medium Co-Ed School Dineshpur की एमडी Babita Rani Rathour , Shalini Singh और Priya Rathour , ये तीनों और गीता जी मेरी मां की तरह मेरा ख्याल रखती हैं। इनके अलावा दोनों स्कॉलों की शिक्षिकाएं मेरी बेटियां हैं।
जाहिर है कि जिनसे जिंदगी जीने लायक हो गई है, उनके अधिकारों की लड़ाई में भी हमें शामिल जरूर होना चाहिए।विभाजन पीड़ित स्त्रियों की कथा व्यथा सिर्फ #मेघे_ढाका_तारा, #कोमल_गांधार,
#सुवर्ण_रेखा,
#तमस
#गर्म_हवा या #पिंजर तक सीमाबद्ध नहीं है।
यह हमारी देखी भोगी जिंदगी है।
करोड़ों स्त्रियों के संघर्ष और जिजीविषा के कारण हमारा वजूद है।इसलिए स्त्री मुक्ति हमारे लिए कोई विमर्श, नारा या विचार तक सीमित नहीं है। यह हमारी जिंदगी का मकसद है।
इसलिए हमने हमेशा कोशिश की है कि सविता जी को कोई तक़लीफ न हो,कोई तनाव न हो, उनकी भावनाओं को को कोई आघात न हो।हम कुछ कर सके या नहीं, उन्हें हर सूरत में सुखी होना चाहिए।
हमारी अपनी कोई बेटी नहीं है। लेकिन इस महादेश के कोने कोने में पहाड़, मैदान,मरुस्थल, रण और द्वीपों में हमारी असंख्य बेटियां हैं।
घर में फिलहाल बहू बनकर एक बेटी Gaytri Biswas आई हैं। जो खुद मेरी ताई की तरह मतुआ परिवार से आई है। जो सिर्फ बेटी नहीं, सिर्फ डोडो और शिवन्या की मां नहीं,हमारी भी मां है।मेरी ताई की तरह वह भी घर में सर्वेसर्वा हैं। जो भी बेटी इस घर में आएगी भविष्य में उसे भी हम पलक पांवड़े पर बैठाएंगे।
हम अपने मरने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि बेटी, बहू, मां, बहन या कोई स्त्री जहां भी हो, वह मुक्त आत्म निर्भर, सशक्त, सुखी और समृद्ध हो।
यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा मकसद है क्योंकि हमने स्त्रियों को जितना कष्ट, दुख और यातना,उत्पादन का सामना करते देखा है, वे परिस्थितियां आज भी मौजूद हैं। क्योंकि पितृसत्ता, धर्मसत्ता, राजसत्ता और कॉरपोरेट राज एकाकार है और स्त्री के विरुद्ध है।
#प्रेरणा_अंशु का #स्त्री_विशेषांक
*प्रेरणा अंशु का मार्च 2026 अंक स्त्री विशेषांक होगा।*
इस अंक की अतिथि संपादक होंगी *अध्यापिका, कथाकार, चिंतक डॉ ऋचा पाठक जी।* रचनाओं पर अंतिम निर्णय उनका ही होगा। उन्हें सीधे मेल से रचनाएं भेज सकते हैं।
उनका मेल:
dr.richapathak5@gmail.com
हमें कैसी सामग्री चाहिए और आपको क्या लिखना है इस पर ऋचा जी से कृपया सीधे उनके मोबाइल नंबर
+91 89232 03995 पर बात की जा सकती है।
आप हमें भी मेल कर सकते हैं।
हमारा mail- prernaanshu@gmail.com
रचना भेजने की अंतिम तिथि 15 जनवरी 2026 है।
यह अंक सभी तबके की स्त्रियों और विशेष तौर पर किशोरी कन्याओं की समस्याओं और उनके संघर्ष पर केंद्रित होगा।
कथा रिपोर्ताज को प्राथमिकता दी जाएगी। लघुकथा, कहानी, ग़ज़ल और काव्य विधाओं में रचनाएं आमंत्रित हैं। आलेख की शब्दसीमा डेढ़ हजार शब्द है।
स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं की रचनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। वे अपने स्कूल कॉलेज, कक्षा का उल्लेख जरूर करें।
पुरुष रचनाकारों की रचनाओं का भी इन मुद्दों पर स्वागत है। अस्मिता, स्त्रीवाद, स्त्री विमर्श के अलावा स्त्रियों की जो व्यवहारिक समस्याएं, मुद्दे और उनकी रचनात्मकता है,उसकी गहन पड़ताल के लिए आप सभी का स्वागत है।
कृपया सहयोग बनाए रखें।
पलाश विश्वास
कार्यकारी संपादक
प्रेरणा अंशु,
दिनेशपुर, उत्तराखंड
Friday, December 5, 2025
SIR के बाद इन्हें मंगल ग्रह भेज देंगे?
SIR के बाद आप हम नागरिक माने नहीं गए तो चिंता न करें ,गगनयान हैं, मंगल ग्रह भेज दिए जाएंगे।
वहां से किसी और ग्रह में घुसपैठ कर भी लें तो क्या खंडित अखंड भारत के भूगोल इतिहास में लौटने की संभावना नहीं है।
शायद लोकेशन गलत हो, 15 अगस्त,1947 के बाद अखंड भारत के करोड़ों नागरिक पीढी दर पीढ़ी मंगलग्रह पर हैं और उन्हें इस पृथ्वी का कोई अधिकार नहीं है।
इससे पहले भी वे कहां थे पृथ्वी पर?
पृथिवी के पांच तत्व उनके लिए निषिद्ध थे क्योंकि वे अशुद्ध थे और उनके अधिकार नहीं थे कोई।
इन दिनों मंगल ग्रह और आकाशगंगाओं में जीवन होने की संभावनाओं को पुष्ट करने वाले तथ्य,प्रमाण और संकेत बताते हैं कि इस महादेश के विभाजन पीड़ित करोड़ों विस्थापित दरअसल मंगल ग्रह या किसी ब्लैक होल के नागरिक हैं।
क्या पता कि रहस्यमय ब्लैक मैटर ही हों।
इस महादेश में
Black never mattered
Would never be mattered
विशुद्ध रक्त की नदियां बह रही हैं
अनंत वध स्थल से अनंत काल
अनंत कुएं की अनंत गहराइयों में
जीवन यापन रक्तमय
इसीलिए तो लावारिश लहू की शिनाख्त नहीं होती।
लेकिन ब्लैक मैटर की मृत्यु नहीं होती और ब्लैक होल से कोई नहीं बचता।
बसंतीपुर के बच्चे
#प्रेरणा_अंशु के साथ #बसंतीपुर के सारे बच्चे।
आज बसंतीपुर के बच्चों ने प्रेरणा अंशु के बाल विशेषांक नवंबर अंक के साथ कविता पथ का सिलसिला जारी रहेगा।दिसम्बर का बाल विशेषांक भी आ गया।इस अंक के साथ भी हमारे बच्चे कविता पथ करेंगे।
हमारे सबसे पुराने बचपन के मित्र और बसंतीपुर को सांस्कृतिक गतिविधियां में अग्रणी बनाने वाले Nityanand Mandal ने गांव के सभी बच्चों को भाषा, साहित्य, प्रेरणा अंशु और सांस्कृतिक गतिविधियां से जोड़ने का बीड़ा उठा लिया है।हर गांव में उनके जैसे युवा साथी सक्रिय हो जाएं तो निश्चित ही पढ़ने लिखने की संस्कृति बहाल होगी।
बच्चे डिजिटल दुनिया के गहरे असर में हैं और हम?
बच्चों को भाषा,साहित्य, संस्कृति, लोक और विरासत से जोड़ने के लिए हम आखिर कर ही रहे हैं?
छोटी पहल से पड़ी शुरुआत हो सकती है।
आज चार छोटे बच्चों ने कविता पाठ किया।
काव्य विश्वास, शिवन्या विश्वास, परी और तृषा साना चारों छोटी कक्षाओं में पढ़ती हैं। उनका जज्बा देखिए।
कल जो वीडियो हमने जारी किए थे, उनमें सबसे छोटा कौशिक मंडल, फिर जया मंडल और सबसे बड़ी प्रतिभा मंडल ने कविता पाठ किया था। ये सारे वीडियो हमारे सबसे पुराने मित्र Nityanand Mandal ने तैयार कर रहे हैं। इस श्रृंखला में हम और वीडियो दूसरे बच्चों के साथ भी जारी करेंगे।
इनमें कौशिक सबसे छोटा है,पत्रिका हाथ में लेकर जो कविताएं उसे कंठस्थ है,सुना डाली कैमरे के सामने।यह कम नहीं है। प्रतियां चूंकि दसवीं में पढ़ती है,उसने प्रेरणा अंशु से कविता पथ किया है।
आज काव्या,तृषा, शिवन्या और परी चारों छोटी हैं।
इन बच्चों का उत्साह वरदान करें।वीडियो को लाइक और शेयर करके।अपने बच्चों के कविता पाठ की रील और वीडियो जरूर शेयर करें।तभी बात दूर तलक जाएगी।
प्रेरणा अंशु हो या बाल साहित्य, इसकी रील या वीडियो बनाना क्या बहुत मुश्किल है?
पढ़ने लिखने की संस्कृति बहाल करने के लिए इन्हीं बच्चों का आंदोलन इसी तरह उन्हें कविता पाठ से जोड़कर शुरू किया जा सकता है। हर गांव में,हर मोहल्ले में। सिर्फ बच्चों से संवाद जरूरी है।मोबाइल फोन तो हर हाथ में है।
जिन साथियों को प्रेरणा अंशु की प्रति मिल रही है, बाल विशेषांक में प्रकाशित कविताओं का पाठ वे अपने बच्चों से करवाकर कृपया रील और वीडियो पोस्ट करें।
यह हमारा सबसे सार्थक समर्थन और सहयोग होगा।
1952 में जब तराई के घने जंगलों में दलदल से चारों तरफ घिरा यह गांव बसा, बाघ भालू जंगली सूअर भेड़िया हाथी जैसे जनावर बड़ी संख्या में थे जंगल में।गांव के बाहर जंगल था, आज जहां काली मंदिर, नेताजी की प्रतिमा और सांस्कृतिक मंच, प्राइमरी विद्यालय है गांव के बीचोंबीच मैदान में, वहां भी जंगल हुआ करता था हमारे बचपन में। हिरण और खरगोश भी इस जंगल में आ जाते थे।
इस गांव का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया था उदयनगर और पंचाननपुर के साथ तो 1954 में तीनों गांव के लोगों ने आंदोलन किया।रजिस्ट्रेशन बहाल हुआ तो दस परिवारों की जमीन अमरपुर गांव के देखो के नाम कर दिया गया बंगाली और सिख विस्थापितों के नाम। आपस में लड़ाई से बचते हुए बसंतीपुर के लोगों ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर अपनी जमीन वापस ली। फिर 1956 में पुनर्वास के लिए रुद्रपुर के ऐतिहासिक आंदोलन में भाग लिया।
भारत विभाजन के फलस्वरूप स्थानांतरण, विभाजन की त्रासदी, परिवार के कट फट टूट बिखर जाने, रिफ्यूजी कैंप की नर्क यंत्रणा और पुनर्वास की लड़ाई में पूर्वी बंगाल में दो सौ साल के शिक्षा आंदोलन की विरासत से अलग होकर कम से कम दो पीढ़ियां शिक्षा से वंचित हो गई।
इस गांव के पुरखों को विस्थापित होने से भी बड़ा दुख अपढ़ अधपढ़ होने का था।हर लड़ाई में शिक्षा और कानूनी लड़ाई जरूरी होती है ,इसलिए गांव के बच्चों को शिक्षित करना उनका मिशन था।शिक्षा के लिए सांस्कृतिक गतिविधियां तेज किया उन्होंने।
उन्हीं का मिशन था कि एक रिफ्यूजी कॉलोनी का दलित बच्चा मैं देश के सबसे बड़े अखबारों के संपादकीय में चार दशक तक कम कर सके। कितने दलित बड़े अखबारों के संपादकीय में हैं?
नित्यानंद मंडल, दिवंगत कृष्णपद मंडल,विवेक दास, विधु भूषण अधिकारी, दिवंगत कार्तिक साना के नेतृत्व में बसंतीपुर में हर साल स्वतंत्रता सेनानियों की मौजूदगी में नेताजी जयंती मनाई जाने लगी, जो उत्तराखंड का प्रमुख कार्यक्रम है। बसंतीपुर की सांस्कृतिक टीम ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में धूम मचाई है।
इन गतिविधियों में नित्यानंद मंडल की प्रमुख भूमिका है। घर वापसी की शायद सबसे बड़ी उपलब्धि बचपन की इस दोस्ती की निरंतरता का बने रहना है।
नित्यानंद उर्फ tekka बचपन में हमारे हीरो थे और आज बुढ़ापे ने भी हीरो है।
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मैं नास्तिक क्यों हूं# Necessity of Atheism#!Genetics Bharat Teertha
হে মোর চিত্ত, Prey for Humanity!
मनुस्मृति नस्ली राजकाज राजनीति में OBC Trump Card और जयभीम कामरेड
Gorkhaland again?আত্মঘাতী বাঙালি আবার বিভাজন বিপর্যয়ের মুখোমুখি!
हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला हिंदुत्व की राजनीति से नहीं किया जा सकता।
In conversation with Palash Biswas
Palash Biswas On Unique Identity No1.mpg
Save the Universities!
RSS might replace Gandhi with Ambedkar on currency notes!
जैसे जर्मनी में सिर्फ हिटलर को बोलने की आजादी थी,आज सिर्फ मंकी बातों की आजादी है।
#BEEFGATEঅন্ধকার বৃত্তান্তঃ হত্যার রাজনীতি
अलविदा पत्रकारिता,अब कोई प्रतिक्रिया नहीं! पलाश विश्वास
ভালোবাসার মুখ,প্রতিবাদের মুখ মন্দাক্রান্তার পাশে আছি,যে মেয়েটি আজও লিখতে পারছেঃ আমাক ধর্ষণ করবে?
Palash Biswas on BAMCEF UNIFICATION!
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS ON NEPALI SENTIMENT, GORKHALAND, KUMAON AND GARHWAL ETC.and BAMCEF UNIFICATION!
Published on Mar 19, 2013
The Himalayan Voice
Cambridge, Massachusetts
United States of America
BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7
Published on 10 Mar 2013
ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH.
http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM
http://youtu.be/oLL-n6MrcoM
Download Bengali Fonts to read Bengali
Imminent Massive earthquake in the Himalayas
Palash Biswas on Citizenship Amendment Act
Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2003
http://youtu.be/zGDfsLzxTXo
Tweet Please
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS BLASTS INDIANS THAT CLAIM BUDDHA WAS BORN IN INDIA
THE HIMALAYAN TALK: INDIAN GOVERNMENT FOOD SECURITY PROGRAM RISKIER
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
The government of India has announced food security program ahead of elections in 2014. We discussed the issue with Palash Biswas in Kolkata today.
http://youtu.be/NrcmNEjaN8c
Ahead of Elections, India's Cabinet Approves Food Security Program
______________________________________________________
By JIM YARDLEY
http://india.blogs.nytimes.com/2013/07/04/indias-cabinet-passes-food-security-law/
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN VOICE: PALASH BISWAS DISCUSSES RAM MANDIR
Published on 10 Apr 2013
Palash Biswas spoke to us from Kolkota and shared his views on Visho Hindu Parashid's programme from tomorrow ( April 11, 2013) to build Ram Mandir in disputed Ayodhya.
http://www.youtube.com/watch?v=77cZuBunAGk
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk
THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICAL OF BAMCEF LEADERSHIP
[Palash Biswas, one of the BAMCEF leaders and editors for Indian Express spoke to us from Kolkata today and criticized BAMCEF leadership in New Delhi, which according to him, is messing up with Nepalese indigenous peoples also.
He also flayed MP Jay Narayan Prasad Nishad, who recently offered a Puja in his New Delhi home for Narendra Modi's victory in 2014.]
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS CRITICIZES GOVT FOR WORLD`S BIGGEST BLACK OUT
THE HIMALAYAN TALK: PALSH BISWAS FLAYS SOUTH ASIAN GOVERNM
Palash Biswas, lashed out those 1% people in the government in New Delhi for failure of delivery and creating hosts of problems everywhere in South Asia.
http://youtu.be/lD2_V7CB2Is
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS LASHES OUT KATHMANDU INT'L 'MULVASI' CONFERENCE
अहिले भर्खर कोलकता भारतमा हामीले पलाश विश्वाससंग काठमाडौँमा आज भै रहेको अन्तर्राष्ट्रिय मूलवासी सम्मेलनको बारेमा कुराकानी गर्यौ । उहाले भन्नु भयो सो सम्मेलन 'नेपालको आदिवासी जनजातिहरुको आन्दोलनलाई कम्जोर बनाउने षडयन्त्र हो।'
http://youtu.be/j8GXlmSBbbk





